Hindi
हरे कृष्ण।
जप चर्चा,
पंढरपुर धाम से,
31 दिसंबर 2020
गौर प्रेमानंदे हरि हरि बोल..!
जय गोपाल राधे आपने गीता का वितरण किया? (उपस्थित भक्त से प. पु. लोकनाथ स्वामी महाराज ने पुछा
हरे कृष्ण...!
हरि बोल...!
आज 772 स्थानो सेंअभिभावक जप कर रहे हैं।आप सभी जीवो का स्वागत हैं।जीवधर्म! जीव का धर्म समझने के लिए आप सभी जो एकत्रित हो उन सभी उपस्थित जिवो का स्वागत है,या धर्म को समझने के लिए भगवत गीता को समझना ही धर्म को समझना हैं। जीव के धर्म को...
*धर्मं तु साक्षाद्भगवत्प्रणीतं न वै विदुरृषयो नापि देवाः ।
न सिद्धमुख्या असुरा मनुष्याः कुतो नु विद्याधरचारणादय:।।
(श्रीमद भागवतम 6.3.19)
अनुवाद: - असली धार्मिक सिद्धांतों का निर्माण पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान द्वारा किया जाता हैं। पूर्णतया सतोगुणी महान ऋषि तक भी, जो सर्वोच्च लोकों में स्थान पाए हुए हैं, वे भी असली धार्मिक सिद्धांतों को सुनिश्चित नहीं कर सकते,न ही देवतागण, न सिध्दलोक के नामक ही कर सकते हैं, तो असुरों, सामान्य मनुष्यों, विद्याधरों तथा चरणों की कौन कहे?
धर्मं तु साक्षाद्भगवत्प्रणीतं भागवत में कहा हैं।भगवान ने दिया हुआ वचन नियमावली यह धर्म हैं। गीता धर्म हैं। धर्म शास्त्र है,जो भगवान ने दिया। हरी हरी! आपके लिए दिया। वैसे इस धर्म को आप समझ भी रहे हो! प्रतिदिन हम कुछ चर्चा कर रहे हैं।हरि हरि!
गीता जयंती, गीता मैराथन का समय है और आप वितरण भी कर रहे हो इस धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हो आप। हरि बोल...!कल आप में से कितने सारे भक्त अपने-अपने अनुभव सुना रहे थे, मुझे बहुत अच्छा लगा आपको भी लगा होगा। कभी-कभी ऐसा कहते हैं कि म्यूजिक टू माय इयर्स(मेरे कानों में संगीत)। आप अपने अनुभव सुना रहे थे वह भी गीत था,वह भी गीता थी, संगीत था। वह सुनकर हम प्रसन्न थे, जाने आप प्रसन्न हुए कि नहीं। विजय आप प्रसन्न हुए?(उपस्थित भक्त से प. पु. लोकनाथ स्वामी महाराज ने पुछा)कुछ भक्तों के अनुभव सुनके। जैसे आप मैदान में उतरे हो कई भक्त कई माताएँ दिन भर पूरा दिन घर-घर जा रही है ,या रेलवे स्टेशन जा रही है यहां जा रही वहां जा रही है, फैक्ट्री(कारखाना) में जा रही है और कारखाने का मालिक पहले इच्छुक नहीं था बाद में इच्छुक हो गया। हमारे प्रचारक उदयपुर की माताजी बता रही थी उन्हें समझाने पर कारखाने का मालिक भी समझ गया इसका महत्व और गीता लिया और उसने अपने कारखाने के मजदूरों को बुलाया और माताजी ने कुछ उपदेश सुनाया उन सब को, क्या वह उपदेश वैसा ही नहीं था क्या जो स्वयं भगवान कुरूक्षेत्र के मैदान में कृष्ण उपदेश दे रहे थे अर्जुन को, यह वैसाही दृश्य था। जब हमारी माता जी कारखाने में जाती है तो वह कारखाने के मजदूरों को संबोधित कर रहीं हैं। गीता का महिमा सुना रही है,या कृष्ण की बातें सुना रही है,ये चर्चा ये संवाद,ये संबोधन वैसा ही है जैसा कृष्ण ने अर्जुन को संबोधित किया। हरि हरि! लोग क्या क्या बाटते नहीं, क्या क्या बेचते नहीं।