Hindi

2.5.2019 575 - 576 भक्त आज साथ में जप कर रहे हैं अर्थात् हमारे से जुड़े हैं, धीरे – धीरे अपनी हम मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं, मेरे प्यारे भक्तों, मेरे प्यारे साथियों भक्ति का प्रयास जारी रखो। प्रह्लाद महाराज अपने साथियों को कहते हैं कि आप अभी इसी समय से भगवान का नाम लेना तथा जप करना आरम्भ कर दो जबकि प्रह्लाद महाराज तथा उनके मित्र बच्चे थे फिर भी वह कहते हैं कि मित्रों यही समय हैं हमें अपनी बाल्यावस्था में ही कृष्ण भक्ति को अपनाना चाहिए। हमें हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना चाहिए और इस प्रचार का लाभ हमारी संस्कृति में होता रहा हैं। मैं देख रहा हूँ कि आप अपने खुद के बच्चों से जप करवा रहें हैं, दूसरे बच्चों से भी जप करवा रहें हैं तथा भिन्न-भिन्न प्रकार से सभी को अपने साथ जोड़ रहें हैं। मैं आप के इस प्रयास की सराहना करता हूँ। आप सभी अपने – अपने प्रयास जारी रखें। रेणु गोपाल प्रभु नागपुर में बच्चों के साथ जप कर रहे हैं। पंचाली सखी माताजी अपनी बेटी जिसकी आयु केवल 10 वर्ष हैं, के साथ हर रोज आठ माला का जप करती हैं। मुझे यह देखकर बहुत अच्छा लगता हैं। आज पंढरपुर के गुरुकुल में छोटे–छोटे बच्चों को जप करते हुए देखा तो बहुत अच्छा लगा। आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि पंढरपुर में गुरुकुल खुला है जहाँ आप अपने बच्चों को भेज सकते हो। मैंने गुरुकुल में देखा कि बहुत सारे बच्चे माला झोली लेकर जप कर रहे थे। नागपुर में भी समर कैम्प चलाया जा रहा था, जो बहुत ही अद्भुत लगा। 30-40 बच्चों का समर कैम्प चलाया गया था जो बहुत ही अच्छा रहा। मेरे सभी प्रचार क्षेत्रों में समर कैम्प चलाए जा रहें हैं अगर आपके क्षेत्र में समर कैम्प नहीं लगा तो इस वर्ष तैयारी करो और समर कैम्प लगाओ। अमरावती क्षेत्र में जयप्रद माताजी ने बाल वैष्णव पद-यात्रा का आयोजन किया जो बहुत ही सफल रहा। मैं उन सभी छोटे-छोटे बालक – बालिकाओं को बधाई देता हूँ और मुझे ख़ुशी हैं कि छोटे-छोटे बच्चों में कृष्ण भक्ति का बीज बोया जा रहा हैं, इसके लिए मैं बधाई देता हूँ। यह सब देखकर मुझे अजामिल की कथा का स्मरण हो रहा हैं जो भागवतम् के छठे स्कन्द में कही गई हैं, जिससे हरी नाम कि महिमा प्रदर्शित होती हैं। इस प्रसंग में एक बालक की कथा का उल्लेख हैं। प्रभु की इच्छा व प्रेरणा से बालक को नारायण नाम दिया गया जिससे जीवन के अंत में अजामिल का बहुत उद्धार हुआ। अजामिल हर समय अपने पुत्र नारायण का ही नाम लेता रहता था। हर समय नारायण – नारायण पुकारता रहता था। नारायण यहाँ आओ, नारायण स्कूल जाओ, नारायण भोजन ग्रहण करो, नारायण पढ़ो। इस प्रकार अजामिल हर समय नारायण का ही नाम लेता रहता था। बच्चे का नाम नारायण था तो अजामिल नारायण नाम का ही जप करता था परन्तु भगवान बहुत दयालु है, उदार प्रकृति के हैं उन्होंने सोचा अजामिल मुझे पुकारता रहता है। यहाँ पर समझने कि बात यह है कि नारायण किसका नाम हो सकता है। नारायण नारायण का ही नाम हो सकता हैं अर्थात् नारायण ही नारायण है। वह बालक नारायण नहीं हुआ। वह नारायण दास हुआ। अजामिल हर समय नारायण नाम का जप करता रहता था तो भगवान ने इसका श्रेय भी अजामिल को ही दिया इसीलिए हमारे धर्म और संस्कृति में बालक – बालिकाओं के नाम यमुनादास, कृष्णदास, राधादासी, गंगाराम रखते हैं। इसका जीवन में बहुत लाभ प्राप्त होता है। आज हमारे समाज में चीकू, टिंकू, पिंकू जैसे नाम रखे जाते है जोकि बेकार और निरर्थक है, और जिनका कोई मतलब भी नहीं है। इस कलियुग में भी नवद्धा भक्ति माताजी ने अपने पुत्र का नाम