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1-7-2019 हरि कथा का श्रवण जप में हमारी सहायता कर सकता है कल हमने जिस बात पर चर्चा की उसमें से एक था जप के समय हरि कथा के श्रवण का महत्व। यदि हम हरि कथा सुनते हैं हरि की कथा का अर्थ बहुत विशाल है जिसमें भगवान की महिमा का वर्णन होता है यदि हम उन कथाओं को सुनते हैं तो उससे हमारे जप में सहयोग मिलता है। हरि अनंत है और इसी प्रकार भगवान की जो कथाएं हैं वह भी अनंत है तो जब हम भगवान की कथा सुनकर जप करते हैं तो जप करते समय हमें भगवान का स्मरण होता है। हमने राधा कृष्ण के विषय में सुना हमने सीताराम के विषय में सुना हमने गौरांग महाप्रभु के विषय में सुना और इसकी कोई सीमा नहीं है। भगवान की कथाएं असीम है और इस प्रकार से जब हम इन कथाओं का श्रवण करके फिर जब हम हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे महामंत्र का जप करने बैठते हैं तो यह कथा या इन कथाओं के विषय पुनः हमारे मस्तिष्क में आते हैं। तुकाराम महाराज कहते हैं गीता भागवत करीथी श्रवण अखंड चिंतन विठोबाचे यह तुकाराम महाराज का अत्यंत ही प्रसिद्ध वचन है अथवा पंक्ति है इसमें वे कहते हैं कि यदि आप भगवत गीता तथा श्रीमद्भागवत का श्रवण करेंगे उनका अध्ययन करेंगे तो इसके परिणाम स्वरूप आप विट्ठल पांडुरंग तथा श्री कृष्ण का भजन कर पाएंगे उनका चिंतन कर सकेंगे और हम भी यही करना चाहते हैं। जप करते समय हम भगवान का चिंतन करना चाहते हैं। जब जब हम हरे कृष्ण हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं तब तुरंत हमें भगवत गीता अथवा भागवत से हमने जो हमने पढ़ा है उसका स्मरण होना चाहिए। निस्संदेह और भी कई शास्त्र है यथा चैतन्य चरितामृत , रामायण, महाभारत आदि और फिर हम यह भी कह सकते हैं कि जब हम हरे कृष्ण का जप करते हैं तो हमारा यह चिंतन निरंतर आगे बढ़ता है और हम इन विषयों पर और अधिक चिंतन करते हैं मनन करते हैं और इससे हमारे जप में सुधार होता है और धीरे-धीरे हमारा जप और ठीक से होने लगता है और जप करते समय हम भगवान् का चिंतन कर पाते हैं। कल हमने मुचुकुंद की कथा के विषय में चर्चा की और आज भी मुझे उसी लीला का स्मरण हो रहा था किस प्रकार से कालयवन जो कि एक बहुत बड़ा राक्षस था वह एक अत्यंत ही शक्तिशाली व्यक्ति के साथ युद्ध करना चाहता था। उनके साथ लड़ाई करना चाहता था और वह चाह रहा था कि जब मैं उसे युद्ध में हरा दूंगा तो सभी कहेंगे अरे वाह कालियावन अत्यंत शक्तिशाली है उसने तो सबसे शक्तिशाली व्यक्ति को भी युद्ध में हरा दिया। वह नारद मुनि से यह जानना चाहता है कि इस संपूर्ण पृथ्वी पर सबसे अधिक शक्तिशाली व्यक्ति कौन है। नारद मुनि उन्हें बताते हुए कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण सबसे अधिक शक्तिशाली है और यह उनका पता है यह उनका परिचय है यह उनका चित्र है। तुम उनके पास जाओ और उनसे लड़ाई करो। इसलिए कालयवन मथुरा आता है और श्रीमद्भागवत में इसका अत्यंत विस्तार से वर्णन है। कई श्लोकों में कालियावन