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10 जुलाई 2019 हरे कृष्ण हमने आप सबको यहां पंढरपुर में आमंत्रित किया है। पंढरपुर धाम की जय🙏 ताकि आप सब यहां आकर क्या करोगे? जप करोगे। आपका जप कैसा रहा? इसका मतलब क्या ठीक नहीं हुआ? हरी बोल कह दिया या ठीक हुआ हरी बोल। धाम में यह अपेक्षा की जाती है कि हमारा जप मैं सुधार हो या ध्यान पूर्वक जप हो ऐसी अपेक्षा की जाती है। आप सभी हिंदी जानते हो, कौन कौन यहां पर हिंदी जानता है ? हां तो सभी जानते हैं। एकलव्य प्रभु 50- 50 समझते हैं। हिंदी नहीं समझने वाले कोई है, आज सिर्फ हम हिंदी में ही बोलेंगे आज ट्रांसलेशन नहीं होगा। समय भी कम है 7:00 बजने वाले हैं और हमें पद यात्रियों का स्वागत भी करना है। हरि नाम प्रचार करने की सेवा हमें दी हुई है श्रील प्रभुपाद ने, हमें यह प्रचार की सेवा दी हुई है। मुझे पदयात्रा की सेवा भी श्रील प्रभुपाद ने दी। इस पदयात्रा में क्या करना होता है, प्रभुपाद ने वैसे कहा था, जब पदयात्रा का उदघाटन हुआ गौर सुंदर भी थे हमारे साथ, हमारे चचेरे भाई या गोड ब्रदर, प्रभुपाद ने कहा कि जारे देखो तारे कहो हरे कृष्ण उपदेश श्रील प्रभुपाद ने चैतन्य महाप्रभु के आदेश में, उपदेश में बदलाव करके मुझे कहा। पदयात्री को कहै जारे देखो तारे कहो हरे कृष्ण उपदेश तो पदयात्रा की योजना श्रील प्रभुपाद ने बनाई ताकि सर्वत्र प्रचार हो। सर्वत्र प्रचार होइबे मोर नाम मेरे नाम का प्रचार सर्वत्र हो। तबसे मैं सोचता आया हूं कि प्रभुपाद ने मुझे हरीनाम का प्रचार करने का आदेश दिया पदयात्रा के माध्यम से। हम कुछ समय से ये जपा कॉन्फ्रेंस ज़ूम let's chant together कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रचार कर रहे हैं। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। पृथ्विते आछे यत नगर आदि ग्राम सर्वत्र प्रचार हइबे मोर नाम महाप्रभु ने कहा कि मेरे नाम का प्रचार हर नगर में हर ग्राम में होगा, तो फिर प्रचार किसके लिए होगा नगर के रास्तों के लिए प्रचार होगा या वहां की जो इमारतें हैं बिल्डिंग है उनके लिए प्रचार होगा। अंततोगत्वा इस हरीनाम का प्रचार किसके लिए होगा, मनुष्य के लिए ही होगा जीवो के लिए भी होगा लेकिन मनुष्य के लिए ज्यादा होगा मनुष्य इस हरी नाम का अधिक लाभ उठा सकता है। तो प्रथ्वी पर जितने भी लोग हैं, नगरों में है, ग्रामों में है, उन सभी लोगों तक हरि नाम का प्रचार पहुंचाना है। हरी नाम को अधिक लोगो तक पहुंचाने की सेवा मेरे गोड ब्रदर्स कर रहे हैं। मैं भी कर रहा हूं, मैं विशेष जोर देता हूं हरि नाम महामंत्र का। कीर्तन में हरी नाम का प्रचार करना चाहिए क्योंकि प्रभुपाद चाहते थे। हरे कृष्ण का प्रचार वैसे भगवान ने ही किया है। हरे कृष्ण नाम गौर करिला प्रचार, गौरंगा महाप्रभु ने हरीनाम का प्रचार किया। महाप्रभु इस हरीनाम के आदि या सर्व प्रचारक रहे हैं। भगवान ने हरीनाम का प्रचार किया और ऐसा प्रचार करते करते 6 वर्षों तक महाप्रभु ने भ्रमण या पदयात्रा की। भगवान ने क्या किया पदयात्रा की, श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने एक नगर से दूसरे नगर प्रचार किया। एक दिन महाप्रभु एक ग्राम से दूसरे ग्राम तक प्रचार करते करते मेरे गांव में भी आ गए। आपको नहीं पता था, जब कोहलापुर से पंढरपुर आए थे तो रास्ते में अरावडे नाम का गांव आता है। उस गांव में भी महाप्रभु ने हरि नाम के बीज बोए। उस समय तो मैं नहीं था, पता नहीं था कि नहीं था, उस समय अरावड़े मेरा गांव तो नहीं था पर कहीं ना कहीं आप भी थे मैं भी था। श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु फिर पंढरपुर आए, किसलिए आए सिर्फ हरी नाम के प्रचार के लिए महाप्रभु पंढरपुर आये या यह भी कह सकते हो कि धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे और कलयुग का धर्म है कौन सा धर्म है, कलि कालेर धर्म हरिनाम संकीर्तन। श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु जो स्वयं भगवान ही हैं, श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु ने हरिनाम का प्रचार किया। हरे कृष्ण, किसका नाम है चैतन्य महाप्रभु का नाम है। सर्वत्र प्रचार होइबे मोर नाम श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु कहा है कि मेरे नाम का प्रचार होगा। सर्वत्र प्रचार मोर प्रचार मतलब मेरे नाम का प्रचार होगा। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु कौन हैं, श्री कृष्ण चैतन्य राधा कृष्ण नही अन्य। हरीनाम का प्रचार होगा मतलब महाप्रभु का नाम राधा कृष्ण है । चैतन्य महाप्रभु केवल कृष्ण नहीं है साथ में राधा को भी लेके आए हैं, कृष्ण भी हैं और राधा भी हैं। मेरे नाम का प्रचार मतलब हरे कृष्ण का प्रचार होगा, आपने सुना होगा राधा, राधा कृष्ण राधा, मेरे नाम का प्रचार होगा। और यह जो 16 नाम है ये राधा कृष्ण ही है तीसरा नाम नहीं है हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।। यह जो हरे राम है वह वह भी राधा-कृष्ण ही है। जो ये पूरा नाम है ये भी राधा कृष्ण का नाम ही है। तो इस नाम का प्रचार होगा। सर्वत्र प्रचार होइबे मोर नाम- सर्वत्र मेरे नाम का प्रचार होगा। जिस ढंग से श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने प्रचार किया, गांव गांव जाकर, नगर नगर जाकर। आपको पता है महाप्रभु कैसे गए गांव में हरिनाम का प्रचार करने और आजकल तो सब गाड़ी में जाते हैं। हम जब पदयात्रा कर रहे थे, बहुत साल पहले की बात है चार धाम यात्रा के बारे में हमने सुना तो हमने उसके बारे में पढ़ा। आज के समय मे हम यात्रा कैसे करेंगे चार धामों की यात्रा ऐयर प्लेन से, लोग बिगड़ गए हैं, पैरों का उपयोग नहीं कर हैं , घुटने काम नहीं कर रहे हैं। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने पदयात्रा करते हुए सर्वत्र हरीनाम का प्रचार किया। श्रील प्रभुपाद सोच रहे थे स्ट्रेटजी बना रहे थे। पूरी स्ट्रेटजी तो यही है "श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने कहा" भविष्यवाणी की मेरे नाम का सर्वत्र प्रचार होगा। इस्कॉन की जो स्थापना श्रील प्रभुपाद ने कि है वो इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए की है। चैतन्य महाप्रभु ने जो भविष्यवाणी की उसको सच करना है, सच करके दिखाना है और हरीनाम का प्रचार सर्वत्र करना है, केवल भारत में नहीं, केवल पंडरपुर में नहीं। यहां तो कीर्तन होते रहते हैं, हो रहे है। यहां पदयात्री भी आते हैं। यहां पर कीर्तन होते रहते हैं लेकिन श्रील प्रभुपाद चाहते थे कि जब पंढरपुर में, मायापुर में, राधा कुंड में, जगनाथ पुरी में और स्थानों पर जो कीर्तन हो रहा था हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे। राम हरे राम राम राम हरे हरे।। उसको सर्वत्र फैलाएं। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु इंडियन तो नहीं थे, चैतन्य महाप्रभु इंडियन थे क्या, चैतन्य महाप्रभु हिंदू थे क्या। हिंदू धर्म का प्रचार करने आए थे क्या,उनका प्रचार सभी जीवो के लिए था चाहे वे जीव जहां भी हो। वासुदेव कुटुंभकम। इस पृथ्वी पर जितने लोग हैं वे अपने परिवार के हैं, अपने मतलब भगवान के परिवार के हैं। हम लोग एक समय थे गोपाल की नगरी में, गोपाल की नगरी को छोड़ के हम ने अमेरिका में जन्म लिया। कोई रशियन बन गया कोई साउथ अमेरिकन बन गया इन सब से फर्क नहीं पड़ता है। साउथ अमेरिका वैसे तो ज्यादा दूर नहीं है आप 20 घंटे में आ सकते हैं। किसी ने कहा वे अभी जालंधर से आए 3 दिन लग गए। पंजाब से कोई भक्त आए उन्हें 3 दिन लग गए यहां पहुंचने में। लेकिन गौर सुंदर प्रभु अमेरिका से दो दिन नहीं, वह 20 घंटे मैं यहां आ गए। तो अमेरिका दूर है या पंजाब दूर है। सभी अपने ही है अपने ही भगवान के सब जीव है। ममे वांशो जीव लोके जीव भूत: सनातन। तो श्रील प्रभुपाद योजना बना रहे थे - हरिनाम की योजना। तो सभी योजनाओं के अंतर्गत यह जो पदयात्रा की योजना