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*जप चर्चा*
*परम् पूजनीय लोकनाथ स्वामी महाराज द्वारा।*
*दिनांक 2 जुलाई 2022*
हरे कृष्ण!
जय जगन्नाथ!
जगन्नाथ स्वामी की जय!
संभावना है कि आप सभी का कल का दिन एक अविस्मरणीय दिन रहा होगा । आपने कल के दिन कुछ बातें देखी, सुनी होगी और आप रथ यात्राओं में भी सम्मिलित हुए होंगे। ऐसी संभावना है। हरे कृष्ण!
कल जगन्नाथ पुरी में जो रथ यात्रा संपन्न हुई थी, उसमें भी आप में से कुछ भक्त वहां पहुंचे हुए थे। जैसे इस्कॉन ठाणे व अन्य कई स्थानों से वहां पहुंचे थे। साथ ही साथ कल इस्कॉन के लगभग 50 मंदिरों के द्वारा जगन्नाथ रथ यात्रा संपन्न हुई। मैं केवल ओवर ऑल इंडिया की बात कर रहा हूं। मैं बाहर की बात नहीं कर रहा, बाहर का मुझे नहीं पता लेकिन भारत में कम से कम इस्कॉन के 50 मंदिरों ने रथयात्रा सम्पन्न की। आप में से कई भक्त उन रथयात्राओं में कहीं ना कहीं सम्मिलित हुए ही होंगे।
इस्कॉन उदयपुर के भक्तों जैसे अजय गौरांग ने अपने घर के कोर्टयार्ड में ही अपने खुद के घर के विग्रहों जगन्नाथ बलदेव सुभद्रा की रथ यात्रा सम्पन्न की थी और हमको भी दिखाई अर्थात दर्शायी भी थी। यदि आप जगन्नाथपुरी नहीं गए तो दिन में आपने दूरदर्शन भी देखा होगा और दूर से ही जगन्नाथ पुरी के जगन्नाथ रथयात्रा का दर्शन किया ही होगा। । हरि! हरि! संभावना है। हमनें कहा तो था चैतन्य चरितामृत को पढ़िएगा। गुंड़ीचा मार्जन, जिस दिन था, उस दिन भी कहा था, चैतन्य चरितामृत में गुंड़ीचा मार्जन का वर्णन पढ़िए। कल भी कहा था जगन्नाथ रथ यात्रा, चैतन्य महाप्रभु के समय की रथयात्राएं, चैतन्य महाप्रभु का रथ यात्रा के समय नृत्य नामक एक पूरा अध्याय ही है। उसको मैं भी कल पढ़ रहा था। वहां के भाव... वैसे वे भाव राधा के ही भाव है। चैतन्य महाप्रभु ने रथ यात्रा के समय जो भाव प्रकट किए थे, वे राधा ही बने थे। फिर उनके हावभाव उनके विचार, उनके गोपनीय विचार, रहस्यमयी विचार.. हरि! हरि! जो बोलने व कहने पर भी किसी की समझ में नहीं आ रहे थे। उस समय केवल रूप गोस्वामी समझ रहे थे।
*श्री चैतन्यमनोऽभीष्टं स्थापितं येन भूतले। स्वयं रूपः कदा मह्यं ददाति स्वपदान्तिकम्।।*
चैतन्य महाप्रभु के मन/अभीष्ट या उनके विचारों को जानने की क्षमता रखने वाले रूप गोस्वामी हैं।
( श्रील रूप गोस्वामी प्रभुपाद की जय)