विक्री तो सर्वत्र चलती रहती हैं। व्यापार में सारी दुनिया व्यस्त हैं। कोई शराब बेचता है तो कोई क्या बेचता हैं,क्या क्या नहीं बेचता हैं। लेकिन हमारे प्रचारक अंतर्राष्ट्रीय श्री कृष्ण भावनामृत संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले आप सभी गीता के प्रचारक, गीता के वितरक आप गीता का वितरण कर रहे हो। हो सकता है कोई बाहर घर-घर जाकर अखबार का वितरण करता है,समाचार पहुंचाता हैं। उसको मैं कहता हूँ कली पुराण! कली का पुराण। अखबार क्या होते हैं? कालि का पुराण हैँ।
कलेर्दोषनिधे राजन्नस्ति ह्येको महान्गुणः ।
कीर्तनादेव कृष्णस्य मुक्तसङ्गः परं व्रजेत् ॥
(श्रीमद्भागवतम् 12.3.51)
हे राजन् , यद्यपि कलियुग दोषों का सागर है फिर भी इस युग में एक अच्छा गुण है केवल हरे कृष्ण महामंत्र का कीर्तन करने से मनुष्य भवबन्धन से मुक्त हो जाता है और दिव्य धाम को प्राप्त होता है ।
कली तो दोषों का भंडार हैं। कलिकाल में दोष ही दोष हैं। दोषपूर्ण र्दोषनिधे संसार में जो दोष है, उसी का प्रचार और प्रसार होता हैं। उसी को लिखा जाता हैं। हरि हरि! मास भक्षण की बातें है, या कुछ मद्यपान की बातें, व्यभिचार की बातें, जुगाड़ की बातें यही तो कलयुग है कलयुग का मतलब यह सब हैं। कलयुग में क्या होगा
1.17.38
सूत उवाच
अभ्यर्थितस्तदा तस्मै स्थानानि कलये ददौ ।
द्यूतं पानं स्त्रियः सूना यत्राधर्मश्चतुर्विधः ॥
(श्रीमद्भागवतम् 1.17.38)
अनुवाद:-सूत गोस्वामी ने कहा : कलियुग द्वारा इस प्रकार याचना किये जाने पर महाराज परीक्षित ने उसे ऐसे स्थानों में रहने की अनुमति दे दी , जहाँ जुआ खेलना , शराब पीना , वेश्यावृत्ति तथा पशु - वध होते हों ।
यत्राधर्मश्चतुर्विधः जहा अधार्मिक कृत्य होते हैं वह होता है कलयुग। कोन से चार अधार्मिक कृत्य हैं? एक पांचवा भी है, बताएंगे आपको द्यूतं पानं स्त्रियः सूना द्यूतं है,मांस भक्षण हैं। मांस भक्षण जहां होता है वहा है कली, या नशा पांन होता है वहां है कली, व्यभिचार जहां होता है वहां है कली। यह सारा जब बॉलीवुड, हॉलीवुड यह सब कली के अड्डे हैं।यहा कामवासना का प्रदर्शन होता हैं।
श्री भगवानुवाच
काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।
महाशनो महापाप्मा विद्धयेनमिह वैरिणम् ||
(श्रीमद्भगवद्गीता 3.37)
अनुवाद:-श्रीभगवान् ने कहा – हे अर्जुन! इसका कारण रजोगुण के सम्पर्क से उत्पन्न काम है, जो बाद में क्रोध का रूप धारण करता है और जो इस संसार का सर्वभक्षी पापी शत्रु है |
कृष्ण ने कहा वही मैंने कहा हम पाप क्यों करते हैं?