है। पदयात्रा एक विशेष योजना है। स्ट्रेटजी प्लैन प्रभुपाद ने किया ताकि हरि नाम का प्रचार हो सके। तो इस योजना के अंतर्गत पदयात्रा के माध्यम से या इस्कॉन टेंपल इस भक्ति वृक्ष के माध्यम से आप तक पहुंच गया या नहीं, हरि नाम आप तक पहुंचा है। देखते हैं किस किस के पास पहुंचा है, तो हरी नाम पहुंचा है इसका मतलब क्या कौन पहुंचा है, हरी पहुंचे हैं। राधा-कृष्ण आपके पास पहुंच गए। भगवान ने अपना हाथ आगे बढ़ाया सहायता के लिए भगवान कह रहे हैं कि मुझे ले लो कोई ले लो कोई ले लो। कोईले घाट है मथुरा के पास। जब वासुदेव ले जा रहे थे कृष्ण को, तो यह मथुरा के पास जब होगी जब यमुना पार करके गोकुल जा रहे थे तो कह रहे थे कोई ले लो कोई ले लो। किसको ले लो। मेरे नंदलाल देवकीनंदन। देवकीनंदन को कोई ले लो कोई ले लो। जहां वे कह रहे थे कोई ले लो कोई ले लो तो उस स्थान के घाट का नाम हुआ कोइले घाट। तो यह हरि नाम मतलब भगवान ही कहते हैं कि मुझे कोई ले लो, मुझे ले लो। तो यह हरी नाम कहां तक पहुंचा है केवल जीव तक ही पहुंचा है या दिल तक। केवल दिल तक ही। दिल भी एक मशीन है, दिल एक पंप है। हरि नाम केवल दिल तक पहुंचने तक से काम नहीं चलेगा। हरिनाम को आत्मा तक पहुंचना होगा जहां हम हैं, हम किधर रहते हैं। हम नित्य कहते हैं हरे कृष्ण महामंत्र, तो हमें अनुभव करना है कि यह हरीनाम हरी ही है।जीवात्मा है भक्त, यह जीवात्मा कौन है भक्त। भक्त कौन है? शरीर तो भक्त नहीं है। और भगवान कौन है हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। यह कौन है भगवान है हरे कृष्ण महामंत्र कौन है, भगवान है। क्या नहीं कह सकते यह क्या है यह कोई वस्तु नहीं है लेकिन जब हम कौन कहते हैं तो मालूम होता है कि हां यह कोई है। तो हरी नाम कौन है, क्या नहीं है क्या मत पूछना। हरिनाम भगवान है। तो इन दोनों का जो मिलन है, सम्मेलन है इसको योग कहते हैं। आत्मा और परमात्मा को जो जोड़ता है उसे योग कहते हैं, कौन सा योग- भक्ति योग। तो पुनः संबंध स्थापित हो गया भगवान के साथ। पुनः स्थित हो जाएंगे जब हम अपने स्वरूप में होते हैं। हितवन्यथा रूपम स्वरूपेन व्यवस्थिति (SB-2.10.6) हम जो अभ्यास, प्रयास, साधना करते हैं पुनः स्थित हो जाएंगे भगवान के चरणों में, भगवान की सेवा में। हरि नाम का कीर्तन, हरि नाम का जप करके जो हमारी कृष्ण भावना है, भगवत भावना है, इसको पुनः हम जगाते हैं अथवा सुनते हैं इसको जागृत करते हैं। भगवान को याद करते रहिए और उसी के अंतर्गत प्रयास करते रहिए। पंढरपुर धाम की जय। श्रील प्रभुपाद घाट का उद्घाटन भी है। मेरी व्यास पूजा भी है। ऐसा कुछ सुनने में आता है। इसमें कई सारी सेवाएं दी है 7000 लोगों को जप माला देना है 70000 लोगो को प्रसाद खिलाना है। 7000 भगवत गीता का वितरण करना है। श्रील प्रभुपाद ट्रान्सेंडैंटल बुक डिस्ट्रीब्यूशन कि जय। और 70 घंटे कीर्तन होगा। कीर्तन मेले में, तो इस तरह आप व्यस्त रहिए और हमने कुछ 7 नए ग्रंथों या रचना प्रिंटिंग किया है जोकि उपलब्ध होंगे यहां। तो आप व्यस्त रहिए आने वाले दो-तीन दिन। यह सब सहायता करेंगे आपके जप में । ध्यान पूर्वक जप करने में सहायता होगी। 70 हजार स्टिकर्स का वितरण होगा केशव प्रभु की ओर से 70 हजार घरों में हरी नाम स्टिकर्स के माध्यम से पहुंचेगा। हरि नाम का प्रचार होगा, होगा कि नहीं। हरि बोल। तो यह ऐसा बड़ा यज्ञ है। यह उत्सव क्या है यज्ञ ही है। आप स्वयं को क्या करो, इस यज्ञ में स्वाहा करो। समर्पित करो। जल नहीं जाओगे। जो अनर्थ है वो जल जाएंगे। जो आपकीअपराध की राशि है वह भस्म हो जाएगी। ज्ञानाग्नि सर्वकर्माणि भस्मसतकुरुते तथा (BG4.37) ध्यान की अग्नि, ज्ञान की अग्नि, संकीर्तन के यज्ञ की अग्नि में हमारे जो कर्म हैं, पाप कर्म हैं, उसके बीज हैं, जो फल हैं, वह सब जलकर राख होगा। निताई गौर प्रेमानंदे हरि हरि हरि बोल।

English

