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26-12-2019 विषय : जीवन की वास्तविक सफलता आपका जप कैसा चल रहा है? आप अभी कोई संदेश मत भेजिए आप अपनी टिप्पणी ''आइए एक साथ जप करें' कि फेसबुक पेज पर लिख सकते हैं। यदि आपका कोई विशेष अनुभव अथवा साक्षात्कार हो तो ही आप उसे नीचे लिखिए। गुह्यं आख्याति प्रच्छति, षड विध प्रीति लक्षणम । आपके ह्रदय में यदि कोई ऐसी बात हो जो आपको परेशान कर रही हो तो उसे आप अपने काउंसलर से अपने मित्र से लोक संग में अथवा आइए एक साथ जप करें के पेज पर पूछ सकते हैं। जप के विषय में आपकी स्थिति अनुकूल है अथवा प्रतिकूल है आप किस परिस्थिति में है उससे संबंधित कुछ प्रस्ताव अथवा समस्या भी आप हमसे पूछ सकते हैं। इस प्रकार से वे विषय हमारे इस कांफ्रेंस के चर्चा का विषय बन सकते हैं परंतु आप चैट का प्रयोग मत कीजिए। आप अधिक से अधिक मात्रा में अपने संदेश फेसबुक के माध्यम से भेज सकते हैं।आप यह सभी प्रश्न तथा सुझाव अपने काउंसलर से अपने भक्ति वृक्ष लीडर से अथवा अपने युवा ग्रुप से पूछ सकते हैं । इस प्रकार यह चर्चा भक्तों के मध्य में होनी चाहिए एवं भगवान श्री कृष्ण इसे ही बोधयंत परस्परं कहते हैं। भगवान अपने भक्तों से यह आशा रखते हैं कि वे एक दूसरे को उनके विषय में स्मरण दिलाएं उनके विषय में चर्चा करें, हरे कृष्ण महामंत्र की महिमा का वर्णन करें तथा जप के संबंध में निर्देश दें और ऐसी ही अन्य कई बातें जो भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित हो उनकी चर्चा की जा सकती है। यह सभी बातें बोधयन्त परस्परं का उदाहरण है। मत चितः अर्थात तुम अपना चित्त, मन तथा बुद्धि मेरे चरण कमलों में, नाम में, लीला, धाम तथा भक्तों की सेवा में लगाओ।मद चित्त: सर्व दुर्गाणी, मत प्रसादात तरिष्यसि। यदि तुम सदैव मेरा स्मरण करोगे तो तुम मेरी कृपा से उन सभी समस्याओं से मुक्त हो सकोगे तथा पुनः अपने स्थान पर स्थित होगे। हमारी चेतना को पुनः भगवान में स्थित करने का सर्वोत्तम माध्यम है हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करना। हरेर नाम इव केवलम। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु परम भगवान है तथा उन्होंने हमें इस हरी नाम का जप तथा कीर्तन करने का निर्देश दिया है। राधा कृष्ण बोलो संगे चलो यही मात्र भिक्षा चाय श्रीला भक्तिविनोद ठाकुर इस भजन में बताते हैं कि मैं एक भिक्षुक हूं और आप मुझे भिक्षा दीजिए तो भक्ति विनोद ठाकुर कौन से भिक्षा की याचना कर रहे हैं? आप राधा कृष्ण की महिमा का वर्णन कीजिए उनके नामों का कीर्तन कीजिए तथा पुनः अपने घर भगवत धाम चलिए यही भिक्षा वे चाहते हैं। सूखे दुखे भूले नाको वदने हरी नाम कोरो रे श्रीला भक्ति विनोद ठाकुर कहते हैं चाहे आप सुख में हो अथवा दुख में हो सदैव भगवान के नामों का कीर्तन करो। सामान्यतया जब कोई दुख में होता है तो भगवान का स्मरण करता है परंतु सुख के समय भगवान का स्मरण नहीं करता सुख में सुमिरन ना करे कोई - सुख में हम भगवान को भूल जाते हैं। इस प्रकार हम केवल दुख के समय भगवान को तथा उनके पार्षदों को स्मरण करते हैं और हम कातर मन से पुकारते हैं - हे भगवान ! अब मैं क्या करूं? ग्रहे थाको वने थाको सदा हरि बोले डाको, आप किसी भी स्थिति में हो आपको सदैव जप तथा कीर्तन करना चाहिए । आप किसी भी आश्रम में हो चाहे आप ब्रह्मचारी हो अथवा सन्यासी हो आप सदैव इस हरि नाम का जप तथा कीर्तन कीजिए। एक गृहस्थ अपना स्वयं का आश्रम बना सकता है। आप अपने घर को एक आश्रम बनाइए गृहस्थ आश्रम जिस प्रकार से ब्रह्मचारी आश्रम होता है तथा सन्यासी आश्रम होता है। आप ध्यान रखिए कि आप ग्रहमेधी न बने बने। आप अपने गृहस्थ जीवन को गृहस्थ आश्रम बनाइए। दीवा च अर्थे हय च राजन कुटुम्ब भरनेन वा पुनः। शुकदेव गोस्वामी इस श्लोक में गृह मेधियों की भर्त्सना करते हैं। वे कहते हैं