के मथुरा आगमन का वर्णन भागवत में आता है। जब कालयवन मथुरा पहुंचता है उस समय भगवान श्री कृष्ण मथुरा से बाहर होते हैं और वे वहां पर क्रीड़ा कर रहे होते हैं। जब कालयवन वहां पहुंचता है तो वह भगवान श्री कृष्ण को देखता है और वह क्या देखता है ? वह भगवान को उनके चरणों से शिखा तक देखता है, उनके मुकुट को देखता है। कालियावन द्वारा भगवान श्री कृष्ण का दर्शन - इस विषय पर श्रीमद्भागवत में अत्यंत सुंदर वर्णन आया है। तम विलोक्य विनिष्क्रान्तम उज्जिहनं इवोदूपं दर्शनीयतमं श्यामं पीत कौशेय वससं (श्रीमद भागवतम १०.५१.१ ) शुकदेव गोस्वामी बताते हैं, यहां तम भगवान श्री कृष्ण के लिए आया है उन्होंने कृष्ण को देखा दर्शनीयतम उसने कृष्ण को देखा और वास्तव में उसने कृष्ण में क्या देखा ? दर्शनीयतम कृष्ण ही एकमात्र देखने योग्य है। इस संपूर्ण जगत में यदि कोई देखने योग्य है तो वह कृष्ण है। इस प्रकार शुकदेव गोस्वामी भगवान श्री कृष्ण का वर्णन दर्शनीयतम कहकर करते हैं, दर्शनीय का अर्थ होता है देखने योग्य और कृष्ण को दर्शनीय तम कहना इसका अर्थ है कि इस संपूर्ण जगत में सबसे अधिक सुंदर और देखने योग्य यदि कोई है तो वह भगवान श्रीकृष्ण है। श्याम उन्होंने सबसे पहले श्याम को देखा अर्थात भगवान का जो रूप है जो रंग है उसे देखा और भगवान का रंग घनश्याम की तरह है बादलों के जैसा है भारत के मुंबई में अभी मानसून आया हुआ है और यहां पर कई बादल दिखते हैं और बादलों के रंग को देखकर हमें भगवान श्री कृष्ण के अंग कांति का स्मरण होना चाहिए। शुकदेव गोस्वामी इसका वर्णन करते हुए कहते हैं कि कालयवन ने श्याम वर्ण के कृष्ण को देखा उन्होंने श्यामसुंदर को देखा और वे घनश्याम है घनश्याम का अर्थ हैं - मानसून के बादलों की तरह सुंदर। श्रील प्रभुपाद भी सदैव भगवान के रूप का वर्णन मानसून के बादलों से करते थे। कालियावन ने जिस कृष्ण को देखा उनका वर्णन अत्यंत विस्तार पूर्वक आता है। पीत कौशल्य वसनम उन्होंने पीले रंग का पीतांबर पहन रखा था। उनके वक्ष स्थल पर श्रीवत्स का चिन्ह था। उनके गले में कौस्तुभ मणि पहनी हुई थी। उनके आजानुलंबित भुजाएं थी जो घुटनों तक पहुंच रही थी और उनके कमल सदृश नयन थे। श्रीमद कपोलम सूची स्मिथम भगवान का ललाट अत्यंत विशाल था और उनका चेहरा उनका मुख कमल सदृश था। उनकी आंखें अत्यंत सुंदर और लाल रंग की लालिमा युक्त थी और उनके मुख मंडल पर स्मित हास्य था। यहां भगवान श्री कृष्ण के रूप का और भी वर्णन आता है इस प्रकार हम जो सुनते हैं जिसका हम श्रवण तथा अध्ययन करते हैं और जब हम जप करने बैठते हैं तब हमें उन उन बातों का चिंतन होता है तब हम पुनः भगवान श्री कृष्ण के रूप के विषय में सोचते हैं और हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हुए हम ध्यान करते हैं। जब भी हम ध्यान की बात करते हैं तो यह ध्यान भगवान के ऊपर लगाया जाता है अथवा भगवान की किस बात पर हमें ध्यान करना चाहिए ? हमें भगवान के रूप का ध्यान करना चाहिए। भगवान का रूप एक बात है जिस पर हम