10th July 2019 Harinama should be preached to every nagar and gram/ You are invited to chant with me in Pandharpur So you all are invited to Pandharpur Dhama, so that you all chant with me. It’s expected that you will be more serious here. Srila Prabhupada has given me this Harinama preaching service and you are all doing very nice seva. I was given the seva of padayatra in 1984, Srila Prabhupada said “jaredakho tare kahi hae Krsna upadesh”.The padayatra concept was developed by Srila Prabhupada for preaching all over the world. Since then I have been thinking that Prabhupada gave me this seva of preaching Harinama. Also this zoom conference is a medium of preaching Harinama. Mahaprabhu predicted that His name will be preached all over the world, in every nagar and every gram. “prithive te ache yata nagaradigram” (Caitanya-bhāgavata, Antya 4.126) Is there preaching for the buildings or streets of the city? No, but the preaching is for the human beings living in those cities and villages. Everyone can benefit from this harinama, but more benefit is achieved by human beings. The goal is to reach everyone on earth through Harinama, and give them Harinama. Harinama should reach to more and more people. My God brother and God sisters are also preaching and I am preaching and I emphasize and stress strongly on the Hare Krishna mahamantra, as Prabhupada wanted me to preach Harinama all over. Preaching was started by Lord Himself. ”hare Krsna nama Gaura karila prachar “ Main preacher of Harinama was Lord Chaitanya Mahaprabhu. For 6 years Chaitanya Mahaprabhu, was walking doing padayatra from one village to another and one day while walking He reached my village also. He first came to Kolhapur and while coming to Pandharpur on the way He came to my village named Aravade 500 years back. And then He implanted there some seeds of Harinama. That time it was not my village, but I was somewhere else. Chaitanya Mahaprabhu, came to Pandharpur, why did He come? He came only for preaching or you can say, He came for dharma-saṁsthāpanārthāya sambhavāmi yuge yuge [BG 4.8] Sri Krsna Chaitanya Mahaprabhu was reestablishing the principles of dharma. And dharma for Kaliyuga is? “kali kale dharma harinam sankirtana”.(CC Madhya 11.98) So Chaitanya Mahaprabhu, the Lord Himself came to preach.Whose name is Hare Krsna? That's name of Chaitanya Mahaprabhu, He said “sarvatra prachr hoillbe mora nama.” Mora nama is Bengali word which means Chaitanya Mahaprabhu and not peacock. The Lord said My name will be heard all over the world, who is Chaitanya Mahaprabhu? He is “sri krsna caitanya radha krsna nahi anya”, so He is two in one, the names of Radha and Krsna will be, preached all over the world. Hare Krsna is the name of Radha Krsna, Hare Rama is also Radha Krsna, and so this name is chanted all over the world. And these 16 names in the mantra are names of Radha Krsna only. So Chaitanya Mahaprabhu did preaching village to village, how? He went walking to all the places that He was preaching. Now a day’s people don’t walk. When we were doing padayatra of char dhama,at that time we heard char dhama air yatra, people have spoilt so their health. Yet Chaitanya Mahaprabhu He preached all over, did not worry about health issues. Prabhupada also was making a strategy to preach the holy name, the main goal was to make the prediction of Chaitanya Mahaprabhu