गौरांग रखा है। वह सारा दिन गौरांग - गौरांग पुकारती रहेगी तो गौरांग उसका उद्धार करेंगे। अब हम वापस अपनी कथा की और बढ़ते है – धीरे – धीरे अजामिल कि उम्र बढ़ने लगती है और उसका शरीर छोड़ने का समय आता है तो वह यमदूत को देखकर डर जाता है और अपने पुत्र नारायण को पुकारता है – नारायण आओ, नारायण मेरी मदद करो, नारायण देखो मेरी ओर देखो। अजामिल सोच रहा था कि मेरा बेटा मेरे पास आए और मुझे यमराज से बचा ले परन्तु तभी भगवान ने सोचा कि अजामिल अपनी मदद के लिए मुझे पुकार रहा है। उन्होंने विष्णुदूतों को भेजा और कहा कि जाओ अजामिल की मदद करो, उसकी रक्षा करो तो उन्होंने जाकर अजामिल की रक्षा करी, दुसरे शब्दों में हम कह सकते है कि अजामिल की रक्षा नारायण के नाम जप ने की क्योंकि उस समय वह नारायण नाम का ही जप कर रहा था जिसके कारण उसकी रक्षा हुई, जबकि उस समय अजामिल के जप नामाभास अवस्था थी इसलिए अजामिल को और शुद्ध नाम जप का अभ्यास करना पड़ा। इसके लिए वह हरिद्वार गया और वहाँ शुद्ध नाम का जप किया तो जब पुनः विष्णुदूत आये तो अजामिल को विष्णुधाम लेकर गए। जब यमदूत यमलोक लौटे तो सब हैरान थे कि ये सब कैसे हुआ इतने पापों के बाद भी हम अजामिल को हम यमलोक नहीं ला पाए। इन सभी प्रश्नों का उत्तर हम कल देंगे। यमराज महाराज ने सभो प्रश्नों का क्या उत्तर दिया, इसकी चर्चा हम कल करेंगे। हरी बोल

English

2nd May 2019 ‘VEN NAMABHAS’ CAN SAVE FROM GOING TO HELL! kaumāra ācaret prājño dharmān bhāgavatān iha durlabhaṁ mānuṣaṁ janma tad apy adhruvam arthadam (SB 7.6.1) Prahlad Maharaj advised to his friends, " My dear friends, this is the time, kaumaram, we are all children, (he was also a child) & we should be practicing Bhagavad- Dharma. This is the time we should be chanting 'Hare Krishna'." So, following that advice many of you, I am seeing in this conference also, getting your or other children to practice Krishna consciousness. Get them to chant 'Hare Krishna'. This is highly appreciated. Keep up this endeavour. Venugopal prabhu's son I saw sitting with him & chanting. Panchali Sakhi mataji's ten year old daughter was also chanting with her & she chants 8 rounds every day. That is what inspired me to talk on this topic today. We are proud to announce, in Pandharpur we have new Gurukul. Hari bol! brahmacārī guru-kule vasan dānto guror hitam ācaran dāsavan nīco gurau suḍṛdha-sauhṛdaḥ (SB 7.12.1) So, from there i saw small children chanting. I received report from ISKCON Nagpur yesterday, that they had a summer camp. Some thirty to forty school children, they had wonderful experience in 5 days of summer camp. Such summer camps are conducted in most of my zone temples. Those temples who have not conducted as yet, please make sure; you conduct it this year. Yet there is another report related to children. In Amaravati , Jaybhadra mataji organized Padayatra for children. This was first ever Bal- Padayatra for children. I congratulate & thank you & express my great pleasure for all these attempts & endeavours for Krishna consciousness among children. Hari bol! for all of them making these endeavours. I am remembering the glories of holy name from Bhagavatam. So many glories of holy name are chanted throughout the Bhagavatam, specially the