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*जप चर्चा* *पंढरपुर धाम से* *28 नवंबर 2021* हरे कृष्ण ! आज 816 भक्त हमारे साथ जपा टॉक में सम्मिलित हैं। हरि हरि। आज रविवार है तो कम भक्त उपस्थित है। श्रीशुक उवाच हेमन्ते प्रथमे मासि नन्दव्रजकुमारिका: । चेरुर्हविष्यं भुञ्जाना: कात्यायन्यर्चनव्रतम् ॥ ( श्रीमद् भागवद् 10.22.1 ) अनुवाद:- शुकदेव गोस्वामी कहा हेमन्त ऋतु के पहले मास में गोकुल की अविवाहिता लड़कियों ने कात्यायनी देवी का पूजा व्रत रखा । पूरे मास उन्होंने बिना मसाले की खिचड़ी खाई । कुछ दिनों से हम उन्हीं लीलाओं का स्मरण कर रहे हैं। आशा है आप भी दिन में भागवत या कृष्ण पुस्तक को पढ़ते होंगे। भागवत में दसवें स्कंध का 22 वां अध्याय हैं। पूरा तो नहीं पर उसका कुछ अंश लीलाओं को हम स्मरण कर रहे थे या याद कर रहे थे। आप सभी का स्वागत है। आप जहां भी हो, आज प्रातः काल को मैं देख रहा था कि आप कहां कहां पर हो। अब 800 भक्त हो गए हैं क्या हुआ नंबर गिर क्यों रहे हैं? मैं लुधियाना भी पहुंच गया। उसी तरह मैं नागपुर, मोरिशियस, महाराष्ट्र, पंढरपुर और घर घर जा रहा था। मैने इस्कॉन पंढरपुर, इस्कॉन नोएडा, इस्कॉन बीड और कहीं स्थानों पर मुलाकात करी। आपने भी देखा होगा। भक्त सर्वत्र जप कर रहे हैं और सभी के लिए सुबह नहीं है। आपमें से कई लोगों के लिए बहुत ज्यादा जल्दी सुबह होगी। आपको पता नहीं होगा। यूक्रेन के भक्तों को भारत में जो भक्त हैं उनसे कहीं एक-दो घंटे पहले जगना होता है। कोई आगे है तो कोई पीछे है। हम सभी का साथ दे ही रहे हैं। हम सब मिलकर हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का श्रीरामपुर में जप हो रहा है। हर जगह जप हो रहा है। यह देख कर हम विश्वास कर सकते हैं। ज़ूम कॉन्फ्रेंस हम देख सकते हैं आपकी आंखों के सामने हैं। मेरे सामने तो बहुत बड़ा स्क्रीन है। मैं सभी को एक साथ देख सकता हूं। 50–50 भक्त एक स्क्रीन में आते हैं। विश्वरूप दर्शन जैसा ही है। अर्जुन कुरुक्षेत्र में सारा संसार का दर्शन कर रहे थे। भगवान अर्जुन को पूरे संसार का दर्शन कराएं। वैसे ही व्यवस्था ज़ूम के माध्यम से यह भी भगवान की देन है, हमको ऐसा मानना पड़ेगा। भगवान ने वैज्ञानिकों को ऐसी बुद्धि दी। भगवान बुद्धि दिए बिना इस संसार का काम नहीं चलता है। मयाध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम् | हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते || १० || (श्रीमद भगवत गीता 9.10) अनुवाद हे कुन्तीपुत्र! यह भौतिक प्रकृति मेरी शक्तियों में से एक है और मेरी अध्यक्षता में कार्य करती है, जिससे सारे चर तथा अचर प्राणी उत्पन्न होते हैं | इसके शासन में यह जगत् बारम्बार सृजित और विनष्ट होता रहता है | भगवान ने कहा है भगवत गीता में मैं अध्यक्ष हूं। चर और अचर का जो चलायमान होना है। वैसे सुनते ही हैं कि भगवान की इच्छा और व्यवस्था के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता। इतनी बड़ी जो व्यवस्था है यह तो एक भौतिक व्यवस्था है। इंटरनेट है और ज़ूम कांफ्रेंस है, दूरदर्शन हो रहा है। वही प्रकार है जब दूरदर्शन कुरुक्षेत्र के लड़ाई के समय धृतराष्ट्र बैठे हैं। कहां बैठे हैं? हस्तिनापुर में बैठे हैं। हस्तिनापुर कुरुक्षेत्र से काफी मील दूर है। संजय दूर से दर्शन कर रहे थे और सुन भी रहे थे। जैसे कृष्ण और अर्जुन का संवाद है वह भी संजय ने धृतराष्ट्र को सुनाया और भी सारा वर्णन कर रहे है। किमकुर्वत संजय क्या-क्या हो रहा है संजय क्या क्या हुआ, ऐसा जो प्रश्न पूछा। तब संजय उत्तर दे रहे थे संजय उवाच तब भगवान ने श्रील व्यासदेव ने उनको विशेष दृष्टि प्रदान की। वह देख सकते थे। दूरदर्शन और दूर से दर्शन कर रहे थे और दूरभाष, दूर से सुन रहे थे। ऐसी व्यवस्था के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। ऐसा ही अनुभव कर सकते हैं। यह नकल है कहो व्यवस्था तो देखी थी यह व्यवस्था भी भगवान की है। भगवान की अनुमति के बिना कुछ भी नहीं होता। हरि हरि। मैं ज्यादा नहीं कहना चाहता हूं। मैं