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26th अक्टूबर 2019 हरे कृष्ण !!! आप सभी जप करने वाले भक्तों को मेरी ओर से हरे कृष्ण ! आप सभी जप को रोक सकते हो, तभी जपचर्चा होगी। कुछ जरूरी सूचनाएं आप सभी से साझा कर रहा हूं। अब से यह जप चर्चा हिंदी में होगी और उसका अनुवाद अंग्रेजी में होगा ।आज जप चर्चा पर चर्चा थोड़ी देर से शुरू हो रही है, लगभग 6:45 पर, जो कि 7:00 बजे तक चलती रहेगी। अतः आप सभी हिंदी भाषी भक्तों से भी विशेष निवेदन है कि आप सभी जपचर्चा के समय कुछ भी टाइपिंग ना करें। ना अंग्रेजी में, नाम मराठी में और ना ही हिंदी में ताकि जप चर्चा में अंग्रेजी अनुवाद को पढ़ने वाले जो भक्त हैं और जो केवल अंग्रेजी ही जानते हैं उन्हें कोई परेशानी ना हो । इस अनुवाद के साथ में कोई प्रश्न कमेंट या रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए । नहीं तो जपचर्चा समझने में दिक्कत होगी । जो जप करते समय टाइपिंग कर रहे हैं कृपया उसे पूर्णता बंद कर दें। अब आप हाथ जोड़कर इसे सुनते रहिए। कृपया अपनी उंगलियों का प्रयोग टाइपिंग करने में ना करें। वैसे मैंने कहा था ज्यादा रिपोर्टिंग नहीं करूंगा, लेकिन देखते हैं कुछ अच्छे रिपोर्ट तो आए ही हैं । ऑस्ट्रेलिया से वीर प्रशांत एंड कंपनी चैतन्य भागवत बता रहे है कल वहां ऑस्ट्रेलिया में दिवाली मेला संपन्न हुआ। उस दिवाली मेले में हमारे प्रभु जी लोग भी गए और 1100 लोगों से दीपदान करवाया। हरी हरी ! अतः यह एक बहुत ही बड़ी खबर है ब्रेकिंग न्यूज़ है । हरी हरी ! आप प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं इस रिपोर्ट से। अगर ऑस्ट्रेलिया में 1100 हो सकते हैं तो भारत में 11000 या 11 लाख भी हो सकते हैं। हरि हरि ! यहाँ “रियूनियन आईलैंड “ से आपको बताता रहता हूं समय-समय पर वहां एक दयालु राधा माताजी हैं । उन्होंने रिपोर्ट किया है, कि उन्होंने वहां अपने देश में या अपने द्वीप में रेडियो पर दामोदर अष्टकम या उसकी कथा वहां के लोगों को सुनाई । हो सकता है वहां फ्रेंच भाषा चलती है तो फ्रेंच भाषा में सुनाई होगी। तो यह कुछ नया सा है। कुछ विशेष प्रगतिशील विचार है । रेडियो पर ही क्यों, टेलीविजन पर प्रिंट मीडिया में भी इस तरह के विचार निकाल सकते हैं , उससे और अधिक प्रचार बढ़ेगा। राखी गणेश ने बेंगलुरु में 422 विद्यार्थियों से और किसी दुर्गा मंदिर में भी लोगों से दीपदान करवाया। इतने सारे बच्चे दीपदान कर रहे हैं स्कूल में , तो आप फोटोग्राफ लीजिये और थोड़ा कुछ लिखित में भेजिए समाचार पत्रों को, मुझे विश्वास है कि वो लोग इसे प्रकाशित करेंगे । महाराष्ट्र के सांगली में हमारे दीपक प्रभु हैं। जो वहां के एक साप्ताहिक बाजार में गए और उन्होंने लगभग 400/ 500 लोगों से दीपदान करवाया। हमारी मंजुला माताजी ने आज प्रातः कालीन मंगला आरती के समय कई सारे माता-पिता को उनके बच्चों सहित बुलाया और उनसे दीपदान