Ajamila episode explains the holy name & glorifies the 'Harinam Mahatmya'. Again, in this, child is involved in this episode, Ajamila’s son. Luckily or co-incidentally or accidentally he had named his son’ Narayan'. That made a big difference for him, naming the child that way. Ajamila got liberated ultimately, just by naming his son Narayan. He had been chanting name ‘Narayan! Narayan! come here! , Did you feed Narayan today? Narayan it's time to go to school.’ Narayan! Narayan! Narayan! Ajamila was chanting few rounds of Narayan, Narayan every day. Narayan come. Narayan sit. Narayan eat. Narayan! Narayan! Narayan! used to go on. Lord is so kind. Of course, as we know, he was calling, thinking Narayan is my son's name. Because that is not possible. Whose name could be Narayan? Whose name could be Narayan? & who's name is Narayan? Only Narayan's name could be Narayan. His son could be Narayan-das. Narayan remains the name of Narayan. Lord is so kind. Though Ajamila was calling out Narayan, Narayan to his son, still Lord was giving credit to him, for his uttering the name Narayan. Of course, this kind of credit not only Ajamila receives, but you all, we also receive it. That is why we name our children Krishna - das or Radha- Dasi, Jamuna Dasi or Ganga Das like that. What is the benefit of naming them Chinku , Tinku & Pinku. All sorts of names we get to hear nowadays. All this is nonsense. These are meaningless names. We waste our time & energy uttering those. For example Navavidha Bhakti mataji's son's name is Gauranga. So she keeps calling Gauranga, Gauranga! & by that way she will get Gauranga's mercy. So, then when it was time for Ajamila’s departure, he called out the name Narayan! Narayan! He was helpless. He was thinking he was addressing his son Narayan. Narayan come here, look!! Yamadutas are here. help me! So, what happened was Lord took it as - Ajamila was addressing Him or Lord. Calling Him for help & Lord responded by sending Vishnu Dutas for the rescue of Ajamila. Then we know the rest, how Ajamila was saved by Vishnu Dutas, by chanting the holy name of Narayan. So, we can say Narayan saved him, but if we analyse, on the spot there it was only name of Narayan, which is non-different then Narayan Himself, saved Ajamila. Of course, name Narayan he uttered did not give him full benefits of uttering the name of 'Narayan'. He had chanted at 'Namabhas' stage. It was not pure chanting. Then he went to Haridwar & practiced further, he did Shuddha naam japa & attained the love of Godhead. Then Vishnu Dutas had come again & brought him back to Lord's abode. Tomorrow we will discuss, how Yamadutas had to go empty handed, first time to Yamaloka in front of Yamaraj. They had lots of questions for Yamaraj. They wondered what happened? ‘Such a sinful person, but we couldn't bring him to your courtyard, O Lord! Yamaraja please reveal the mystery.’ Then Yamraj gave answers to those questions. So we will listen to pravachan of Yamraj tomorrow. Till then keep chanting. Haribol!

Russian