ध्यान कर सकते हैं। शुकदेव गोस्वामी वर्णन करते हैं कि किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने कालियावन की उपस्थिति को वहां अनुभव किया और उन्होंने उसकी इच्छा को जाना और उन्होंने यह समझ लिया कि वह उनके साथ लड़ाई करना चाहता है। परंतु भगवान की उसके साथ लड़ने तथा युद्ध करने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं थी। भगवान ने सोचा यह तो अत्यंत निम्न श्रेणी का शुद्ध व्यक्ति है और वास्तव में वह ऐसा ही था ऐसा सोचकर भगवान वहां से भागने लगे और कालयवन उनके पीछे भागने लगा। वह सोचने लगा ओह ! मैं तो इसे अभी पकड़ लूंगा। मैं अगले ही मिनट में इसे पकड़ लूंगा। यह कृष्ण मेरे डर से भाग रहा है और मैं इसे अभी पकड़ लूंगा परंतु भगवान श्री कृष्ण एक सुरक्षित दूरी पर उससे आगे आगे भाग रहे थे और कालयवन उस उनका पीछा करते हुए उनके पीछे भाग रहा था। आप इस दृश्य का चिंतन कर सकते हैं कि किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण आगे भाग रहे हैं और कालयवन उनका पीछा कर रहा है। इस प्रकार के हजारों लाखों ऐसे दृश्य है भगवान की लीलाओं के जिनका आप चिंतन कर सकते हैं। अभी हम इस दृश्य के विषय में चर्चा कर रहे हैं इसके जैसे अन्य भी कई दृश्य है तो भगवान जो कि सर्वज्ञ है उनका यह विचार था कि अब आगे क्या करना है ? भगवान कालियवन को स्वयं नहीं मारना चाहते थे वह किसी और के द्वारा कालयवन को मरवाना चाहते थे। इस प्रकार भगवान बहुत लंबी दूरी तक भागते हैं और वह अंतत: उस गुफा में प्रवेश करते हैं जहां मुचुकुंद सो रहा होता है। कालियवन भी भगवान के पीछे पीछे उस गुफा में प्रवेश करता है। हमारे पास समय का अभाव होने के कारण हम इसे विस्तार में नहीं बता सकते परंतु वह कालयवन वहां भस्म में बदल गया अर्थात उसकी मृत्यु हो गई। मुचुकुंद को देवताओं से यह वरदान प्राप्त था कि जो कोई भी उसकी नींद में विघ्न उत्पन्न करेगा वह जलकर राख हो जाएगा। इस व्यक्ति ने मुचुकुंद की नींद में विघ्न उत्पन्न किया था इस प्रकार भगवान ने कालयवन की मृत्यु मुचुकुंद के द्वारा करवाई। जब कालयवन जलकर राख हो गया तब भगवान यह सब दृश्य वहां छुपकर देख रहे थे। हमें इस बात का स्मरण रखना चाहिए कि भगवान वहां उपस्थित थे। यह कृष्णभावनाभावित चिंतन है। भगवान वहां छुपे हुए थे और यह दृश्य देख रहे थे। कालयवन अब मृत्यु को प्राप्त हो चुका था। हरि बोल ! यह एक शुभ समाचार है। देवता भगवान पर पुष्प वृष्टि कर रहे थे। मुचुकुंद जो कि भगवान का भक्त था उसके द्वारा कालयवन की मृत्यु के अवसर पर देवी देवता अपना हर्ष व्यक्त कर रहे थे न केवल देवी देवता अपितु सभी उच्च लोगों के निवासी इससे प्रसन्न हुए जिन्होंने भी इसको देखा वे अत्यंत हर्षित हुए। क्या आप भी इससे प्रसन्न हुए ? जब आपने यह सुना तो आपको इससे प्रसन्नता होनी चाहिए एक दुष्ट का वध हुआ है। हरि बोल ! यह एक शुभ समाचार है क्या इस समाचार से आपको प्रसन्नता नहीं हुई ? यह समाचार सुनकर आपको अवश्य ही प्रसन्नता हुई होगी और यह जो प्रसन्नता तथा आनंद है वह कृष्ण भावना भावित आनंद है। हार्दिक पटेल क्या आप इससे प्रसन्न हुई ? एक दुष्ट दानव की मृत्यु हुई है और यदि आप इस समाचार को सुनकर प्रसन्ना नहीं हुए हो तो इसका अर्थ है कि आपका कालयवन के साथ कोई संबंध है इससे आप दुखी हो क्या कालयवन का वध हो गया ?