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जापा टॉक 9 नवंबर 2021 पदरेनू तुम तैयार हो। आज भी जापा टॉक अभी-अभी शुरू करने जा रहे हैं। आज दूसरा बहुत व्यस्त दिन है। आज प्रातः काल में यहां दीक्षा समारोह संपन्न होने जा रहा है। जय प्रभुपाद जय प्रभु पाद प्रभु पाद जय प्रभुपाद जय श्री प्रभुपाद......... श्रील प्रभुपाद तिरोभाव तिथि महोत्सव की जय हो!!! हम भी यहां वृंदावन में मनाए तिरोभाव तिथि महोत्सव। पूरा व्यस्त दिन था। सुबह 4:30 मंगल आरती से रात्रि में भी कार्यक्रम चलते रहे। वृंदावन की बात चल रही है जहां श्रील प्रभुपाद का समाधि मंदिर भी है या जहां श्रील प्रभुपाद समाधि हुए 44 वर्ष पूर्व उसमें सम्मिलित हुए थे कुछ 10000 भक्त , अधिकतर भारत के कोने-कोने से भक्त आए थे। तो श्रद्धांजलियां अर्पित हुई श्रीलप्रभु पद के संस्मरण में वही एक विशेष कार्यक्रम होता है । फिर मध्यान तक चला वैसे और फिर अभिषेक श्रील प्रभुपाद का महा अभिषेक। इस्कॉन नोएडा ने जो 125 तीर्थों का जल एकत्रित किया था ।आप जानते ही हो , 125 तीर्थ भी पहुंच गए हैं। हम 10000 भक्त तो थे ही और साथ ही कई सारे तीर्थ भी वहां पहुंच गए। 125 की संख्या में। उसका भी उपयोग हुआ, अभिषेक के लिए। वही पंडाल में ही हुआ अभिषेक । फिर गए समाधि मंदिर में पुष्प अभिषेक हुआ श्रील प्रभुपाद की आरती और पुष्प अभिषेक समाधिमंदिर में 1:00 बजे के आस-पास। और सायीकालीन और भी कार्यक्रम होता हैं, प्रतिवर्ष प्रभुपद की कुटिया में। 7 बज के 22 या 25 मिनिट ये श्रील प्रभुपाद के महाप्रस्थान का समय है । उस समय श्रीला प्रभुपाद के शिष्य,और जगह बचता है तो और शिष्य भी प्रभुपाद की कुटिया में उपस्थित होते हैं। तो कल भी हुए ।और मुख्यता प्रभुपाद की आरती और कीर्तन होता है। मुझे कीर्तन करने को कहें संसार-दावानल-लीढ-लोक- त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्। प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य वन्दे गुरोः श्री-चरणारविन्दम्।। यह गीत कहो या गुरु अष्टक कहते हैं इसका श्रवण कीर्तन हुआ,आरती हुई। हरि हरि!! श्रील प्रभुपाद के उपयोग की हुई चादर का सभी उपस्थित भक्तों से स्पर्श कराते हैं। बहुत ही अद्भुत स्पर्श होता है। वह चादर प्रभुपाद को स्पर्श किया था, अंतिम समय में तो वही चादर का स्पर्श कराते हैं। सभी भक्तों के सिर पर वही चादर रखी जाती है । कुछ क्षणों के लिए तो उस समय कुछ विशेष करंट या श्रील प्रभुपाद के सानिध्य लाभ का हम अनुभव करते हैं ।तो दिन में जो श्रद्धांजलि अर्पित की गई तो पता नहीं आप वृंदावन टीवी देख रहे थे या सुन रहे थे किसी ने देखा ? यह देखने की चीज है....आपकी भाषा में कहें तो देखने की चीज है तो बार बार देखो तो यह बड़ा प्रेरणादायक ,यह श्रद्धांजलि , यादें हरि हरि !! इसका प्रस्तुतीकरण होता है । तो कुछ 50 भक्त ही बोल पाए और भी थे लेकिन , समय का अभाव होने के कारण लगभग 50 भक्त ही बोल पाए। समय मिलता है , 2-4 मिनटों का तो आप मेंसे भी कुछ भक्त अपने अनुभव सुना सकते हो या आप क्या सोच रहे थे ,आपने क्या देखा, कहां पर गए तिरोभाव तिथि महोत्सव मनाने के लिए ।