Hindi

जप चर्चा, श्रीमान अमोघ लीला प्रभुजी व्दारा, 22 फरवरी 2022 परम पूज्य श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज कि जय...! वांच्छा कल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिन्धुभ्य एव च। पलिताना पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नमः।। परम पूज्य श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज कि जय...! हमने पहले हफ्ते मे चर्चा की थी कि हमें अंदर घुसना है हमे अगर अंदर जाना है तो हमे हृदय तक जाने के दरवाजे कि चर्चा कि थी हमने लय कि चर्चा की थीं। लय का मतलब होता है नींद। हम अभी आगे बढ़ते हैं आज दूसरा दरवाजा खोलने का प्रयत्न करेंगे, वह है विक्षेप पहले हम प्रार्थना करेंगे ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ श्री चैतन्यमनोऽभीष्टं स्थापितं येन भूतले स्वयं रूपः कदा मह्यं ददाति स्वपदान्तिकम्।। वांच्छा कल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिन्धुभ्य एव च। पलिताना पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नमः।। (जय) श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभुनित्यानन्द श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि – गौरभक्तवृन्द।। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*।। हरे कृष्ण! श्रील प्रभुपाद कि जय..! श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज कि जय..! वैष्णव भक्तवृंद कि जय..! हरे कृष्ण महामंत्र कि जय..! हरिनाम प्रभु कि जय..! पिछली बार हम चर्चा कर रहे हैं, थे भगवान हमारे हृदय के अंदर हैं। अब हमें वहां पहुंचना है तो हमें पांच दरवाजे पार करने पड़ेंगे,वह पांच दरवाजों में एक कुंडी अंदर से है, एक कुंडी बाहर से है और यह कुंडीयां खुलते रहेंगे और इस से दरवाजे खुलते रहेंगे तो हम अंदर जाते रहेंगे, जाते रहेंगे,जाते रहेंगे और हम कृष्ण से मिल सकेंगे। पिछली बार हमने लय के विषय में चर्चा कि थीं नाम जप में पहला जो अवरोध आता है वह है लय वैसे तो सारे अब अपराधों को दूर करने के लिए है नाम जप लेकिन हम कलयुग के महान लोग हैं इसलिए अवरोध दूर करने के लिए भी हमारे बहुत सारे अवरोध हैं। अवरोध दूर करने के लिए भी हमें प्रयास करना पड़ेगा। आज हम दूसरे अवरोध की चर्चा करेंगे दूसरा जो अवरोध है वह नामजप मे आता है वह है विक्षेप। निक्षेप का अर्थ होता है मन का भटकना और यह बहुत ही सामान्य समस्या हैं मन का भटकना, और कलयुग के अंदर वैसे ही हमारे मन भटके हुए हैं पर जो लय हैं वह तमोगुण के वजह से होता हैं। अगर आप की चेतना में तमोगुण की प्रधानता है तो उसकी वजह से आपको जप करते वक्त नींद बहुत आएगी और अगर रजोगुण कि प्रधानता है तो आपका मन बहुत भटकेगा और नाम जप करते वक्त तो मन कहां-कहां जाता है व्यक्ति खुद हैरान हो जाता है हे..भगवान..! अच्छे से अच्छे विचार या कल्पनाएं कब आती हैं, नामजप करते हुए ।