( इन विचारों से ही मैंने कहा) आशा है आपका कल का दिन, एक अविस्मरणीय दिन रहा ही होगा। हरि! हरि! वैसे आज आपकी जानकारी और स्फूर्ति के लिए यह समाचार दिया जा रहा है और वैसे मैंने तो कहा ही, मेरे पीछे जो विग्रह देख रहे हो अर्थात जगन्नाथ बलदेव सुभद्रा देख रहे हो? क्या आप देख रहे हो? ये विग्रह मॉरीशस में है। इन विग्रह के लिए वहां के एक मूर्तिमान प्रभु भी हैं, मूर्तिमान प्रभु मेरे शिष्य हैं। वह भी एक है, वैसे और भी अनेक भक्तों ने मिलकर मॉरीशस में एक नए मंदिर का निर्माण किया है और आज उस मंदिर का उदघाटन है। आज मॉरीशस में जगन्नाथ मंदिर का उदघाटन है। मूर्तिमान प्रभु और उस मंदिर के अन्य प्रभु और अधिकारियों ने मुझे निवेदन किया कि आज मैं जपा टॉक के समय आप सब को संबोधित करूं या यह टेंपल ओपनिंग( मंदिर के उदघाटन) का एक टॉक दूं। ऐसी इनकी अभिलाषा रही है। क्यों? मूर्तिमान क्या तुम ऐसा चाहते थे। ( मुंडी तो हिला रहे हैं, सबको मूर्तिमान दिखाओ जिन्होंने आपको जगन्नाथ का दर्शन करवाया है।) यह मूर्तिमान प्रभु है। मूर्तिमान प्रभु, घोषणा करो कि आज मॉरीशस में क्या हो रहा है।
मूर्तिमान प्रभु:- आज हम मंदिर उदघाटन समारोह कर रहे हैं। हमनें वर्ष 2006 में छोटे से मंदिर में जगन्नाथ जी के विग्रहों को स्थापित( इनस्टॉल) करवाया था। पिछले बार जब गुरु महाराज ने हमारे मंदिर में विजिट की थी। उन्होंने कहा था कि' स्मॉल टेंपल, बिग जगन्नाथ' ( छोटा मंदिर और बड़ें जगन्नाथ) वी नीड टू शिफ्ट जगन्नाथ इन ए बिगर हाउस ( हमें जगन्नाथ जी को एक बड़ें घर में शिफ्ट करना चाहिए। बहुत सारी कठिनाइयों एवं कई वर्षों के प्रयास के बाद आखिरकार जगन्नाथ जी का मंदिर बन पाया। मंदिर लगभग पूर्ण हो चुका है और छोटे मंदिर से बड़ें मंदिर में आज जगन्नाथ जी को शिफ्ट किया जा रहा है। आज यहां एक छोटी रथ यात्रा जो पुराने छोटे मंदिर से प्रारंभ होगी और नए मंदिर तक आएगी। विग्रहों की स्थापना( इंस्टॉलेशन ), कीर्तन होगा। जगन्नाथ का स्वागत करने लिए रथ यात्रा के भक्तों के साथ हमारे अर्जुन प्रभु व परम् पूजनीय चैतन्य महाराज जी भी यहां उपस्थित होंगे। 5 बजे हम यहां पहुंचेंगे, रिब्बन कटिंग होगा। तत्पश्चात जगन्नाथ अपने नए घर में प्रवेश करेंगे आज स्पेशल दर्शन है, 7:00 बजे गौर आरती होगी। हमारी इच्छा है कि गुरु महाराज आप यहां होते। जैसी की हर बार आपसे यहां आने कि प्रार्थना करता हूँ। प्रार्थना है कि आप जल्दी से यहां आए और उत्साहित करने वाला कीर्तन करें। हरे कृष्ण!
गुरु महाराज:- मंदिर की कुछ फोटो दिखाओ, कि मंदिर कैसा दिखाई देता है या कोई अन्य..
मूर्तिमान प्रभु:- महाराज, क्षमा चाहता हूं,अभी तो नही है।
गुरु महाराज:- इनविटेशन कार्ड या कोई पोस्टर दिखाओ या कोई लिंक जिससे सब देख पाए जगन्नाथ ग्रैंड टेंपल ओपनिंग फेस्टिवल एंड जगन्नाथ मंदिर में विग्रह स्थापना के विषय में देख पाएं। तुम इसे न्यू जगन्नाथपुरी मंदिर या कुछ और नहीं कहते ?
मूर्तिमान प्रभु:- जी, गुरु महाराज, हम ऐसा ही....
