*हरे कृष्ण*
*जप चर्चा-२२/०६/२०२२*
*परम पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज*
हरे कृष्ण
आप सुन तो रहे थे भगवान् के नाम को उनका नाम है कृष्ण उनका नाम है राधा उनका नाम है राम।
नाम को सुन रहे थे आप। उनके कुछ गुण या कथा को सुनिए।
भगवान् से सम्बंधित बाते होगी दोनों को सुनना है नाम को सुनना है और नित्यं भागवत सेवया भी करना है।
पुनः आपका स्वागत है अभिनन्दन भी है। आपको जप करते हुए हम देखते है तो हमें आनंद होता है उसे व्यक्त करने को अभिनन्दन कहते है।
सदा जीवन उच्च विचार का जीवन यही है कृष्ण भावना का जीवन। या कृष्ण भावना की समज । इस सम्बन्ध में मै २ दिन पहले कह चूका हु मै सोच रहा हु और कुछ कहु। उच्च विचार भगवान् के विचार ही है और हमको उनके विचार के बनना है। सरे संसार में भगवान् एक ही है और एक ही विचार के बनना है। जब संसार के लोग एक विचार के होंगे तो वह विचार एक जैसा होगा और इसी के साथ ऐक्य की स्थापना होगी यह अत्यंत अनिवार्य है। भगवान अनेक यही हम एक है। कोई वेस्टर्न कॉन्टेरी में है लेकिन हम सभी भगवान् के है।
मेरे पीछे आगे सर्वत्र भगवान् ही है।
हम जहा भी जाते है वह नरसिम्हा भगवान् हमारी रक्षा करे। जगन्नाथ स्वामी नयन पथ गामी। मै जहा जहा देखु वहा वहा दर्शन दो। सरे संसार भर के लोगो को यह विचार का होना चाहिए। तभी कुछ संसार में शांति की स्थापना होगी। मैत्री का सम्बन्ध या पारिवारिक समबन्ध सारे संसार के लोग मेरे कुटुम्भ के है किन्तु संसार में पहुंच कर लोग भोग वांछा करते है और माया झपट लेती है संसार में माया ने सभी को झपट लिया है।
*सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया*
*सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत*
यह उच्च विचार है केवल ऐसा सोचना ही उच्च विचार है। सभी निरोगी हो यह सब संसार नहीं जानता। हमारे विचारो में विकृति आ चुकी है। सभी मांगल्या का अनुभव करे। भगवान् को प्रार्थना करके जगाते है आप मंगल करे सभी का सफर मंगलमय हो। ऐसे मांगल्या की कामना करना कोई दुखी न रहे यह विचार उच्च विचार है। वासुदेव कुटुम्बकम इस पृथ्वी पर जितने लोग है वे कहा से है ? किस धर्म के है स्त्री है पुरुष है यह सभी एक परिवार के है।
भगवान् हमारे परिवार के मुखिया है। नीच विचार का एक नमूना है वे लोग मेरे है ये लोग पराये है ऐसी गणना संकीर्ण है। लघु विचार वाले ही द्वन्द की बात करते है। किन्तु उच्च विचार वाला कैसा सोचता है जिसके उच्च विचार है जो भी पृथ्वी पर है वह मेरे परिवार के है। उच्च विचार जो मै कह रहा हु यह गोलोक के विचार है हम यह सब भूल जाते है। कृष्ण कहे है काला गोरा, स्त्री पुरुष , यह सब द्वन्द है। हर अक्षर को हमें धीरे धीरे समझना होगा तभी तो हम उच्च विचार के बन जायेंगे।
हिन्दू मुसलमान भी द्वन्द है। हरी हरी
६ शत्रु में से एक है मात्सर्य। लोग औरो की जान लेने की सोचते है। कृष्ण कहते है मत्सर रहित बनो। यादृच्छ मतलब भगवान् की इच्छा और उसी में संतोष रहना हरी हरी। संसार में समाधान ही नहीं है। श्रील प्रभुपाद को माध्यम बनाके निमित्त बनाके भगवान् संसार के लोग को उच्च विचार का बना रहे है। जिव जब सुद्धा बनता है तो उसकी भावना जागृत होती है। उठो उठो जिव जागो। जागो मतलब जिव के जो मूल विचार है उसको जगाओ। उच्च विचार सुद्धा मुक्त विचार का जिव बनता है। भगवत धाम में सभी जिव उच्च विचार का होता है।
जैसे हमने कहा कृष्ण भावना भवित होना ही उच्च विचार है। कृष्ण भावना यह हमारे मूल विचार है। एक समय हम जो विचार के थे वही वापस बनाना है। *आम्ही जातो आमच्या गावा आमचा राम राम घ्यावा*
वैकुण्ठ में उन्ही को प्रवेश मिलेगा जब हम उच्च विचार के होंगे कृष्ण भावना भवित के होंगे।
सभी जिव भगवान् के है। सुकदेव गोस्वामी ने कहा भागवत में जो सभी के बात को जानता है वह ऊँचे विचार के है। एक बात यदि संसार समज जायेगा सभी स्त्री माता है तो यह उच्च विचार है। इस विचार धारा को विश्व भर में करना है।
प्रभुपाद के ग्रंथो का हम वितरण करते है। एक बार प्रभुपाद से किसीने पूछा आप चाहते क्या हो हमसे दुनिया से ?
प्रभुपाद ने कहा - लोग जिस प्रकार के विचार करते है मै उसमे परिवर्तन करना चाहता हु।
हर व्यक्ति का विचार होता है उसमे परिवर्तन मै देखना चाहता हु।
सोच में क्रांति। प्रचार करना है मतलब लोगो के सोचने का जो ढंग है उसमे बदलाव लाना है। गोपिया कृष्ण का विचार करती है सोचती रहती है।
चैतन्य महाप्रभु की भविष्यवाणी है मेरे नाम का प्रचार सर्वत्र हो पृथ्वी में जितने नगर है ग्राम है सभी जगह हो।
लोग जब नाम लेंगे - *हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*
उसी के साथ वे कृष्ण के विचार के बनने वाले है यही सुलझन है सभी उलझन का।
यह वेद वाणी है। सारे विश्व को आर्य बना दो। वेद वाणी केवल इंडिया लिमिटेड नहीं है। भगवान् सभी का एक साथ सोचते है सभी के कल्याण की बात करते है भगवान्। उच्च विचार यही है इसके टुकड़े नहीं नहीं करना है। कई देशो के भक्त एक साथ एक मंच पर आते है।
कार्तिक में वृन्दवन में कई देशो के लोग एक साथ एक परिवार के रूप में रहते है। वहा सभी एक साथ प्रसाद लेते ही वे यद् भी नहीं करते मै पहले ईसाई था मुस्लिम था। उक्रैन और रशिया में युद्ध हो रहा है लेकिन डिवोटी सभी को प्रणाम कर रहे है। ये झगड़े नहीं करते यही उच्च विचार है।
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By admin|2023-07-29T10:17:42+00:00June 22nd, 2022|Comments Off on Rise above the differentiating mentality