अर्जुन उवाच
अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पुरुषः |
अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजितः ||
(श्रीमद्भगवद्गीता 3.36)
अनुवाद:-अर्जुन ने कहा – हे वृष्णिवंशी! मनुष्य न चाहते हुए भी पापकर्मों के लिए प्रेरित क्यों होता है? ऐसा लगता है कि उसे बलपूर्वक उनमें लगाया जा रहा हो |
तो कृष्ण ने कहा काम एष क्रोध एष हे अर्जुन!हम जो पाप करते हैं या सारा संसार पापियों से भरा हैं पापी यो को नामी कहते हैं।यह पापी है तो इसका नाम है। पापियों में नामी काम एष क्रोध एष काम को कलयुग में बहुत बड़ा अड्डा है यह फिल्म इंडस्ट्री (फिल्म, चलचित्र उद्दोग),मूवी इस में दो बातों का प्रदर्शन होता हैं काम, क्रोध यह तमाशा हम देखते रहते हैं।कलीयुग वहा हैं।बहुत बडा अड्डा है ये।यह फिल्म उद्योग, मुवी हम अपने घर को ही सिनेमाघर कहते हैं। नंगा नाच हो रहा है, अभिनेताओं का हमारे घर में ही कुद-नाच रहे हैं और हम लोग सारा खेल देख रहे है,उससे प्रभावित हो रहे हैं और फिर हम भी हो रहे कामी और क्रोधी। यह समाचार यह तो अखबारों में छपे जाते हैं।कली का जो जो धंधा है, कली के जो जो कार्यकलाप है,या कली जो पाप करवाता है दुनिया भर के लोगों से,या संसार भर के लोगों से भोग करवाता हैं। भोग की वासना को बढ़ाता है और फिर भोग से होते हैं रोग। रोग का समाचार वही है फलाना वायरस आ गया उसका समाचार इंग्लैंड में यह हो रहा है कोरोना वायरस का तो खेल चलता ही रहा। अब उसके नये प्रकार ने जन्म लिया और अब वह फैल रहा हैं। वह भयानक स्थिति उत्पन्न कर रहा हैं,आफ्रिका में,इंग्लंड में,अमेरिका में नया कोरोना वायरस पाया गया यह समाचार हैं। का वार्ता? महाभारत में पुछा गया,का वार्ता?क्या समाचार है,तो उत्तर में कहा गया कि समाचार क्या हैं। संसार में माया का सारा समाचार हैं। कलयुग में कली का सारा समाचार हैं।हरि हरि!
यह सारे समाचार संसार भर के छापे जाते हैं पहले तो केवल छापे जाते थे अखबार ही हुआ करते थे। इसको प्रिंट मिडिया करते हैं और अभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आ गया। यह जबरदस्त मीडिया है रेडियो, टेलीविजन और फीर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया यह मंच बनाता है और सारे संसार भर में समाचार फैलाया जाता हैं। मैं तो कली पुराण की बात कह रहा था। हर घर अखबार पहुंचाया जाता है न्यूज़पेपर (अखबार)पहुंचाए जाते हैं। हरि हरि!
एक दिन यह भी कहा गया था कि न्युयॉर्क टाइम छपने के लिए रविवार का जो अँडिशन (वृद्धि पत्र) रहता है, उसे छपाने के लिए कितने कागज का उपयोग होता है उतने कागज के लिए कई सारे एकड़ भूमि में उगे हुए जो वृक्ष है उनको कटना पड़ता हैं।वनोन्मूलन होता हैं।हरि हरि!
