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जप चर्चा 7 सितंबर 2020 पंढरपूर धाम जय श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभू नित्यानंद श्री अद्वैत गदाधर श्रीवास आदि गौर भक्त वृंद। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। परम विजयते श्री कृष्ण संकीर्तनम। 785 इतने स्थानों से वक्त हमारे साथ जप कर रहे हैं। हरि नाम प्रभु की जय...... हरि नाम प्रभु,स्वामी है नाम तथा नामि अभिन्न है नाम भगवान है नाम कृष्ण है इसीलिए हरीनाम प्रभु है जप करते समय हम हरिनाम प्रभु की सेवा करते हैं। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरिणाम प्रभु की सेवा ही हमारा उद्देश्य है जो हम इस झूम कॉन्फ्रेंस में जप करने वाले आप सभी भक्त इस उत्सव के ऑर्गेनाइजिंग टीम कहिए इतनी ही नहीं है और भी है लेकिन यह भी एक टीम है जीन के साथ स्वयं मैं जप करता हूं और फिर जप चर्चा भी होती हैं यह जो हमारी टीम हैं इस टीम को भी मैं जिम्मेदार समझता हूं विश्व हरिनाम उत्सव संपन्न होने जा रहा है यह सफल हुआ तो उसके लिए भी आप जिम्मेदार और यदि सफल नहीं हुआ तो भी आप ही जिम्मेदार रहोगे चाहे यश हो या अपयश हो आप आप ही जिम्मेदार होंगे आप आप चाहते हो क्या कदापि नहीं... *चेतोदर्पणमार्जनं भवमहादावाग्नि-निर्वापणं श्रेयः कैरवचन्द्रिकावितरणं विद्यावधूजीवनम्। आनन्दाम्बुधिवर्धनं प्रतिपदं पूर्णामृतास्वादनं सर्वात्मस्नपनं परं विजयते श्रीकृष्ण संकीर्तनम्॥1॥* अनुवाद:-श्रीकृष्ण-संकीर्तन की परम विजय हो, जो वर्षों से संचित मल से चित्त का मार्जन करने वाला तथा बारम्बार जन्म-मृत्यु रूप महादावानल को शान्त करने वाला है। यह संकीर्तन-यज्ञ मानवता का परम कल्याणकारी है क्योंकि यह मंगलरूपी चन्द्रिका का वितरण करता है। समस्त अप्राकृत विद्यारूपी वधु का यही जीवन है। यह आनन्द के समुद्र की वृद्धि करने वाला है और यह श्रीकृष्ण-नाम हमारे द्वारा नित्य वांछित पूर्णामृत का हमें आस्वादन कराता है। सर्वात्मस्नपनं परं विजयते श्रीकृष्ण संकीर्तनम् विजय ही निश्चित है किंतु हम सबको तैयारी भी करनी होंगी ऐसी तैयारी करनी होगी कि यह उत्सव सफल ही हो और कुछ नहीं हो यह उत्सव सफल ही हो आप सभी को जैसे आप अभी जप कर रहे हैं 851 स्थानों से आप जप कर रहे हो जप करने वालों की संख्या तो और अधिक होती हैं इतनी बड़ी हमारी तो टीम भी है अभी हमें कंधे को कंधा मिलाकर एक जुट होकर हमारी एक ही दृष्टि होनी चाहिए। एक ही लक्ष्य हम सब मिलकर एक दृष्टिकोण या एक लक्ष्य बना सकते हैं इस उद्देश्य के लिए भी आपके सुझाव का स्वागत है यह सिर्फ हरिनाम मिनिस्ट्री या या जो इस उत्सव योजना के लिए जुड़े हुए भक्त हैं उन्हीं के लिए नहीं यह हम सब मिलकर हमारा एक ही लक्ष्य हो इसी उद्देश्य से आप सभी को निवेदन किया जा रहा है कि थोड़ा दिमाग लगाओ और सोचो और ज्यादा सोचो कि हम इस उत्सव को किस तरह से और अच्छी तरह