गुरु महाराज:- जब हम कल ही यहां पंढरपुर में बात कर रहे थे कि श्रील प्रभुपाद ने सैन फ्रांसिस्को में पहली रथयात्रा जो संपन्न की थी
वह बड़ी सफलतापूर्ण रथयात्रा हुई थी, तब प्रभुपाद ने कहा कि इस शहर का नाम और इस मंदिर का नाम न्यू जगन्नाथ पुरी होगा। इसी प्रकार मैं भी सोच रहा था कि आप यहां मॉरीशस में जगन्नाथ जी के लिए नया और बड़ें मंदिर का उदघाटन कर रहे हो, रथ यात्रा भी है। इसलिए इसको कुछ नाम जैसे न्यू जगन्नाथ पुरी जैसा कोई नाम दे। यहां कृष्ण बलराम मंदिर है, राधा गोलोकनन्द मंदिर है। अतः इस स्थान को न्यू जगन्नाथपुरी कह सकते हैं। न्यू जगन्नाथपुरी धाम की जय!! यदि तुम्हें अच्छा लगे और तुम चाहो तो कुछ इस तरह का नाम दे सकते हो, तुम औरों से बात करो। अपने साथियों से वार्ता करो, अगर सभी इसमें प्रसन्नता अनुभव करें तो तुम इसे न्यू जगन्नाथ पुरी नाम दे सकते हो। यह न्यू जगन्नाथ पुरी है लेकिन जगन्नाथ नए नहीं हैं। जैसे वृंदावन में कृष्ण बलराम हैं, मॉरीशस में कृष्ण बलराम मंदिर भी है। मॉरीशस में जहां कृष्ण बलराम मंदिर है, उस क्षेत्र का नाम वृंदावन रखा गया है। यह ऑफिशली है अर्थात सरकार के रिकॉर्ड में उसका नाम वृंदावन है। हमारे राधा कृष्ण स्वामी महाराज अब नहीं रहे लेकिन उनके प्रयासों से उस एरिया का नाम वृंदावन रखा गया है। इसी प्रकार आप भी इस एरिया का नाम न्यू जगन्नाथ पुरी जैसा कोई नाम सरकार (गवर्नमेंट) के रिकॉर्ड में ला सकते हो। यह भी एक आईडिया ( विचार) है। मॉरीशस में (वैसे मैंने कहा ही) एक कृष्ण बलराम मंदिर है। मॉरीशस के वृंदावन में कृष्ण बलराम मंदिर है। मॉरीशस में पहला मंदिर तो राधा गोलोकानंद मंदिर है।
(वैसे आपको संक्षिप्त में कुछ मॉरीशस यात्रा का परिचय... क्या कह सकता हूं, कितना कह सकता हूं) मॉरीशस इतना छोटा द्वीप / आइलैंड या देश होने पर भी श्रील प्रभुपाद वहां दो बार गए। वे केवल बड़े देशों अमेरिका या यूरोपियन कंट्री के बड़े-बड़े देशों में ही नहीं गए अपितु प्रभुपाद छोटे देशों में भी गए। पहली बार जब वहां गए थे तो वहां के मिस्टर तिलक ने जमीन को डोनेट( दान) किया, जहां पर अब राधा गोलोकानंद मंदिर है। लगभग प्रभुपाद के समय से ही यह मंदिर है।अब वहां पर भी राधा गोलोकानन्द के लिए बड़ा नया मंदिर बन रहा है। वहां पर एक रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर भी है। मॉरीशस में ऐसे कुछ ही मोटे मोटे मंदिर हैं। छोटे-मोटे तो कई हैं, लेकिन मोटे-मोटे मैंने आपको बताए। उन मोटे मंदिरों में यह जगन्नाथ मंदिर भी एक मोटा मंदिर है। वन ऑफ द बिग टेंपल इन मॉरीशस इज न्यू जगन्नाथ पुरी टेंपल बन रहा है। मॉरीशस में वैसे पॉपुलेशन ( जनसंख्या) तो ज्यादा नहीं है। वहां की आबादी केवल बारह लाख है अर्थात यह देश लगभग 1.2 मिलीयन आबादी वाला है और अधिकतर वहां हिंदू हैं। कुछ-कुछ क्रिश्चियन भी वहां पहुंच गए