करवाया। इस प्रकार से और भी कई सारे समाचार आ चुके हैं जो आप पढ़ ही रहे हैं तो जब आप रिपोर्ट भेजते हैं या टाइप करते हैं तो वह सिर्फ मेरे लिए ही नहीं अपितु आप सभी के लिए भी है। तो आज ये समाचार 530 भक्तों के लिए है। मुझे विश्वास है कि आप सभी इसे पढ़ते ही होंगे। अतःआप सभी भी अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं और मैं भी दे सकता हूं। आप जो भी अपनी रिपोर्ट या कमेंट भेजते हैं जप से संबंधित अपने साक्षात्कार भेजते हैं ,सबके लिए आपका स्वागत है। आप सभी के लिए यह मुफ्त है। कई प्रकार के रिपोर्ट आप टाइप करते हैं यह बुरा नहीं है। आज एक रिपोर्ट आया, उज्जैन में मूल रूप प्रभु की बेटी आईसीयू में है। उनके लिए प्रार्थना करें , ऐसा निवेदन किया गया । जब मैंने यह पढ़ा तो मैंने प्रार्थना की और इतने में परम करुणा प्रभु नागपुर से उन्होंने आपकी प्रार्थना पढ़ी भी और लिख कर प्रतिक्रिया भी दी। यह एक उदाहरण है प्रत्युत्तर देने के लिए। इस प्रकार आप भी प्रश्न के उत्तर दे सकते हैं, लिख सकते हैं , ग्लोरिफिकेशन अथवा सम्मान कर सकते हैं अगर किसी भक्त को सहानुभूति की आवश्यकता है इत्यादि । तो जो भक्त रिपोर्ट भेजते हैं, आप मत चाहो कि मैं अकेला ही जवाब देता रहूंगा क्योंकि यह सभी के लिए है । आप भी अपने कमेंट लिख सकते हैं या पढ़ सकते हैं आप भी फ्री हो अपने कमेंट रिपोर्ट या सहानुभूति के लिए । अब समय थोड़ा कम बचा है क्योंकि वास्तविक जपचर्चा में, तो जप के संबंध में या नाम के संबंध में ,भगवान के रूप गुण लीला धाम के संबंध में कहना चाहिए जपचर्चा के अंतर्गत जो की ज्यादा आवश्यक है । हरी हरी ! तो याद रखिए ब्रज मंडल परिक्रमा हो रही है और आप परिक्रमा में नहीं हो, या फिर कहा जा सकता है कि आप की ओर से कुछ भक्त, आपके भ्राता श्री या माता श्री या पिता श्री या गुरु भाई ,गुरु बहन ,गुरु भतीजे ,गुरु चाचा ,परिक्रमा कर रहे हैं । तो आप उनको भी याद कीजिए और उसी के साथ आपको धाम स्मरण होगा। धाम के स्मरण के साथ आपको भगवान का स्मरण होगा और भगवान के स्मरण के साथ ही भक्त जहां भी परिक्रमा कर रहे हैं वहां की लीलाओं का स्मरण होगा । कार्तिक में यह अच्छा विषय वस्तु है । भगवान के स्मरण के लिए हम ब्रज मंडल परिक्रमा करें। हरि भक्तों का स्मरण करें कि आज वह कहां है और किन स्थानों पर गए , उन स्थानों में कौन-कौन सी लीलाएं भगवान ने संपन्न की। इसलिए हम आपसे निवेदन कर रहे हैं कि “ब्रजमंडल दर्शन” ग्रंथ पढ़िए। यह विशेषकर उन भक्तों के लिए लिखा गया है जो भक्त प्रतिवर्ष या इस साल परिक्रमा नहीं कर सकते या नहीं कर रहे हैं इससे आपको भी परिक्रमा करने का लाभ हो सकता है। घर बैठे बैठे आप मानसिक परिक्रमा कर सकते हो जैसे कि आप रोज एक अध्याय पढ़ोगे। कौनसा अध्याय ? जिसका वर्णन आज की परिक्रमा जहां है उसके बारे में दिया है। जैसे आज काम्यवन में और उसके कुछ अंदरूनी क्षेत्रों में हैं और कल