कि घर एक मंदिर के समान हैं तथा यदि कोई अपने इस घर को मंदिर अथवा आश्रम में परिवर्तित नहीं करता तो वह गृहमेधी है। निद्राय अर्थात वह अपना दिन तथा रात का समय सोने में व्यतीत कर देता है। विशेष रूप से रात्रि का समय मैथुन आनन्द में गवा देता है। इस प्रकार दिन रात भोग करने के कारण वे अपने घर को मैथुन आगार बना देते हैं तथा अपने भक्ति भाव को मैथुन भाव बना देते हैं इसके साथ ही साथ रात्रि में वे भोजन करने में भी व्यस्त रहते हैं। कल क्रिसमस का उत्सव मनाया गया। इस प्रकार उन्होंने बहुत अधिक मात्रा में शराब पी होगी मांस खाया होगा और नकरणीय सभी कार्य किए होंगे। यह गृह मेधियों का जीवन है। खाना खाना, सोना, मैथुन करना, तथा स्वयं की रक्षा करना इन 4 चीजों के पीछे संपूर्ण विश्व पागल है। और इन सभी कार्यों करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। शुकदेव गोस्वामी इसका वर्णन करते हुए कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति रात्रि तो खाने सोने मैथुन करने तथा रक्षा करने में व्यतीत कर देता है और वह सुबह के समय उठता है और अपना पूरा दिन धन कमाने के लिए व्यतीत करता है और ऐसा धन उसे शहद से भी अधिक मीठा लगता है। इस प्रकार संपूर्ण दिन व्यस्त रह कर वह व्यक्ति धन कमाता है और उस धन का प्रयोग खाने सोने मैथुन करने तथा रक्षा करने के लिए प्रयोग में लिया जाता है। कली को पांचवा स्थान कालेधन में बताया गया है। काला धन वास्तव में वही धन है जिसका प्रयोग खाने सोने मैथुन करने तथा आत्मरक्षा में किया जाता है। ऐसा कली उन सभी लोगों को व्यस्त रखता है। आप सभी गृहस्थ बनिए आप अपने घर को आश्रम बनाइए उसे होम थिएटर मत बनाइए। आप सदैव भगवान के नामों का उच्चारण करते रहिए चाहे आप गृहस्थ हो अथवा ब्रह्मचारी हो। जीवन होईलो शेष ना भजीलो ऋषिकेश। हमें सदैव यह सोचना चाहिए कि हमने बहुत अधिक जीवन व्यर्थ ही गवा दिया है। इसलिए भक्ति विनोद ठाकुर हमें स्मरण दिलाते हैं कि यह जीवन अत्यंत तीव्रता के साथ जा रहा है और हमने फिर भी ऋषिकेश का भजन नहीं किया। मनुष्य जन्म पाया राधा-कृष्ण ना भजिया जानिया शुनिया विष खाईनो। हम सभी ने जानबूझकर इस विष को पिया है। इस प्रकार यह जीवन दिन प्रतिदिन नष्ट हो रहा है परंतु भगवान सदैव एक से रहते हैं। आज हमें एक और दिन प्राप्त हुआ है। यदि हम इस दिन को भी दीवा च अर्थे में व्यर्थ करेंगे और रात्रि को भी व्यर्थ करेंगे तो क्या होगा? कुटुंब भरनेन वा पुनः। हे भगवान !आपका बहुत-बहुत धन्यवाद , आपने हमें एक और मौका प्रदान किया जिससे हम अपनी चेतना को प्राप्त कर सकें। यह हम सभी के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। हम इस नए साल में कुछ संकल्प ले सकते हैं और हमें यह संकल्प लेने चाहिए। आप अपने परिवार के सदस्यों, काउंसलर, ब्रह्मचारी भक्त सभी एक साथ बैठिए और इस पर चर्चा कीजिए। जो आपके भक्ति के अनुकूल है उसको स्वीकार कीजिए और जो इसके प्रतिकूल है उसका त्याग कीजिए। हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करिए तथा प्रसन्न रहिए। हम किस प्रकार अपने जप में उन्नति कर सकते हैं तथा इन अपराधों से मुक्ति पा सकते हैं। हमें मद चित्त के लिए प्रयास करना चाहिए और ध्यान पूर्वक जप करना चाहिए। राधा कृष्ण पदारविंद भजनानंदे मत्तालिकौ । वंदे रूप सनातनो रघु युगो श्री जीव गोपालकौ। षड गोस्वामी वृंद सदैव हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हुए राधा कृष्ण के दिव्य नामों का कीर्तन करते और आनंद के सागर में डूबे रहते। वे हमारे हीरो है तथा हमारे आचार्य हैं। हमें उनके चरणों का अनुगमन करना चाहिए। श्रीला प्रभुपाद ने हमें हमारे आचार्यों की शिक्षाओं को ही प्रदान किया है। श्रीला प्रभुपाद ने षड गोस्वामी वृंद की शिक्षाओं को अपने भगवत गीता के तात्पर्य में सम्मिलित किया है। नमस्ते सारस्वते देवे गौर वाणी प्रचारिणे। श्रीला प्रभुपाद ने उनकी वाणी का प्रचार संपूर्ण विश्व में किया । मैं ऐसे श्रीला प्रभुपाद के श्री चरणों में अपना प्रणाम करता हूं। यदि हम उनकी शिक्षाओं का पालन करेंगे तो हम रूपानुग बनेंगे और इस प्रकार हमारा जीवन सफल होगा। हरे कृष्ण !