उससे बड़ा नुकसान होता हैं संसार का। पृथ्वी के बहुत सारे पेड़ काटे जाते है, फिर उससे बनता है कागज और कागज से बनता है अखबार, फिर उस पर न्यूज़(समाचार) छपाई जाती हैं। अखबार में क्या छापे जाते है? कली पुराण और फिर घर-घर भेजें जातें हैं। प्रातः काल में लोग ब्रह्म मुहूर्त में कुछ लोग भगवान के दर्शन के बजाय दूरदर्शन या टेलीविजन देख रहे है, या अखबार की प्रतीक्षा कर रहे हैं। न्यूज़पेपर क्यों नहीं आया और कुछ चाय भी पी रहे है,या शराब पी रहे हैं। लेकिन वह शराब मीठी जब तक नहीं लगती जब तक साथ में संसार की खबरें भी नहीं पढ़ते।अखबार में तो लोग पढ़ रहे हैं वैसे जहर ही पी रहे हैं पढ़ना मतलब जहर का पान हो रहा है, और साथ में शराब भी पी रहे है,या कॉफी या चाय पी रहे हैं।कुछ लोग धूम्रपान कर रहे है,और पेपर पढ़ रहे हैं। ऐसा जीवन तो कली पुराण कि बात है, अखबार जो पहुंचाते हैं हर घर घर। हमारे प्रचारक कितना इससे विपरीत हैं। आप जो गीता मैराथान के समय, गीता जयंती के समय भगवान का संदेश लेकर घर घर जा रहे हो।
पदार्थाः संस्थिता भूमौ बीजहीनास्तुषा यथा ।
विप्रैर्भागवतीवार्त्ता गेहे गेहे जने जने ॥
(पद्म पुराण 6.193.73)
गेहे गेहे जने जने ऐसे नारद जी ने कहा भक्ति देवी को कहा यह बात पद्मपुराण में आती है नारद मुनि ने कहा कि "हे भक्ति देवी! मैं तुम्हारा प्रचार करूंगा! मैं भक्ति का प्रचार करूंगा!" और भक्ति के प्रचार के अंतर्गत यह भक्ति है और भक्ति के साथ ज्ञान का प्रचार भी होगा और वैराग्य का प्रचार होगा। यह भक्ति का परिवार हैं।भक्ति देवी के परिवार में भक्ति देवी है और भक्ति के दो पुत्र हैं एक पुत्र का नाम है ज्ञान और और दूसरा पुत्र है वैराग्य। नारद मुनि भक्ति देवी से ही कहा "हे भक्ति देवी मैं प्रचार करूंगा भक्ति का ज्ञान का वैराग्य का मै प्रचार करूँगा" कहां-कहां तक मै प्रचार करूंगा। गेहे गेहे जने जने गेहे गेहे मतलब मैं घर घर पहुंच जाऊंगा जने जने हर व्यक्ति तक हे भक्ति देवी तुम्हारा प्रचार करूंगा तो मैं सोच रहा था वैसे एक संकल्प लिया था नारद जी ने मैं तुम्हारा प्रचार करूंगा भक्ति का प्रचार करूंगा तो आप जो गीता का प्रचार कर रहे हो और आप सब भगवान और नारद मुनि कि कृपा से इस परंपरा से जुड़े हो। हमारी परंपरा इस्कॉन की परंपरा क्या है? ब्रह्म नारद मध्व गौड़ीय वैष्णव आप बन रहे हो, तो वैसे कृष्ण भी है कृष्ण ब्रह्म के पुत्र नारद ब्रह्म के मानसिक पुत्र नारद और वे शिष्य भी है ब्रह्म के नारदजी ब्रह्मा के शिष्य भी है पुत्र भी हैं। उन्होंने लिया था संकल्प और उस संकल्प को श्रील प्रभुपाद पूरा कर रहे हैं। नारद मुनि जब संकल्प ले रहे थे तो उसमें यह भी वर्णन हो रहा हैं।कि भक्ति देवी मैं तुम्हारा प्रचार विदेश में पहुंच जाऊंगा। श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर ने श्रील प्रभुपाद को आदेश दिया जाओ जाकर पाश्चात्य देशों में भगवद गीता ,भागवत का प्रचार प्रसार करो। मानो की भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर को यह याद आ गया कि नारद जी ने ऐसा संकल्प लिया था ,कहा था कि, भक्ति का प्रचार सर्वत्र होगा ,विदेशों में होगा। भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर का यह आदेश था कि अंग्रेजी भाषा में प्रचार करो। श्रील प्रभुपाद पहुंच गए, जाने की पूर्व तैयारी हुई। श्रील प्रभुपाद सोच रहे थे मुझे अंग्रेजी भाषा में प्रचार करना है इसलिए मेरे साथ अंग्रेजी भाषा के ग्रंथ होने चाहिए। उन्होंने ग्रंथों का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किया और अपने साथ लेकर गए ।