हैं और वे भी वहां पर अपना प्रचार कर रहे हैं। थोड़े मुस्लिम भी हैं लेकिन प्रमुख जनसंख्या (पॉपुलेशन) हिंदूओं की है और सब हिंदुओं का मूल भारत से ही है। इस मॉरीशस में भी अंग्रेजों ने अपना शासन बनाया था। उस समय वे कई भारतीयों को इंडिया से ले गए थे। वहां के खेतों में.. गन्ने की खेती होती है। मोस्ट ऑफ द लैंड इज कवर्ड बाए शुगरकेन अर्थात अधिकतर भूमि गन्ने से ढ़की हुई है, वहां पर गन्ने की फैक्टरियां भी हैं। वे अंग्रेज इंडियंस को ले गए, वहां साउथ इंडिया से लोग हैं, महाराष्ट्र के भी लोग हैं।
वहां विठ्ठल मंदिर है, उस विठ्ठल मंदिर में मैं भी गया हूं। कई मराठी पाठशालाएं हैं, मराठी स्कूल है, हिंदी स्कूल, साउथ इंडियन स्कूल है। साउथ इंडियन टेंपल, बालाजी टेंपल, कई सारे शिवालय मॉरीशस भर में है। हर हिंदू के घर के प्रवेश द्वार पर आपको हनुमान मिलेंगे। जब हमारे भक्त प्रचार के लिए जाते हैं तो यह घर हिंदू है या मुस्लिम या इसाई तो नहीं है तो कैसे पता लगाते हैं? यदि प्रवेश द्वार पर हनुमान है तो दिस इज... यह हिंदू है, यह हिंदू परिवार है, वहां जाते हैं। हनुमान भी सर्वत्र है। हरि! हरि! वहां पर दिंडी भी चलती है। जैसे अभी यहां पर दिंडी चल रही है। देहू से पंढरपुर दिंडी आ रही है। वहां महाराष्ट्र मंडल भी है। मैं मॉरीशस में मंडल से मिला भी था। मॉरीशस ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन में मराठी प्रोग्राम भी चलते हैं। मुझे भी आमंत्रित किया गया था, इस तरह से ऑल सीन इज लाइक एक्सटेंशन ऑफ इंडिया। वहां कृष्ण भावना का बढ़िया प्रचार हो रहा है। हजारों की संख्या में इस्कॉन के भक्त गौड़ीय वैष्णव भक्त... हिंदु तो कई हैं, लाखों हिन्दू भक्त हैं उसमें से कई सारे हजारों.. शायद लाख तक संख्या पहुंच गयी होगी.. गौड़ीय वैष्णव बन रहे हैं।
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।* का कीर्तन और साथ में नृत्य करने वाले असंख्य भक्त मॉरीशस में है। जब श्रील प्रभुपाद मॉरीशस में थे तब वे मॉरीशियन जनता को प्रोत्साहित कर रहे थे।
वर्णाश्रम डेवलोपमेन्ट अर्थात वर्णाश्रम का विकास। प्रभुपाद बुलक कार्ट ट्रांसपोर्टेशन पर जोर दे रहे थे। श्रील प्रभुपाद वहां की जो पार्लिमेंट है...
वैसे वहां उस देश में कोई मेयर/ महापौर होते तो काम बन जाता लेकिन मॉरीशस में अपने देश को दे हैव प्राइम मिनिस्टर, दे हैव प्रेसिडेंट, आल मिनिस्ट्री, यह और वह... प्रभुपाद को पार्लियामेंट में आमंत्रित किया गया था। मेरे विचार से उनका नाम कुछ स्वरूप राम गुलाम जैसा ही कुछ था। उन्होंने प्रभुपाद को आमंत्रित किया था, वैसे जगन्नाथ की बातें चल रही है। आप के प्रेसिडेंट का नाम भी जगन्नाथ है या था। है या नहीं?? कुछ साल पहले मैं प्रेसिडेंट को मिलने भी गया था। वैसे मेरा कई बार या कहो लगभग बीस बार मैं मॉरीशस में गया हूं। वैसे एक दो बार