भी काम्यवन और उसके कुछ बाहरी क्षेत्रों में होगी। तो वह अध्याय खोलिए उसमें 30 दिवसीय परिक्रमा है। दामोदर मास में जितने दिन हैं ,उतने दिनों तक परिक्रमा चलती है। अतः आपके पास जो समय सारिणी है उसके अनुसार वह अध्याय खोलिए और उसको पढ़िए तो आप वहां पहुंच जाओगे , आप का मन वहां पहुंच जाएगा, आपकी आत्मा आपका ध्यान वहां पहुंच जाएगा। फिर आप इस जगत में या नागपुर में नहीं रहोगे। बैठे तो हो यहाँ वहां जैसे अर्चाविग्रह माताजी पुणे में बैठी हैं। आपका शरीर वहां बैठा रहेगा लेकिन आपका मन, आपकी चेतना वृंदावन पहुंच जाएगी। इस प्रकार आप स्वयं को वहां स्थानान्तरित कर सकते हो। आप स्वयं को वृंदावन पहुंचा सकते हो जब आप वह अध्याय पढ़ोगे और भी ग्रंथ पढ़ सकते हो। प्रभुपाद का “लीला पुरुषोत्तम श्री कृष्ण” नाम का ग्रंथ है। जहां भी लीला हुई उन लीलाओं का वर्णन तो भागवत में है ही ,और प्रभुपाद की कृष्ण लीला बुक में भी है। उसी का उल्लेख “ब्रजमंडल दर्शन “में हुआ है । संक्षिप्त में तो आपके लिए थोड़ा काम आसान किया गया है । “ब्रजमंडल दर्शन “परिक्रमा नाम के इस ग्रन्थ में परिक्रमा का सारा अनुभव भी है भक्तगण कब और कहाँ गए उन्होंने क्या किया , क्या सूंघा सभी अनुभवों का वर्णन इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किया हुआ है । आज परिक्रमा कहां है आपको पता होना चाहिए, आप वह अध्याय खोलिए यह आपका आज का ग्रह कार्य है। आप इसको पढें, आप इसको समूह में पढ़ सकते हो , अपने परिजन के सभी सदस्यों को ,अपने इष्ट मित्रों को , पड़ोसियों को बुलाइए जैसे ग्वाल बाल सखा भगवान के साथ संध्या काल को अपने घरों में पहुंचते ही अपने माता-पिता को बुलाते थे। आ जाओ आ जाओ और कहते कि आज क्या क्या हुआ बाबा, आज क्या क्या हुआ माँ , आज यह हुआ, वह हुआ इत्यादि और भी लोगों को बुलाते थे , बिठाते थे और अन्य ग्वालो को अपने अनुभव साझा करते थे कि, आज हम वहां गए, आज हमने एक ऐसा प्राणी देखा, हमने सोचा कि यह कोई गुफा है। हम गुफा सोच कर अंदर घुसे लेकिन वह गुफा थोड़े ही थी वह तो अजगर था और कुछ देर के बाद में सौभाग्य से कन्हैया ने भी वहां प्रवेश किया। हम जैसे ही उसके पेट में पहुंचे उसने अपना मुंह बंद करने का प्रयास किया तो कन्हैया ने अपना आकार बढ़ा दिया और उसी के साथ अघासुर का वध हुआ। फिर हम भागे दौड़े आए कृष्ण कन्हैया लाल की जय ! कृष्ण कंहैया लाल की जय ! कहते हुए। तभी हमने देखा कि उस समय आकाश में कई सारे देवता भी वंहा पहुंचे हुए थे। नगाड़े बज रहे थे अप्सराएं नृत्य कर रही थी। हमने यह सब देखा और सुना, फिर अपनी घड़ियों की ओर देखा तो अब हमारा दोपहर के भोजन का समय निकल गया था। फिर बाद में हम लोग भोजन के लिए बैठे, किन्तु हमे बछड़े कहीं दिख नहीं रहे थे , तब कन्हैया ने कहा ,मित्रों तुम सब यहां बैठो और भोजन करो ,मैं बछड़ो को ढूंढ कर लाता हूं। कन्हैया गए तो बछड़ो को ढूंढने के लिए, फिर वापस भी