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जप चर्चा वृंदावन धाम 2 सितंबर 2021 हरे कृष्ण ! 778 स्थानों से भक्त जप कर रहे हैं । गौर प्रेमानंदे हरि हरि बोल ! श्रील प्रभुपाद की जय ! ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ नमः ॐ विष्णु पादय , कृष्ण पृष्ठाय भूतले , श्रीमते भक्ति वेदांत स्वामिन इति नामिने नमस्ते सरस्वते देवे गौर वाणी प्रचारिणे , निर्विशेष शून्य - वादी पाश्चात्य देश तारिणे ॥ श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानंद । श्री अद्वैत गदाधर श्रीवास आदि गौर भक्त वृंद ॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे । हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ॥ वृंदावन धाम की जय ! श्रील प्रभुपाद की जय ! तो वैष्णव तिथि के अनुसार हम श्रील प्रभुपाद का आविर्भाव जन्म उत्सव परशो बनाए जो नंदों उत्सव भी था आप जानते हो या कई बार हम कहे होंगे या पढ़े होंगे । नंदों उत्सव के दिन श्रील प्रभुपाद जन्मे । कल भी उत्सव मनाया गया । भारत के प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी उन्होंने या उसको उससे भी कह सकते हैं जो भी हो तो वैष्णव तिथि के अनुसार श्रील प्रभुपाद नंदों उत्सव के दिन जन्मे थे और यह जो ख्रिष्टाब्द है इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार 1 सितंबर , जो कल था । 1 सितंबर को श्रील प्रभुपाद जन्मे तो कल भी उत्सव मनाया गया । वैसे आपको पूर्व सूचना मिली ही थी या मैंने भी शायद यह घोषणा की थी । कोलकाता में पहुंच गई ममता बनर्जी, वेस्ट बेंगल की मुख्यमंत्री कहां पर पहुंची ? तालीगंज, कटहल तल्ला, कटहल की पेड जहां श्रील प्रभुपाद जन्मे थे तो उस स्थान का उद्घाटन कहो या क्योंकि अभी अभी नया स्थान ही लिया है और इस्कॉन ने वहां मेमोरियल का निर्माण हो रहा है तो जन्मोत्सव भी 125 वा जन्म उत्सव और फिर उस स्थान का भी उद्घाटन को हो जहां श्रील प्रभुपाद जन्मे थे तो वह हुआ पहले कोलकाता में मुख्यमंत्री के कर कमलों द्वारा और फिर उसके बाद बारी आई प्रधानमंत्री की ओर, आपने उनको सुना देखा कल ? ( कुछ भक्त हां कर रहे हैं ) कुछ तो मुंडी हिला रहे हैं, कुछ हाथ दिखा रहे हैं । आपका हाथ प्रभुपाद के साथ । ठीक है बहुत हाथ उठ रहे हैं ! तो फिर आपको अलग से कुछ आपको बताने की आवश्यकता नहीं है । उन्होंने एक ₹125 रुपए का चांदी का सिक्का , एक स्मरणीय रुपए, स्मारक सिक्का का भी उसको भी प्रकाशन किया, दर्शाया सबको और उसी के साथ वैसे भारत में श्रील प्रभुपाद का सम्मान किया है । वैसे दो व्यक्ति भारत रत्न रहे तो श्रील प्रभुपाद भारत के रत्न रहे तो श्रील प्रभुपाद को भारत रत्न पदवी देनी चाहिए जो रत्न नहीं है जो कोयला ही है उनको भारत रत्न की पदवी दिया यह भारत देता रहता है । लेकिन श्रील प्रभुपाद सचमुच सही मायने में भारत रत्न रहे । भारत को समझे वे' भारत । हरि हरि !! तो वह स्मारक सिक्का के प्रकाशन के उपरांत प्रधानमंत्री या श्रील प्रभुपाद को गौरवान्वित करते हुए कई सारी बातें कहे । भारत के प्रधानमंत्री जैसे या श्रील प्रभुपाद जैसे महात्मा वह दूसरी बात है । महात्मा गांधी तो, वे तो राजनीतिज्ञ में महात्मा ऐसा कहते हैं और महात्मा तो, यह अंग्रेज उनको महात्मा कहते थे या अंग्रेजों ने उनको ऐसी पदवी दी । राजनेताओं के मध्य में वे थे महात्मा किंतु श्रील प्रभुपाद महात्मा यह मोदी जी तो नहीं कह रहे थे मैं कह रहा हूं । श्रील प्रभुपाद एक संत थे या सही मायने में ... महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः । भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्ययम् ॥ ( भगवद् गीता 9.13 ) अनुवाद:- हे पार्थ! मोहमुक्त महात्माजन दैवी प्रकृति के संरक्षण में रहते हैं । वे पूर्णतः भक्ति में निमग्न रहते हैं क्योंकि वे मुझे आदि तथा अविनाशी भगवान् के रूप में जानते हैं l कृष्ण के अनुसार वह व्यक्ति महात्मा है जिन्होंने देवी प्रकृति का, राधा रानी का आश्रय लिया हुआ है तो श्रील प्रभुपाद आचार्य रहे महात्मा रहे तो ऐसे महात्मा का यह गौरव का था प्रधानमंत्री गा रहे थे और जो कुछ कह रहे थे लग रहा था कि वे प्रभुपाद को भली-भांति जानती भी थे । झलक रहा था कि उन्होंने प्रभुपाद लीलामृत पढा हुआ है, सुना हुआ है । पता नहीं आप में से कितने उतना जानते हो श्रील प्रभुपाद को जितना मोदी जी जान चुके हैं या श्रील प्रभुपाद के सारे बलिदान प्रभुपाद विदेश जाते समय दो दो दिल के दौरे और प्रभुपाद वहां पहुंचे तो प्रभुपाद के ना तो रहने की व्यवस्था थी ना तो उनके पास धन था यह सब कह रहे थे नरेंद्र मोदी जी और साथ में गीता भागवत लेके गए और हमारे संस्कृति का विचार हमारे धर्म का प्रचार सर्वत्र किए । कई बार वे 'हरे कृष्ण-हरे कृष्ण' कह रहे थे । हरि ! या श्रील प्रभुपाद स्वतंत्रता सेनानी भी रहे ऐसा वैसे श्रील प्रभुपाद एक समय महात्मा गांधी के अनुयाई जरूर बन रहे थे । श्रील प्रभुपाद खादी वस्त्र पहनना शुरू किए थे । सुभाष चंद्र बोस के कई मीटिंग्स में श्रील प्रभुपाद सम्मिलित हुआ करते थे । इस प्रकार बन रहे थे श्री प्रभुपाद वैसे स्वतंत्रता सेनानी । वही बातें उन्होंने कही । हरि हरि !! श्रील प्रभुपाद .. सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥ अनुवाद:- सब सुखी हों, सब स्वस्थ हों , सब का कल्याण हों , सब शुभ को पहचान सके , कोई प्राणी दुःखी ना हो । भी कहे । इस संसार के सुख के लिए संसार को सुखी बनाने के लिए प्रभुपाद ने यह सारे कार्य किए । श्रील प्रभुपाद का आंदोलन इस्कॉन-इस्कॉन वह कहते रहे और इस्कॉन की काफी सराहना किए । इस्कॉन की कार्यों की इस्कॉन की फूड फॉर लाइफ की और इस्कॉन के अनुयायियों को विश्व भर अनुयायियों को संबोधित कर रहे थे क्योंकि उस फंक्शन में केवल भारतीय आप लोग ही नहीं थे और आप लोग उनमें से केवल भारतीय नहीं हो इस वक्त और देशों के भक्त भी जैसे अब उपस्थित है तो कल भी जब नरेंद्र मोदी संबोधित कर रहे थे तो विश्व के कई देशों के भक्त भी भक्तों को वे देख रहे थे स्क्रीन में और उनका भी स्वागत सराहना कर रहे थे और उनको मोदी जी अंबासेटर कह रहे थे, आप राजदूत हो । भारत की जो मूल्य है प्राचीन भारत की मूल्य उस पर आप आचरण कर रहे हो उसका आप प्रचार कर रहे हो । वह समझ चुके हैं कि हम लोग भक्ति योगी है तो भक्ति योग का महीना भी भगवद् गीता के द्वादश 12 वीं अध्याय से कई सारे या भक्ति योग की महिमा यह भी वे कहेके गए जब भारत गुलाम रहा पहले मुसलमानों की गुलामी और फिर अंग्रेज आ गए और अत्याचार हुए यह हुआ वह हुआ काफी संघर्ष रहे और काफी विनाश करने को उनका प्रयास रहा भारत का विनाश और भारतीय तत्वका मूल्यों का ऐसा बता रहे थे किंतु भारत को ज्यादा कुछ वो बिगाड़ नहीं पाए ऐसा कह रहे थे और इसका कारण यह रहा कि इस देश की जो भक्ति है भगवान की भक्ति योग, भक्ति जोगियों ने भागवद् धर्म के मता अबीलंबीयो ने वे तोड़ चिपके रहे डेट के रहे अपने मूल्यों के साथ इसके लिए भारत प्रसिद्ध है भारत । भारत का जो खासियत है, भारत विश्व गुरु है या भारत "वसुधैव कुटुम्बकम्" यह सारे पृथ्वी पर कितने लोग हैं वह हमारे परिवार के हैं हम एक हैं यह जो विचार है यहां तक की हिंदी चीनी भाई भाई है यह जो विचार है और भगवान में आस्था और गीता भागवद् में श्रद्धा और उस पर अमल भारतीय करते रहे ऐसे यह जो अतिक्रमण , रिलीजियस और अत्याचार यह गुलामी को हो यह सब भारत पर 1000 वर्षों तक बनी रहे । 