कैसे मना सकते हैं। वैसे इस उत्सव की तैयारियां भी हो रही है और उत्सव मनाया भी जा रहा है कई सारे रिपोर्ट आ रहे हैं यह जो भाग्यवान बनाने का वीडियो है मैं यह हरे कृष्ण महामंत्र विश्व महामारी मुक्तता के लिए समर्पित करता हूं ऐसा कह कर उनसे हरे कृष्ण महामंत्र बुलवाना है एक वीडियो बनाना है और वैसे वीडियो बनना शुरू हो चुका है हजारों वीडियो अभी तक बन चुके हैं हम तक रिपोर्ट पहुंच रहे हैं हमारे रेवती रमन प्रभु ठाणे से अभी उन्होंने रिपोर्ट दिया 500 वीडियो तैयार हैं और हम भेज रहे हैं ऐसे ही अन्य स्थानों से वीडियो भेजे जा रहे हैं अपलोड किए जा रहे हैं मतलब उत्सव प्रारंभ हो चुका है एक दृष्टि से ओ साथिया आप तैयारी भी कर रहे हो और बेंगलुरु में भी साख्यप्रेम से भी मैंने निवेदन किया था कि आप बेंगलुरु इस्कॉन मंदिरों को सूचित करो प्रेरित करो और उन्होंने यह कर भी लिया साथ ही उन्होंने कहा कि मैं बेंगलुरु ही नहीं हैदराबाद तक यह समाचार पहुंचा रहा हूं उतना ही नहीं साउथ इंडिया तक मेरा समाचार पहुंचेगा उनको भी मैं जगाउगा.... *जीव जागो, जीव जागो, गोराचाँद बोले। कत निद्रा जाओ माया-पिशाचीर कोले॥1॥* अनुवाद:-श्रीगौर सुन्दर कह रहे हैं- अरे जीव! जाग! सुप्त आत्माओ! जाग जाओ! कितनी देर तक मायारुपी पिशाची की गोद में सोओगे? जीव जागो, जीव जागो, गोराचाँद बोले इस प्रकार हमारे मायापुर के शिष्य उनकी भी कल बैठक हुई और इस चर्चा का विषय यही था कि हरिनाम उत्सव को किस तरह कैसे मनाया जाए मायापुर धाम की जय हम मायापुर वासी कैसे इस उत्सव को मना सकते हैं उस बैठक में मायापुर के शिष्यों ने इस विषय पर चर्चा की साथी श्याम कुंड को मैंने थाईलैंड में देखा तो उनको भी स्मरण दिलाया कि थाईलैंड का क्या होगा उसके बाद वह भी तैयारी कर रहे हैं थाईलैंड में साथी ऑस्ट्रेलिया में तैयारियां हो रही है ब्रिसमेन में पहला समाचार पहुंचा वहां से पहला समाचार हम तक पहुंचा सेनापति भक्त दास अधिकारी क्यों वहां के कीर्तन के अध्यक्ष है बाद में सिडनी के माधव सेवक प्रभु उन्होंने प्रतियोगिता करनी चाही होगी तो उन्होंने सिडनी में भी अपने मंदिरों के अध्यक्ष से बात की मेलबोर्न में प्रयास चल रहे हैं अब तक पूर्ण संपर्क नहीं हो पा रहा है मंदिरों के साथ उसी के साथ ऑस्ट्रेलिया में भी यह समाचार पहुंच रहा है सभी भक्त समुदाय तैयार हैं। परिणाम उत्सव को मनाने के लिए तो यह एक खुशी का समाचार है ब्रेकिंग न्यूज़ यह न्यूज़ है ना शुभ समाचार आज प्रातकाल आपको समाचार दे रहे हैं साथी हमारे साथ राम चंद्र प्रभु और दिव्य नाम प्रभु और अन्य भक्त भी हैं अमेरिका भी हमें जुड़ रहे हैं अमेरिका के भक्तों को और इस्कॉन की भक्तों को यह हरिनाम उत्सव मनाना ही होगा क्योंकि प्रभुपादजी इसी वक्त अमेरिका हरिनाम ले कर पोहोंचे थे क्योंकि प्रायेणाल्पायुषः सभ्य कलावस्मिन् युगे जनाः । मन्दाः सुमन्दमतयो मन्दभाग्या ह्युपद्रुताः