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*जप चर्चा* *वृंदावन धाम से* *01 सितंबर 2021* हरे कृष्ण 664 स्थानों से भक्त आज जप में सम्मिलित हैं हरि बोल! श्रील प्रभुपाद की जय! आपका स्वागत है। यंहा कम से कम जो उपस्थित हैं उनका तो स्वागत हो ही रहा है, जो हमारे रेगुलर अटेंड करने वाले हैं उनका स्वागत करेंगे या पुनः जो ज्वाइन करना शुरू करेंगे या ढीले पड़ गए हैं या थक गए, जन्माष्टमी महोत्सव या श्रील प्रभुपाद व्यास महोत्सव की कई सारी गतिविधियों के कार्यक्रम में, या हो सकता है जिन्होंने फिजिकली या पर्सनली अटेंड नहीं किया हरि हरि! प्रल्हाद महाराज तो हैं। आप सभी का स्वागत है जप करते रहो। राधा रानी को आप देख सकते हो दर्शन कर सकते हो वृंदावन की राधा रानी की जय! राधा रानी की जय! राधा रानी के हार की , उस माला की भी जय, जो राधा रानी ने पहना हुआ था। उसी हार का हमें संग (स्पर्श) प्राप्त हो रहा है हरि हरि ! कृपा है राधा रानी की, और ऐसी कृपा आप सब पर बनी रहे। राधा की, श्रील प्रभुपाद की हरि हरि! श्रील प्रभुपाद के घर पर या उनके पिता श्री गौर मोहन डे घर पर कई सारे साधु लेकर पहुंच जाते और उनका स्वागत किया करते, उन्हें कई सारे भोजन खिलाते और फिर अंत में कहते कि मेरे पुत्र को आशीर्वाद दो। अभय शरण को आशीर्वाद दो ताकि यह राधा रानी का भक्त बने। अंततोगत्वा श्रील प्रभुपाद राधा रानी के भक्त बन ही गए। श्रील प्रभुपाद "वृंदावन इज माय होम" कहा करते थे। वृंदावन इज आल्सो राधा रानी होम, राधा श्याम सुंदर का भी होम है। उसी होम को प्रभुपाद ने अपना घर बनाया अपना होम बनाया। जय श्री राधे! कल हमने और आप सभी ने भी जरूर मनाया होगा श्रील प्रभुपाद का 125 वां जन्म तिथि महोत्सव, हमने भी मनाया है। वृंदावन में शायद आपने देखा या सुना भी होगा, कई सारे सीनियर डिवोटीस श्रील प्रभुपाद के उपस्थित थे। इंद्रद्युम्न स्वामी महाराज, दीनबंधु प्रभु, दैवी शक्ति माताजी, महा देवी माताजी, दधि भक्त प्रभु, आप जानते होंगे शायद, नेपाल में उनकी दीक्षा श्रील प्रभुपाद द्वारा हुई। श्रील प्रभुपाद ने उनको पुजारी बनाया। निरंजन प्रभु, ऑन एंड ऑन लिस्ट, राधारमण महाराज, जैसे यह सभी भक्त श्रील प्रभुपाद के शिष्य इन्होंने अपनी अपनी श्रद्धांजलि श्रील प्रभुपाद के चरणों में अर्पित की हरि हरि ! कई सारी स्मृतियां उनकी याद दिलाई। श्रील प्रभुपाद की व्यास पूजा पर उनका प्रवचन भी सुनाया, जो प्रवचन श्रील प्रभुपाद ने लंदन में दिया था और वह दिन भी श्रील प्रभुपाद की व्यास पूजा का ही दिन था। उस दिन का प्रवचन भी हमने सुना, अर्थात व्यास पूजा इज नॉट ए मैन वरशिप, किसी व्यक्ति की पूजा या प्रतिष्ठा हो रही है ऐसी बात नहीं है। यह मनुष्य पूजा नहीं है यह व्यास पूजा है। गुरु राधा मति एक विशेष मति होती है। श्रील प्रभुपाद ने उन्हीं को एड्रेस किया होंगा। कुछ लोग गुरु को नरमति मतलब साधारण व्यक्ति कहते हैं, जस्ट ऑर्डिनरी ह्यूमन बीइंग और भी कई सारे जैसे अन्य मनुष्य हैं तो गुरु इज वन मोर, गुरु भी उनमें से ही एक मनुष्य है। ऐसी मति, ऐसा विचार यह कु विचार है। शास्त्रों में कहा है 'मति सा गति' के सिद्धांत के अनुसार, यदि ऐसी मति है गुरु साधारण व्यक्ति है ऐसा कोई समझता है या मानता है ऐसी मति है तो उसकी कैसी गति है ? वह नरकीय है, नर्क में पहुंचाने वाले विचार हैं। इसके विषय में श्रील प्रभुपाद लिख रहे थे यह मैन वरशिप नहीं है ऐसा शास्त्र कहते हैं। *यस्य देवे पराभक्तिर्यथा देवे तथा गुरौ ।