1000 साल से लेकर 2000 तक रामानुजाचार्य जब थे तो उसी समय प्रारंभ हुआ यह मुसलमानों ने भारतीय आक्रमण अत्याचार और न जाने क्या क्या उन्होंने किया और यह चलता रहा श्रील प्रभुपाद के समय तक तो रामानुजाचार्य से उस समय से प्रारंभ हुआ और श्रील प्रभुपाद लगभग 1000 वर्षों के उपरांत रामानुज के बाद श्रील प्रभुपाद रहे तो भारत की वैसे खासियत है । एवर चेंजिंग एंड नेवर चेंजिंग मैंने पहले भी कहा है इस पर जाने भारत कभी चेंज नहीं हो सकता तो चेंज करने की प्रयास तो किया विदेशियों ने या अंग्रेजों ने, पहले मुसलमानों ने किंतु या तो मोदी जी बता रहे थे कि उन बातों ने भारत पर ज्यादा या कुछ तो बिगाड़ दीया ही किंतु भारतीय चिपके रहे भारत के मंदिरों के साथ । भक्ति योग का नाम ले रहे थे भक्ति योग के साथ और फिर उसी भक्ति की जो उपासना मराठी में कहते हैं । यह हरे हरे कृष्ण आंदोलन कर रहा है और इसी भक्ति योग का वही बता तो रहे थे वे या भारत सरकार योग आसन वगैरा का भी प्रचार कर रहा है वे अच्छा है स्वागत करते हैं किंतु योग तो पूरा नहीं है । होना तो चाहिए था अष्टांग योग जिसका परिणाम स्वरूप या फलीभूत तो समाधि है या समाधि तक पहुंच होनी चाहिए । ठीक है हरे कृष्ण ! मैं आपसे भी सुनना चाहता हूं प्रभुपाद या मोदी जी तो बहुत कुछ कहे और मैंने नहीं सोचा था कि इतना समय बिताएंगे मुझे लगा कि कुछ कुछ ही मिनटों में कुछ प्रकाशन किया कुछ उद्घाटन हुआ उस सिक्का का और फिर दो शब्द बोलेंगे लेकिन वो तो 200 का 2000 शब्द बोलते रहे तो और जो भी कहा वैसे सत्य ही कह रहे थे और श्रील प्रभुपाद और श्रील प्रभुपाद का आंदोलन । प्रभुपाद और इस्कॉन दोनों की गौरव गाथा वे गा रहे थे तो हम इस्कॉन की ओर से उनके आभारी हैं और उनके कहे वचनों से हम इस्कॉन के सभी सदस्यों श्रील प्रभुपादनुगा जो है हम प्रोत्साहित हुए हैं । प्रेरित हुए हैं, सशक्त हुए हैं तो धन्यवाद-धन्यवाद-धन्यवाद मोदी जी । हरि हरि !! तो श्रील प्रभुपाद वैसे सभी भारतीयों को प्रोत्साहित करते रहे इस हरे कृष्णा आंदोलन को ज्वाइन करने के लिए अपने जीवन में । लेकिन ज्यादा कुछ प्रतिक्रियाएं नहीं मिला उन दिनों में प्रभुपाद के जमाने में लेकिन प्रभुपाद की ओर से हम निवेदन कर ही रहे हैं भारतीयों को या कृपा करके आगे आइए इस आंदोलन का अंग बनीए । एक बहुत बड़ी अच्छी बात कही मोदी जी ने कल जो प्रभुपाद भी कहा करते थे मैं सोच रहा हूं कि मोदी जी ने पकड़ लिया उस बात को, पकड लिया प्रभुपाद के बात को या वैसा उनके विचार आए । वह कह रहे थे कि अकेले प्रभुपाद जैसे हम जानते हैं इतना सारा किया भारतीय संस्कृति का कहो । इतना सारा प्रचार किया विश्व भर में तो अगर हम सब मिलके यह प्रचार करेंगे भारतीयता का कहो, कृष्ण भावनामृत में जो भारतीयता है इसमें काफी मेल है 'भारत' तो वो कह रहे थे और परोक्ष रूप से आप हम सबको प्रेरित कर रहे थे कि आप भी ज्वाइन करो इस प्रयास को । प्रयास में भी योगदान अनिवार्य है तो ठीक है । ॥ हरे कृष्ण ॥

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