उस जलदूत के जो कप्तान थे उन्हें भी अपने ग्रंथ वितरित किए ।वहां पहुंचने पर श्रील प्रभुपाद इस आंदोलन का अकेले ही प्रचार कर रहे थे, और अकेले ही ग्रंथों का वितरण भी करते थे ।बीबीटी की भी स्थापना हुई।
भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर ने आदेश दिया तुम अंग्रेजी भाषा में प्रचार करो और फिर श्रील प्रभुपाद ने अपने शिष्यों को आदेश दिया कि मेरे ग्रंथों को अधिक से अधिक भाषाओं में अनुवाद करो और यह अधिक से अधिक होते-होते अब 70 से 80 भाषाओं में अनुवाद हो रहा है। हरि हरि ।चाइनीस में भी हो रहा है। भगिनी तुम्हारे भाई बहन जो चाइना में है या जो अफ्रीका में है यह सब व्यस्त हैं ग्रंथ वितरण में, ऐसा नहीं सोचना कि केवल आप ही की टीम को प्रेरित किया जा रहा है ।ऐसा प्रचार तो विश्वरूप में हो रहा है ।अगर आप विश्वरूप देख सकते हो तो आप देखते कि कैनाडा, साउथ अफ्रीका में भी ग्रंथ वितरण हो रहा है ।जैसा कृष्ण ने विराट रूप दिखाया ग्यारवे अध्याय में। वैसे अगर हम देख सकते तोह देखते। ऐसे तो कुछ देख भी सकते हैं अब ऐसी व्यवस्था है कि ग्रंथ वितरण मिनिस्ट्री ऑडियो या वीडियो भेजती है कि कैसे ग्रंथ वितरण हो रहा है ।कुछ दिन पहले एक कॉन्फ्रेंस हो रही थी कि कैसे जो बड़े-बड़े ग्रंथ वितरण करता हैं वे ग्रंथ वितरण कर रहे हैं। सर्वत्र ग्रंथ वितरण हो रहा है ।कल आप भी अपना अनुभव सुना रहे थे मैं बहुत प्रसन्न था जैसे किसी ने कहा कि 5:00 बजे तक एक भी गीता का वितरण नहीं हुआ था तो उन्होंने श्रील प्रभुपाद को प्रार्थना की और कुछ ही देर में 10 से 20 भगवत गीता वितरण हो गई ।आपके सारे प्रयास सराहनीय है ,प्रशंसनीय है। आपको क्या लगता है कि आपके अनुभव देखकर सुनकर हम प्रसन्न थे तो भगवान पसंद होंगे कि नहीं?
तो आप ऐसा कार्य कर रहे हो जिससे भगवान अति प्रसन्न है। जब आप हमें अपने अनुभव सुनाते हैं आपके प्रयास और प्रयत्न सुनाते हैं तभी हमको पता चलता है रिपोर्ट के द्वारा ।
पर भगवान को आपके गीता वितरण का समाचार कब मिला होगा? जब आप सुबह निकले ग्रंथ वितरण पर तो क्या शाम को जाकर समाचार मिला होगा ?आप क्या सोचते हैं ?भगवान को आपके ग्रंथ वितरण का समाचार उसी क्षण मिला जब आप ग्रंथ लेकर निकले।
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन।
भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन।।
(श्रीमद्भगवद्गीता 7.26)
अनुवाद: -हे अर्जुन! श्री भगवान होने के नाते मैं जो कुछ भूतकाल में घटित हो चुका है,जो वर्तमान में घटित हो रहा है और जो आगे होने वाला है, वह सब कुछ जानता हूं। मैं समस्त जीवो को भी जानता हूंँ,किंतु मुझे कोई नहीं जानता।
तो पग पग पर भगवान आपका प्रयास देख रहे हैं वह आपके साथ है।
इसलिए कृष्ण कितना जानते हैं? वह हम इस श्लोक को आपने याद किया? मैं कभी कभी कहता हूं की श्लोक याद करिए।
(वेदहं )क्या-क्या जानते हैं भगवान? कहते हैं मैं जानकार हूं ।