तस्यैते कथिता ह्यार्था: प्रकाशन्ते महात्मनः ॥* (श्वेताश्वतर उपनिषद् ६.२३) अनुवाद - जिन महात्माओं के हृदय में श्रीभगवान् में और श्रीभगवान् की तरह गुरु में भी उतनी ही दिव्य श्रद्धा होती है , उनमें वैदिक ज्ञान का सम्पूर्ण तात्पर्य स्वतः प्रकाशित हो जाता है । मैं भी जब श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा था तब मैंने भी कहा था *यस्य देवे पराभक्तिर्यथा देवे तथा गुरौ* जैसे हम देव की, भगवान की, कृष्ण की आराधना करते हैं यथा देवें तथा गुरौ जैसे भगवान की आराधना होती है वैसे गुरु की, आचार्यों की, आराधना होनी चाहिए। अचार्योपासना यह भी कहा था मैंने, कल की बात है। गीता में भगवान ने अचार्योपासना कहा है। तो केवल भगवान की उपासना ही नहीं भगवान के भक्तों की उपासना, गुरुजनों की, आचार्यों की उपासना अनिवार्य है, उसकी विधि है क्योंकि भगवान ने कहा है। एनीवे कल मैंने भी कहा था कि जो लोग कहते हैं कि वह भगवान के भक्त हैं। भगवान ने कहा नहीं नहीं आप तो मेरे भक्त नहीं हो, लेकिन फिर कोई व्यक्ति कहता है प्रभु मै आपके भक्तों का भक्त हूं , फिर भगवान कहेंगे हां ! हां ! फिर तुम मेरे भक्त हो। फिर हमने यह भी ऑब्जर्वेशन शेयर किया कि कल और परसों के दिन जब हम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मना रहे थे, तब अत्यंत भीड़ थी। अन्य व्यक्ति मथुरा और वृंदावन के सभी क्लेम कर रहे थे कि हम कृष्ण भक्त हैं यदि ऐसी बात है स्वागत है लेकिन फिर कल जब श्रील प्रभुपाद की व्यास पूजा मनाई जा रही थी तब लोग थोड़े कुछ कम थे, लेकिन जो थे भगवान उनको स्वीकार कर रहे थे हां ! हां ! फिर तुम मेरे भक्त हो कल आए थे मेरी जन्माष्टमी में मेरा उत्सव तुमने मनाया लेकिन जब मेरे सेनापति भक्त मेरे आचार्य, श्रील प्रभुपाद की जय! श्रील प्रभुपाद कि जब आराधना और व्यास पूजा हो रही है तब तुम नहीं हो। परसों के लोग तो....., लेकिन जो कल उपस्थित थे श्रील प्रभुपाद व्यास पूजा में, श्रीभगवान ने कहा हां ! हां ! यह लोग मेरे भक्त हैं क्योंकि यह लोग मेरे भक्तों के भक्त हैं। समझ में आ रहा है ? कुछ पल्ले पड़ रहा है ? यह सिद्धांत है यह हमारा मनो धर्म नहीं है यह भागवत धर्म का सिद्धांत हम कह रहे हैं। यह वेद वाणी है, हरि हरि ! कल हमने मलेशियन डिवोटीस को एड्रेस किया, वह सुनना चाहते थे श्रील प्रभुपाद की कुछ बातें या यादें , वह कीर्तन भी सुनना चाहते थे। तब हमने एक प्रोग्राम मलेशियन डिवोटीस के लिए भी किया। उस समय हम याद कर रहे थे और उनको भी याद दिलाया, श्रील प्रभुपाद ने मलेशिया की विजिट को जब किया था 1971 के मई महीने में, मतलब हो गई 50 ईयर एनिवर्सरी और अब चल रहा है 2021 हमने उनको यह भी स्मरण दिलाया कि मेरी जो श्रील प्रभुपाद के साथ फर्स्ट एवर मीटिंग हुई उसका स्मरण कहो या दर्शन कहो, श्रील प्रभुपाद की वाणी को हमने सुना क्रॉस मैदान हरे कृष्णा फेस्टिवल मुंबई, अप्रैल महीने में, यह मेरे लिए भी 50 ईयर एनिवर्सरी है। कौन सी? 