तो कुछ भक्तों से ही हम सुन पाएंगे मेरे पास भी आज ज्यादा समय नहीं है, प्रात काल में। गोपाल कृष्ण महाराज ने श्रील प्रभुपाद के आनंद के लिए सूचना दी अभी अभी जो भद्र कैंपियन (भागवत वितरण कैंपियन) जो हुआ उन्होंने कहा की भारत में 25000 भागवत सेट का वितरण हुआ । प्रभुपाद प्रसन्न हुआ करते थे ग्रंथ वितरण से या ग्रंथ वितरण अंक की सूचना प्रभु पद को बहुत पसंद आती थी। तो यह सूचित किया गया 25,000 भागवतम् के सेट्स इस वर्ष अभी ,प्रतिवर्ष यह होता रहेगा मैराथन। फिर उन्होंने, गोपाल कृष्ण महाराज या मोदी जी नरेंद्र मोदी ने जो मोदी सरकार उन्होंने एक सिक्का प्रकाशित किया की प्रभु पाद की स्मृति का चिन्ह *सिल्वर कॉइन* वो भी दिखाया संक्षिप्त में कहा नरेंद्र मोदी ने कैसे श्रीला प्रभुपाद की गौरव गाथा गाई आपने शायद देखा सुना होगा लगभग 1 महीने पहले की बात है। मैं कुछ मुख्य- मुख्य बातें ही आपके साथ साझा कर रहा हूं। महामन प्रभु जब बोल रहे थे एक बार पत्रकार परिषद में श्रील प्रभुपाद से एक प्रश्न पूछा गया स्वामी जी आपके मरण के उपरांत यह संस्था कैसे चलेगी या कौन इसका उत्तर दायित्व निभाएगा ऐसे प्रश्न पूछ रहे थे नहीं रहोगे तो यह कैसे होगा ,वह कैसे होगा तो उसके उत्तर में श्रील प्रभुपाद ने कहा मैं कभी नहीं मरूंगा वह पूछ रहे थे कि आप जब मरोगे तो क्या होगा ? तो प्रभुपाद ने कहा मैं कभी नहीं मिरुगा। “मैं मरने वाले में से नहीं हूं" यह इंटरप्रिटेशन है हमारा। क्योंकि प्रभु पाद कहा करते थे कि “मैं जीवित रहूंगा एक तो अपने ग्रंथों के रूप में अरे कोई मुझे जानना चाहता है तो मेरी किताबें पढ़े। फिर किसी ने यह भी कहा श्रील अपने खुद की किताबें पढ़ा करते थे तो कल एक वक्ता कह रहे थे। प्रभुपाद ने कहा की यह किताबें तो मैंने लिखी नहीं है। कृष्ण ने लिखी है । भगवान ने मुझे निर्देश दिया और वैसा ही मैं बोलता या लिखता गया। देवकीनंदन प्रभु जोर दे रहे थे श्रील प्रभुपाद के ग्रंथों का अध्ययन हमको करना चाहिए "मेरी किताब का वितरण करो ,मेरी किताब का वितरण करो, मेरी किताब का वितरण करो -एक समय श्रील प्रभुपाद ऐसा कहे थे"उससे प्रभावित होकर किताब वितरण तो करते रहते हैं ,इस्कॉन के भक्त पूरे विश्व में किंतु उनकी किताबें इतने उत्साह के साथ नहीं पड़ते जितने उत्साह के साथ वे ग्रंथों का वितरण करते हैं। देवकी नंदन प्रभु कह रहे थे भक्तों को “किताब वितरण ,किताब वितरण, किताब वितरण" केबल ये ही याद नहीं रखना चाहिए वैसे प्रभु पद अपने ग्रंथों के अध्ययन के संबंध में भी कहे थे। तो देवकीनंदन प्रभु ने कहा उनको ऐसा सोचना चाहिए कि प्रभुपाद कह रहे हैं-“ मेरी किताब पढ़ो ,मेरी किताब पढ़ो ,मेरी किताब पढो” फिर यह पूर्ण हुआ क्योंकि प्रभु बात कहा करते थे मैंने यह किताब है केवल वितरण के लिए नहीं है यह मैंने अपने अनुयायियों के अध्ययन के लिए लिखी है तो अब मेरे ख्याल से आपको भी संदेश मिल रहा है। मुझे फिर अलग से नहीं कहने की आवश्यकता है प्रभु पद के ग्रंथों का अध्ययन की महिमा हरि हरि!! फिर एक भी भीम प्रभु भी बोलने जो हमारे बीबीटी के सदस्य भी हैं तो बता रहे थे कि जब चैतन्य चरितामृत पहली बार प्रकाशित हुआ तो भक्त पढ़ रहे थे उनके पढ़ने में एक बात आई चेतन चरित्रामृत में एक समय अद्वित आचार्य प्रभु के घर में उन्होंने ही बुलाया था चैतन्य महाप्रभु को और नित्यानंद महाप्रभु को प्रसाद के लिए नहीं बता पाएंगे या चैतन्य महाप्रभु के सन्यास दीक्षा समारोह के बाद दोनों गौरांग और नित्यानंद अद्वैत आचार्य भवन