इसीलिए नामजप करते वक्त लोग कहते हैं कि प्रभुजी मन बहुत भटकता है मन यहां-वहां भागता है हम क्या करें? लेकिन यह चुनौतियां तो रहेगी जब तक रजोगुण कि प्रधानता है चेतना के अंदर तब तक यह अवरोध की समस्या तो रहेगी हमें इस से लड़ना पड़ेगा। इस से लड़ना बहुत अधिक आवश्यक है यह बड़ी सामान्य समस्या हैं मन का भटकना। बड़े बड़े भक्त है इससे आज भी लड़ रहे हैं और लड़ना बनता भी है यह बहुत ही महत्वपूर्ण लड़ाई हैं। किस प्रकार से हम यह लड़ाई लड़ सकते हैं? और किस प्रकार से हम दूसरा दरवाजा खोल सकते हैं? इस बारे में हम चर्चा करेंगे। इस दरवाजे में दो कुंडी है एक अंदर से है और एक बाहर से भी है, तो हमें भी कुछ प्रयास करना पड़ेगा और लड़ने के लिए भगवान की भी कृपा आवश्यक है, लेकिन साथ में हमें भी कुछ प्रयास करने पड़ेंगे यह आवश्यक है हमें अवरोधों से बचने के लिए कुछ करना चाहिए हम क्या कर सकते हैं? जप करने का एक सही समय होता है और एक सही स्थान होता है तो पहले देखते हैं सही समय सबसे बेहतरीन समय जो होता है वह सुबह सुबह का होता है सुबह ही हमें नाम जप करना चाहिए दोपहर का समय रजोगुण का होता है और रात का समय तमोगुण का होता है अगर आप सुबह जप करते हैं तो आपको जप करने में आसानी होंगी आप को पवित्र समय और पवित्र स्थान कि आवश्यकता होती है तो पवित्र समय है सुबह का 16 माला जप 16 राउंड चैटिंग, हम सुबह करते हैं उसको बोलते हैं राउंड उसके बाद जो कुछ जप होता है वह राउंड नहीं होता बस ट्रायंगल, स्क्वेयर, रैक्टेंगल, हाइपर गोला, पैरा गोला लेकिन राउंड राउंड तो होता है सिर्फ मॉर्निंग समय पर इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका 16 राउंड इन चैटिंग हरे कृष्ण महामंत्र हो तो ना सिलेंडर,ना हायपर गोला, ना पैरागोला जस्ट राउंड और यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव भी है जब मै काम पे जाता था, जिस दिन मैंने थोड़ा आलस किया कि सूर्योदय हुआ तो क्या आराम से जाएंगे और इस तरह से आलस करके 2-4 माला करके निकल गए दफ्तर कि ओर और जब मैं ऐसे दफ्तर जाता था तो मुझे बहुत संघर्ष करना पडता था, दफ्तर में अपनी चेतना को बचाए रखने में और काम भी नहीं होते थे जितने कि मैं जब 16 माला करके जाता था तो इसलिए जितने भी गृहस्थ भक्त है सभी के लिए जरूरी है विशेष करके गृहस्थ भक्तों के लिए तो मॉर्निंग प्रोग्राम बहुत बहुत बहुत आवश्यक हैं, क्योंकि उनको इतनी सारी दुनिया की समस्याएं होती है असत्त-संग,बुरी संगति इसीलिए भी सुबह-सुबह कवच पहनना चाहिए हमें भगवान के नाम का, हमें रोज सुबह जप करना चाहिए एक पवित्र समय पर और पवित्र स्थान पर। एक ऐसा स्थान जहां आपका मन कम से कम भटके। श्रील भक्तिविनोद ठाकुर जी ने नवद्वीप में अपने घर में अगर आप देखेंगे तो उनका छोटा सा कमरा है इतना छोटा है कि वह 2 लोग खड़े नहीं हो सकते एक व्यक्ति बैठ सकता है बस, एक छोटा सा कमरा है उनका वहां बैठकर वह हरे कृष्ण का जप करते थें। यानी कि जितना बड़ा कमरा होगा आपके सामने कोई बैठ रहा है, कोई बातचीत कर रहा है, कोई आ रहा है, कोई जा रहा है, पकौड़े-शकौडे खा रहे हैं, छोले-भटूरे खा रहे हैं तो आप का भी मन करेगा कि भाई एक भटूरा हमारे लिए भी चाहिए या जहा पर दूरदर्शन चल रहा हो बहुत सारे लोग दूरदर्शन के सामने बैठकर हरे कृष्ण का जप करते हैं हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।