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*हरे कृष्ण* *जप चर्चा-२८/०६/२०२२* *परम पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज* *जय राधा माधव, कुन्ज बिहारी जय राधा माधव, कुन्ज बिहारी गोपी जन बल्लभ गिरिवर धारी* ध्यान से सुनो सुन रहे हो जपा टॉक का समय है। आज के जपा टॉक सुनाने के समबन्ध में है। चातुर्मास आ ही रहा है। आषाढ़ी एकादशी से चातुर्मास शुरू होगा। ४ महीने चातुर्मास होता है। वर्षा ऋतू और शरद ऋतू ४ महीने। वर्षा ऋतू के २ और शरद ऋतू के २ ऐसे ४ महीने होते है। हमारी पंढरपुर का उच्च शिक्षा का संसथान है वेदांत प्रभुजी से आप कुछ बाते सुने हो आप मुझे भी आज आपसे अधिक बाते करना है। अगले २ दिन चातुर्मास में प्रभुपाद के ग्रंथो का अध्ययन करने की बाते कही जाएगी। हरी हरी श्रील प्रभुपाद के ग्रंथो की बाते मैराथन के समय होता है। जब हम बुक मैराथन की बात कर रहे थे तो उस वक्त यह दिसंबर महीने की बात है किसी ने वह विचार व्यक्त किया औरो ने भी समर्थन किया। हम तो बुक मैराथन करते रहते है अपने अपने छेत्र में सभी नेता योजना बनाते है हम भी अपने छेत्र में भक्तो के लिए , अनुयायियों, मित्रो के लिए यह योजना बना रहे है केवल मुझे यह कहना है रीडिंग श्रील प्रभुपाद बुक। चातुर्मास विशेष साधना करने का समय है। परिव्राजचार्य भी विशेष स्थान में रुक जाते है और वह साधना करते है अध्ययन करते है और अध्यापन भी करते है और लाभान्वित होते है। नारद मुनि ने भी कहा था कैसे उनके यहाँ भक्तिवेदांत आये थे और चातुर्मास में और उन्होंने भी कथा सुई , लीला सुनी उन भक्तिवेदांत से और छोटी मोटी सेवा भी की। नारद मुनि ने दोनों की सेवा की संतो की भक्तो की परिणाम क्या निकला दासी पुत्र बन गए नारद मुनि। वे मनन शील हुए उनके जीवन में ज्ञान और वैराग्य उतपन्न हुआ। श्रवण भक्ति जब हम ग्रंथो का अध्ययन करते है तो नंबर १ है श्रवण। जो कोई श्रवण भक्ति करता है तो ज्ञान और वैराग्य उतपन्न होता है। वैराग्य भी अनिवार्य है। भाव बंधन से मुक्त होना , ह्रदय में कई प्रकार के गाठ है उनसे मुक्त होना है। कुंती महारानी हमारे लिए कह रही है मुझे भक्ति दो। भागवत के श्रवण से , प्रभुपाद के ग्रंथो का पठन पाठन करेंगे आप। प्रतिदिन आप कोई न कोई कोर्स करोगे ऐसी व्यवस्था की जा रही है। भगवान् का स्मरण दिलाने के लिए होता है पठन पाठन। यह होता रहेगा ४ मास। सिस्टेमेटिक स्टडी भी होगी। सारा सिस्टम बन रहा है और आप सभी को उस सिस्टम का अंग बन रहा है ऐसा करने से आपकी भक्ति निष्ठा तक बन जाएगी और फिर प्रेम तक। श्रद्धा से प्रेम तक के जो सोपान है इस स्टडी से आप ऊपर चढ़ोगे निचे तो उतरने का प्रश्न ही नहीं है। आया राम गया राम होता ही रहता है लेकिन स्टडी करने से हम एक एक सोपान हायर सीढ़ी से प्रेम का जो सोपान है वह तक पहुंचेंगे। और वह कैसे होगा - *हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे* यह तो करना ही है और नित्यं भागवत सेवया भी करना है। भक्ति के ५ अंग