हम इंडिया के भक्तों की यात्रा भी ले गए थे। मैंने वहां कई बार या बारंबार सात दिन की भागवत कथाएं/ राम कथाएं की हैं। एक समय मेरे साथ भारत में से यान भर के इंडियन या महाराष्ट्रीयन गए थे। हम आगे पीछे यात्रा में गए, भविष्य में आप जा सकते हो। मेरा अनुभव यह भी होता है जब मैं मॉरीशस जाता हूं। यह स्माल कंट्री है। मूर्तिमान प्रभु कह रहे थे- जब मैं पिछली बार जगन्नाथ मंदिर में गया था तो मैंने कहा था कि यह छोटा मंदिर है और जो विग्रह हैं, वे बहुत बड़े साइज के हैं अर्थात जिस कक्ष अर्थात टेंपल रूम में वे विग्रह थे, उन विग्रहों से ही सारा रूम या कमरा भर गया था, इतना छोटा कमरा था, जैसे बिग फिश इन स्मॉल पोंड। बड़े जगन्नाथ जी के विग्रह और छोटा सा मंदिर का कक्ष। उस वक़्त मैंने जो कहा था, उसे वहां के भक्तों मूर्तिमान प्रभु इत्यादि ने नोट किया।
अब उनके अथक प्रयासों और कई सारी चुनौतियों के पश्चात अंततः एक बड़ा मंदिर ( नही जानता कितना बड़ा है) बड़े जगन्नाथ जी के लिए आज उदघाटन हो रहा है। जब मैं यह स्माल औऱ बिग (छोटे और बड़ें) की बात कह रहा हूँ, तो मुझे अभी याद आ रहा है कि मॉरिशस इज स्मॉल कंट्री परंतु जब मैं वहां जाता हूं, तब वहां मुझे बिगेस्ट रिसेप्शन इन द वर्ल्ड मिलता है। यह कहने की बात नहीं है, नहीं कहनी चाहिए थी लेकिन क्या किया जाए। ऐसा स्वागत का आयोजन मॉरीशस के भक्त करते ही रहते हैं। बिग ग्रैंड रिसेप्शन! हरि! हरि!
भक्त सभी भाषाओं में बहुत सारा पुस्तक वितरण करते ही रहते हैं। इंग्लिश, फ्रेंच। वहां फ्रेंच भी खूब चलती रहती है। फ्रेंच भी वहां एक समय अपना रूल (शासन) जमा रहे थे। ब्रिटिश भी आ गए थे।
इस देश में कोई सांप नहीं है, यदि आप को सांप से डर लगता है तो आप मॉरीशस जाकर रहो, वहां कोई सांप नहीं है।
जब हम वर्ष 1996 में श्रील प्रभुपाद की जन्म शताब्दी मना रहे थे। हमारी पदयात्रा मंत्रालय ने ... उस समय मैं सैनटेनियल मिनिस्टर भी था। प्रभुपाद जन्म शताब्दी महोत्सव का मैं मंत्री था। साथ में पदयात्रा मंत्रालय था, तब हमने 100 से अधिक देशों में पदयात्रा का आयोजन किया । इंक्लूडिंग मॉरीशस
गिरिराज स्वामी महाराज उस समय मॉरीशस के जीबीसी थे, उन्होंने हमें रिपोर्टिंग किया कि मॉरीशस के हर नगर में हर नगर आदि ग्राम में जैसाकी चैतन्य महाप्रभु ने कहा है-
*पृथिवीते आछे यत नगरादि-ग्राम । सर्वत्र प्रचार हड़बे मोर नाम ॥*
अर्थ:- पृथ्वी के पृष्ठभाग पर जितने भी नगर व गाँव हैं, उनमें मेरे पवित्र नाम का प्रचार होगा।
मेरे नाम का प्रचार, हर गांव, हर ग्राम में होगा। यह किसी देश के सभी नगरों में सभी ग्रामों में हरि नाम का प्रचार हुआ ऐसा कोई देश है? ऐसा कोई पूछ सकता है? इसका उत्तर है- यस! यस! ऐसा एक देश है। इस देश के हर नगर में हर ग्राम में हरिनाम को हरे कृष्ण भक्तों ने पहुँचाया। वह देश है मॉरीशस। मॉरीशस की जय!