जब ब्रेक( मध्यांतर ) आता है तब कौज कर लेते हैं और ब्रेक चला जाता है तो हरे कृष्ण महामंत्र शुरू हो जाता हैं यह अच्छी बात नहीं हैं, इसलिए जितना छोटा कमरा हो उतना अच्छा। श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी का छोटा सा कमरा था तो हमारे घर में अगर एक बालकनी होंगी तो उसे किसी चीज़ से आच्छादित कीजिए खुली बालकनी में आपका मन भटकेगा इसीलिए अगर एक छोटा सा कमरा आप तैयार कर सकते हैं तो अच्छी बात है और इसमें आप एक छोटा सा कोना तय कीजिए आप जिससे आपका मुंह दीवार के तरफ हो और वहां एक राधाकृष्ण कि सुंदर तस्वीर लगाइए और हरे कृष्ण का महामंत्र लिखा हो और उस कोने में बैठकर आज जप करिए। अगर इस तरह हम रोज एक ही स्थान पर बैठकर जप करते हैं तो उससे हमें स्थान सिद्धि प्राप्त होती हैं। स्थान सिद्धि याने के वह स्थान आपको सिद्धि को प्राप्त करने में मदद करता हैं। स्थान सिद्धि का मतलब होता है एक ही स्थान पर बैठकर हररोज जप करना यह बहुत जरूरी है तो एक पवित्र समय और एक पवित्र स्थान, एक पवित्र स्थान और एक पवित्र समय यह होना बहुत जरूरी हैं। इस से हम अपने अवरोध से बचने में सफल हो पाते हैं नहीं तो हमारा मन भटकेगा ही भटकेगा जितने विषयवस्तु आपके पास रहेंगे उतना ही मन भटकता है जैसे मोबाइल फोन हैं। मोबाइल फोन को लेकर ना कहीं ऊपर डाल देना चाहिएं, किसी अलमारी के ऊपर रख देना चाहिए वह आपकी आंखों के सामने नहीं रहना चाहिए नहीं तो आप उससे आप अशांत या परेशान होंगे नोटिफिकेशन (अधिसूचना) आ गया ट्रिडिंग..टुडींग..ट्रिडिंग..टुडींग.. कुछ लोग ऐसा करते हैं हरे कृष्ण हरे राम..और इधर ट्रिडिंग..टुडींग..राम राम..शुरू रहता यह आपको भटकाता है इसलिए मोबाइल को स्विच ऑफ करके कई अंदर डाल देना चाहिए और कहना चाहिए ओ..भाई मेरे! तू अंदर रह ले बस। अगर आपकी आंखों के सामने अप्सरा नाचती रहेंगी मोबाइल फोन नामक अप्सरा तो फिर आपका तो तक धिना..धिन ताक..धिना धिन..! हे जानू !हे जानेमन! आजा मुझे देख लो! मुझे खोल दो! और मेरे अंदर व्हाट्सएप देख लो! फेसबुक देख लो! नोटिफिकेशन देख लो! इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि जितने भी अवरोध है उनसे दूर रहा जाए। आप और आपकी जप माला, जप माला और आप, आप और जप माला बस..!यही होना चाहिए, मैंने पिछली बार कहा था हमें तो हरिनाम के साथ डेट मारनी चाहिए। डेट का मतलब क्या होता है? जिन्होंने कभी डेट की होंगी। आप तो संत लोग हैं महात्मा लोग हैं जो लोग कभी डेट पर गए हैं डेट पर कैसे जाते हैं?आप और मैं, मैं और आप और कोई नहीं!मैं और आप, आप और मैं और कोई नहीं!उसको बोलते हैं डेट मारना तो सुबह-सुबह भगवान के नाम के साथ हमें डेट माननी चाहिए। हरे कृष्ण महामंत्र आप और मैं, मैं और आप और कोई नहीं! मैं और आप, आप और मैं और कोई नहीं! यही पवित्र हरिनाम के साथ डेट है अवरोधों से बचने के लिए हमारे उच्चारण स्पष्ट होने चाहिए अगर आप जप रगड़ा मार के करते हैं तो आपका मन भटकता हैं हो गया जी? भाई साहब! इतना सुंदर जप शुरू है और आप हरे राम.. राम..रा रा रा र..र..ब..ब.ब हो गया जी, वाह क्या बात है!जप मैं प्रत्येक शब्द का स्पष्ट उच्चारण होना चाहिए मन एकाग्र करने के लिए स्पष्ट उच्चारण आवश्यक हैं। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। स्पष्ट उच्चारण आपके लिए बहुत आपको बहुत मदद करेगा और उसके साथ साथ ऊंची आवाज में जप करना चाहिए। ऊंची आवाज में जप करते वक्त आप अन्य भक्तों के साथ नहीं बैठ पाएंगे इसलिए आपको थोड़ा सा दूर बैठकर जप करना पड़ेगा। जिस से भक्तों के जप में व्यत्यय ना पड़े और आपका भी जप अच्छी तरह से हो। अगर आप धीरे-धीरे जप करते हैं तो उससे नींद आती हैं। एक्सीडेंट हो गया रब्बा रब्बा! यह तभी होता है जब आप जप करते हुए धीरे-धीरे जप करते हैं तो ऐसा अपघात हो जाता है मध्यम आवाज में जप करना चाहिए यह उत्तम है अगर आपके कमरे में और कोई नहीं है तो आप को ऊंची आवाज में जप करना चाहिए। ऊंची आवाज में जप करने से बहुत फर्क पड़ता है साथ ही साथ हमें मंत्र का ,जप का ध्यान करना चाहिए। हमें मंत्र के नाम का अर्थ का चिंतन करना चाहिए उससे भी मन कम भटकता हैं। अच्छा मंत्र का अर्थ क्या है? पता है आपको? मंत्र का यह अर्थ है, हे कृष्ण आप सब से आकर्षक है लेकिन आपका आकर्षण है इसलिए तो आप आए हैयहां पर ,लेकिन मेरे साथ बहुत गड़बड़ है, इसीलिए हे प्रभु मेरा आपसे आकर्षण हो जाए ।इसके बाद क्या आता है? आनंद! में राधा कृष्ण का आनंद का भाव जो हमारे मन के अंदर होगा फिर उसके बाद हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे और मुझे आपकी सेवा में लगाइए पहले मुझे आपके लिए आकर्षित कीजिए उसके बाद एंजॉय बाय यू इसके बाद जब हम मंत्र का जप करते हैं तो इससे मन का भटका कम होता है इसके बाद और एक आता है उसे कहते हैं प्रोवो-के-ट्यूब प्रैक्टिस इस प्रैक्टिस से भी आपका मन कम भटकता हैं। जैसे हरे मतलब श्रीमती राधारानी! जब हरे कहेंगे तो मन में कहिए हे राधे! और जब कहेंगे कृष्ण तो मन मे कहिए हे कृष्ण! और जब राम कहेंगे तो मन में कहिए हे राम! तो आप जप करेंगे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। बोलते वक्त लेकिन हृदय के अंदर हे राधे! हे कृष्ण! हे कृष्ण!हे राधे! हे राधे हे कृष्ण! हे राधे !हे राधिकारमन! हे राधिकारमन ! इसे कहते हैं प्रोवो-के-ट्यूब प्रैक्टिस तो इससे बुद्धि को एक इंगेजमेंट (व्यस्तता)मिलती है जुबान लगी है बोलने में और यह यह भाई साहब लगे हैं सुनने में तो फिर मेरा काम क्या है? तो हम चलते हैं जी ओके! बाय बाय! हम चले! नहीं नहीं भाई साहब आपके लिए भी सेवा है आपको हम सेवा देते हैं एक तो आप मन में चिंतन करिए दूसरा थोड़ा प्रोवो-के-ट्यूब प्रैक्टिस कीजिए इस प्रैक्टिस से भी बहुत फर्क पड़ता है तो जप करते वक्त हमारा ध्यान कम भटकता है और एक तरीका है अगर आप करना चाहते होंगे तो इससे भी मन थोड़ा कम भटकता है हरे कृष्ण महामंत्र के अंदर 8 है जोडी या है हरे कृष्ण-हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे,हरे राम-हरे राम, राम-राम, हरे- हरे। तो यह 8 जोड़ियां है पहली बार कहिए *हरे कृष्ण* हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। अगली बार.. हरे कृष्ण *हरे कृष्ण* कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। उस से अगली बार.. हरे कृष्ण हरे कृष्ण *कृष्ण कृष्ण* हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। उस से अगली बार.. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण *हरे हरे*। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। उस से अगली बार.. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। *हरे राम* हरे राम राम राम हरे हरे।। इस तरीके से करते रहिए मैं जब अगले अक्षर के तरफ जाता हूं तो मैं थोड़ा ऊंचा बोलता हूँ उसका उच्चारण ऊंचा करता है इस तरह से मन को व्यस्तता मिल जाती है जिससे वह मुझे अब यह ऊंचा बोलना है उसके बाद मुझे यह ऊंचा बोलना है इसतरह आप हरिनाम को सुन पाते हो। मन तो बोलता है कि मेरे पास कुछ काम धाम है नहीं मैं थोड़ा घूमता फिरता हूं कुछ आपके लाइफ के बारे में सोचता हूं कुछ आपके भविष्य के बारे में सोचता हूं ऐसा कुछ काम कर लेता हूँ। तब हमें मन को कहना हैं एसक्यूज मी! हरे कृष्ण! माइंड भाई साहब! आपके पास एक काम है आपको हम सेवा दे रहे हैं इस सेवा को आप करिए।अब यह देखो कि हमें कौन सा शब्द ऊंचा बोलना है उसको एक व्यस्तता दीजिए। बच्चों को अगर कुछ काम नहीं देंगे तो वह तो भाई इधर उधर सारे फितूरी वाले काम करेंगे इसलिए अवरोधो से बचने के लिए आप इस तरह से हरे कृष्ण महामंत्र ऊंचे आवाज में कह सकते हो। आप हरे कृष्ण महामंत्र का कार्ड अपने पास रखिए आपकी जो जप थैली से उंगली बाहर निकलती है उसे आप उस महामंत्र पर घूमाते रहिए। इस तरह से आपने उसे एक एक्टिविटी दे दी महामंत्र की। जब एक्टिविटी रहती है तो मन का भटकाव नहीं रहता। उसके साथ-साथ आप बीच-बीच में भगवान के नाम की महिमा बोल सकते हैं तो आप पूछ सकते हैं कि हमारे आचार्यों ने में से किसी ने ऐसा किया है? जी हां श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद ऐसा ही करते थें। वह हरे कृष्ण महामंत्र बोलते बोलते 20-25 के बाद बोला तो एक बार भगवान के नाम कि महिमा बोल ते थें। जैसे हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव एक केवलम् । कलौ नास्त्यैव नास्त्यैव नास्त्यैव गतिरन्यथा ।। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। ऐसा 15-20-25 बार बोला फिर आपने कुछ मंत्र बोल दिया ।भगवान का भजन करना चाहिए प्रिति पूर्वक करना चाहिए। फिर.. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। इस तरह से भगवान के नाम के बीच में 20-25 बार नाम लेने के बाद बीच में दो बातें बोली एक नाम ऐसा नहीं कि आप कुछ बोले ऐसा नहीं कि आप संस्कृत मे ही बोले, आप हिंदी में भी बोल सकते हो, वह बंगाली भी हो सकती हैं। लेकिन नाम के प्रति कोई महिमा हो, नाम के प्रति कोई प्रार्थना हो ऐसा सोच कर के आप अगर जप करते हैं तो उससे भी बहुत फर्क पड़ता हैं।मन का भटकाव रोकने के लिए प्रार्थनाएं भी कह सकते हैं जैसे "शिक्षाष्टकम" हैं। ऐ मेरे मन तू तृण के समान विनम्र हो जा और भगवान का नाम ले।हरे कृष्ण हरे कृष्ण इस प्रकार से यदि हम जप करेंगे तो हमारा मन नहीं भटकेगा।दूसरी बात यह है कि जप करते वक्त अगर आपकी आंखें बंद है तो आपको नींद आ जाती है कई बार मैंने देखा है कि भक्त आंखें बंद करके जप करते हैं और जप करते-करते सो जाते हैं। आंखें बंद होगी तो आप सो जाएंगे, आंखें खुली रहेंगी तो आपका मन यहां वाह भटकेगा। इसको देखना, उसको देखना ,यह जा रहा है, वह जा रहा है, यह कौन सी साड़ी पहन के आई है, यह गोपी ड्रेस पहन के आई है ,यह कौन सा धोती कुर्ता पहन कर आया, अरे यह तो सो ही गया भाई, ओए ले..! हमारा इधर उधर ध्यान भटकेगा क्योंकि हमारी आंखें एकदम खुली है तो आंखें एकदम खुली होंगी तो उससे आपका मन भटकेगा, आंखें बंद होगी तो आप सो जाएंगे तो मन के भटकाव को रोकने के लिए हमें आंखें आधी खुली रखनी चाहिए आधी खुली आदि बंद, बस आपको यही करना होगा, उससे बहुत फर्क पड़ता है साथ ही आपके पास कोई पोस्टर है उस से भी मन कम भटकता हैं। मैंने कई भक्तों को देखा है कि वह सुबह सुबह वॉकिंग करते हैं मॉर्निंग वॉक करते करते जप करते हैं, करते रहते हैं हरे कृष्ण हरे कृष्ण वह चलते हुए नाम लेते रहते हैं जिनको हार्ट का प्रॉब्लम है और जो बूढ़े हो गए उनको चलने की एक्सरसाइज करनी पड़ती हैं। अरे वाह!