श्रीमद्भागवत 1.1.10 अनुवाद:-हे विद्वान , कलि के इस लौह - युग में लोगों की आयु न्यून है । वे झगड़ालू , आलसी , पथभ्रष्ट , अभागे होते हैं तथा साथ ही साथ सदैव विचलित रहते हैं इस कलियुग के सभी लोग... मन्दाः सुमन्दमतयो आलसी होते है और साथ ही मति भी मंद है और इस कलयुग के लोगों को आसानी से गुमराह किया जा सकता है उनको आसानी से ठगा जा सकता है और उनको पता भी नहीं चलता कि उनको ठगाया जा रहा है इसलिए कहा है सुमन्दमतयो मन्दभाग्या भाग्य अभी मन्द हीं है अभागी,दुर्भाग्य है लोगों का दुर्दैव हैं दैव कैसा है दुर्दैव एक होता हैं सुदैव मतलब शुभदायक और दुर्दैव दुर्भाग्य इस कलियुग के लोग जो दुर्दैवी भी है और साथ ही अभागी भी है। ह्युपद्रुताः और साथी किसी ना किसी उपद्रव में फंसे रहते हैं कोई संकट है कोई उपद्रव है समस्याएं हैं ऐसा यह संसार है। मन्दाः सुमन्दमतयो मन्दभाग्या ह्युपद्रुताः ऐसे लोगों के कल्याण के लिए या पर दुख दुखी वह लोग दुखी है यह देखकर प्रभुपाद अमेरिका गए या अमेरिका पहुंचे प्रभुपाद कहां भी करते थे कि मैं तुम्हारे सौभाग्य का कारण हूं और जब शिष्यों ने पूछा हमने कोई पुण्य वगैर तो कमाया नहीं था हम तो पापी थे पर हमें यह कृष्ण भावना कैसे प्राप्त हुई ये हरिणाम हमें कैसे प्राप्त हुआ हम कैसे भक्त बने हमारी तो कोई पुण्य की पूंजी नहीं थी हमने पुण्य कभी कमाया नहीं था तब प्रभुपाद ने कहा कि मैं तुम्हारे सौभाग्य का कारण हूं श्रील प्रभुपाद अमेरिका पहुंचे 17 सितंबर 1965 को यह दिन भाग्योदय का दिन था संसार के भाग्य का उदय हुआ श्रील प्रभुपाद वहां प्रकट हुए ऐसे लोगों के कल्याण के लिए या पर दुख दुखी वह लोग दुखी है यह देखकर प्रभुपाद अमेरिका गए या अमेरिका पहुंचे प्रभुपाद कहां भी करते थे कि मैं तुम्हारे सौभाग्य का कारण हूं और जब शिष्यों ने पूछा हमने कोई पुण्य वगैर तो कमाया नहीं था हम तो पापी थे पर हमें यह कृष्ण भावना कैसे प्राप्त हुई ये हरिनाम हमें कैसे प्राप्त हुआ हम कैसे भक्त बने हमारी तो कोई पुण्य की पूंजी नहीं थी हमने पुण्य कभी कमाया नहीं था तब प्रभुपाद ने कहा कि मैं तुम्हारे सौभाग्य का कारण हु वो जलदूत बोट से गए और वहां प्रकट हुए न्यूयॉर्क उसी के साथ इस संसार के भाग्य का उदय हुआ है उसी दिन को हम मनाते हैं सुदीन वह भाग्य का दिन 17 सितंबर संसार के इतिहास में यह दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा 17 सितंबर 1965 या तब से यह परिवर्तन शुरू हुआ भावनाओं में चेतना में क्रांति या खलबली मचाई श्रील प्रभुपादजी ने चैतन्य महाप्रभु जी का आंदोलन वहां पहुंचा कर अपने गुरु महाराज जी के आदेश का पालन करते हुए उन्होंने कहा कि पाश्चात्य देश में जाकर अंग्रेजी भाषा में कृष्ण भावना का प्रचार करो या चैतन्य महाप्रभु की भविष्यवाणी को सच करो तब श्रीलप्रभुपाद पहुंच गए उसी के साथ अपने गुरु के आदेश का पालन भी हुआ उस दिन से संसार