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जपा टॉक 21 जून 2019 हरे कृष्णा !!! आज इस जपा टॉक में सम्मिलित होने वाले प्रतिभागियों की संख्या 618 है l हम अभी भी अपने लक्ष्य से दूर हैं। हमें प्रयास करना चाहिए कि यह संख्या निरंतर बढ़ती रहे और 700 तक पहुंच पाए। कल वृंदावन में हरिकीर्तन प्रभु की पुत्री गौरांगी माताजी का विवाह समारोह है। मैं हरिकीर्तन प्रभु का आध्यात्मिक पिता हूँ। हरिकीर्तन प्रभु मैसेज कर रहे हैं कि आप ही इस कार्यक्रम के यजमान हैं। इस कार्यक्रम के वास्तविक यजमान हरिकीर्तन प्रभु हैं। यदि आप वृन्दावन में हैं या उसके आस पास हैं तो शारीरिक रूप से इस विवाह समारोह में पधारिए और यदि आप शारीरिक रूप से वृंदावन में नहीं हैं तब आप मानसिक रूप से उसमें पधारिए और वर वधू को अपना आशीर्वाद प्रदान कीजिए। हरिबोल!!! आज मुझे यहां किसी ने स्मरण करवाया कि आज योग दिवस है। इसलिए हम कुछ समय तक वास्तविक योग के विषय में चर्चा करेंगे और बाद में हम अपनी जप चर्चा को आगे बढ़ाएंगे। योग दिवस, अच्छा है परंतु मुझे और अधिक प्रसन्नता होती यदि यह जप योग दिवस होता अर्थात जप के माध्यम से योग होता परन्तु ठीक है, अगर यह योग दिवस भी है l यदि इससे कोई फायदा या कुछ लाभ हो रहा है तो हम इसका भी स्वागत करते हैं। आज यहाँ इस्कॉन वृन्दावन में कृष्ण बलराम मंदिर में आयोजित योग दिवस कार्यक्रम में योगी मधुकृति प्रभु, आज भक्तों को योग करवाएगें। यह हमारे भारत के प्रधानमंत्री की पहल और प्रयास है। यूनाइटेड नेशन ने भी अभी 21 जून को इसे अंर्तराष्टीय योग दिवस के रूप में घोषित किया है। अतः आज के दिन हर कहीं योगासन, प्राणायाम आदि के बारे में बताया जाता है एवं उनका प्रदर्शन भी किया जाता है। इसके माध्यम से भारत वर्ष की महिमा का भी प्रचार होगा। योग का भक्ति योग के साथ कुछ संबंध है। हम यह नही कह सकते हैं कि यह पूर्ण रूप से योग है परन्तु कुछ मात्रा में इसका संबंध भक्ति योग से है। भक्ति योग को अष्टांग योग भी कहा जाता है। इसमें 8 प्रकार के अंग होते हैं। आठवां अंग ध्यान है अर्थात परम भगवान पर अपना ध्यान टिकाना परन्तु दुर्भाग्यवश अभी चारों तरफ जिस योग का प्रचार, प्रसार हो रहा है, उसमें केवल दो ही अंगों पर विशेष बल दिया जाता है, आसन और प्राणायाम, योग के शेष अंगो पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। वास्तव में योग का परम लक्ष्य भगवत स्मरण होता है परन्तु अब योग को शरीर की ओर लक्षित किया जाता है लेकिन हम योग को पूर्ण देखभाल (complete care) कहते हैं अर्थात पूर्ण रूप से शरीर, मन और आत्मा की देखभाल। वर्तमान के योगी, मन और आत्मा को परे रख कर केवल शरीर पर ही ध्यान देते हैं। योग के माध्यम से "शरीरे माध्यम केलो धर्मों साधनम "। आप भी आसन, योग, प्राणायाम का अभ्यास कीजिए। मैं भी यह योग करता हूँ। इस्कॉन के स्वास्थ्य मंत्री भी योग और प्राणायाम करते हैं । यह हमारे शरीर को फिट रखता है। जैसा कि कहा जाता है कि हमारा शरीर, हमारे आध्यात्मिक उन्नति पथ में एक विशेष साधन है। यदि योग के माध्यम से हमारा शरीर ठीक रहेगा, तब हम ठीक प्रकार से भक्ति कर सकेंगे। अतः हमें यह योग करना चाहिए। आप योग के साथ भक्ति योग भी कीजिये। वास्तव में यह योग भक्ति योग का ही एक अंश है। जो योग का अभ्यास करते हैं, वह भक्ति योग के एक अंश का भी अभ्यास करते हैं। मैं यहां वृन्दावन में हूंl वृन्दावन कई बातों के लिए विख्यात है जिनमें राधा कृष्ण की दिव्य लीला तथा रास लीला प्रमुख है। अभी मुझे स्मरण हो रहा है कि जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ जी बीमार हैं। शीघ्र ही रथयात्रा आ रही है ।