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23-3-2020 शांत मत रहिए अपितु आनन्द तथा उत्तेजित रहिए। हरे कृष्ण ! आज 607 स्थानों से भक्त हमारे साथ जप कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया से भी भक्त हमारे साथ जप कर रहे हैं और इस कारण हमारे साथ जप करने वाले भक्तों की संख्या में वृद्धि हुई है। नासिक तथा मॉरीशस से भी भक्त हमारे साथ जप कर रहे हैं कौन-कौन हैं जो कल हमारे साथ जप नहीं कर रहे थे परंतु आज हमारे साथ जप कर रहे हैं? किस-किस ने रविवार के दिन छुट्टी की थी? लीला माधुरी क्या आप कल हमारे साथ जप कर रही थी? मुझे लगता है हां वह जप कर रही थी। अमरीकी भक्त भी हमारे साथ जप कर रहे हैं। यह आपातकालीन स्थिति है। इस कॉन्फ्रेंस में जप करने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। जयपांचाली आपने क्या किया? आपने कुछ कीर्तन किया? बहुत से भक्तों ने मुझे अपनी रिपोर्ट भेजी है। मैं उन्हें पूरा नहीं पढ़ पाया परंतु मैंने कुछ पढ़ी थी । उनमें से भी मुझे सभी याद नहीं है कि किसने क्या सेवा की थी। परंतु उन रिपोर्टों से यह बात सिद्ध हो रही थी कि आप में से सभी किसी न किसी सेवा में व्यस्त रहे। कई भक्तों ने अधिक माला का जप किया। जो पांच माला करते थे उन्होंने कल 16 अथवा 32 माला की। किसी ने लिखा कि मैंने 80 माला का जाप किया। किसी ने नगर संकीर्तन किया ग्रेटर नोएडा में। यद्यपि कर्फ्यू था परंतु फिर भी भक्त युद्ध क्षेत्र के सामान नगर संकीर्तन करते हुए गलियों में प्रवेश कर रहे थे। वे अलग-अलग मार्गो में जाकर कीर्तन कर रहे थे। राम नाम के हीरे मोती बिखराऊं मैं गली गली। हरे कृष्णा भक्त सभी के साथ इस हरि नाम रूपी हीरे मोतियों को दे रहे थे। हमें यह बात समझनी चाहिए कि चाहे हम ग्रेटर नोएडा अथवा अहमदाबाद अथवा किसी भी स्थान पर कीर्तन कर रहे हो इसका लाभ संपूर्ण विश्व को प्राप्त होता है। यदि कोई जप करता है और उसके पास में बैठा व्यक्ति उसका श्रवण करता है तो इससे उसे भी लाभ होता है सामान्यतया हम जप धीरे करते हैं जिससे वह केवल हमें सुनाई दे। जप स्वयं के लिए किया जाता है और कीर्तन सभी के लिए। इस प्रकार जब हम मृदंग और करताल के साथ कीर्तन करते हैं तो हर कोई इसे सुनता है और इससे लाभान्वित होता है। मैं अभी जहां रह रहा हूं वहां मेरे सेवक ,सेक्रेटरी तथा अन्य भक्त भी कल बालकनी में गए और उन्होंने मृदंग और करताल के साथ कीर्तन किया। परम पूज्य जयपताका स्वामी महाराज ने सभी भक्तों से यह अनुरोध किया था कि शाम को 5:00 बजे सभी भक्त कीर्तन करें, हमने भी ऐसा किया और आप में से भी कई भक्तों ने कीर्तन किया। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे जब हम कीर्तन करते हैं तो यह एक प्रकार से प्रार्थना है। हरे कृष्ण का अर्थ है हम भगवान को संबोधित कर रहे हैं। हम कहते हैं हे कृष्ण! हे राधे! आपको यह पता होना चाहिए कि आप वास्तव में कीर्तन करते समय किसीको बुला रहे हैं। इस प्रकार हम हरे कृष्ण हरे कृष्ण के माध्यम से परम भगवान को संबोधित करते हैं और यह प्रार्थना भी है। कई भाव है जिनका समावेश इस हरे कृष्ण महामंत्र में है। हमारे आचार्य यथा गोपाल गुरु गोस्वामी ने इस हरे कृष्ण महामंत्र पर अपनी टीका दी है। उसके विषय में कई बार मैंने आपको बताया है। उनके अलावा और भी कई आचार्यों ने अपनी अपनी टिकाए इस महामंत्र