पुराना नहीं रहा जैसा था पहले वैसा नहीं रहा तब से नई शुरुआत हुई शुभ शुरुआत हुई मैंने पहले भी कहा था कि कलयुग के अंत की शुरुआत हो चुकी है। कलिकाल के विनाश की शुरुआत हुई 17 सितंबर 1965 से प्रभुपाद सेनापति भक्त थे संकीर्तन आर्मी के सेनापति भक्त थे चैतन्य महाप्रभु जी का प्रतिनिधित्व करते हुए श्रील प्रभुपाद अमेरिका न्यूयॉर्क पहुंचे तब पहले तो सेनापति पहुंचे और धीरे-धीरे सेना भी खड़ी कि प्रभुपादजी के शुरुआत और बाद में भी आए हुए शिष्य अमेरिका के लड़के या लड़कियां थे प्रभुपाद कहते थे आप सभी को मेरे गुरु महाराज जी ने भेजा है भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर महाराज मेरे गुरु महाराज जी ने आप सभी को भेजा है मुझ तक ऐसे प्रभपाद कहते थे। प्रभुपाद संकीर्तन के सेनापति भक्त थे बाद में सेनापति और सेना ने हमला शुरू किया टाइम बॉम्ब भी थे प्रभुपाद जी के ग्रंथ टाइम बॉम्ब्स है हम इस्कॉन में कहते हैं और साथ ही हरिराम के बॉम्ब उनकी भी वर्षा होने लगी प्रभुपादजी अक्षर शाह फुटपाथ पर बैठकर अकेले ही हरिनाम की वर्षा कर रहे थे हरिनाम बॉम्ब से अमेरिकन्स को घायल कर रहे थे साथ ही माया को भी घायल कर रहे थे यह जो अमेरिकन्स लोगो मे राक्षसी प्रवृत्ति है उसको निशाना बनाते हुए यह हरिनाम बॉम्ब्स फेके जा रहे थे और साथ ही धीरे-धीरे गुलाब जामुन भी आ गए हैं उन्हें हम इस्कॉन बुलेट कहते हैं साथ ही रविवारीय उत्सव भी प्रभुपादजी ने शुरू किया और प्रभुपाद जी उनको प्रसाद खिलाते रहे उसमें गुलाब जामुन भी खिलाते रहे उसी से कई भक्तों ने शरण ली हरिराम का आश्रय लिया धीरे-धीरे राधा गोविंद के भी विग्रह न्यूयॉर्क में ही पोहोंचे शुरुआत में प्रभुपाद जी जहां अपना कमरा है वही संकीर्तन करते रहते थे बाद में रस्तों पर संकीर्तन शुरू किया धीरे धीरे प्रभुपाद मैदान में उतरे वहां का टॉम स्किन स्क्वेयर पार्क वहां का प्रसिद्ध पार्क है वहां प्रभुपाद जी कुछ गिने-चुने अनुयायियों के साथ कीर्तन प्रारंभ किया वह एक ब्रेकिंग न्यूज़ बन गई और साथ ही न्यूयॉर्क टाइम्स में इसका समाचार छप गया की एक भारतीय वृद्ध संन्यासी हरे कृष्ण का संकीर्तन कर रहे हैं ऐसे समाचार फैलने लगे तब से आगे चार 6 महीने बीत गए होंगे उसके बाद प्रभुपाद जी ने इस्कॉन का रजिस्ट्रेशन किया उस रजिस्ट्रेशन के दिन को भी हम उत्सव की तरह मनाते हैं एक बार प्रभुपादजी एक पार्क में एक व्यक्ति के साथ बैठे थे एक अमेरिकन व्यक्ति बैठा था उनके साथ चर्चा करते समय प्रभुपादजी ने कहा हां हमारे पास मंदिर है बहुत सारे मंदिर है मेरे ग्रंथों का वितरण हो रहा है प्रभुपादजी त्रिकालग्य हैं साथ ही प्रभुपाद जी ने इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस ऐसा नाम बड़ा संघटन उसका रजिस्ट्रेशन तो किया पर पर यह मंदिर एक किराए के छोटे से मकान में था 26 सेकंड एवेन्यू ऐसा उस स्थान का पता है यह तो एक किराए का