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जप चर्चा सोलापुर धाम से, 15 नवंबर 2021 जैसा कि आपने आज सुन भी लिया और आप जानते ही हो कि आज चतुर्मास का एक गणना के अनुसार समापन ही हैं,चातुर्मास अगर शयनी एकादशी को प्रारंभ करते हैं तो आज हैं उत्थान एकादशी,शयनी मतलब विश्राम, सोना और उत्थान मतलब उठना। आज के दिन भगवान जग रहे हैं। यहां जहां आज हम हैं, कहां हैं?ब्रज धाम में। इस्कॉन सोलापुर का नामकरण हुआ हैं और अब इसे ब्रजधाम कहते हैं। तो हम आज ब्रज धाम में हैं। ब्रज धाम में आज राधा दामोदर प्रकट हो रहे हैं या प्रकट हो चुके हैं। भगवान राधा दामोदर की जय। पता नहीं आपने देखा या नहीं कि भगवान प्रकट हो चुके हैं, सुना तो था आपने कि नेत्र मिलन होने वाला हैं और हो भी गया और उत्थान एकादशी पर जगने वाले भगवान आज यहां राधा दामोदर के रूप में प्रकट होकर दर्शन दे रहे हैं।कल सायंकाल में नेत्र उनमिलन हुआ। नेत्र + मिलन इसका अर्थ समझते हो ना? नेत्र उन मिलन अर्थात भगवान के विग्रह ने आंखें खोली। सर्वप्रथम भगवान ने जो भी वहां उपस्थित भाग्यवान जीव थे उनको देखा और भक्तों ने भी भगवान को देखा। नेत्र उन मिलन के साथ मिलन भी हुआ। आंखों का हो गया उनमिलन, ओपनिंग ऑफ़ आइस। उसी के साथ जो जीव उपस्थित थे उनका परमात्मा के साथ मिलन और परमात्मा ही नहीं, भगवान के साथ मिलन। भगवान का मिलन भक्तों के साथ हुआ। विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा मतलब, हमें समझना चाहिए कि भगवान का अवतार हुआ।भगवान अवतरित हो गए। परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् | धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे || 8||(भगवद्गीता 4.8) यहां इस्कॉन मैं युगे युगे क्या,भगवान दिने दिने प्रकट होते हैं। हर दिन नहीं तो हर सप्ताह या हर महीने मे कहीं ना कहीं भगवान की प्राणप्रतिष्ठा संपन्न होती रहती हैं। अभी यहां हुआ हैं, तो कुछ दिनों के बाद युगांडा में होने वाला हैं और हमें निमंत्रण आ गया कि नित्यानंद त्रयोदशी के दिन भगवान कोल्हापुर में प्रकट होने वाले हैं और हर बार सारे समाचार तो हम तक भी नहीं पहुंचते। पूरे विश्व भर में भगवान प्रकट होते रहते हैं और केवल भारत में नहीं पूरे विश्व में उनके जीव, उनके अंश,उनके दास तो सर्वत्र हैं। तो वहां वहां भी प्रकट होकर भगवान क्या करेंगे? संतों की, भक्तों की रक्षा करेंगे। भगवान शरणागत के पालक हैं। शरणागत वत्सल हैं। उनकी रक्षा करेंगे। उनको सेवा का अवसर देंगे। हरि हरि और नेत्र उनमिलन के उपरांत यह मैं अपने अनुभव की बात बता रहा हूं, मुझे विश्वास हैं कि और सभी ने भी यह अनुभव किया होगा।जो यहां उपस्थित थे या जो ऑनलाइन देख रहे थे, तो नेत्र उनमिलन के उपरांत शयन अधिवास हुआ। भगवान का शयन हुआ। भगवान के लिए बिस्तर या बैड तैयार था और बड़े विग्रह राधा दामोदर वहां लेट गए। कृष्ण लेट गए, राधा रानी लेट गई और बहुत ही मंगलमय वातावरण हो गया। भक्त सुमधुर कीर्तन गा रहे थे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। कुछ रात्रि दीपक भी जलाए थे।वहां भगवान के लिए मच्छरदानी भी थी और हमने तो बेड रखा था।वैसे बेड में भी भगवान नंद ग्राम में विश्राम करते होंगे, लेकिन यह शयन जो हमने देखा यह तो जब भगवान कुंजो में निवास करते हैं और फिर लीला भी खेलते हैं, कुंज बिहारी भगवान रास लीला खेलते हैं। फिर उसके उपरांत किशोर किशोरी विश्राम करते हैं। लाडली और लाल विश्राम करते हैं। तो कल जो दृश्य हमने देखा,उसमें वृक्ष भी थे और लताएं भी थी। कई सारे पुष्प खिले थे और जरूर देवता भी उस दृश्य का दर्शन करने के लिए वहां पहुंचे होंगे या फिर देवताओं के लिए भी जो दुर्लभ दर्शन हैं वैसे दर्शन का लाभ हमें हुआ और इस्कॉन के कई सारे वरिष्ठ भक्त, सन्यासी, जीबीसी और अधिकाधिक भक्तगण उपस्थित थे और इस दर्शन का अवसर जनता को दिया गया और बहुत समय के लिए लोग कतार में खड़े हुए थे और कुछ छोटे-छोटे समूह में आकर वह दर्शन कर रहे थे और ऐसा दर्शन जीवन में एक ही बार होने वाला हैं। प्रतिदिन का यह दर्शन नहीं हैं। यह शयन अधिवास का दर्शन, प्रतिदिन होने वाला नहीं हैं। भगवान को हम प्रतिदिन वेदी पर विद्यमान देखते हैं। राधा गोविंद को,अष्ट सखियों को हम प्रतिदिन खड़े हुए देखते हैं। राधा गोविंद देव की जय। अष्ट सखियों की जय और उनकी आरती उतारते हैं, लेकिन कल हमने भगवान को बेड में देखा। बेड में यानी बिस्तर में लेटे हुए थे,तो यह दर्शन दुर्लभ दर्शन हैं। भगवान ने कल ब्रजधाम इस्काॅन सोलापुर में यह दुर्लभ दर्शन कराए और हम धन्य हुए और कई सारे जीवो को भगवान ने भाग्यवान बनाया। एक तो हम भक्तों के संपर्क में आते हैं brahmāṇḍa bhramite kona bhāgyavān jīva guru-kṛṣṇa-prasāde pāya bhakti-latā-bīja (चैतन्य चरितामृत मध्य लीला 19.151) और कल जो भाग्य का उदय हुआ, भगवान ने जो जीवो को भाग्यवान बनाया वह तो अति दुर्लभ हैं। आप सभी को भगवान ने ऐसा दर्शन दिया। भगवान दर्शन तो देते हैं, लेकिन हम कितना ले पाते हैं यह हमारे खुद पर निर्भर करता हैं या हमारी शरणागति पर निर्भर करता हैं। अब मुझे रुकना होगा। भगवान दोबारा बुला रहे हैं। हमारे मध्य में रेवतीरमन प्रभु और राधेश्याम प्रभु हैं। अब उनसे सुनिए।हरे कृष्णा।

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