वैसे उन्हीं दिनों में १९९६ में ही कहो- हमने वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल/ हरि नाम दिवस भी प्रारंभ किया। मॉरीशस के भक्तों ने और मॉरिशस के इस्कॉन के पदाधिकारियों ने इस हरिनाम को काफी गंभीरता से लिया। हमारा विचार उन दिनों में यह था कि जन्म शताब्दी के इस वर्ष में हम इस्कॉन के कार्यकलाप एक्टिविटीज कर रहे थे या कुछ जो प्रारंभ की थी उसको आगे करते रहें। ऐसा एक आगे विचार था यह जो वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल या हरि नाम दिवस या हरि नाम ही कहो जो मॉरिशस में पहले भी हो ही रहा था लेकिन उस समय वह पुनः और अधिक उत्साह के साथ शुरू हुआ। वह हरि नाम आज तक चल रहा है। राधा गोलोकानंद मंदिर की ओर से उनके कांग्रग्रशन भक्त व कृष्ण बलराम मंदिर की ओर से (उनके 2 दिन है मुझे याद नही हैं) मैं कई बार उनके हरिनाम उत्सव में भी सम्मिलित हुआ हूं। बहुत बड़ी भीड़ होती थी, चैंटिंग एंड डांसिंग। डांसिंग में भी काफी मॉरीशस के भक्त... वैसे जो लोग आयरलैंड में रहते हैं यह एक ऑब्जर्वेशन है कि जो मनुष्य हैं, जो आयरलैंड या किसी द्वीप में रहते हैं, वहां के लोग डांसिंग करते रहते हैं। ...
हरि हरि.. है। वह हरि नाम मॉरीशस में गूंज रहा है।
वे सप्ताह में दो बार बहुत बड़े स्केल पर हरि नाम का आयोजन करते हैं। मॉरीशस में एक और स्पेशलिटी (विशेषता) है- प्रभुपाद की जन्म शताब्दी के समय हमने पद यात्राएं की। मॉरीशस में भी पद यात्रा की जैसा कि उस समय हमने बताया ही है। मॉरीशस में एक पदयात्रा वर्ल्ड वाइड नामक एक टीम है या एक संगठन है। यह टीम पदयात्रा वर्ल्ड वाइड है। यह समय-समय पर मॉरीशस में ही नहीं अपितु मॉरीशस के अगल-बगल/ आसपास में जो आयरलैंड जैसे मादागास्कर में भी पदयात्रा का आयोजन करती है। मैं भी वहां पर पदयात्रा करने के लिए गया था। मादागास्कर, मॉरीशस और साउथ अफ्रीका के बीच में है। वैसे मॉरीशस साउथ अफ्रीका के काफी नजदीक है। यह कहा जाए कि मॉरीशस इज इंडियन ओशन। वैसे साउथ अफ्रीका तक इंडियन ओशन ही है। कैपटाउन जैसे यहां हमारा कन्याकुमारी है। उसे भारत में साउथ अफ्रीका की कन्याकुमारी कहो। टिप ऑफ साउथन कांटिनेंट जिसे कैपटाउन कहते हैं वहां तक भी हिंद महासागर है। हिन्द महासागर वहां तक भी पहुंचा हुआ है। कई सारे आयरलैंड, मॉरीशस के इर्द-गिर्द हैं, वहां हमारी पदयात्रा टीम जाती है। मॉरीशस की पदयात्रा की टीम। जैसे कौन्तेय प्रभु जाते रहते हैं और भी कई सारे प्रभु हैं।