पर दी है। जब हम हरे कहते हैं तो हम किसे संबोधित करते हैं। हम किसका ध्यान अपनी और आकर्षित करना चाहते हैं? हम जिसका ध्यान अपनी और आकर्षित करना चाहते हैं वह निराकार नहीं है। हम किसी व्यक्ति पर ध्यान टिकाते हैं और वह परम भगवान श्री श्री राधा कृष्ण है। हम उनसे प्रार्थना करते हैं हम उनकी आराधना करते हैं तथा हम उन्हीं का चिंतन करते हैं। कृष्णवर्णं त्विषाकृष्णं साङ्गोपाङ्गास्त्रपार्षदम् । यज्ञै: सङ्कीर्तनप्रायैर्यजन्ति हि सुमेधस: । । (श्रीमद भागवतम 11.5.32) जब हम जप अथवा कीर्तन करते हैं जैसा कि कल कई भक्तों ने किया तो हम यज्ञ करते हैं । यज्ञै का अर्थ होता है यज्ञ जो भगवान की आराधना इस संकीर्तन यज्ञ से करता है वही वास्तव में बुद्धिमान है। भगवान भगवत गीता में कहते हैं महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम् । यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालय: ॥ (भगवत गीता 10.25) सभी यज्ञों में जप यज्ञ मैं हूं। यह जो आहुति दी जाती है वह मैं हूं। इस प्रकार जप करना एक प्रार्थना है। "सेवा योग्यं कुरु " हमारे आचार्यों ने हमें बताया है कि जब हम हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं तो हम क्या प्रार्थना करते हैं। कृपया मुझे अपनी सेवा में संलग्न कीजिए। कृपया मुझे अपनी सेवा के योग्य बनाइए मैं आपका सेवक हूं। अयि नन्दतनुज किंकरं पतितं मां विषमे भवाम्बुधौ। कृपया तव पादपंकज-स्थितधूलिसदृशं विचिन्तय॥ (शिक्षाष्टकम , श्लोक 5 ) चैतन्य महाप्रभु कहते हैं कि मैं आपका किंकरं हूं। आप मुझे कृपया अपने चरण कमल की धूलि का एक कण बना दीजिए। कृपया मुझे अपनी कोई सेवा प्रदान कीजिए। यह प्रार्थना है जो चैतन्य महाप्रभु ने हमें सिखाई है। जब हम हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं तो हम यह प्रार्थना करते हैं। हे प्रभु कृपा करके मुझे इस जन्म मृत्यु के भौतिक सागर से बाहर निकालिए और कृपया मुझे अपनी सेवा में संलग्न कीजिए। अभी हमारे पास इतना समय नहीं है कि हम इसकी पूरी व्याख्या पर चर्चा कर सकें। परंतु मैं कई बार आपको इन व्याख्याओं के विषय में बताता हूं। हम यह जो प्रार्थना करते हैं वह केवल हमारे लिए नहीं हैं अपितु वह संपूर्ण विश्व के लिए हैं। यह कोई स्वार्थिक प्रार्थना नहीं है अपितु यह परमार्थ के लिए की गई प्रार्थना है। सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धय: । ते प्राप्‍नुवन्ति मामेव सर्वभूतहिते रता: ॥ (भगवत गीता 12.4) भगवान कहते हैं यदि कोई अपने इंद्रियों को नियंत्रण में कर सभी के प्रति समभाव रखता है तो ऐसा व्यक्ति सभी के हित का कार्य करता है और अंत में वह मुझे प्राप्त करता है। मेरे भक्त महात्मा हैं। महिलाएं भी महात्मा बन सकती हैं और पुरुष भी महात्मा बन सकते हैं क्योंकि यह आत्मा इस शरीर से संबंधित नहीं है। वे अपना जीवन अन्यों के हित के लिए व्यतीत करते हैं। सर्वभूतहिते रता: सर्व भूत का अर्थ है सभी जीवात्मा । हिते रता का अर्थ है उनके हित में रत रहना। तल्लीन शब्द का अर्थ होता है तत लीन अर्थात हम किसी चीज में संलग्न रहते हैं। जो कृष्ण भावना भावित भक्त हैं वे सदैव भगवान के विषय में विचार करते हैं उन्हीं के विषय में चर्चा करते हैं तथा संपूर्ण विश्व का हित चाहते हैं। वे सभी जीवात्मा के कल्याण के लिए कुछ करना चाहते हैं। और सभी का हित इस हरि नाम संकीर्तन से हो सकता है। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। यह प्रार्थना है जो हम सभी कोरोना वायरस से ग्रसित लोगों के लिए कर सकते हैं। आप भी अगले व्यक्ति हो सकते हैं। क्यों नहीं? इसकी बहुत अधिक संभावना है। वर्तमान समय में यही स्थिति संपूर्ण विश्व में देखी जा रही है। कल लगभग 500 लोगों की मृत्यु हो गई वह आज नहीं है उसी प्रकार आज भी लगभग 500 अन्य लोग इस वायरस से ग्रसित होंगे कल और 500 लोग से ग्रसित हो सकते हैं और इन व्यक्तियों में हमारा भी नंबर हो सकता है। इसलिए हमें सदैव इस हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हुए सभी के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। हम केवल भारतीयों अथवा हिंदुओं के लिए ही प्रार्थना नहीं करते, हम संपूर्ण विश्व के लिए प्रार्थना करते हैं क्योंकि आत्मा न तो हिंदू है न मुस्लिम हैं न ही वह ऑस्ट्रेलिया की है न फ्रांस की है न स्पेन की है। आत्मा इस जगत का नहीं है। तो हम इस आत्मा को अमेरिकी आत्मा अथवा स्त्री की आत्मा अथवा पुरुष की आत्मा कैसे कह सकते हैं। यह आत्मा अमीर है, यह आत्मा युवा है यह आत्मा वृद्ध है हम ऐसा नहीं कह सकते। और यदि कोई ऐसा कहता है तो वह अज्ञान है। आत्मा आत्मा होती है। और हमारी प्रार्थना सभी आत्माओं के लिए हैं। एक भक्त होने के नाते हमारा दृष्टिकोण होना चाहिए “वसुधैव कुटुंबकम” अर्थात संपूर्ण पृथ्वी मेरा परिवार है। वर्तमान समय में कोरोना वायरस के कारण जो परिस्थिति उत्पन्न हो रही है वह हम सभी को यही सिखा रही है। हम ऐसा नहीं सोच सकते कि यह मेरा है तथा यह पराया है। जो भगवान विष्णु की आराधना करते हैं उन्हें वैष्णव कहते हैं कृष्ण की आराधना करने वाले क्राष्ण कहलाते हैं परंतु श्रीमती राधारानी की आराधना करने वालों को गौड़ीय कहा जाता है। ऐसा श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर हमें बताते हैं। यह गौड़ीय वैष्णव की विशेषता है कि वे राधा रानी के भाव में आराधना करते हैं। हमारी मानसिकता संकीर्ण नहीं है। हम बड़ा सोचते हैं और हमारा हृदय बड़ा होना चाहिए। हमारा हृदय विशाल क्यों होना चाहिए क्योंकि इसमें भगवान निवास करते हैं। जिसके हृदय में परम भगवान निवास करें उनका ह्रदय विशाल ही होना चाहिए और जब आपका हृदय विशाल होगा तो आपकी सोच भी विशाल होगी। और इस प्रकार आपके भीतर कई दिव्य गुण प्रकट होंगे। जब आप अपने हृदय के भीतर स्थित परमात्मा की आराधना करते हैं तो आपका हृदय विशाल होता है। हमारे सोचने का तरीका बदल जाता है। इसलिए हम आप सभी का स्वागत करते हैं आइए संपूर्ण विश्व के लिए प्रार्थना कीजिए। शास्त्रों का अध्ययन करना भी प्रार्थना है। जप करना प्रार्थना है। आप अन्य व्यक्तियों को भी शास्त्र पढ़ने के लिए, हरे कृष्ण महामंत्र का जप तथा कीर्तन करने के लिए, प्रसाद पाने और प्रसाद वितरित करने के लिए आमंत्रित कीजिए। भगवान अत्यंत मधुर है और इसीलिए भगवान का प्रसाद भी अत्यंत मधुर होता है। अधरम मधुरम वदनम मधुरम मधुराधिपति अखिलम मधुरम। भगवान से संबंधित सभी वस्तु मधुर है क्योंकि भगवान स्वयं अत्यंत मधुर है अतः हमें इस मधुरता का आस्वादन करना चाहिए तथा अन्यों के साथ भी इसे साझा करना चाहिए। जिस प्रकार चींटी होती है यदि चींटी को कहीं शक्कर का एक दाना मिल जाए तो वह उसे चखती है और उसके तुरंत पश्चात वह अन्य चीटियों