प्रशंसा कर रहा हूं इस व्यवस्था की, अंतर इतना है कि हम उस का कैसे उपयोग करते हैं। सदुपयोग करते हैं या दुरुपयोग करते हैं। इसको व्यवस्था मानकर भगवान की सेवा में हम इसको उपयोग कर रहे हैं। धन्यवाद कृष्ण। थैंक्स गिविंग समारोह भी विदेशों में चल रहा है। नहीं तो यह सब संभव नहीं हो पा रहा था। हम एक साथ कई सारे देशों के, कई सारे नगरों के, गांव के एक साथ। हम एक साथ है कि नहीं? एक माताजी थाईलैंड में बैठी है, एक अमरावती में बैठी है, एक भुवनेश्वर में बैठा है। कोई नागपुर में है कोई कहां है कहां है। हम एक साथ हैं। केवल हमें एक दूसरों के साथ ही नहीं रहना है। हम सबको भगवान के साथ रहना है। तब जाकर हम एक दूसरे के साथ बैठकर भगवान के साथ हैं और फिर एक दूसरों के साथ भी है। यह अध्यात्म जगत का ऐसा भाव ऐसी स्थिति होती है। वह केवल एक दूसरों से जुड़े नहीं रहते। इस संसार का यह सामाजिक संबंध सब बेकार है, अगर हम सभी भगवान के साथ जुड़े नहीं हैं। तो फिर यह जब पूरा होगा तब हमारे आंतरिक रिश्ते होने चाहिए। लेकिन पहले हमारा कृष्ण के साथ हमारा संबंध होना चाहिए। मैं अभी और ही कुछ कह रहा हूं। मुझे कहना तो कुछ और था। देखते हैं कब अपने विषय की ओर मुड़ते है। संबंध ज्ञान से सब शुरुआत होती है। तीन अवस्था या 3 सोपान कहो ऐसा विकास होता है। हम विधये से प्रयोजन तक पहुंचते हैं। यह संबंध के साथ शुरू होता है। हम जब जप करते हैं हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हम अपना खोया हुआ संबंध को पुनः जागृति, पुनः स्मरण, विस्मरण का स्मरण थे। जो हम भूलें थे। भगवान के साथ जो हमारे संबंध है उस की पुनः स्थापना हम अपने जीवन में करते हुए हरे कृष्ण हरे कृष्ण कहते हुए। हम आपके हैं मेरा हृदय आपकी तरफ आकृष्ट करो। हे राधे हे कृष्ण हम आपके हैं। अयि नंदतनुज किंकरम पतितं मां विषमये भ्वामबुधौ। चैतन्य प्रभु ने संबंध की बात कही है। मैं आपका किंकर हूं मतलब मैं आपका दास हूं। आप नंद के तनुज हो यह बात कृष्ण के संबंध में बात हो रही है। कृष्ण कैसे हैं नंद महाराज के पुत्र हैं। मैं उनका किंकर हूं। हम अपना संबंध भगवान के साथ स्थापित करते हैं और दुर्देव से पतितम मैं गिर चुका हूं, मेरा पतन हुआ है। पुनः मुझको उठाइए इस संसार के कीचड़ से और दलदल से, क्या क्या कहें और पुनः अपने चरणों की धूल बनाइए। अपने चरणों पर रखिए अपने चरणों की सेवा दीजिए प्रभु। हरि हरि। यही प्रार्थना है, आज हम प्रार्थना माताजी को मॉरीशस में मिले, मैं भी मिला और अभी भी सामने बैठे हैं और आपको भी उनसे मिलाया। उनसे मैं कह रहा था प्रार्थना करो तुम्हारा नाम प्रार्थना है हरे कृष्ण हरे कृष्ण जप भी प्रार्थना ही है। प्रार्थना करो। तो कैसे प्रार्थना करोगे? हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे कुछ निवेदन होता है, आशा है और कुछ अपेक्षा है। रघुनायका मांगडे हेची आता। यह मराठी में हो गया। भगवान मुझे दूर मत रखो, आपके पास में ले आओ। हमें अपने पास ले आओ। एक अपेक्षा और दूसरी उपेक्षा होती है। हरि हरि। तो हम जब जप करते हैं तो हम प्रार्थना करते हैं और प्रार्थना के साथ हम अपना संबंध पुनः स्थापित करते हैं भगवान के साथ। हम सभी भगवान के है। प्रार्थना के अंतर्गत मैं आपका दास हूं। मुझे सेवा में लगाइए। हरि हरि। हम जिसको भूल चुके हैं। माया हमको मोहित करती है, हमको भुलादेती है। हरि हरि। कुछ दिन पहले एक विषय पर कार्यक्रम पेश किया जा रहा था। संसार के लोगों के समक्ष बहुत बड़ा प्रश्न है। प्रश्न क्या था? क्या भगवान को मनुष्य ने बनाया है? मतलब भगवान वगेरा कोई चीज है नहीं। वैसे बस मनुष्य सोचता है भगवान भगवान यह कल्पना ही है तो किसने बनाया भगवान को। यह बहुत बड़ा प्रश्न है। महा मूर्खों का प्रश्न है। बीबीसी इसको प्रसारण कर रही थी। हरी हरी। भगवान पहले आए या मनुष्य पहले आया। भगवान ने हमको बनाया या हमने भगवान को बनाया। यह दुनिया या माया मनुष्य को इतना भुला देती है। इस संसार में ऐसे प्रश्न उत्तर चलते हैं।

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