आ गए लेकिन तब हम वहां नहीं थे। मित्रों ने कहा या बताया होगा उस दिन जो भी हुआ । एक साल के बाद बात आगे बढ़ी, एक साल तक कोई चर्चा नहीं हुई। किसी ग्वाल बाल ने अपने घर में साल भर तक अघासुर वध की कथा नहीं सुनाई । ऐसा शुकदेव गोस्वामी ने कहा तो राजा परीक्षित ने पूछा ऐसा कैसे संभव है की साल भर तक के लिए किसी ने कुछ नहीं कहा ? क्योंकि ग्वालबाल संध्याकाल में अपने घरों को पहुंचकर अपने माता पिता को दिन भर की भगवान की लीलाएं या ब्रज मंडल का अनुभव सुनाते थे और वे वहां नहीं थे। एक साल के लिए ब्रह्मा ने उनको चोरी कर रखा था। कृष्ण कन्हैया की लीलाएं अपने घरों में पहुंचाने वाले ग्वाल बाल एक वर्ष के लिए गायब थे या ब्रह्मा ने चोरी की। इसलिए उनकी कोई चर्चा ही नहीं हुई, किसी को पता ही नहीं था । इस प्रकार मैं आपको यह कहना चाह रहा हूं कि किस प्रकार ग्वाल बाल सुनाया करते थे अपने माता-पिता या इष्ट मित्रों को जो नहीं गए थे या उनको जो उन लीलाओं का दर्शन करने के लिए कृष्ण कन्हैया के साथ नहीं थे ग्वाल बालों के माध्यम से उनको समाचार मिलते थे । इसी प्रकार हम लोग जो परिक्रमा नहीं कर रहे उनके लिए समाचार पहुंचाने के उद्देश्य से यह "ब्रजमंडल दर्शन" ग्रंथ दिया गया है । गीता, भागवत, भक्तिरसामृत सिंधु ये सारे ग्रंथ पढ़े जा सकते हैं। इन सब लीलाओं का ब्रजमंडल अनुभव आप कर सकते हो, हमने स्वयं कुछ-कुछ गृह कार्य करके आपके लिए ब्रजमंडल दर्शन परिक्रमा के माध्यम से वह अनुभव तथा लीलाएं इत्यादि जो हैं , वह लिख के रखा ही है। उसे भी आप पढ़ सकते हो अथवा आप अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पढ़ो और इष्ट मित्रों के साथ पढ़ो। भोजन अवकाश के अंतर्गत अपने कुछ सहयोगी के साथ भी पढ़ सकते हो, एक व्यक्ति पढ़ सकता है अथवा बाकी लोग भोजन करो। इस प्रकार से अगर आप बैठे हुए हो तो भी आप यह कर सकते हो। आप ही ब्रजमंडल परिक्रमा का एक अध्याय रोज पढ़ कर सुनाओ इस तरह आप वृंदावन के , ब्रज या दामोदर मास के मूड में रहो । तो अब समय हो गया है, अतः आप सब का आभार जो आपने इस जप के समय हमारा साथ दिया। दिनभर आप व्यस्त रहते हो दीपदान में भी और दामोदर मास की तैयारियों में भी, गोवर्धन पूजा की भी तैयारी आप लोगों ने की होगी , कुछ दिनों में गोवर्धन पूजा है और वैसे कल या परसों दिवाली भी है। दिवाली मेला तो ऑस्ट्रेलिया में पहले ही मनाया गया लेकिन वास्तविक दिवाली तो कल है। कुछ कि कल है , कुछ कि परसों, तो देख लो आप अपने अपने देश के या शहर के वैष्णव कैलेंडर में उसकी भी तैयारी करनी है। जिस दिन यह लीला संपन्न हुई “दामोदर लीला” दाम - डोरी से, उदर बांधने की , वह दिवाली के दिन की है । अतः विशेष दिन एक-दो दिन ही दूर है तो यह विशेष दिन ,विशेष भाव के साथ, विशेष संख्या के साथ, गुणवत्ता के साथ दिवाली मनाइए। हरि हरि ! गौर प्रेमानंदे।।

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