छोटा सा मकान था पर प्रभुपाद जी ने अपने संगठन को नाम दिया इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस जो व्यक्ति उनके साथ बैठे थे उनको वह बता रहे थे कि हमारे मंदिर सर्वत्र है सर्वत्र ग्रंथों का वितरण हो रहा है सभी इधर संकीर्तन हो रहा है सर्वत्र प्रचार होइबे मोर नाम उसके कुछ दिनों के बाद प्रभुपाद जी अपने कुछ अनुयायियों के साथ में बैठे थे और उन्होंने उनसे कहा कि हमने यह अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ की स्थापना की है उसके बाद हमें इसको सर्वत्र फैलाना है क्या आप मेरी सहायता कर सकते हो हम सब मिलकर इस को सभी इधर फैला सकते हैं पर आपको थोड़ा गंभीर होना पड़ेगा आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा तब वहां पर जो अनुयाई बैठे थे उन्होंने कहा क्या नियम है प्रभुपाद जी ने अभी तक उन नियमों का उल्लेख नहीं किया था तब प्रभुपादजी ने कहा आपको 4 नियमों का पालन करना होगा आप कीर्तन तो कर ही रहे हो और आपको 4 नियमों का पालन भी करना ही होगा तब अनुयायियों ने कहा कि कौन से हैं कौन से 4 नियम हैं बताइए प्रभात जी ने कहा मांसाहार नहीं, नशा पान नहीं,अवैध स्त्री संघ नहीं, जुगार नहीं खेलना क्या आप तयार हो तो वहां जो उपस्थित अमेरिकन लड़के और लड़कियां थी तो सभी ने कहा कि हां हम तैयार हैं हां हम तैयार हैं आपका साथ देने के लिए हम तैयार हैं इन नियमों का पालन करेंगे उसके बाद वहां से ऐसे भक्त प्रकट हुए जो मांस भक्षण नहीं करेंगे नशा पान नहीं करेंगे अवैध स्त्रीसंग नहीं करेंगे जुगार नहीं खेलेंगे ऐसा संकल्प जब लिया वहीं से शुरुआत हुई कली को परास्त करने की उसी दिन से शुरुआत हुई कलीका अड्डा गले का स्थान चार स्थान दिए थे परीक्षित महाराज जी ने कली को ये वो स्थान है। जब इन अमेरिकन लड़कों और लड़कियों ने ऐसा संकल्प लिया तब हम इन 4 नियमों का पालन करेंगे क्योंकि उन्होंने जप,कीर्तन, उन्होंने प्रसाद ग्रहण किया था श्रील प्रभुपाद जी से कथा भागवत सुना था उसी के कारण उन्हें उच्च स्वाद का अनुभव हुआ था.. *“विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः | रसवर्जं रसोऽप्यस्य परं दृष्ट्वा निवर्तते ||”* भगवद्गीता2.59 अनुवाद:- देहधारी जीव इन्द्रियभोग से भले ही निवृत्त हो जाय पर उसमें इन्द्रियभोगों की इच्छा बनी रहती है | लेकिन उत्तम रस के अनुभव होने से ऐसे कार्यों को बन्द करने पर वह भक्ति में स्थिर हो जाता है | परं दृष्ट्वा निवर्ततेजब कृष्ण भावना का स्वाद ऊंचा स्वाद कृष्ण का स्वाद कृष्ण स्वादिष्ट, मधुर है कृष्ण के नाम, गुण,रूप,लीला,धाम का माधुर्य है इसका जब जीव आस्वादन करता है तब जब व्यक्ति बड़ी आसानी से जो नीच स्वाद है उसको आसानी से ठुकरा सकता है ऐसे शुरुआत हुई प्रभुपादजी अमेरिका पहुंचे और ऐसा प्रचार शुरू हुआ संसार के भाग्य के उदय का प्रारंभ हुआ हम सारे संसार को उस शुभ स्थिति शुभ दिन जब