को भी वहां बुला लेती है और आप देखते हैं कि कुछ ही समय में वहां चीटियों की एक बड़ी कतार लग जाती है इस प्रकार वह चींटी शक्कर की मिठास को अन्य सभी के साथ साझा करना चाहती है उसी प्रकार हम हरे कृष्ण भक्तों को भी जो आनंद की प्राप्ति होती है उसे अन्य को देना चाहिए। क्या आप सभी हरे कृष्णा महामंत्र का जप करके आनंद में है? अतः यदि आपको आनंद की प्राप्ति हो रही है तो आप स्वार्थी मत बनिए और आपको जो आनंद मिल रहा है उसे अन्य व्यक्तियों के साथ साझा कीजिए। यदि आप अपने आनंद के स्रोत अर्थात इस हरि नाम का प्रचार करेंगे तो आपके आनन्द में कमी नहीं आएगी अपितु वह दिन प्रतिदिन बढ़ता जाएगा। चेतोदर्पणमार्जनं भव-महादावाग्नि-निर्वापणम् श्रेयःकैरवचन्द्रिकावितरणं विद्यावधू-जीवनम् । आनंदाम्बुधिवर्धनं प्रतिपदं पूर्णामृतास्वादनम् सर्वात्मस्नपनं परं विजयते श्रीकृष्ण-संकीर्तनम् ॥ आनंदाम्बुधिवर्धनं प्रतिपदं अर्थात आपका आनन्द दिन-प्रतिदिन बढ़ता जाता है। यह एक सागर के समान है जिसमें कभी कमी नहीं आ सकती। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु हमें ऐसा सिखाते हैं। अतः आप सभी इस आनन्द रूपी सागर में गोते लगाइए और अन्यों को भी इस में गोते लगाने का शुभ अवसर प्रदान कीजिए। अंत में मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं कुछ समय पूर्व एक सर्वे किया गया जिसमें एक अस्पताल में भर्ती मरीजों में से कुछ के लिए प्रार्थनाएं की गई तथा कुछ के लिए प्रार्थना नहीं की गई। जिन मरीजों के लिए प्रार्थना की गई उनके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था और जिनके लिए प्रार्थना नहीं की जा रही थी उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे और अधिक बिगड़ रहा था। अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्रार्थना में अत्यंत बल है। इसलिए आप सभी न केवल अपने लिए अपितु संपूर्ण विश्व के हित के लिए प्रार्थना कीजिए क्योंकि सभी हमारे भाई बहन हैं। फिर चाहे वह मुसलमान हो अथवा ईसाई हो वे सभी हमारे भाई बहन हैं। आपकी प्रार्थनाएं व्यर्थ नहीं जाएगी। इसलिए निरंतर प्रार्थना कीजिए, निरंतर जप कीजिए ,शास्त्रों का अध्ययन कीजिए तथा प्रचार कीजिए। नए-नए तरीके ढूंढ सकते हैं जिनसे आप प्रचार कर सकें। वर्तमान स्थिति में आप किसी के घर जाकर उन्हें प्रचार नहीं कर सकते हैं परंतु इंटरनेट के माध्यम से आ प प्रचार कर सकते हैं और आपको यह सीखना चाहिए। जारे देखो तारे कहो कृष्ण उपदेश आमार आज्ञा गुरु होइया तारो ऐई देश इस प्रकार वर्तमान स्थिति में भी हमें सभी को इस हरिनाम का प्रचार करना चाहिए। आप एक साथ नहीं मिल सकते तो दूर रहकर प्रचार कीजिए। आप सोशल मीडिया का प्रयोग कर सकते हैं। मुरली मोहन प्रभु ने कल इसी प्रकार भगवत गीता की कक्षा का आयोजन किया था। इस प्रकार सोशल मीडिया के माध्यम से आप 10, 20 अथवा 50 भक्तों तक एक ही समय में पहुंच सकते हैं आप इसका लाभ लीजिए और अधिक सक्रिय बनिए। संपूर्ण विश्व में यातायात ठहर सा गया है। अतः आप स्थिर मत रहिए और सदैव उत्तेजित रहिए भगवान के इस पवित्र नाम का प्रचार कीजिए, इस हरे कृष्ण आंदोलन का अधिक से अधिक मात्रा में प्रचार कीजिए। जब हम ऐसा करेंगे तो हम निरंतर गतिशील बने रह सकते हैं। ठीक है आप सभी से पुनः भेट होंगी हरे कृष्ण !

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