भूतानि भगवान सब जीवो के बारे में जानते हैं। उनके भूतकाल के बारे में जो भला बुरा उन्होंने किया। वर्तमान में जो वह कर रहे हैं। और भविष्य को भी भगवान जानते हैं। तो ऐसे श्री कृष्ण आपके पास हैं। भगवान हमारे संबंध की हर बात को कैसे जानते होंगे? ध्यान से सुनिए, इसका एक कारण है कि भगवान सर्वत्र हैं इसीलिए सर्वज्ञ हैं।
यतो ययो यामी ततो नरसिंह
बाहिर नरसिंह, हृदये नरसिंह
(नरसिंह आरती)
जहां जहां मैं जाता हूं वहां वहां हे नरसिंह देव आप हैं। इस प्रार्थना में नरसिंह भगवान का स्मरण है। कृष्ण बन जाते हैं नरसिंह देव। भक्ति विघ्नविनाशक श्री नरसिंह देव। तो कृष्ण सर्वत्र हैं, राम सर्वत्र हैं। तो कृष्ण से हम अलग हो ही नहीं सकते। भगवान स्वयं कहते हैं कि मैं साक्षी हूं। अजामिल के प्रसंग में छःट्टे स्कंध के पहले दूसरे और तीसरे अध्याय में वहां पर एक सूची है कि कौन-कौन साक्षी होते हैं। हमने पाप किया पुण्य किया और उसके साक्षी कौन है? हम देखते हैं कि हमें कोई नहीं देख रहा तो हम पाप करते हैं, परंतु हवा, रात, दिन और भी तेरह अन्य वह साक्षी हैं।तो कोई मनुष्य तो नहीं देख रहा है परंतु रात्रि को साक्षी कहा गया है। रात्रि सूचना देती रहती है यमराज को। ऐसी व्यवस्था है ।सीसीटीवी जैसी
*कृष्ण कह रहे है
रसोहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययो:।
प्रणव: सर्ववेदेषु शब्द: के पौरुषं नृषु।।
(भगवद गीता अध्याय 7 श्लोक 8)
अनुवाद: -हे कुंतीपुत्र मैं जल का स्वाद हूंँ, सूर्य तथा चंद्रमा का प्रकाश हूँ, वैदिक मंत्रों में ओंकार हूंँ, आकाश में ध्वनि हूंँ तथा मनुष्य में सामर्थ्य हूंँ।
तो है चोरों ,हे पापियों सावधान!भागवतम से सूची नोट करो । आप सभी का जो प्रयास हो रहा है, गीता के ज्ञान का प्रचार प्रसार आप कर राजे हैं ,आप कृष्ण के प्रतिनिधित्व कर रहे हैम। आप गौड़ीय वैष्णव परंपरा के प्रतिनिधि बनकर आप गीता का वितरण कर रहे हो ।आप कृष्ण के पक्ष के बन रहे हो ।
पांडू पुत्रों की विजय निश्चित है उनके पक्ष में जनार्दन हैं। तो आप जब गीता के वितरण में जुटे हो तब आपने कृष्ण के पक्ष के बन गए हो किया ,इसलिए आपि जीत होगी,और जीत किसको कहेंगे ?
“जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वतः |
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन || भगवद गीता अद्याय ४.९ ||”
अनुवाद
हे अर्जुन! जो मेरे अविर्भाव तथा कर्मों की दिव्य प्रकृति को जानता है, वह इस शरीर को छोड़ने पर इस भौतिक संसार में पुनः जन्म नहीं लेता, अपितु मेरे सनातन धाम को प्राप्त होता है |
पुनः जन्म नहीं और फिर भगवद धाम लौटने को जीत कहेंगे। लॉटरी निकली यह सब बकवास है यह कोई जीत नहीं
यत्र योगेश्र्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः |
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवो नीतिर्मतिर्मम || भगवद गीता १८.७८ ||
जहाँ योगेश्र्वर कृष्ण है और जहाँ परम धनुर्धर अर्जुन हैं, वहीँ ऐश्र्वर्य, विजय, अलौकिक शक्ति तथा नीति भी निश्चित रूप से रहती है | ऐसा मेरा मत है |
गीता हमें बताती है कि जीत किसे कहते हैं ?
आप की विजय हो ।लगे रहो ।भगवद गीता पढ़ो, वितरण करो ,और हरे कृष्ण जप करो । इसे नए साल के संदेश के रूप में स्वीकार कर सकते हो ।आप सब को अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ की ओर से नए साल की शुभेच्छा ।
आपकी जय हो।गौर प्रेमानंदे हरि हरि बोल