50th एनिवर्सरी मैंने जो सर्वप्रथम श्रील प्रभुपाद का दर्शन किया उसकी यह 50th एनिवर्सरी है अर्थात यह हो गया दो एनिवर्सरी, एक प्रभुपाद की मलेशिया की एनिवर्सरी, 50th एनिवर्सरी और मेरी, मैंने प्रभुपाद के साथ, जो दर्शन किया या श्रवण किया और हरे कृष्ण फेस्टिवल ज्वाइन किया और हरे कृष्ण भक्तों के संपर्क में मैं प्रथम बार आया, तो उसकी भी 50th एनिवर्सरी है, और भी बहुत कुछ हुआ, जो विग्रह हरे कृष्ण फेस्टिवल या उत्सव में कहो, राधा कृष्ण के विग्रह जिनका मैंने दर्शन किया श्रील प्रभुपाद वही लेकर ऑस्ट्रेलिया जा रहे थे और जिन विग्रह का मैंने दर्शन किया था इस फेस्टिवल में, मंच पर उन् विग्रह को लेकर श्रील प्रभुपाद ट्रैवलिंग कर रहे थे। इन विग्रह को लेकर श्रील प्रभुपाद मलेशिया भी गए और वहां पर संभावना है कि उस विग्रह ने मलेशियन लोगों को दर्शन दिए होंगे और वहां जाने का एक उद्देश्य भी था कि श्रील प्रभुपाद के कुछ ब्रह्मचारी नए शिष्य जो नए इनीशिएटिड थे जो मलेशिया जाकर प्रचार कर रहे थे, उन्हें कोई लैंड डोनेट करना चाह रहा था, इन भक्तों ने प्रभुपाद को संपर्क करके लैंड डोनेट करने की बात बताई। श्रील प्रभुपाद स्वयं वहां जाकर लैंड को स्वीकार करना चाहते थे। यह सब, वन मोर टेंपल, क्योंकि और भी कई सारी बातें है । श्रील प्रभुपाद का जन्म हुआ 125 वर्ष पूर्व अर्थात कल ही जन्मे और वह दिन था नंदोत्सव का और श्रील प्रभुपाद का जन्म हुआ कोलकाता के टॉलीगंज में, फिर अब एक दूसरे कार्यक्रम का भी मुझे स्मरण हो रहा है जो मैंने अटेंड किया। मलेशिया प्रोग्राम का तो पूरा मैंने नहीं सुनाया। इतने में कोलकाता में जो प्रोग्राम हुआ था और मैंने वहां के भक्तों को (कोलकाता के भक्तों) को एड्रेस किया। वे उस स्थान पर एकत्रित हुए थे जिस स्थान पर टॉलीगंज कटहल तला है, उस स्थान का नाम हम कम से कम 50 सालों से सुन रहे थे कि श्रील प्रभुपाद का जन्म कटहल तला टालीगंज में एक कटहल के वृक्ष के नीचे एक मकान में जन्म हुआ था। उस स्थान को इस्कॉन ने एक्वायर किया हुआ है और पिछले कुछ महीनों में पहली बार यह घटना घटी है। उस स्थान पर श्रील प्रभुपाद की व्यास पूजा संपन्न हुई। 125 वर्ष पूर्व श्रील प्रभुपाद जिस स्थान पर जन्मे थे अर्थात जन्मभूमि, वहां पर फंक्शन हो रहा था और हमने उस कटहल के वृक्ष को भी देखा, उन्होंने हमें दिखाया और उस कटहल के वृक्ष के नीचे ही श्रील प्रभुपाद के विग्रह की स्थापना टेंपरेरिली की हुई थी। वहीं फंक्शन हो रहा था जहां श्रील प्रभुपाद जन्मे थे। वह है श्रील प्रभुपाद की जन्मभूमि, श्रील प्रभुपाद की कर्मभूमि कई हैं, जहां-जहां इस्कॉन है अराउंड द वर्ल्ड , वह सब कर्म भूमियां हैं। कर्म भूमि अनेक हो सकती हैं, किंतु जन्मभूमि एक ही होती है। अनेक कर्मभूमि अराउंड द वर्ल्ड, प्रभुपाद की व्यास पूजा मनाई जा रही थी और उन सब के