Hindi

*जप चर्चा* *परम् पूजनीय लोक नाथ स्वामी महाराज द्वारा* *कानपुर से!!!* *दिनांक 16.04.2022* हरे कृष्ण!!! गौर प्रेमानंदे हरि हरि बोल! इस्कॉन कानपुर भक्त वृंद की जय! अभी आपकी जानकारी के लिए कुछ अनाउंसमेंट (घोषणा) हुई। शायद यहां उपस्थित भक्तों ने नहीं सुना होगा। मैं आपकी जानकारी के लिए कहता हूं कि हम अभी इस्कॉन के राधा माधव के समक्ष और आपके साथ जप कर ही रहे थे । इस्कॉन राधा माधव की जय! साथ ही साथ हम देशभर के और कई विदेशों के भक्तों के साथ भी बड़ी संख्या में जप कर रहे थे और प्रतिदिन जप करते ही रहते हैं। तत्पश्चात इस समय 6.45 पर जपा टॉक होता है। पहले जप करते हैं और फिर जपा टॉक होता है। कुछ कथा, कुछ स्मरण करते हैं, कुछ श्रवण कीर्तन होता है। आज भी हम उस को आगे बढ़ा रहे हैं। अंतर इतना ही है कि आज हम जपा टॉक को थोड़ा छोटा करेंगे क्योंकि 8:00 बजे दोबारा टॉक है, भागवत कथा होने वाली है। यह उस घोषणा (अनाउंसमेंट) में कहा गया है, मैंने इसको आपकी जानकारी व समझ के लिए दोबारा दोहराया है। आज का दिन महान है। वैसे कृष्ण भावनामृत में हर दिन महान होता ही है किंतु कुछ दिन बहुत अधिक महान होते हैं। जैसे आज चैत्र पूर्णिमा है। (है या नहीं?) आज के दिन त्रेता युग में दस लाख (1000000) वर्ष पूर्व और द्वापर युग अर्थात पांच हजार (5000) वर्ष पूर्व और इस कलियुग में (500) वर्ष पूर्व, कुछ घटनाएं घटी। आज के दिन इस पूर्णिमा के दिन कुछ लीलाएं संपन्न हुई। आज कई आचार्यों के आविर्भाव तिथि महोत्सव भी है। उनमें हमारे राम भक्त हनुमान की जयंती भी आज है। राम भक्त हनुमान की जय! युग अलग-अलग या कालावधि अलग-अलग थे लेकिन आज के दिन ये सब घटनाएं, ये सब लीलाएं अथवा कुछ आविर्भाव या जन्म तिथियां हुई हैं। आज चैत्र पूर्णिमा है। हरि! हरि! आज संक्षिप्त ही कहना है, यह चुनौती है। इतना महान चरित्र और मुझे कुछ मिनटों में कहना है। हरि! हरि! हनुमान को ही याद करते हैं, आपने आजकल किष्किंधा क्षेत्र के संबंध में बारंबार सुना होगा। अभी तो यह रामनवमी संपन्न हुई है और राम कथाएं हो ही रही थी। रामकथा के अंतर्गत एक कांड है, किष्किंधा कांड। किष्किंधा स्थान भी है। किष्किंधा में (आजकल की भाषा में) हम्पी नामक स्थान है।(आपने सुना होगा) जो महाराष्ट्र और कर्नाटक के बॉर्डर पर है। वहां पर पंपा सरोवर भी है और ऋषिमुख पर्वत भी वहां पर है। यह सारा पर्वतीय क्षेत्र है। वहां पर्वत के शिखर पर ही हनुमान का जन्म आज के दिन हुआ। हरि बोल! राम भक्त हनुमान की जय! यह भी समझना होगा, (पता नहीं आज मैं क्या-क्या समझाने वाला हूं) हनुमान राम भक्त हैं लेकिन भगवान नहीं हैं। हनुमान राम दास हैं या राम भक्त हैं। ऐसी कई सारी सिद्धियां प्राप्त किए हुए हैं, जहां होते हैं चमत्कार, तब वहां होता है नमस्कार। हमारे देश में चमत्कार दिखाने वाले कई सारे सिद्धि, योगी, बाबा वगैरह होते हैं। ये भगवान, वे भगवान..। फिर सिद्धि दिखाते हैं, चाहे साईं है या... इन बदमाशों का नाम तक का उच्चारण होता है। हरि! हरि! हनुमान, पवन पुत्र थे। हनुमान के लिए आसमान में उड़ना तो बाएं हाथ का खेल है, यह उनकी सिद्धि थी। वैसे जब उन्होंने जन्म लिया, (भागवत कथा के समय में अधिक कहने का विचार तो था) जन्म लेते ही (वैसे सूर्य उदय तो हो चुका है) हनुमान को भूख लगी और मम्मी से मांगने लगे। कुछ खाने को दो ,मैया! कुछ खाने को दो। मैया ने सूर्य की ओर संकेत किया, वह देखो, कोई फल है, उसको खाओ। हनुमान ने उड़ान भरी और सूर्य की ओर आगे बढ़े। निकट पहुंचकर अब सूर्य को खाने का प्रयास करना ही था, इतने में सूर्य देव ने इंद्र देवता को कहा -बचाओ! बचाओ! बचाओ! हेल्प! हेल्प! इंद्र जोकि स्वर्ग के राजा हैं, उन्होंने अपने हथियार व्रज का प्रयोग किया और मार दिया, हो सकता है कि फैंका भी हो। वह निशाना हनुमान जी की ठोड़ी अथवा हनु पर लगा। अंदर कुछ टूट भी गया, कुछ बिगाड़ भी हुआ। जैसे हनुमान का जो नाम है अर्थात हनुमान की जो हनू है, जिस प्रकार का हम दर्शन करते हैं। वह इंद्र के व्रज के प्रहार से हुआ था, इसलिए उनका नाम हनुमान हुआ। जब यह प्रहार हुआ तब हनुमान बालक ही थे,अभी अभी जन्में ही थे, वे बेहोश हो गए थे। तब पवन देवता आगे बढ़े, बच्चे को बचाने के उद्देश्य से, उसकी रक्षा करने के उद्देश्य से उसको पुनः वापिस हम्पी में ले आए। लेकिन उन्होंने अनुभव किया था अर्थात वे समझ गए थे कि मेरे बालक पर प्रहार करने वाला स्वर्ग का राजा है। उसमें सूर्य और कई सारे देवता सम्मिलित है। तब पवन/ वायु देवता ने अपनी वायु का जो चहल-पहल है, उसको रोक दिया था। इसी के साथ संसार भर के जीवों व देवताओं का दम घुटने लगा। फिर उन सब को पवन देवता के आश्रय में हम्पी आना पड़ा और वे पवन देवता से प्रार्थना करने लगे। कृपया हवा छोड़िए, दम घुट रहा है माफ कीजिए, कृपया हमें क्षमा कीजिए। उस समय सूर्य देव, इंद्र देव, अग्नि देव के साथ साथ सभी देवताओं ने अलग-अलग वरदान दिए। कोई हथियार तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता अर्थात कुछ भी तुम्हें हानि नहीं पहुंचा सकता। यहां तक कि मेरा व्रज भी भविष्य में तुम्हें कोई क्षति नहीं पहुंचा सकता, ऐसा वरदान इंद्र ने दिया। हनुमान का एक नाम वजरंगी हुआ, उनका अंग व्रज जैसा कठोर व बलवान है। वजरंगी हनुमान की जय!!! ब्रह्मा भी आए थे, ब्रह्मा ने कहा- तुम अमर बनो, तुम चिरंजीवी बनो कुछ प्रसिद्ध चिरंजीवी व्यक्तित्व है। उनमें एक हनुमान है, हनुमान चिरंजीवी है, सदा के लिए जीवित रहने वाले हैं। अग्नि देवता ने वरदान दिया कि अग्नि तुमको जला नहीं सकती। इसीलिए हनुमान जब लंका पहुंचे थे तब रावण ने वहां के लोगों को कहा था कि इसकी पूंछ पर कोई वस्त्र बांध दो और आग लगा दो। पूंछ भी जलेगी और यह भी जल जाएगा लेकिन ऐसा तो कुछ हुआ नहीं। इसके विपरीत, उस हनुमान ने सारी लंका को जला दिया। इस प्रकार कई देवताओं ने कई सारे अलग-अलग वरदान दिए। हनुमान को कई सारी सिद्धियां प्राप्त हुई। वे अपनी सिद्धियों का उपयोग राम की सेवा में ही करते रहे। जब सीता को खोजना था, तब हनुमान ने उड़ान भरी, वायु मार्ग से गए, वह भी सिद्धि है। वहां गए तो कुछ बिल्ली बन गए। छोटे बन गए तो फिर अणिमा, लघिमा, जो अष्ट सिद्धियां हैं। यह सारी हनुमान को प्राप्त हुई। रास्ते में सुरसा आई तब (आप जानते ही हो?) उसने मुख बड़ा किया। हनुमान उससे बड़े हो गए, तब सुरसा ने अपना मुख और भी बड़ा किया अर्थात हनुमान के साइज से दुगना कर दिया। हनुमान उसके मुख के भी दुगने आकार के बन गए, इस तरह प्रतियोगिता हो रही थी। अंततोगत्वा हनुमान छोटे मक्खी के साइज के बन गए। सुरसा के मुख में प्रवेश भी किया। अंदर और बाहर भी हुए। तत्पश्चात आगे बढ़े। यह सब सिद्धियां... राम को जब लंका जाना था, राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम है। वे भी उड़ान भरकर जा सकते थे लेकिन वे नहीं गए। हनुमान, राम की सेवा में पहले उड़ान भर कर लंका गए। लंका एयरवेज! हमारे हनुमान, वैसे ब्रह्मचारियों के लिए एक आदर्श ब्रह्मचारी हैं। हरि! हरि! जप करने वालों के लिए भी हनुमान एक आदर्श हैं। वे सब समय सीताराम.. सीताराम... या श्री राम... जय राम.. जय राम... जय जय राम... जप करते ही रहते हैं, उनके हाथ में काम, मुख में सदैव नाम रहता है। *चक्षुदान दिलो येई, जन्मे जन्मे प्रभु सेइ, दिव्य ज्ञान हृदे प्रकाशित। प्रेम-भक्ति याँहा हइते, अविद्या विनाश जाते, वेदे गाय याँहार चरित॥3॥* ( गुरु- वंदना) अर्थ:- वे मेरी बन्द आँखों को खोलते हैं तथा मेरे हृदय में दिव्य ज्ञान भरते हैं। जन्म-जन्मातरों से वे मेरे प्रभु हैं, वे प्रेमाभक्ति प्रदान करते हैं और अविद्या का नाश करते हैं। वैदिक शास्त्र उनके चरित्र का गान करते हैं। उनके हृदय प्रांगण में दिव्य ज्ञान प्रकाशित होता रहता है या *प्रेमाञ्जनच्छुरितभक्तिविलोचनेन सन्तः सदैव हृदयेषु विलोकयन्ति। यं श्यामसुंदरमचिन्त्यगुणस्वरूपं गोविन्दमादिपुरुषं तमहं भजामि।।* ( ब्रह्म- संहिता श्लोक ५.३८) अर्थ:- जो स्वयं श्यामसुंदर श्री कृष्ण हैं, जिनके अनेकानेक अचिंत्य गुण हैं तथा जिनका शुद्ध भक्त प्रेम के अंजन से रञ्जित भक्ति के नेत्रों द्वारा अपने अनतर्हृदय में दर्शन करते हैं, उन आदि पुरुष भगवान गोविंद का मैं भजन करता हूं। वैसे हनुमान में भी भक्ति के सारे लक्षण, विकार उनके अंग में प्रकाशित होते हैं। आंसू भी बहाते हैं, रोमांचित भी होते हैं, जब वे राम नाम का उच्चारण करते हैं तब वे हृदय प्रांगण में सीताराम का दर्शन भी करते हैं। मुझे याद आया, कुछ वर्ष पहले मैं मुंबई में था, तब मैं जुहू से चौपाटी मंदिर की तरफ जा रहा था। मैंने साइन(बिल) बोर्ड देखा। उसमें एक नौजवान (यंगमैन) युवक था और अपना सीना फाड़ कर दिखा रहा था। हम देखना तो नहीं चाहते थे लेकिन इतने बड़े बिल/बोर्ड साइन बोर्ड देखना ही पड़ता है। हमने जब देखा, उसके दिल में लिम्का बोतल दिखाई हुई थी, गर्मी का दिन था। हम जो भी देखते व सुनते हैं , उसी का स्मरण भी होता है। *ध्यायतो विषयान्पुंसः सङगस्तेषूपजायते | सङगात्सञ्जायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते ।।* ( भगवद्गीता २.६२) अनुवाद:- इन्द्रियाविषयों का चिन्तन करते हुए मनुष्य की उनमें आसक्ति उत्पन्न हो जाति है और ऐसी आसक्ति से काम उत्पन्न होता है और फिर काम से क्रोध प्रकट होता है। (लिम्का पीने की कामना हो जाती है, जब हम लिम्का का ध्यान करते हैं। वो व्यक्ति लिम्का का ही ध्यान कर रहा था औऱ उसके दिल में तो लिम्का ही बैठी हुई थी।) हनुमान ने एक समय में ने अपना सीना फाड़ कर दिखाया, जिसमें जय सीताराम थे। जय सीताराम! जय सीताराम! ठीक है, मेरा समय समाप्त हो चुका है। आज के दिन जो तिथियां है, उसका स्मरण,भागवत कथा के समय करेंगे। यह हमारे जो ज़ूम कॉन्फ्रेंस के भक्त हैं, उनके लिए जपा कॉन्फ्रेंस संक्षिप्त में हुआ। वैसे आपका भी स्वागत है। कानपुर के भक्त 8:00 बजे कथा में रहेंगे ही लेकिन आप सभी भी 8:00 बजे भी ज्वाइन कर सकते हो और बची हुई आज की कथाएं या देखते हैं, किस प्रकार कितना चर्चा या स्मरण कर सकते हैं। ठीक है। गौर प्रेमानंदे हरि हरि बोल!

English

Russian