ऐसा सुनकर आप दुखी हो वह मेरा प्रिय मित्र कालयवन जो मुझे अत्यंत प्रिय था वह बेचारा मर गया। अब मुझे इसका बदला लेना है मैं कृष्ण को मारूंगा जिन्होंने कालयवन का वध किया है। यदि आपके मन में ऐसे विचार है तो आप कालियवन के रिश्तेदार हैं। इस प्रकार से जब हम हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं तो हम इस लीला का स्मरण कर सकते हैं और इस प्रकार जप करते समय हम इस पर चिंतन कर सकते हैं और हम जानते हैं कि कालयवन की मृत्यु के पश्चात भगवान श्री कृष्ण और मुचुकुंद एक दूसरे से मिलते हैं और उनके मध्य वार्ता प्रारंभ होती है। वे एक दूसरे को अपना परिचय देते हैं आप कौन हैं और आप कैसे हैं ?भगवान श्री कृष्ण मुचुकुंद से पूछते हैं और मुचुकुंद भगवान से पूछता है। फिर भगवान अत्यंत प्रसन्नता के साथ उन्हें बताते हैं कि किस प्रकार सभी देवताओं के निवेदन पर ब्रह्माजी उनके पास आकर उनसे प्रार्थना करते हैं और तब इस दुष्ट कंस को मारने के लिए और उसके जैसे कई दानवों का वध करने के लिए भगवान इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं और अभी वे मुचुकुंद के समक्ष खड़े हैं। भगवान ने कहा कि मैंने इस दानव का वध नहीं किया है इसको आपने मारा है तो इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण अपनी जीवन गाथा सुना रहे थे और मुचुकुंद उन्हें सुन रहा था। हमने अभी इस लीला का अत्यंत संक्षेप में वर्णन किया है आप श्रीमद भागवतम में इसे पढ़ सकते हैं। यदि आप इसके लिए उत्सुक हो तो आप भागवतम के दसवें स्कंध के 51 वे अध्याय में इस लीला को पढ़ सकते हैं। इस प्रकार का अध्ययन आपके जप के लिए तैयारी है। हम समय-समय पर यह कहते हैं कि जप के लिए तैयारी आपको जप से पहले करनी होती है तो जब आप इन शास्त्रों का गहन अध्ययन करते हैं और उसके पश्चात जब आप हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं तो आप ने जो पढ़ा है उसका आप चिंतन और मनन कर सकते हैं। इस प्रकार हम यह बताना चाहते हैं कि हरि कथा के अध्ययन से आपके जप में सुधार हो सकता है और जप करते समय आपने जो हरिकथा सुनी है अथवा पढ़ी है उस पर चिंतन कर सकते हैं। श्रवण कीर्तन तथा स्मरणम तो जब आप श्रवण और कीर्तन करेंगे तो उसके परिणाम स्वरूप स्मरण होगा। चाहे आप श्रीमद भागवतम का श्रवण करें अथवा हरे कृष्ण महामंत्र का श्रवण करें इन दोनों का परिणाम भगवान श्री कृष्ण का चिंतन है। अतः सदैव जप करते रहिए। आप सभी से बहुत जल्दी पंढरपुर में भेंट होगी। पंढरपुर धाम की जय ! जब आप पंढरपुर पधारें तो जप श्रवण तथा अधिक से अधिक हरि कथा हरि कीर्तन तथा हरी जप का श्रवण एवं अध्ययन करके तैयारी के साथ पधारिए। गौर प्रेमानंदे हरि हरि हरि बोल !!!