मध्य में एक व्यास पूजा जन्म भूमि पर मनाई जा रही थी जहां प्रभुपाद का जन्म हुआ था। पहली बार उस स्थान पर कटहल तला में यह मनाई गई। प्रभुपाद की व्यास पूजा और उस स्थान का उद्घाटन वैसे आज होने वाला है या आज उस स्थान का लोकार्पण होगा, वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वहां पर पहुंचने वाली है और उनके कर कमलों से उस स्थान का लोकार्पण होगा हरि बोल ! बिग न्यूज़ ! और वैसे यह 125 वी साल की व्यास पूजा हम लोगों ने मनाई , किंतु इस वर्ष यह1 दिन का मामला नहीं है एक दिन यह उत्सव नहीं मनाया जाएगा यह पूरे साल भर के लिए 125th बर्थडे सेलिब्रेशन या बर्थ ईयर सेलिब्रेशन, यह पूरे साल के लिए उत्सव मनाया जायेगा और उस उत्सव के उद्घाटन में हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान मोदी जी आज इसका इनॉग्रेशन करने वाले हैं अतः आप उपस्थित रहिए। मतलब कंफर्म कीजिए आज 4:30 बजे गवर्नमेंट ने 1 सिल्वर कॉइन श्रील प्रभुपाद सम्मान में लांच किया जायेगा। 1996 में एक स्टेप भी लांच किया था इंडिया गवर्नमेंट ने और इस साल 1 सिल्वर कॉइन चाँदी का सिक्का, उसको भी प्रधानमंत्री रिलीज करेंगे और डिक्लेअर करेंगे कि यह प्रभुपाद की 125 व्यास पूजा के उपलक्ष में है, जो पूरे साल मनाया जाएगा। मैंने सोचा आप थोड़ा पता लगाइए, आप अटेंड करो, हमारे यहां कृष्णभक्त हैं या पदमाली, आप जब अनाउंसमेंट होगी तब क्लियर करो कंफर्म करो , कैसे ज्वाइन करना है ? लॉगइन डीटेल्स वगैरह सभी को दे सकते हो। हरि हरि ! हाँ तो मलेशिया की बातें चल रही थी, श्रील प्रभुपाद 50 वर्ष पूर्व मई महीने में मलेशिया गए और वहां कुआलालंपुर के टाउन हॉल में एक बड़ी भीड़ बिग गेदरिंग को संबोधित किया। श्रील प्रभुपाद यह भी कह रहे थे , इस सारे संसार को यहां लोग यूनाइट हो सकते हैं अंडर द बैनर ऑफ कृष्ण कॉन्शियस, चैतन्य महाप्रभु की जय ! चैतन्य महाप्रभु के बैनर या छत्रछाया में हम सब इकट्ठे हो सकते हैं। यूनिटी संभव है, ऐसा प्रभुपाद ने कहा था यू एन ओ भी है। यूनाइटेड नेशंस ऑफ़ ऑर्गेनाइजेशंन का हेड क्वार्टर न्यूयॉर्क में है। वहां श्रील प्रभुपाद उसके हेड क्वार्टर के सामने से अक्सर गुजरते और देखते झंडों की संख्या बढ़ रही है। वन मोर झंडे और झंडे यह कैसा यूनाइटेड नेशंस है। दिस इज डिसयूनाइटेड नेशंस, फ्लैग आर इंक्रीजिंग, एक समय इंडिया, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, बर्मा यह सारे देश, यह सभी एक ही देश थे। वैसे एक समय तो इस पृथ्वी पर एक ही देश था, सारी पृथ्वी पर उसका नाम भारत हुआ करता था। हमारे परीक्षित महाराज सम्राट थे या जब युधिष्ठिर महाराज सम्राट थे तब उनको शास्त्रों में संबोधित किया है पृथ्वी पति, यह पृथ्वी के पति हैं। सारी पृथ्वी पर उनका सम्राट मतलब राजाओं के राजा, किंग ऑफ द किंग, हस्तिनापुर उसकी राजधानी और सारे संसार में एक देश, लेकिन कलि ने जिस काल के चलते कलह चलते रहते हैं रगड़े झगड़े चलते रहते हैं, उसी के साथ इस संसार के टुकड़े हो रहे हैं। वर्ल्ड इज ब्रोकन इनटू विद सो मेनी कंट्रीज, प्रभुपाद कहा करते थे कैसा है