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जप चर्चा
26 मई 2020
पंढरपूर धाम..
श्री श्री गुरू गौरांग जयत: ..
विषय : कृष्ण की करुणा या माया का कोरोना ।
831 स्थानों से आज जप हो रहा है । ठीक है , थोड़े समय के लिए आपसे बात करते हैं । वह कौन है ? महालक्ष्मी माताजी । लॉकडाउन चल रहा है तो अब कई भक्त जप कर रहे है । इस्कॉन मंदिर से जप करने वालों की संख्या बढ़ती रहती है और इस्कॉन युथ फोरम के जो विद्यार्थी है , सदस्य हैं वह भी जप करते हैं , उनकी भी संख्या अधिक रहती है । अधिकतर आप अपने अपने घरों में और अपने अपने आश्रमों में जप करते हैं । आपका आश्रम गृहस्थ आश्रम है । अपने-अपने घरों को आप आश्रम बनाकर जप करते हैं । मैं देख रहा हूं। महालक्ष्मी माताजी ने काफी सारी भीड़ , नहीं भीड़ नहीं कह सकते समुह एकत्रित किया है । बहुत बहुत धन्यवाद । बहुत स्थानों पर पति - पत्नी दोनों साथ में जप करते हैं , कहीं पर पति - पत्नी अपने बच्चों को भी बीच में बैठाकर उनसे जप करवाते हैं। उनका भी स्वागत है । अभी वैसे लॉकडाउन के कारण संभव नहीं हो पा रहा होगा कि आप सभी अधिक लोगों को इकट्ठा करें , लेकिन भविष्य में जब लॉकडाउन समाप्त हो जाएगा तब अवश्य सोचिएगा । सुचित्रा माताजी अपने बेटे के साथ जप कर रही हैं । अभी बिठाया है , और भी आ गए , अब दो आ गए । कालिया आप भुवनेश्वर मे हो ? परम करुना तो अकेले ही बैठे हैं , घरवाली नहीं है आज साथ मे ?
ऑल इंडिया पदयात्रा के भक्त भी हमारे साथ है । आप सभी सुनिए कि हमें किस किसका साथ मिल रहा है । ऑल इंडिया पदयात्रा के नीलगोविंद न्यु जर्सी से आपके साथ जप कर रहे है । अंग्रेजी प्रतिलेखक कहाँ हो , मायापुर में हो ? यह भी आपके साथ जप करते हैं और फिर प्रतिलेखन करते हैं । यह दृश्य बहुत अच्छा है , बहुत सुंदर है । अनंतशेष भी बैठे हैं । अकेले ही बैठे हैं , ब्रह्मचारियों को साथ में लेकर नहीं बैठे हैं । अच्छा मंदिर में हो । और कौन है ? अयोध्यापति राम है , और कौन बैठे हैं ? साथ में माताएं बैठी है ।जलगांव से यह छोटे बच्चे भी जप कर रहे हैं । सुंदर दर्शन है , वैकुंठ प्रियदर्शन: है । आप वैकुंठ वासी हो एक समय के, अभी यहां पधारे हो।
अभी हम आकर बैठ गए हैं। अब बात करते है, कुछ आपको बताते है।
ठीक है ।आज 7:15 बजे तक ही हम चर्चा कर सकते हैं , क्योंकि 8:00 बजे और कार्यक्रम हैं , तो देखते हैं क्या होता है? । कई विचार है , एक-दो मोटे विचार है फिर उसके साथ कई छोटे-छोटे विचार भी आ ही जाते हैं , देखते हैं, कितनी चर्चा कर पाते हैं ।
कुछ दिन पहले जब मैं दामोदर देश के भक्तों के साथ, अवतारी देश , श्यामा देश के भक्तों के साथ बात कर रहा था , आप जानते हो इस देश के नाम ? नहीं जानते , फिर क्या जानते हो ? दुबई आदि देशों के भक्तों के साथ जब मैं बात कर रहा था तो ऐसा विषय ही था , आपको क्या चाहिए , आपकी क्या पसंद है ? आप कोरोना पसंद करते हो या करुणा पसंद करते हो ? ऐसा विषय था । उस विषय पर मैं बोल रहा था तब मैंने जो बातें कही थी उनमें से ही कुछ बातों को संक्षिप्त में दोहरानेे का मेरा विचार है , और भी कुछ अतिरिक्त बातें हैं । मैंने कहा था कि, वैसे आपकी क्या पसंद है ? मैंने यह भी कहा था कि, यह प्रश्न तो भक्तों से पुछने की आवश्यकता नहीं है । भक्त तो जानते हैं , उन्होंने चयन किया ही है । किसका ? करूणा का । लेकिन यह बात जो संभ्रमित है उन दुनिया वालों के लिए है ।