English

26 December 2019 REAL SUCCESS OF LIFE! How was your chanting ? Don't write on chat but you can write on 'Let us chant together' facebook. If you have some special experience or realisation then you can write down. guhyam akhyati pracchati, shatvidham preeti lakshanam. You can share confidential things from your heart whether pleasurable or which might be hurting you with your counsellor or friends or within this Loksanga or Let us chant together. You can share your opinions of either favourable or unfavourable circumstances, problems related to chanting and their solutions. It can be part of the discussion in this conference, but not in the chat session. You can write on Facebook. You can also discuss it locally with your counsellor or in the Bhakti Vriksha or youth group. There should be discussion which Krsna called bodhayantah parasparam mac-cittā mad-gata-prāṇā bodhayantaḥ parasparam kathayantaś ca māṁ nityaṁ tuṣyanti ca ramanti ca Translation The thoughts of My pure devotees dwell in Me, their lives are fully devoted to My service, and they derive great satisfaction and bliss from always enlightening one another and conversing about Me. (BG 10.9) He advises and expects from his devotees in this way. ’My devotees remind each other and make everyone hear the pastimes of Lord along with Instructions and glories of Hare Krishna chanting and many things. All this is a part of bodhayantah parasparam. mat-citta, fix your mind and consciousness in me, my Lotus feet, Name, pastimes, Dham or in service of my devotees. mac-cittah sarva-durgani mat-prasadat tarisyasi atha cet tvam ahankaran na srosyasi vinanksyasi Translation If you become conscious of Me, you will pass over all the obstacles of conditional life by My grace. If, however, you do not work in such consciousness but act through false ego, not hearing Me, you will be lost. If you remember me always, by my grace you will overcome all obstacles and difficulties and get your destination The way of fixing our consciousness in the Lord is chanting his holy name- Hare Krishna. Harer namaiva kevalam. Lord Caitanya Mahaprabhu is the Supreme Lord and He has asked us to chant and do kirtana. radha krishna bolo, sange calo, ei-matra bhikha ca Srila Bhaktivinoda Thakur used to say 'I am a beggar, give me bhiksha' and what bhiksha he is asking for ? To chant the glories of Radha Krsna and let's go back home, back to Godhead. sukhe duhkhe bhulo nako, vadane hari-nam koro re ( Gay Gaur Madhuri aware - from Gitavali of BVT) Srila Bhaktivinoda Thakur said 'In happiness as well as distress, chant the holy names'. Usually we remember the Lord in distress. Sukh mein simran na kare koi - we forget the Lord in happiness. We say 'Oh my God! at time of distress and thus remember the Lord and relatives in distress only. grhe thako, vane thako, sada hari bole dako In every situation one should chant and do kirtana, irrespective of which asram you belong to. You are not needed to be brahmachari