सांतिपुर में पहुंचे थे। तो अद्वैत आचार्य दोनों को प्रसाद खिला रहे थे तो जितना भोजन नित्यानंद कर रहे थे खा रहे थे खाते जा रहे थे खाते जा रहे थे खाते ही जा रहे थे तो अद्वैत आचार्य ने कहा ए तुम किस प्रकार के सन्यासी हो यह वैराग्य का थोड़ी लक्षण है योगी हो की की भोगी हो इस प्रकार की बातें बड़ी हास्य - ,विनोद की बातें या अभी हम भीम प्रभु कहते हैं कितना मजेदार संवाद अद्वैत आचार्य और नित्यानंद प्रभु के बीच में हो रहा है भक्तों ने पहली बार पढ़ा तो उन्हें लगा आध्यात्मिक जगत में भी ऐसा होता है क्या? अरे यह तो भगवान है और अद्वित आचार्य महाविष्णु है नित्यानंद प्रभु तो बलराम है। इस प्रकार की बातें करते हैं। हंसी मजाक ऐसा पूछा श्रील प्रभुपाद से कुछ शिष्य ने । तो प्रभुपाद ने कहा हा हा वहां भी आध्यात्मिक जगत में भी हास्य विनोद मजेदार संवाद इत्यादि खूब चलते रहते हैं। तो प्रभुपाद उस समय कहे थे तो उसे भीम प्रभु कल सांझा के के किए पूरा तो नहीं कहूंगा लेकिन बात यह थी कि कृष्ण एक समय किसी गोपी से कहें मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूं। प्रभुपाद ऐसे ही लीला बताने लगे हां हां आध्यात्मिक जगत में भी ऐसा चलता रहता है तो कृष्ण जब कहे कि मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूं तो गोपी ने कहा तुम किसी बंदरी के साथ विवाह करो तुम काले हो ऐसे हो वैसे हो...। आपको भी अच्छी लग रही है ना आप भी हंस रहे हो तो यह सब चलता है आध्यात्मिक जगत में भी चलता रहता है। जो प्रभु पद बता रहे थे अपना अनुभव हरि हरि !!तो राधा रमण मंदिर से वृंदावन में राधा रमण मंदिर है गोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा स्थापित राधारमण के विग्रह और उनकी आराधना जिस मंदिर में होती है उसके जो वर्तमान आचार्य है। विशंभर गोस्वामी के सुपुत्र कल आए थे उन्होंने भी बड़ी सुंदर श्रद्धांजलि अर्पित की श्रीला प्रभुपाद के चरणों में श्रील प्रभुपाद और श्रील प्रभुपाद के हरे कृष्ण आंदोलन की बड़ी गौरव गाथा गा रहे थे तो उन्होंने कहा बस दुनिया में ऐसा वे कह रहे थे दो ही संगठन है। अंतर्राष्ट्रीय या वैश्विक एक तो UNO संयुक्त राष्ट्र संगठन इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है। तो वह कहते हैं एक तो यू.एन.ओ है दूसरा यह हरे कृष्ण आंदोलन अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावना अमृतसर यह दो ही संगठन विश्वव्यापी है और कुछ विशेष कार्य कर रहे हैं। वैसे इस्कॉन की तुलना यू .एन.ओ के साथ तो नहीं हो सकती है। किसी के साथ भी नहीं हो सकती हरि हरि!! श्रील प्रभुपाद कहा ही करते थे इस्कॉन भी यू .एन.ओ है पर अध्यात्मिक जगत का अंतरराष्ट्रीय संगठन है यह सच में एक्य है , एकता है विश्व बंधुत्व है ना लड़ाई ना झगड़ा यह वह .... और उन्होंने यह भी कहा श्रीला प्रभुपाद ने विश्व भर के लोगों को हरि नाम दिया है वैसे भी कह रहे थे नाम तत्व धाम तत्व प्रेम तत्व राधा तत्व ऐसे चार तत्व का उन्होंने उल्लेख किया वैष्णव गौड़ीय वैष्णव तो राधा रमण मंदिर वाले भी यह भी गौड़ीयवैष्णव ही है। गोपाल भट्ट गोस्वामी का मंदिर है। तो श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने ही दिया यह राधा भाव यह चार तत्व कहो राधा तत्व प्रेम तत्व धाम ( वृंदावन धाम) तत्व नाम तत्व और फिर