English

1st July 2019 Listening to Harikatha will help us in chanting One thing that we talked yesterday was that we should listen to Harikatha and that will help in chanting Harinama. If we have heard Harikatha, Harikatha means lot of things, Hari’s katha. Hari is unlimited and so many things we get to hear about our Hari. Then as we chant Hare Krishna Hare Krishna we are reminded of all that we have heard about Hari, Krishna. We have heard about Radha Krishna we have heard about Sita and Rama, we have heard about Gauranga, there is no limit how many things we could hear about Krsna or Hari. So that becomes the topic as we chant Hare Krishna Hare Krishna we are reminded of what we have heard about. In words of Saint Tukaram, gita bhagavat kariti shravan, akhanda chintan vithoba che’ Very famous statement of Sant Tukaram says, if you hear or study or discuss Bhagavad gita or Srimad Bhagavatam then you will begin doing chintan you will be reminded of Vitthala, Panduranga, Sri Krishna. So that is what we wish to do, while chanting Hare Krishna is time for chintan, meditation so as we say Hare Krishna Hare Krishna, then immediately we are reminded of what we have heard read from Bhagwad Gita, from Bhagavatam. Of course there are other scriptures Caitanya Caritamrita, Ramayana, Mahabharata. And then we are saying as we chant Hare Krishna then that chintan continues or the chintan of the topic, contemplation is there and that faciliates your chanting, perfection of chanting, we chant Hare Krishna we are reminded of what we have heard. What we have already read and heard during chanting Hare Krishna that triggers Hare Krishna. We have what we have read heard and we further contemplate on subject matters and then that chanting is also called manan. You contemplate and you assimilate, you digest and you become Krishna conscious as you chant Hare Krishna. Yesterday we talked on Muchukunda and I was thinking more about that episode. How Kalyavan he was some sort of big demon and he wanted to fight, battle with someone very powerful and defeat him forcibly and then he was thinking now I will have big name “Oh! Kalyawan, he killed or defeated such and such powerful person.” So he wanted to know from Narada muni who is such powerful most powerful person that you know that I could fight with and then Narada muni gave the address of Lord Sri Krishna. Ok this is ID of that that person. He gave a photograph and gave all description how He looks like and where he could find Him and what time he should go to find Him and meet Him. So he came to Mathura, this Kalyavan and there is a description and spread over many many verses. Kalyavan has come and Krishna is just outside Mathura by Himself and He is walking and Kalyavan is seeing Krishna. So what did he see? He saw Lord from toe nails to His shikha, His crown and there is beautiful description of the beauty of Krishna as Kalyavan able to visualize. tam vilokya viniskrantam ujjihanam ivodupam darsaniyatamam syamam pita kauseya vasasam [SB 10.51.1] Sukadev Goswami describes, tam that tam is Krishnam he saw Krishna, Darsaniyatamam, he saw Krishna and what kind Krishna was? darsaniyatamam. Worth seeing, the best amongst the person to see darsaniya tama. He begins, Sukadev Goswami begins the description of Sri Krishna saying, darsaniyatamam. Darsaniya means, dekhaneyogya, worth seeing. Krishna is described as darsaniya tamam, the best, the topmost among all those who are worth seeing worth looking at. Syamam, he must have seen first syamam, He has beautiful complexion resembling monsoon clouds monsoon is here in India in Mumbai. Look at the clouds and that color of the complexion of the clouds resembles to Krishna’s complexion. So Sukadev Goswami is describing Kalyavan saw Krishna and what kind of Krishna he was Syama, Syamsundar. He was Ghanshyam, Ghan iva syama, beautiful like, beauty of the monsoon cloud. Of course, Srila Prabhupada always describes monsoon cloud like. The description of Krishna, Krishna that Kalyavan saw and there is detailed description of Lord’s form and the beauty. pita kauseya vasasam He is wearing yellow garments pitambar. He has ‘Srivatsa’ on his chest, ‘Srivatsa’. He has ‘kaustubha’ hanging from his neck. And He has long arms and lotus like eyes. srimat su-kapolam suci-smitam Lord has a broad forehead, mukharavindam - He has beautiful lotus like face. ‘nava–kanjaruneksanam’ and His eyes are beautiful and with the reddish complexion and His face is smiling face- ‘suci-smitam’ smitahasya. There are more descriptions of Krishna’s form are listed here. So as we hear, read and then we chant, we could go back to what we had heard, we are talking about the beauty of Krishna and meditate, chanting of Hare Krishna is meditation, mantra meditation. And when we talk of meditation, we talk meditating upon the Lord and what about the Lord? The form of Lord we meditate upon, beauty of the Lord