जरूरी भी है, लेकिन हमें हम सबको बैठकर ही ध्यान लगाना चाहिए पहले के जमाने में जो योगी हुआ करते थे या हिमालय में जो योगी है यह जप कैसे करते हैं यह क्या हिमालय में चलते फिरते जप कर रहे हैं ध्यान लगाते हैं नहीं, वे बैठकर ध्यान लगाते हैं। आपकी पीठ सीधी होनी चाहिए। सीधा बैठकर जप करना चाहिए और चलते फिरते जप मत कीजिए अगर बैठे-बैठे आपके पैरों में दर्द हो रहा है तो थोड़ी देर के लिए खड़े हो जाइए उसे थोड़ा ट्रेस कर लीजिए और फिर जाकर बैठीए और जप कीजिए। जब हम पलकट मारते हैं तो इससे बहुत सारी पॉजिटिव एनर्जी अट्रैक्ट होती है इससे भी हमें मदद होती है कि हम ध्यान पूर्वक जप करें हमें अल्टी पलटी मार कर बैठना चाहिए और जप करना चाहिए, अगर आपको पैरों का प्रॉब्लम है तो आप कुर्सी पर बैठकर जप कर सकते हैं, लेकिन बैठकर जप करना आवश्यक है यह जो चलते-फिरते जप है इसको देखा, उसको देखा, यहां देखा, वहां देखा, ऐसा देखा, वैसा देखा,चींटी को देखा ,आसमान को देखा, बिल्डिंग को देखा । यह ठीक नहीं है इसलिए बैठकर जप करना चाहिए। जब आप सुखासन में बैठते हैं वह ठीक है और एक होता है पद्मासन। पद्मासन में बैठते हैं तब आप की रीड की हड्डी सिधी हो जाती हैं, उससे आपको नींद नहीं आती और जप करने में मदद मिलती है कुछ लोग पद्मासन नहीं लगा पाएंगे तो उनको कुर्सी पर बैठना चाहिए लेकिन अगर जब आप पद्मासन में बैठते हैं तो आपका ध्यान एकाग्र होता हैं। पद्मासन में नहीं बैठ सकते तो सुखासन में बैठीए और पीठ की रीड को सीधा रखें हिमालय में जो योगी बैठे होते है उनसे आप पूछिएं कि आप योगासन करते हो क्यों करते हो? तो वह कहेंगे हमें तो निराकार ब्रह्म में प्रवेश करना हैं। निराकार में प्रवेश करने वाले ईतनी मेहनत करनी पड़ती है और हमें तो कृष्ण प्रेम चाहिए तो चलते फिरते ,यहां वहां ,बातें करते करते, हरि बोल, हरे कृष्ण, हरि बोल ऐसी बातें करते करते यह तो ठीक नहीं है हमें जप करते वक्त बहुत ही गंभीर होना चाहिए हमें सुखासन या पद्मासन में बैठना चाहिए पेट की रेट रखनी चाहिए और आज मैं मेरे जीवन का बेहतरीन जप करूंगा और मेरे गुरुदेव को अर्पित करूंगा फिर गुरुदेव आगे महाप्रभु को अर्पित करेंगे आज के दिन मै अपने जीवन का सर्वोत्तम जप करूंगा ऐसा संकल्प करके फिर जाप बैग में हाथ डालना चाहिए। हमें अपनी चेतना को रप्रिपेयर करना चाहिए जप करने के पहले उतना ही आपका मन कम भटकता हैं। अगर आप बीना संकल्प से जप करना शुरू कर देंगे तो आपका मन भटकेगा। आप तैयार हो जाओ और फिर हमें जप करने की शुरुआत करनी चाहिए। अपनी चेतना को तैयार करिए कि मैं हरी नाम का स्वागत करूंगा। गुरुदेव! कृष्ण! आज मैं मेरे जीवन का सर्वोत्तम जप करूंगा और उसको आपको अर्पित करूंगा और फिर यह सोच कर के हमें सुबह जप में बैठना चाहिए। हरे कृष्ण! मैं यहां से ही विराम देता हुँ।

English

Russian