or sannyasi. A grhasta can create his own asrama. Make your home an ashram, Grahasthashram like brahmachari ashram or sanyasi asrama. Don't become grha-medhī. Make your grhasta life a grihasta asrama. diva ca arthe haya ca rajan kutumb bharanen va punha grha-medhi have been highly criticized by Sukadev Goswami. He said, ‘A home is a temple and those who don't change their home into a temple or asrama, they are called grha-medhi. Nidraya - They spent time in sleeping night and day. They waste their time at night in maithun anand (sexual intercourse). They make their home a maithunagar and change their bhaktibhava into maithunibhava. They spend the night in eating. Yesterday there were Christmas celebrations. They had a lot of alcohol, meat eating and what not! So, like that. This is a life of grha-medhi. Eating, sleeping, mating, defending keeps the whole world busy. For this business, money is required. Sukadev Goswami says they spend the night in eating, sleeping, mating and defending and when the sun comes out, the day is spent in earning money which seems to be sweeter than honey. They remain busy all day in earning money and then all the money is used in eating, sleeping, mating and defending. Kali has been given a 5th place in black money which is used in eating, sleeping, mating and defending. He keeps such people engaged. You can become grhasta and make your home as asrama not a home theatre. Keep chanting the holy names of the Lord always, irrespective of who you are - grhasta or brahmachari. Jivan haile sesa, na bhajile hrishikesh. We have to think that we have wasted this much life. Srila Bhaktivinoda Thakur reminds us that life is going on but we didn't worship Hrishikesh. manushya-janama paiya, radha-krishna na bhajiya janiya suniya visha khainu We have drunk poison intentionally. So, life goes on and Lord has kept us alive. We have one more day. If we do only diva ca aarthe - as the night ends what they do? Kutumba bharanen va poonha Thank God! Lord has given us another opportunity to come to our senses. It's a golden opportunity. We need to see these things and we can take some resolution as New Year is approaching. In this New Year in order to be happy, you may change something. You can sit together with members of your family or counsellor or brahmachari devotee and discuss. Accept the favourable and reject the unfavourable. Chant Hare Krishna and be happy. Game finished. How can we improve our chanting and get rid of offences. We should try to do mad-citta, attentive chanting. radha-krishna-padaravinda-bhajananandena mattalikau vande rupa-sanatanau raghu-yugau sri-jiva-gopalakau ( Shad Goswamiastakam) Six Goswamis were immersed in the ocean of ecstasy of the chanting of the holy names of Radha Krsna. They are our heroes and leaders. We should follow their teachings. Srila Prabhupada taught us the same teachings of our Goswamis. He had shared the six goswamis teachings in his Gita or Bhagavad purport. namas te sarasvate deve gaura-vani-pracharine Srila Prabhupada spread their teachings all over the world. I offer my respectful obeisances unto his lotus feet. If we follow their teachings, then we will become Rupanugas. This is the only success of life.