इस कोरोना वायरस ने संसार में जो स्थिति उत्पन्न की है , उसके लिए मैंने कहा था यह एक प्रकार का जागतिक युद्ध या महायुद्ध है । जब युद्ध होता है तो दो पक्षों के बीच में युद्ध होता है । उसी प्रकार कई महीनों से यह युद्ध हो रहा है । युद्ध सब समय ही चलता रहता है लेकिन कभी-कभी युद्ध और भयानक , भयंकर रूप धारण करता है । अब किस किसके बीच में युद्ध हो रहा है ? मैंने कहा था , मन में ऐसा विचार आया था , भगवान की दो शक्तियां आपस में लड़ रही हैं। एक भगवान की बहिरंगा शक्ति जिसको माया कहते हैं। यह त्रिगुणमयी माया ही है , और दूसरी शक्ति है तटस्था शक्ति , जीव , जो हम हैं । अब इस युद्ध में सारे संसार के कम से कम मनुष्य तो सम्मिलित हैं । पशु - पक्षियो को कोई चिंता नहीं है , उनको कुछ फर्क पड़ रहा है क्या ? नहीं । पंछी बोल रहे हैं , चहक रहे हैं , खेतों में फसल उग रही है । किसको पता है , मनुष्य के अलावा और कोई प्रभावित हुआ है ? कोई नहीं , उनका जीवन तो मजामा , आनंद में चल रहा है ।
इस मैदान में युद्ध खेलने वाले सारे मनुष्य मिलकर जो भगवान की तटस्था शक्ति हैं वह बहिरंगा शक्ति के साथ युद्ध कर रहे हैं । बहिरंगा शक्ति अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रही है । अब बहिरंगा शक्ति ने हमला किया है । कौनसा शस्त्र भेजा है ? एक रोग के रूप में गोली चलाई है या बम की वर्षा हुई और कई सारे घायल भी हो ही रहे हैं । केवल घायल ही नहीं कोरोना वायरस पॉजिटिव मतलब घायल हो गए , और क्या हो रहा है ? मर भी रहे हैं । जो सदैव सोशल मीडिया को देखते रहते हैं , अधिकतर यही समाचार है , नया कुछ नहीं । कोरोना वायरस से कितने घायल हुए और कितने मर गए हैं यही समाचार है । जब मैंने पुछा था तभी भी यही कहा था , कुछ नया नहीं है । युधिष्ठिर महाराज ने महाभारत में पूछा था , का वार्ता: ? , क्या समाचार है ? युधिष्ठिर महाराज और यक्ष के बीच के संवाद में कई सारे प्रश्न पुछे थे , प्रश्न था , का वार्ता: ? किम आश्चर्यम ? यह भी था । का वार्ता ? तब उन्होंने कहा था क्या कहा जाये इस संसार में हर रोज का वही समाचार है ।
मैंने कहा यह संसार , यह ब्रह्माण्ड एक खाना पकाने का पात्र है , और इस पात्र मे संसार के सारे जीव है वह डाल दिए गए हैं । कभी उनको काट काटकर या विधान भी होता है , उसे पात्र में डालते हैं और उसको उबाला जाता है । युधिष्ठिर महाराज ने कहा था यहां का जो तापत्र है , तापत्र है मतलब तापमान बढ़ रहा है और साथ ही साथ सूर्य का जो प्रखर तेज , प्रकाश और ज्योति है उससे संसार के सारे ब्रम्हांड के पात्र में उबाले जा रहे है, तले जा रहे हैं , जैसे आलू तलते हैं। आपने प्रश्न पूछा , क्या समाचार है , यह हर रोज का यही समाचार है । कोरोना वायरस का भी वही समाचार है , कितने लोग संक्रमित है और कितनो की मृत्यु हो गई हैं । यह भगवान के दो शक्तियों के बीच का युद्ध है । अलग-अलग शक्तिया युद्ध कर रही है । महाशक्ति शक्ति की है । हम तटस्था शक्ति जीवों का जो का समूह है , उसमें से कई देशों के लोग इकट्ठे होकर कहते हैं , हम महाशक्ति हैं । इस युद्ध में कुछ देश महाशक्ति हैं और कुछ उससे भी वरिष्ठ शक्तिशाली देश हैं। वैसे महाशक्ति से अधिक वरिष्ठ शक्ति को क्या कहते हैं ? हायपर पॉवर । जैसे सुपर बाजार होता है । हम मोरिशियस में गए थे तो उन्होंने कहा हमारे यहां सुपर बाजार नहीं है हमारे यहां हायपर बाजार है , और हमारे राधा गोलोकनाथ मंदिर के पास ही एक बड़ा मॉल है उसका नाम ही हायपर बाजार था । ऐसे ही सारे देशो की या पुरब के कई देशो की कई सारी महाशक्ति और उससे भी वरिष्ठ शक्ति मिलकर अपनी सारी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं ,अपनी पूरी शक्ति और सामर्थ्य के साथ लड़ रहे हैं । किसके साथ ? भगवान की बहिरंगा शक्ति के साथ लड़ रहे हैं ।
भगवान की बहिरंगा शक्ति जो प्रकृति है ,त्रिगुण मयी माया , उसको भगवान ने क्या कहा है?
दैेवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया ।
मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते ।।
(भगवद् गीता 7.14)
अनुवाद : प्रकृति के तीन गुणों वाली इस मेरी दैवी शक्ति को पार कर पाना कठिन है| किन्तु जो मेरे शरणागत हो जाते हैं, वे सरलता से इसे पार कर जाते हैं |
मेरी जो बहिरंगा , त्रिगुणमयी शक्ति है , यह कैसी है ? बलवान है । कितनी बलवान है ? दुरत्यया मेरी बहिरंगा शक्ति का कोई उल्लंघन नहीं कर सकता , इसको कोई पराजित नहीं कर सकता ।
मैं सोच रहा था की इस प्रकार भगवान की दो शक्तियों के मध्य में एक जागतिक युद्ध हो रहा है । हम लोग कोरोना से पीड़ित हो रहे हैं , और कोरोना वायरस जो माया , भगवान की बहिरंगा शक्ति है वह तटस्था शक्ति को परास्त कर रही है । और फिर पॉजिटिव , फिर पॉजिटिव , फिर कोरोना पॉजिटीव बढ़ रहे हैं , मृत्यु की संख्या भी बढ़ रही है । मतलब हम परास्त हो रहे हैं । हमने कहा था इससे बचने का , इस पर विजय पाने का मार्ग एक कल्पना है और दूसरी ओर करुणा है ।
जब कभी ददामी बुद्धियोगम् हमको ऐसी बुद्धि मिलेगी कि हम भगवान की शरण में आ जाए । भगवान की दो शक्तियां लड़ रही हैं। और वैसे तटस्था शक्ति के जीतने की संभावना कभी भी नहीं होती , इस स्थिति में मनुष्यों को यह समझ के की आवश्यकता है कि हम इतने छोटे हैं , सुक्ष्म है , शुल्लक है , इस माया के साथ हम नहीं लड़ सकते । उस दिन हमने यह भी कहा था , जब हम अपने किसी मित्र के घर में प्रवेश करना चाहते हैं और वहा जर्मन शेपर्ड है , वह एक प्रकार के कुत्ते का नाम है जिसका लोग भारत में आयात करते हैं । कुत्ता तो लड़ेगा , उसका धर्म है वो तो भौंकेगा , आपको भगाएगा । आप तो अंदर जाना चाहते हैं , पर कुत्ता आपको बाहर कर रहा है । ऐसी स्थिति में कुत्ते को परास्त करना संभव है क्या ? आपने प्रयास किया ? कुत्ते के साथ लड़ने में जीत गए क्या आप ? ऐसी स्थितियों में एक ही उपाय होता है और वह है , जिनके घर में प्रवेश करना चाहते हैं उनकी मदद लीजिये । जो आपके मित्र है , रिश्तेदार है ,उन्हें तुरंत फोन करिये या घंटी बजाइये, वह बाहर आ जाते हैं , और कुत्ते का मोती या जो भी नाम है उसे कहते हैं,औऱ कुत्ता रास्ते से हट जाता है , रास्ता साफ हो गया । अपने मित्र से मिलिये, मित्र आपको घर में ले जाएंगे , बैठिये आपका स्वागत हो रहा है ,आपका आतिथ्य हो रहा है । वैसे ही भगवान की करुणा जब हमें प्राप्त होगी तभी हम भगवान की बहिरंगा शक्ति माया के साथ बद्ध जीवों का जो संघर्ष चलता रहता उससे लड़ सकते है । वैसे लड़ लड़कर अंत में क्या होता है ? उसे मारा जाता हैं । इस गुन्हेगार को फांसी दो । कितने बार यह मृत्युदंड मिला है । और बीच में कौन-कौन से दंड है ,
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहकार एव च ।
जन्म मृत्यु जरा व्याधि दुःख दोषानु दर्शनम् ।।
(भगवद् गीता 13.9)