हरि नाम को सर्वत्र फैलाया जा रहा है ऑल ओवर मॉरीशस, ऑल अराउंड मॉरीशस। इस प्रकार चैतन्य महाप्रभु की भविष्यवाणी सच हो रही है या मॉरीशस के भक्त सच करके दिखा रहे हैं। श्रील प्रभुपाद की एक बात मुझे कहनी चाहिए जो बात उन्होंने कही थी जब वे मॉरीशस में थे।प्रभुपाद ने मॉरीशस इस्कॉन के फॉलोवर्स को एड्रेस किया था ( मुझे अच्छे से याद नही कि उन्होंने पार्लियामेंट में कहा था या..) कि इस देश मॉरीशस को बना दो-' द फर्स्ट कृष्णकॉन्सियसन्स कंट्री इन द वर्ल्ड'। आप समझे? प्रभुपाद ने कहा कि इस देश को संसार का पहला कृष्णभावना भावित देश बनाओ। ऐसी प्रभुपाद ने कुछ इच्छा व्यक्त की थी। कुछ घोषणा की थी, भक्त उस लक्ष्य को पाने के लिए लगे हुए हैं अथवा संघर्ष कर रहे हैं। बाकी जो सरकार और यहां की जनता है वह मॉरीशस को हांगकांग सिंगापुर जैसा बनाना चाहती है। यह बीमारी भी तो वहां है। कलियुग वहां भी है, समुद्र के मध्य में। कुछ लोग पश्चिम की नकल करते हैं, यह भी एक चैलेंज है। उन सारी चुनौतियों का सामना करते हुए हरे कृष्ण भक्त मेकिंग एनरोल्स एंड पुशिंग फॉरवर्ड कृष्ण कॉन्शसनेस तो ऑल नूप एंड कॉर्नवर्स ऑफ द मॉरीशस एंड अदर एडज्वाइनिंग नेबरिंग आईलैंडस अर्थात भक्त कृष्ण भावनामृत को मॉरीशस व आस पास के पड़ोसी देशों के हर कॉर्नर पर फैलाने का प्रयास कर रहे हैं
इसलिए मैं सोचता हूँ कि इसी क्रम में इस मंदिर का उदघाटन किया है। द टेंपल जगन्नाथ टेंपल। यह हमारे मॉरीशस के भक्तों व उनकी कृष्ण भावनामृत, उनके उत्साह को बूस्ट करेगा। मैं इस प्रकार की प्रार्थना करता हूं। यह टेंपल की प्री ओपनिंग कर रह हूं, यह प्री टेम्पल ओपनिंग स्पीच थी। मेरी ओर से भी मैं घोषित करता हूं कि जगन्नाथ या न्यू जगन्नाथपुरी मंदिर का ओपनिंग अथवा उदघाटन हो रहा है।
यह जगन्नाथ बलराम सुभद्रा हैं। जगन्नाथ बलदेव सुभद्रा की जय!
श्रील प्रभुपाद की जय!
श्री श्री गौर निताई की जय!
हरि नाम प्रभु की जय!बश्रील प्रभुपाद ट्रांस डेंटल बुक डिस्ट्रीब्यूशन की जय!
कृष्ण प्रसाद वितरण फूड फॉर लाइफ प्रोग्राम इन मॉरीशस की जय!
नाम हट की जय!
भक्ति वृक्ष की जय!
मॉरीशस में भी कई सारी पहल की जा रही है, उन सब की जय.. जय.. जय.. मैं श्रील प्रभुपाद की ओर से आप सब का आभार व्यक्त करता हूं। कि भक्तों इनिशिएटिव ले रहे है और उसके लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने इस नई प्रॉपर्टी को लिया और मंदिर बनाया। यह मंदिर मॉरीशस में सम्पूर्ण मानवता की सेवा में समर्पित है।
मैं आप सब मॉरीशस के भक्तों को बधाई देता हूं। भक्तों, मंदिर के अधिकारियों, लीडर्स, मूर्तिमान प्रभु को भी, जिन्होंने मुझे टेंपल ओपनिंग के लिए आमंत्रित किया है। न्यू जगन्नाथ टेम्पल ओपनिंग हो रहा है। ठीक है। वैसे, समय हो चुका है, बंद करने का। कौन्तेय! तुम इस अवसर पर कुछ कहना चाहते हो। हरे कृष्ण!