है। भागवत श्रवण और नाम संकीर्तन यह २ अंग विशेष है इसका अवलोकन होगा आने वाले चातुर्मास में। प्रभुपाद के ग्रंथो का अध्ययन आप करने वाले हो ऐसा निवेदन किया जा रहा है आशा है आप मन जाओगे। प्रभुपाद भी अपने ग्रंथो को पढ़ा करते थे। एक दिन एक भक्त ने कहा आप भी ग्रन्थ पढ़ रहे हो? प्रभुपाद ने कहा कृष्ण ने डिक्टेशन किया और में लिखा यह गौर वाणी है हमको जरूर पढ़ने चाहिए। हरी हरी आप कहोगे यह पढ़ने की उम्र भी नहीं है। यह स्टडी जो है यह आजीवन जीवन के लिए अध्ययन है यह स्टडी कभी समाप्त नहीं होती। शरीर का अंत होता है तो भी यह अंत नहीं होती। आप बालक हो, वृद्धा वस्था में हो। हम किसकी स्टडी कर रहे है ? *कृष्णस्तु भगवान् स्वयं* कृष्ण कहे है ३ बाते - वेदो को मैं जनता हु, वेद की रचना करने वाला भी मैं हु , मुझे जानने के लिए वेद है। में आपको यह वेद दिए है और मुझे जानने के लिए यह शास्त्र का अध्ययन है। आप लिखे पढ़े हो आपने दुर्देव से भगवान् की स्टडी नहीं की। स्कूल में माया की शक्ति पढाई जाती है। संसार में जो भी स्टडी है वह माया है। इस स्टडी से पुनरपि जननं पुनरपि मरणम होता ही रहता है। जो संसार से परे पंहुचा देती है वह स्टडी हमे करना है। शिक्षा गुरु , दीक्षागुरु के संपर्क में हम आ गए है। एक होती है विद्या , एक होती है अविद्या। जो वेद वाणी है वह है विद्या। इसीलिए कहा गया है *तमसो माँ ज्योतिर गमया* अंधेरे से दूर जाओ बहार आओ। ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया। चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम:।। हम अज्ञान में फसे हुए है। ज्ञान का अनजान डालने की आवश्यकता है। चातुर्मास में अध्ययन करना है। आपको अकेले नहीं है आपको करवाई जाएगी। विद्वान भक्त आपको पढ़ाएंगे। गुरु शिस्य ऐसा सम्बन्ध है। आपको कोई पढ़ायेगा। आप अकेले पढोगे तो कोई शंका आएगा तो कौन समाधान करेगा। आपको कोई पढ़ायेगा तो आपका साक्षात्कार होगा। आपको कोई शंशय है तो आपका समाधान होगा। श्रद्धा के साथ आपको यह स्टडी करना है अध्ययन करना है। *आचार्य वान पुरुष वेद* - आचार्यवान जो व्यक्ति है वह जानेगा समझेगा। श्रील प्रभुपाद आपके आचार्य है ,उनके शिष्यों के शिस्य हमें पढ़ाते है हम पढ़ते है। श्रील प्रभुपाद आचार्यवान है उनके ग्रन्थ को जब हम स्वीकार करेंगे तो हम समझेगे सीखेंगे और भगवान् को समझेंगे। भगवान् को समझ लिया तो और कुछ सीखने समझने को की आवश्यकता नहीं है। *अथातो ब्रम्हा जिज्ञासा* तुम मनुष्य बने हो तुमको मनुष्य शरीर मिला है तो तुम ब्रम्ह को जानने के लिए उतकंठित जिज्ञासु बनो। बहुत कुछ कहा जा सकता है इस सम्बन्ध में। लेकिन आशा है इतना ही पर्याप्त है। आप अपना मन बना रहे हो मैं भी स्वयं स्टडी करने की योजना बना रहा हु। आप भी चातुर्मास में यह स्टडी करो। आपको केवल त्यार रहना है आपको बस भोजन के लिए बैठना है भोजन बना के आपके थाली में परोसा जायेगा आपका काम आसान किया जा रहा है।

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