come true, not only in Pandharpur but all over the earth. People the padayatris keep coming to Pandharpur from Dehu and Alandi. This is called an oasis in the desert at bank of Chandrabhaga. Prabhupada wanted to spread kirtan all over. Sri Krsna Chaitanya Mahaprabhu was He Indian? Did He just to come to preach about Hinduism, no He came for preaching to all the living entities, Vasudheva kutulbakam vittho maza lekurwada sange gopalancha mela” Leaving the Lord’s abode and Gopal nagari we have taken birth, someone has taken birth in America, some in Russia, some has become South Indian, but that does not make any difference. America is not so far you can come in 20 hours. One devotee said he has come from Jalandhar it took him 3 days to reach Pandharpur. So which is far America or Punjab? All living entities are jiva of the Lord. mamaivamso jiva-loke jiva-bhutah sanatanah [BG 15.7] So Srila Prabhupada was making special strategy to preach the holy name all over. So under that strategy the main strategy of padayatra and bhakti vriksha and youth preaching, are some mediums for preaching. Has Harinama reached all of you? What does that mean? That means Radha Krsna has reached you all, the Lord has extended His arms for you all as a helping hand. Like He is saying please take Me. While Vasudeva was crossing Yamuna to Gokul, he was saying koilelo, meaning somebody please take, somebody please take my Gopal, my Devakinandan. So that ghat is named as koilelo ghat. The Lord is saying somebody please take Me. So where there is Harinama, it has to reach our soul not just tongue and our hearts, Harinama has to reach to our souls. So when we chant Hare Krsna maha-mantra. We have to realize that Harinama is Hari Himself. That’s our real self- experience that Harinama is Hari. abhinatva nama namino So who is devotee? The soul is devotee, body is not devotee. And who is Lord? Hare Krsna Maha mantra is Lord, it is Krsna. We don’t say kya haimeaning what is it, but we say Harinama kon hai- Who is it, means indicating to the Supreme Personality. So Harinama is Lord and Atma is devotee. So it is meeting of soul and Supreme Lord, is called yoga. That linking of atma and parmatama is called bhakti yoga. This relationship is reestablished between Lord and the soul. hitvanyatha rupam sva-rupena vyavasthitih (SB 2.10.6) We will again get situated in our constitutional position. By our sadhana and devotional practice. By chanting we revive our sleeping Krsna consciousness. Keep trying and practicing with that aim we have come to Pandharpur dhama. We will have Prabhupada ghat opening and I also heard there is big Vyas puja festival. We have to offer prasadam to 7000 devotees. There will be 70 hours kirtan. There are lot sevas you all can serve. 7 new books will be released. We will distribute 70000 Hare Krsna mantra stickers. This festival is yajna, svaha, you can dedicate yourself to this festival, don’t worry you won’t get burned. The anarthas will get burned. jnanagnih sarva-karmani bhasma-sat kurute tatha [BG 4.37] As the blazing fire turns firewood to ashes, like that the fire of knowledge burn to ashes all reactions to material activities, the seeds and fruits of papa karma are burned to ashes. Hare Krishna

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