तुम्हारा यूनाइटेड नेशंस ? दिस इज़ द यूनाइटेड नेशंस, वन फ्लैग ओन्ली और फिर किसी पब्लिक फंक्शन में श्रील प्रभुपाद ने कई बार कहा मुंबई में, हमने भी सुना, जब उसी मंच पर प्रभुपाद के शिष्य भक्त कई देशों से साथ में उपस्थित हुआ करते थे। तब प्रभुपाद कहा करते थे कि देखो ही इज़ फ़्रॉम अमेरिका, कनाडा से, ऑस्ट्रेलिया से, इंडिया से, यह जापान से है, वीआर यूनाइटेड लेकिन हम सब एक हैं। आध्यात्मिक जगत का यह देश है या आध्यात्मिक जगत का यह दर्शन है कि हम सब एक हैं या इकट्ठे हैं। यहां अमेरिका और रशिया में भी फाइटिंग चलती रहती है। एक समय अमेरिका सुपर पावर तो कभी रशिया, वह लड़ रहे थे। लेकिन जब रसिया का रशियन कृष्ण भक्त बनता है या अमेरिकन कृष्ण भक्त बनता है तब वह यह लड़ाई झगड़ा भूल जाता है, गले लगाते हैं। वाञ्छा कल्पतरुभश्च कहते हैं, एक दूसरे को प्रणाम करते हैं, एक दूसरे के साथ कार्य करते हैं एंड डेट यूनिटी इज़ रियल यूनिटी यह उसका प्रदर्शन है, उसका डेमोंस्ट्रेशन है। उसके बाद श्रील प्रभुपाद ने कृष्ण भावनामृत संघ की स्थापना करके, जो इस संसार के लोग, संसार के राजनेता जो हासिल नहीं कर पाए, श्रील प्रभुपाद यूनाइटेड द वर्ल्ड, प्रभुपाद ने संसार के लोगों को या जब हमारा मायापुर वृंदावन फेस्टिवल होता है तब कई देशों के लोग आ जाते हैं भक्त बने हैं और हम एक ही परिवार के सदस्य के रूप में वहां रहते हैं। वहां स्नेह होता है। यह बात श्रील प्रभुपाद मलेशिया में समझा रहे थे। कृष्ण भावना में या भगवत भावना में ही यह संभव है अदर वाइज (डिस यूनाइटेड नेशन) यह बात आप सीखो समझो, आप फॉलोवर्स बन रहे हो या श्रील प्रभुपाद ने जो एक घर बनाया, इस्कॉन वह घर है। जिसमें सारा संसार रह सकता है। *सर्वोपाधि- विनिर्मुक्तं तत्परत्वेन निर्मलम्। हृषीकेण हृषीकेश-सेवनं भक्तिरुच्यते।।* ( चैतन्य चरितामृत मध्य 19.170) अनुवाद: - भक्ति का अर्थ है समस्त इंद्रियों के स्वामी, पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् की सेवा में अपनी सारी इंद्रियों को लगाना। जब आत्मा भगवान् कि सेवा करता है तो उसके दो गौण प्रभाव होते हैं। मनुष्य सारी भौतिक उपाधियों से मुक्त हो जाता है और भगवान् कि सेवा में लगे रहने मात्र से उसकी इंद्रियां शुद्ध हो जाती हैं। यह संसार और संसार के लोग कई सारी उपाधियों से भरे पड़े हैं। मैं यह देश का या फलाने देश का, केवल यही नहीं और भी कई सारी उपाधियां हैं। मैं यह शरीर हूं यह भी उपाधि, फिर मैं स्त्री हूं ,या मैं पुरुष हूं, यह भी उपाधि है, मैं काला हूं मैं गोरा हूं। इसी तरह की उपाधियां या डेजिग्नेशंस यही है 'अहम और मम" ममता का यह जगत , अहंकार और ममता से भरा हुआ जगत , इससे मुक्त करने के लिए ही श्रील प्रभुपाद , श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु की ओर से, इस हरे कृष्ण आंदोलन की स्थापना उन्होंने की। जिससे सारा संसार लाभान्वित हो रहा है। ठीक है ओके हरि हरि ! मैं अब यहीं विराम करता हूं। श्रील प्रभुपाद की जय! गौर प्रेमानंदे ! हरि हरि बोल !

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