अनुवाद : इद्न्द्रियतृप्ति के विषयों का परित्याग, अहंकार का अभाव, जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था तथा रोगो के दोषो की अनुभूती ।
जरा , व्याधि से पीड़ित होना यह भी तो दंड है । मराठी में उसे शिक्षा कहते हैं , शिक्षा मतलब दंड होता है ।हम को दंडित किया जाता है, और फिर भगवान ने घोषित किया है
जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम्।।13.9।।
जैसे कैदी को कैद में छह महीने की मजदूरी या जो भी उससे और कार्य करवाते हैं वह उसको परेशानी देता है ।इस ब्रह्मांड में हम जीव पहुंचे हैं ,ये भी कैद ही है ,संसारी कैद।जब हम कैदी बन जाते हैं तो कैद खाने की वर्दी भी पहनते हैं ।कैद खाने में पहुंचते ही पहला कार्य होता है,कैदी को वर्दी पहनाते हैं और उसको नंबर एक देते हैं।जैसे 420 ,421.... और उस कैदी का रजिस्ट्रेशन होता है। ये जो मनुष्य शरीर है वह वर्दी ही है। कितने प्रकार की वर्दी है? 8400000 प्रकार की वर्दियां हैं। और मनुष्य शरीर भी एक वर्दी ही है । इस ब्रह्मांड में जो की एक कारागार है , हमे दंडित किया गया है हमे यहां दंड मिल रहा है। रोज दंड दिया जा रहा है ,कभी छोटा दंड और कभी कभी मोटा व्याधि के रूप में, वृद्धावस्था के रूप में, और अंत में मृत्यु के रूप में । भगवान की करुणा तो हमारे समक्ष उपलब्ध है ।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
यह करुणा ही है ।इस महामंत्र का कीर्तन करते हुए हम प्रार्थना करते हैं ।लोगों को करुणा प्राप्त नहीं हो रही है ।माया ने कोरोना तो दे दिया है संसार को । कोरोना तो है लेकिन करुणा कहां है ?तो सरकार ने पहले दो प्रकार की दुकानें खोली थी किराने की दुकान और दवाइयों की दुकान। फिर सरकार को करुणा आई और तीसरे प्रकार की दुकान उन्होंने खोल दी .....शराब की दुकान! किस-किस को खोला जा रहा है जो अति आवश्यक सामग्री है तो अति आवश्यक सामग्री क्या हुई ....शराब!
मैं प्रातः काल में सोच रहा था कि कैसी है यह दुनिया और कैसा है यह महान भारत? भारत महान है ,भारत महान है ।भारत महान ने क्या किया? शराब की दुकानें खोली उसको अति आवश्यक समझकर किंतु मंदिरों को नहीं खोल रहे हैं। तो करोना तो उपलब्ध है लेकिन करुणा नहीं दे रहे हैं जनता को, समाज को ,देशवासियों को ।यह सरकार करुणा नहीं दे रही है, भगवान का दर्शन नहीं करवा रही है और सबको प्रेरित भी नहीं कर रही कि आप सब भगवान से प्रार्थना करो। तो कैसा है यह देश ?और केवल शराब को क्यों अति आवश्यक मान रहे हैं क्या मंदिर अति आवश्यक नहीं है? कि मंदिर खुल जाए और लोगों को दर्शन हो, लोग प्रार्थना कर पाएं। क्या यह अति आवश्यक नहीं है? ऐसा मैं सोच रहा था कल चंद्रभागा के तट पर सुबह सैर करते समय । जब जप कर रहा था तो ऐसे विचार मन में आ रहे थे, यह देश के नेता क्यों नहीं सोच रहे हैं कि लोगों को करुणा प्राप्त हो मंदिरों को क्यों नहीं खोल रहे हैं ?