प्रभुपादजी अमेरिका पोहोंचे उस का स्मरण दिलाना चाहते हैं ऐसे ही श्रील प्रभुपाद जी का गौरव गाथा सारे संसार को सुनाना चाहते हैं। उसी के साथ प्रभुपादजी का सत्कार सन्मान पूरी दुनिया करें और साथ ही उन्होंने जो हरीनाम कि हमें भेट दि है और इसी के साथ प्रभुपादजी कहते थे चांट हरे कृष्ण एंड बी हैप्पी प्रभु का नाम लो और सुखी हो जाओ यह वाक्य प्रभुपाद जी बड़े गर्व के साथ कहते थे जो अमेरिका में हिप्पी थे वो हैप्पी बन गए या फिर अलग-अलग जो नंगे बाबा बन रहे थे वो बन गए हैप्पी कीसने बनाया उनको हैप्पी प्रभुपाद जी ने उनको हैप्पी बनाया प्रभुपाद जी ने दी हुई भेंट.... हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे इस महामंत्र ने उनको बनाया हैप्पी यह कार्य श्रील प्रभुपाद जी प्रारंभ किए अपने जीवन काल में या अपने संस्था के स्थापना के उपरांत आखरी सांस तक इसी प्रकार हम सब पर उनके उपकार है इस उपकार से मुक्त होने के लिए हम प्रयास कर सकते हैं प्रभुपाद कहां करते थे आप वैसे करो जैसे मैंने किया जो कार्य किया कृष्ण भावना के प्रचार प्रसार का इस कार्य को जारी रखो और उसे आगे बढ़ाओ ऐसे अगर हम करेंगे तो ऋण से कुछ मुक्त होने का प्रयास हम कर सकते हैं। तो ठीक है आप आइए हरिनाम उत्सव जो हैं उसमें हिस्सा लीजिए आज की 7 तारीख है आज से सिर्फ 10 दिन बाकी है। मिनिस्ट्री की ओर से तो सारे विज्ञापन की तैयारियां हो रही है और साथी चल रही है और आपको साथ ही इनकी सारी सूचनाएं भी दी जा चुकी है इसे कैसे करना है क्या करना है आपको सभी समाचार में मिले ही रहे हैं और साथ ही जैसे-जैसे और अधिक समाचार आएंगे तो मिनिस्ट्री की ओर से आपको उसे भी बताया जाएगा आपको यदि सारी जानकारी का पता लगाना है तो इंडिया में जैसे माधुरी गौरी माताजी सभी देखती हैं आप उनके साथ भी संपर्क कर सकते हो या हमारी वेबसाइट भी है इसी के साथ लोकसंघ व्हाट्सएप ग्रुप में भी इसके सूचनाएं दी जाती है और अधिक विज्ञापन की जानकारियां तैयार है हम उनकी भी सूचना आपको देंगे आप सब तैयार रही है। ठीक है अभी चाट बॉक्स ओपन हो चुका है यदि आपका कोई प्रश्न है या कोई सुझाव है साथी आप क्या-क्या योजनाएं बना चुके हो आपने कितने वीडियो बनाए हैं आप इसमें लिख सकते हैं अभी चाट सेशन ओपन हो चुका है कुछ समय के लिए इसमें आपको लिखना है कि आप क्या क्या करने वाले हो या कर चुके हो कोई प्रश्न सुझाव सब लिख सकते हैं अभी आपको छूट मिल गई है जब जप कर रहे थे तब आप कुछ लिख रहे थे वो समय नहीं था लिखने का लेकिन अब तो समय है इसी के साथ आप का कीर्तन मिनिस्ट्री और मिनिस्टर के साथ में चर्चा होती रहती है और होनी भी चाहिए अंतर नही होना चाहिए कम्युनिकेशन से ही होता है को ऑपरेशन जब वार्तालाप होंगा तब योगदान होगा यही संभव है। ठीक है हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

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