उन्होंने कहा जिन को यह नाम प्राप्त है या गोपी भाव प्राप्त है वे सबसे अधिक धनी है वे बारंबार इस पर जोर दे रहे थे कि इस्कॉन के भक्त जितने धनी हैं संसार में और कोई उतना धनी नहीं है। जितने प्रभु पद के अनुयाई धनी हैं। धनी समझते हो ना धनबान । यह असली धन है वह कह रहे थे की श्रीला प्रभुपाद ने आपको धनवान बनाया असली धन तो यही है। “गोलोकेर प्रेमधन हरिनाम संकीर्तन”। वही देदिया संसार को तथाकथित कई धनी लोग होंगे किंतु आपको प्रभुपाद ने जो धन दिया है ।आप जो धनी बने हों समझो प्रभु पद ने क्या दिया है आप कौन थे और क्या क्या हुए और क्या हो रहे हो इसका भी स्मरण दिलाएं आप धनी हो और यही धन आप को सुखी बना सकता है आत्माराम आत्मा को आराम देने वाला यही धन है यह तो उन्होंने नहीं कहा मैं कह रहा हूं आप समझ सकते हो तो सुखी होने के लिए धन चाहिए ऐसी समझ होती है लेकिन कौन सा धन कोन हमे सुखी बनाएगा ये दुनिया नहीं जानती तो यह प्रेम धन सुखी बनाएगा हमको या धाम भी धन है हरि हरि श्रीला प्रभुपाद के ग्रंथ भी संपत्ति है वैसे कहा जाता है हमारे भारत में भारतवर्ष का जो महाभारत ग्रंथ है रामायण ग्रंथ है भागवत ग्रंथ है ये इस देश की संपत्ति है इसीलिए भारत का गौरव इसी में है ठीक है तो ऐसे ही हम भी कुछ बोले तो थे ही हमने एनी लोकप्रिय ध।।।।। इसको गाया और इसका तात्पर्य भी सुनाया सभी को इसी के साथ धर्म सभा कल की प्रारंभ हुई या श्रद्धांजलि महोत्सव आरंभ हुआ हम भी कुछ बातें याद दिलाई हमने भी अपनी प्रसन्नता व्यक्त की क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में एक भी स्थान खाली नहीं था। वो देख के हमने कहा प्रभुपाद इतनी बड़ी उपस्थिति के कारण प्रसन्न तो जरूर हुए होंगे। एक समय भारतीय आगे नहीं आ रहे थे। हम जब जोड़ें उन दिनों भारतीयों की कई सारी समझ या ना समझी गलतफ़हमी करके बैठे थे । इसलिए वृंदावन का मंदिर अंग्रेज का मंदिर है सी.आई.ए .एस है यह पहले हिप्पीज थे या अब भी है अभी चल रहा है उनका दम मारो दम बोलो सुबह शाम हरे कृष्णा हरे राम।।।। ऐसा करने वाले लोग हैं दम भी भरते हैं मतलब ना जाने क्या-क्या खाते पीते हैं दम भी मारते हैं और हरे कृष्णा हरे राम करने वाले यह लोग हैं तो कोई नहीं जोड़ रहा था एक समय तो फिर उस समय 1 दिन की बात है संक्षिप्त में कहीं अभी भी संक्षिप्त मैं उससे और भी अधिक संक्षिप्त में अभी कह रहा हूं मैं और प्रभुपाद प्रभुपाद की कुटिया में दो ही थे तो प्रभुपाद बड़े चिंतित थे भारतीय जड़ नहीं रहे हैं मेन पावर प्रचार प्रसार के लिए आवश्यक तो थी तो उस समय प्रभुपाद कहे थे और आदमी चाहिए हमे तुम्हारे जैसे और भक्तों की आवश्यकता है मैंने यह भी कहा मेरे जैसे मैं के समक्ष था इसलिए प्रभुपाद ने कहा मेरे जैसे,मेरे जैसे या भक्तिचारु स्वामी महाराज जैसे गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज जैसे स्वरूप दामोदर महाराज जैसे और भक्तों की आवश्यकता है। उस समय तो नहीं जुड़ रहे थे लेकिन आखिरकार अब जुड़ रहे है। बहुत बड़ी संख्या में कल उपस्थित रहे भक्त ये प्रसन्नता की बात है। प्रभुपाद भी प्रसन्न हुए होंगे ही हरि हरि अब मुझे मुझे रुकना चाहिए कोन है ?पदमाली तुम हो क्या? हरि बोल.. पदमाली यात्रा कर रहा है। वह अभी रेलगाड़ी में है।

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