कौन्तेय प्रभु:- हरे कृष्ण गुरु महाराज, दंडवत प्रणाम, सभी भक्तों के चरणों में दंडवत प्रणाम।
गुरु महाराज, आज आपके मुखारविंद द्वारा इतना सुंदर बताया कि कैसे मॉरीशस की यात्रा रही है, हम इतने छोटे देश से हैं लेकिन हम चाहते है कि हम छोटे ही रहें, उसमें भक्ति कर सकते हैं, विनम्रता से भक्ति होती है। हम लोगों का छोटा सा प्रयास है। गुरु महाराज आपकी छत्रछाया में आपके आशीर्वाद से हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। बताना चाहता हूं कि आजकल हमारे मॉरीशस में इतनी सारी इस्कॉन संस्थाएं हैं, हम अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। गुरु महाराज, जगन्नाथ मंदिर देखा जाए तो उत्तर की ओर एक और भी जगन्नाथ मंदिर है । सुदामा प्रभु उस मंदिर के इंचार्ज हैं। ऐसे देखा जाए तो बहुत प्रचार चल रहा है। गुरु महाराज! आपके आशिर्वाद से हम लोग यही प्रयास कर रहे हैं कि महाप्रभु की जो वाणी है, श्रील प्रभुपाद की जो वाणी है, उसको सत्य करें, उस पर हम लोग काम कर रहे हैं। बीच में कोविड की वजह से प्रचार ऑनलाइन हो गया था पर अभी सरकार ने रूल्स को थोड़ा सा,.. कोविड प्रोटोकॉल तो अभी भी है पर सरकार ने थोड़ी छूट दे दी है। हम लोग अब बाहर जाना प्रारंभ कर रहे हैं । प्रचार तो नाम हट्ट में चल ही रहा है, अभी हमनें नाम हट्ट में जगन्नाथ कथा की।
अन्य जगहों में जगन्नाथ जी की कथा चल रही है। गुरु महाराज छोटी सी यात्रा है, यात्रा की ओर से आपको हम आमंत्रित कर रहे हैं, आपको मैं ईमेल भी भेज चुका हूं। फोन पर बात भी कर चुका हूँ। शीध्र ही आपके संग से हम सबको प्रसन्नता मिलेगी। हम आपको फिर से अपने छोटे से देश में आने के लिए आमंत्रित करते हैं। इस छोटे से देश में आने का जरूर प्लान कीजिए। आपकी उपस्थिति में ऐसे कई बड़े कार्य हैं जो हम लोग सोचते हैं नही होंगे। पर आपकी उपस्थिति से बहुत ऐसे कार्य हो जाते हैं। यह मैंने व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया है। ऐसे बहुत सारे प्रोजेक्ट है, जो आपके आने से अपने आप पूर्ण हो ही जाते हैं। जैसे आपने खुद बताया कि जगन्नाथ मंदिर के बारे में कि कैसे छोटा था, उसमें दस भक्त भी नहीं जा सकते थे अथवा खड़े हो सकते थे फिर भी मदन गोपाल प्रभु के प्रयास व अन्य भक्तों जैसे मूर्तिमान प्रभु, अकिंचन दामोदर प्रभु की मेहनत से हम देख रहे है कि जगन्नाथ जी की सेवा के लिए कितना बढ़िया मंदिर तैयार किया है। गुरु महाराज अगले वर्ष राधा गोलोकानन्द मंदिर का भी प्लानिंग कर रहे हैं। हम लोग कार्य कर रहे हैं, पूरा तन मन लगा रहे हैं ।
उसका मेगा स्ट्रक्चर बन चुका है। आप भूमि पूजा के समय आये थे आपने जो देखा था , वह पूरा नक्शे में बदल गया है। कहना चाहूंगा कि आने वाले वर्षों में यह मॉरीशस में सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बन जायेगा। किसी भी तरह लोग आएंगे तो वे मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते है, यही प्रयास है। गुरु महाराज, आपके बताए मार्ग पर हम चल रहे हैं। अभी बीच में हम पदयात्रा के लिए भी थोड़ा प्रयास कर रहे थे। पर कोविड प्रोटोकॉल की वजह से नही हो रहा था। अब सरकार ने कहा है कि मास्क पहनना अब इतना आवश्यक नही है, फिर भी हमें सावधानियां रखनी होगी। हम लोग उस पर काम कर रहे हैं, यह सब कोविड की वजह से रुक गया। आप लोगों की सूचना के लिए गुरु महाराज के आशीर्वाद से जो यूनियन आयरलैंड में आने वाला दीक्षा समारोह है, वहां प्रथम ब्राह्मण दीक्षा इन यूनियन आयरलैंड में होगा। यह सब प्रमाण है कि कैसे महाप्रभु और प्रभुपाद जी की वाणी है, वो पूरे मॉरीशस और आसपास के देश में प्रचार चल रहा है व सत्य हो रही है। गुरु महाराज- आशीर्वाद देते रहियेगा। मॉरीशस में गुरु महाराज जल्दी आईएगा। हरे कृष्ण!
गुरु महाराज- हरे कृष्ण!!!