कल जीबीसी की मीटिंग हुई,तो मीटिंग की शुरुआत में ही एक वीडियो दिखाया गया और वह वीडियो वाशिंगटन अमेरिका से था ।कल का ही था वह वीडियो मैसेज। अमेरिका के राष्ट्रपति ने एक पत्रकार परिषद में घोषणा की कि प्रार्थना करना अनिवार्य है । प्रार्थना तो सब समय करनी है ,वह अति आवश्यक है। लेकिन ऐसी परिस्थिति में हमें और प्रार्थना करनी चाहिए। इसीलिए मैं घोषणा करता हूं कि अमेरिका में जितने चर्च है, मस्जिद है ,मंदिर हैं ,सब को खोल दिया जाए। हरि बोल!.... मैं जानता हूं कि कुछ गवर्नर इसके विरोध में हैं, उनको यह बात स्वीकार नहीं होगी ,पर मुझे इस बात की चिंता नहीं है,यह मेरा आदेश है कि मंदिर खोल दिए जाएं ।हरि हरि .....ऐसा कार्य भारत से प्रारंभ होना चाहिए था,पर ऐसा नही हुआ। आप भारत को महान देश कहते हो पर भारत की महानता किसके कारण है? भारत की महानता भारत की धार्मिकता के कारण है, भगवद धर्म के कारण है। यहां की संस्कृति, यहां की वाणी ,यहां के मंत्र ....इसीलिए भारत देश महान है। मंदिरों को खोलकर भारत देश को पहले स्थान पर ला सकते थे यहां के नेता । पर खोल नहीं रहे ।
तो मीटिंग में चर्चा के अंतर्गत बहुत सारी बातें हुई। मुझे भी कहा गया कि महाराज आप महाराष्ट्र से हो, वहां मोहन भागवत जो संघ संचालक हैं, (RSS) ,आप उनसे मिलिए, कुछ इसके लिए प्रयास कीजिये।गोपाल कृष्ण महाराज जी आप दिल्ली में हैं आप कृपया मोदी जी से मिलिये।हर राज्य के राजनेता से मिलो। किसी ने सुझाव दिया कि बहुत ही प्रार्थनाएं होती हैं हमारे मंदिरों में जैसे बुक्स स्कोर बोला जाता है भगवान की प्रसन्नता के लिए। तो ऐसे ही प्रार्थना की जाए कि भारत के जितने भी मंदिर हैं, हे भगवान !उन्हें खोल दीजिए। अपनी इच्छा व्यक्त करो। अपने अपने मंदिरों में ऐसी प्रार्थना करो । कोई कह रहे थे हमें एक सिग्नेचर कैंपेन करना चाहिए, ऑल ओवर इंडिया वह एक निवेदन और प्रोटेस्ट होगा। इतने सारे हस्ताक्षर के साथ मुख्यमंत्रियों के पास भेजना चाहिए, प्रधानमंत्री के पास भेजना चाहिए, तो इसी तरह विचार कर रहे थे। आप भी विचार करिये, प्रार्थना करिये। अमेरिका में तो मंदिर खुल रहे हैं, ट्रंप ने अपनी ट्रंपट बजाई। अमेरिका को श्रेय मिल रहा है। इस प्रकार की घोषणा अमेरिका ने की,यह भारत के लिए बहुत शर्मनाक बात है। इस देश में शराब की दुकानें खोलते हैं और मंदिर को बंद करके रखते हैं । इस बारे में आपका क्या विचार है ?कुछ लोग हरि बोल करके अपना विचार व्यक्त कर रहे हैं ।पर आप अपने विचार व्यक्त करना चाहते हैं तो आप अपने अपने विचार लिख सकते हैं ,कोई प्रश्न कोई कॉमेंट्स। अनंतशेष प्रभुजी कोई अगर विशेष कमेंट है या प्रश्न है तो बताइए?
इन दो पक्षों में युद्ध हो रहा है आपको क्या लगता है किसके जीतने की संभावना है? या हमें कुछ और भी प्रयास करना चाहिए। और फिर सरकार ने जो अलग-अलग प्रतिबंध लगाया है कुछ मंदिर भी बंद कर दिए थे ,ठीक है कुछ समय के लिए यह ठीक था पर अभी तो ऐसा लग रहा है कि मंदिर 30 मई तक भी नहीं खुलेंगे शायद। इसको और बढ़ा दिया जाएगा। तो क्या किया जाए ऐसी स्थिति में ? कुछ लोगों का कहना है कि सिग्नेचर कैंपेन किया जाए किसी भक्त ने कहा कि जब शराब की दुकान खुल सकती है सोशल डिस्टेंसिंग लागू करके तो मंदिर क्यों नहीं खोल सकते? गुरु महाराज ने कहा कि हमारे नेताओं ने ऐसा सोचा ही नहीं कि जब शराब की दुकानें खुल रही हैं, शराब की होम डिलीवरी हो रही है, शराब घर तक पहुंचाई जा रही है, क्योंकि लोग लड़ रहे हैं शराब के लिए। "अहम पूर्वं- अहम पूर्वं" तो हमारे नेता कुछ तो दिमाग लड़ाते कि कैसे भगवान को घर तक पहुंचाया जाए, या भक्तों को मंदिर तक कैसे लेकर जाए? आप लिख सकते हैं अपना कमेंट और अनुभव ।
हरे कृष्ण