Russian

Джапа сессия 26.12.2019 Как ваше воспевание? Не пишите в чат, но вы можете написать в Фейсбук. Если у вас есть некоторый особый опыт, вы можете написать это. Делясь доверительными вещами в вашем сердца, которые могут ранить нас, этим вы можете поделится со своим наставником, друзьями или внутри Локсанги. Вы можете поделится вашим мнением, благоприятными или неблагоприятными, обстоятельствами, проблемами и их решениями, они могут быть частью обсуждения в этой конференции. Вы можете писать в Фейсбук. Обсудите с наставником или на Бхакти Врикше. То что следует обсудить, Кришна назвал как bodhayantam parasparam. Он консультирует Своих преданных на этом пути. Его преданные напоминают друг другу и убеждают слушать игры Господа вместе с углублением знаний. Всё это может быть частью bodhayantam parasparam. Убедите, заставьте своё сознание памятовать обо Мне, Моих лотосных стопах. Путь сосредоточения нашего сознания на Господе это воспевание Его Святого Имени. Господь Чайтанья Махапрабху это Верховный Господь. Он просил нас заниматься киртаном. Б.Г. 18.58: « Всегда думая обо Мне, ты Моей милостью преодолеешь все препятствия обусловленной жизни. Если же ты будешь действовать, побуждаемый ложным эго, не слушая Моих указаний и не памятуя обо Мне, то потеряешь себя». Шрила Бхактивинод Тхакур говорил дай мне bhiksha какая bhiksha? Воспевая славу Радхарани и Кришны и говорить давай вернёмся домой. В счастье и в горе воспевайте Святое Имя. В счастье так же хорошо помните Господа как и в страданиях. Обычно мы помним Господа когда страдаем. В каждой ситуации вне зависимости к какому ашраму вы принадлежите. У вас нет необходимости быть BC или саньси. Грихастха может создать свой ашрам не становясь грихамедхи. Грихамедхи подвергаются серьезной критике. Дом это ашрам или храм. Они тратят своё время на сон ночью, они попусту тратят своё время. Они сделали своим домом maithunagar. Они потратили своё время ночью maithunibhava. Вчера праздновали Рождество. Чем они занимались? Еда, сон, совокупление и защита, целый мир продолжает быть занятым. Для этих дел необходимы деньги. Поэтому Шукадева Госвами говорит, что когда солнце восходит, тогда день проходит в зарабатывании денег которые кажутся слаще чем мёд. Все деньги уходят на еду, сон, совокупление и защиту. Кали определено место в нечистых деньгах. Он держит таких людей занятыми. Так вы можете стать грихастхой, но сделайте свой дом ашрамом, не дом-театр. Продолжайте воспевать Святое Имя вне зависимости вы грихастха или ВС. Нам нужно подумать как много времени в жизни мы потратили в пустую. Жизнь продолжается но мы не поклонялись Хришикеш. Господь сохранил нашу жизнь. У нас ещё один день. Господь дал нам ещё одну возможность, чтобы мы одумались. Мы должны видеть эти вещи и принять некоторые решения с приближением Нового года. В этом Новом году стремясь быть счастливым вы можете изменить что-то. Вы можете сесть вместе с членами своей семьи или преданными в BC ашрам. Примите благоприятное и откажитесь от неблагоприятного. Повторяйте Харе Кришна и будьте счастливы и игра закончилась. Как воспевая нам избавится от оскорблений? Mat citta означает внимательное воспевание. Шесть Госвами были погружены в океан экстаза воспевая Святое Имя Радхарани и Кришны. Они наши герои и Шрила Прабхупада полностью обучил всем наставлениям от наших Госвами. Шрила Прабхупада обучил весь мир их наставлениям. Если мы следуем их наставлениям тогда мы станем Рупанугами. В этом заключается успех наших жизней. (Перевод матаджи Оджасвини Гопи)