रथयात्रा से मुझे स्मरण हो रहा है कि भगवान चैतन्य महाप्रभु जगन्नाथ पुरी में रथयात्रा के आगे आगे कीर्तन करते हैं, वास्तव में वही भगवान वृन्दावन रास लीला में नृत्य करते हैं। ऐसा वर्णन आता है कि किस प्रकार चैतन्य महाप्रभु ,रथयात्रा के समय पूरी कीर्तन पार्टी को सात अलग अलग दलों में विभाजित करते थे और प्रत्येक मंडली में उपस्थित होकर कीर्तन नृत्य करते थे। उसी प्रकार वृंदावन में रास लीला के समय कृष्ण प्रत्येक गोपी के साथ नृत्य करते थे अर्थात प्रत्येक गोपी के साथ कृष्ण थे। तब प्रत्येक गोपी यह सोच रही थी कि अभी केवल भगवान मेरे साथ ही नृत्य कर रहे हैं। मै उनकी सबसे प्रिय सखी हूँ इसलिए बाक़ी सबको छोड़ कर भगवान सिर्फ मेरे साथ नृत्य कर रहे हैं। उसी प्रकार जब चैतन्य महाप्रभु भी सभी कीर्तन मंडलियों के साथ नृत्य कर रहे थे, तब प्रत्येक कीर्तन मंडली यह सोच रही थी कि भगवान केवल हमारे साथ नृत्य कर रहे हैं,वे बाकी कीर्तन मंडलियों को छोड़कर हमारी कीर्तन मंडली में आए हैं, हम बहुत विशेष हैं। ऐसी बात नहीं थी। जिस प्रकार भगवान कृष्ण प्रत्येक गोपी को आनंद दे रहे थे उसी प्रकार चैतन्य महाप्रभु प्रत्येक कीर्तन मंडली के साथ में उपस्थित थे। इस प्रकार किसी ने कमेंट (टिप्पणी) किया कि जो बृज अथवा वृन्दावन में रासलीला है, वही नवद्वीप में संकीर्तन लीला है। दोनों में ही नृत्य, कीर्तन, समान भाव, मनोदशा, भक्ति रस प्रदर्शित हो रहा है। "नाच नाचे जीव नाचे नाचे प्रेम धन "जब संकीर्तन होता है, उससे सभी आनंदित होते हैं। जो ब्रज की रासलीला है वही नवद्वीप की संकीर्तन लीला है। "सेई गौर सेई कृष्ण सेई जगन्नाथ "अर्थात जो चैतन्य महाप्रभु हैं, वही कृष्ण हैं। रासलीला नृत्य के नृत्यक भगवान श्री कृष्ण हैं वही संकीर्तन लीला के नर्तक भगवान चैतन्य महाप्रभु बन गए हैं। 5000 वर्ष पहले जिन्होंने वृन्दावन में रास नृत्य किया था, 500वर्ष पूर्व नवद्वीप में अर्थात जगन्नाथ पुरी में उन्होंने ही कीर्तन नृत्य कियाl "श्री कृष्ण चैतन्य राधा कृष्ण नहीं अन्य" चैतन्य महाप्रभु राधा और कृष्ण का एक सम्मिलित स्वरूप है, राधा कृष्ण एक होकर चैतन्य महाप्रभु के रूप में प्रकट होते हैं। हमें इस चीज पर विश्वास करना चाहिए और आभास करना चाहिए कि श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु और भगवान श्री कृष्ण एक ही हैं, वे दोनों अलग नहीं हैं। महाप्रभु का संकीर्तन ही वास्तव में इस युग का धर्म है और यही सभी जीवों का धर्म है कि वे इस संकीर्तन आंदोलन में भाग लें, कीर्तन और नृत्य करें l वास्तव में हम अत्यंत भाग्यशाली हैं कि हम संकीर्तन आंदोलन से जुड़ पाए और हमें यह सौभाग्य मिला कि हम इसमें भाग ले सकें। मैं अपनी वाणी को अभी यहीं विराम देता हूं। मुझे कृष्ण बलराम मंदिर में जाना है, वहाँ पर 8 बजे मैं भागवतम पर प्रवचन दूंगा। आप सभी का स्वागत है। आप इसे ऑनलाइन भी सुन सकते हैं l हरे कृष्णा

English