amongst other things that we could meditate upon. Then as we keep hearing Sukadev Goswami he describes that Krishna took note of Kalyavan’s presence and he realized what his intention was, that he wanted to fight with Him. Lord did not show any interest in facing him or battling with him or fighting with him. He thought this is third class low class and that is what he was. So Lord started running and Kalyavan started running right behind thinking, oh I am going to catch Him may be this minute or next few steps if I go forward I will be able to catch Krishna, who is afraid of me doesn’t want to figth with me. But Krishna was maintaining the safer distance and like that they were both running Kalyavan running right after Krishna. You could meditate upon this scene. That could be nice scene you could think about. There are millions and billions and trillions of scenes that you could think about. Right now we are talking about this scene one of the unlimited scenes. Then Lord knows everything and He has a plan what to do next with this Kalyavan, He wants to kill him. He doesn’t want to kill Himself, He wants Kalyavan killed by someone else. So Lord has long walkathon walking and running. He has entered one cave Lord knows Muchukunda is resting in that cave. So Lord entered right behind comes kalyavan. Anyway, there is no time for detail. That is where Kalyavan was burnt to ashes by Muchukunda. Muchukunda’s sleep was disturbed by this person. Muchukunda had the benediction from the demigods that anyone whoever disturbed your sleep you could burn him to the ashes, kill him. So Kalyavan he met his death by the hands of Muchukunda. By the time, Lord was hiding in the cave and He was watching scene of cremation of Kalyavan as fire was created by Muchukunda to burn Kalyavan. Lord is there, we have to remember, Lord is there, so its Krishna conscious meditation, Lord is watching. Lord is hiding and watching. Kalyavan was no more. Haribol! Good news. Demigods were showering flowers. They were doing lots of things to express their happiness as this demon was killed in the cave by Muchukunda devotee of Lord. Not only devi devata, Gods and Goddesses also became happy. Those who listen to this pastime as you are listening to this pastime. Yes, are you? Then you also become happy, when you get to know the new demon is killed Haribol! Good thing, spread the news and you are expressing your joy. So that is Krishna conscious joy also. Yes, Hardik Patel are you joyful? Demon is killed. Jai! And if you do not become happy by hearing this news, then we suspect that may be you have some connection with Kalyavan. You are sad (laughs) by hearing, oh my Kalyavan my friend, dear one he is killed, I will take revenge, I will kill that Krishna who killed Kalyavan. So this if there are such thoughts then we know we have relationship with Kalyavan. So like this as we chant Hare Krishna, we are free to remember this pastimes and you are in business, you are chanting and your mantra meditation is on . And then we know once Kalyavan was killed then Muchukunda and Sri Krishna, they met and they had a dialogue. They were introducing each other who are you? How are you? Krishna enquires and Muchukunda also enquires. Then Krishna has spoken to great extent, how He appeared as Brahma had prayed on behalf of demigods and I appeared and like killed this demon and recently I killed Kansa and just now right in front of your eyes I did not kill but I made you kill this Kalyavan. So like that Krishna is narrating His life story, different events sharing with Muchukunda. And they give some hints to you about this episode or pastime and then as you hear you should be becoming more curious to know more about this pastime. Then you will read Bhagavatam. Open 10th canto of Bhagavatam chapter 51 and read more. We were just talking or jumping from one point to another leaving so many details leaving them aside. So read them and this reading is, studying, is preparation for your chanting. As we always have been talking that ‘prepare to chant’ something you have to do before you chant. So you read, study more, in depth study and then chant Hare Krishna Hare Krishna and you remember and meditate on what you have read, heard about Krishna, while you are chanting Hare Krishna Hare Krishna. So like that Harikatha compliments chanting and chanting compliments Harikatha and of course they are one and the same. Sravanam, kirtanam and smaranam is there by hearing and chanting. Whether you are hearing Bhagavatam or you are hearing Hare Krishna Hare Krishna chanting, that both will result in remembering and meditating upon Lord. So keep chanting. See you later in Pandharpur very soon. Pandharpur Dham ki jai! When you come to Pandharpur come prepared by chanting, hearing, doing more Harikatha Hari kirtana or Harijapa. Gaura Premanande Hari Haribol!

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