21st June 2019 Tomorrow Gaurangi mataji’s marriage ceremony is there in Vrindavan. I am also attending the marriage you can also join if you are in Vrindavan. So, today's participants are 618, we have still not reached our target. We have to reach 700. Real host is Hari kirtan. Bless the couple with your prayers from where ever you are. Shower your blessings in advance a big Gauranga for Gaurangi. Today is yoga day. Somebody reminded me, so I will talk about real yoga and then proceed further. Yoga day, it's nice. I would be happier if it would be bhakti yoga day. ISKCON Vrindavan devotees are participating in yoga day program conducted by in Krishna Balaram temple. You could also participate, its good. It is Prime minister’s initiative. United Nation has announced it as yoga day. Demonstrate yoga today, so this is also glory of Bharat Varsha. There is some remote connection with the yoga, bhakti yoga. Bhakti yoga or another name is also ‘Ashtanga yoga’. It has 8 parts resulting in mediation on the Lord, that goes on the name of yoga, two parts ‘asana’ and ‘pranayam’. So, instead of yoga for remembering the Lord or yoga for God, now days yoga is targeted toward body. Complete care of body and mind ‘ashtanga yoga’. We could practice yoga asana. I also do yoga. ISKCON health minister also practices yoga it keeps your body fit. If this yoga helps that's also good. You do yoga or this yoga is part of bhakti yoga. Its ansh and not anshi, it's just part of bhakti yoga. The time is running out. Gauranga! I am here in Vrindavan . It is known for lot of things. You know the glories Radha Krishna -pastime rasa dance. Jagannath is not well, soon there will be ratha yatra. Chaitanya Mahaprabhu used to dance and the same Lord dances here in rasa dance. So there was a time that Chaitanya Mahaprabhu would divide whole kirtan party in seven different parties and Chaitanya Mahaprabhu would dance in each kirtan party. So like that, in Vrindavan Krishna dances with each gopi, He expands and as many gopis many Krishna the same Krishna expands and dance in each kirtan party in Jagannath Puri. Then each gopi would think Krishna is dancing only with me. I am His favorite gopi. Like that each kirtan party would think, Chaitanya Mahaprabhu is dancing only with us, we are very special. That was not the case. He was dancing in each kirtan party and Krishna was dancing with each gopi. So rasa lila in Vrindavan, sankirtana in Mayapur, dancing kirtan festival same mood or quality devotion,s emotion is taking place on sankirtana performance “Hare. . name nache. .’ Everyone is dancing in Jagannath Puri. ‘So sei Gaura sei’ that is also understanding. Compare, the dancer of rasa lila is dancing in sankirtana jei Gaura sei Krishna, Krishna is dancing in Vrindavan. 5000 years back and same Krishna is dancing in sankirtana “Sri Krishna Chaitanya Radha Krishna nahi anya”. We should realize Chaitanya Mahaprabhu is same Krishna, that Sri Krishna Chaitanya Mahaprabhu gives sankirtana to whole world. So, we are blessed. Sankirtana has reached us ‘sankirtana andolan’. I have to take your leave it's time for Krishna Balaram darshan and then there will be Bhagavatam class in Hindi. Hare Krishna

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