Hindi

माया की सेवा मत करो परम करुणा प्रत्येक दिन नागपुर से हमारे साथ जप करते हैं , आज वे व्यावसायिक यात्रा में चीन गए हुए हैं तथा वहां से जप कर रहे हैं। इस प्रकार भक्त इस जप कांफ्रेंस का लाभ ले रहे हैं। यहाँ तक कि जब वे यात्रा में होते हैं तब भी उन्हें इस कांफ्रेंस के माध्यम से जप के समय थोड़ा सा मेरा तथा आप सभी सैकड़ों भक्तों का संग प्राप्त होता हैं। मैं आज नॉएडा में हूँ। आज नॉएडा मंदिर में अत्यन्त महत्वपूर्ण मेहमान पधारे हैं। आज हमारे साथ नित्यानन्द प्रभु की चरण पादुकाएँ यहाँ उपस्थित हैं। इसलिए हम नित्यानन्द प्रभु की पादुकाओं का हार्दिक स्वागत करते हैं। आज का दिन इस्कॉन नॉएडा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन हैं। आज शाम को यहाँ ऑडिटोरियम में TOVP मन्दिर के लिए धन जुटाने का बड़ा कार्यक्रम हैं। आप अनुमान लगाइए और कोन आ रहा हैं इस कार्यक्रम में भाग लेने ? आज शाम हमारे मध्य अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति उपस्थित रहेंगे और वे हैं - अम्बरीष प्रभु (अल्फ्रेड फोर्ड ) । आज श्रीमान जननिवास प्रभु हमारे जप सत्र के लिए अतिथि वक्ता होंगे। इस्कॉन नॉएडा के भक्त हमारे आसपास बैठे हुए हैं तथा आज ही प्रभुपाद के TOVP प्रोजेक्ट के लिए धन एकत्रित करने का कार्यक्रम भी हैं। हम जननिवास प्रभु के अत्यन्त आभारी हैं जिन्होंने नित्यानन्द प्रभु के चरण पादुकाओं को यहाँ लाया। हम आपके ह्रदय से बहुत बहुत आभारी हैं। जननिवास प्रभु कभी भी मायापुर नहीं छोड़ते हैं। आपको उनकी अनवरत सेवा तथा उनकी महिमा के बारे में पता ही होगा। एक पहाड़ के समान दृढ निश्चय के साथ प्रभु जी ने स्वयं को मायापुर में राधा माधव , पंचतत्त्व तथा नरसिंह देव के चरण कमलों में समर्पित कर दिया हैं। वे लगभग पिछले ५० वर्षों से अनवरत भगवान की सेवा में सलग्न हैं। आज जब मैं राधा गोविन्द जी की आरती कर रहा था तब नित्यानन्द प्रभु की चरण पादुकाएँ भी वेदी पर थी, जो आज सर्वाकर्षक थी। मैं उनके आगमन का अत्यंत बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा था। मैं पिछले कई दिनों से नित्यानन्द प्रभु के चरण कमलों के विषय में चिंतन कर रहा था। जब वे पादुकाएं वेदी पर थी और मैं आरती कर रहा था तभी मुझे भीतर से एक आवाज़ सुनाई दी। मैं यह निश्चय पूर्वक कह सकता हूँ कि यह आवाज़ अत्यंत तीव्र तथा साफ़ थी। यह आवाज़ थी : " क्यों ? क्यों ? क्यों ? " और इसके पश्चात निम्न विचार - आप माया की सेवा क्यों करते हैं ? मुझे इसका कोई एक भी उपयुक्त कारण बताओ ? क्या इस जगत में कोई एक भी हैं जो मुझे या तुम्हे यह विश्वास दिला सकता हैं कि हमें माया के प्रति समर्पित क्यों होना चाहिए ? क्यों ? क्यों ? क्यों ? " अतः मुझे ऐसा लगा मानो स्वयं नित्यानन्द प्रभु यह कह रहे हो। वे आदि गुरु हैं। वे मुझसे प्रश्न कर रहे थे कि तुम जप के समय क्यों सो जाते हो , तथा इस प्रकार से क्या तुम माया की सेवा नहीं करते हो ? इस प्रकार यह नित्यानन्द प्रभु की कृपा तथा खुलासा था। अतः आज मैं जननिवास प्रभु से प्रार्थना करूँगा कि वे हमें कुछ बतायें। इस कांफ्रेंस में लगभग ४०० भक्त हैं जो जप कर रहे हैं तथा हमें सुन रहे हैं। हम सभी यह जानना चाहते हैं कि किस प्रकार आप मायापुर में रहते हुए निरन्तर आध्यात्मिक सेवा करने में सक्षम हो पाए। निरन्तर भगवान की सेवा तथा अपना जप करने में आप कैसे सफल हुए। आप अपने नृत्य के लिए भी जाने जाते हैं। ये सभी सेवाएं आप अनेक वर्षों से कर रहे हैं। अतः इसका रहस्य क्या हैं ? आप कृपया कृपा करके इस कांफ्रेंस के माध्यम से लगभग २० देशों के भक्तों को यह बताइये। श्रीमान जननिवास प्रभुजी - हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। मुझे नॉएडा में तथा इस कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। सभी को शरण प्रदान करने वाली नित्यानन्द प्रभू की चरण पादुकाएँ भी यहाँ हैं। महाराज ने जैसा बताया कि हम क्यों निरंतर माया के दास बनकर रहे ? हम कई जन्मों से निरन्तर माया के साथ ही रहे हैं। परन्तु अब श्रील प्रभुपाद की कृपा से हम माया के छल से परे देखने में सक्षम हो पाए हैं। इस जगत में आनन्द लेना उस समुद्र में आनन्द लेने के समान हैं जो शार्क , घड़ियालों तथा तिमिंगिला मछलियों से भरा हुआ हैं अर्थात जहाँ खतरा बहुत अधिक हैं। यह हमारी भक्ति को निगल जाएगा। अतः राधा गोविन्द देव जी की शरण ग्रहण कीजिए। यद्यपि माया का आकर्षण अत्यंत प्रबल हैं परन्तु हरिनाम का आकर्षण उससे भी कई गुना अधिक हैं। मैं क्यों स्थित रहा ? वास्तव में मैं शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्थिर नहीं हूँ , परन्तु वैदी भक्ति के द्वारा हम हमारी इन्द्रियों को भगवान की सेवा में सलग्न कर सकते हैं। इससे हमें शुध्दता मिलती हैं। मुझे हरिनाम , कृष्णभावनामृत , तथा विशेष रूप से हमारा दर्शनशास्त्र अत्यंत आकर्षक लगता हैं जो हमें यह बताता हैं कि हम वास्तव में भगवद धाम जा रहे हैं। हमें यह भी पता हो गया हैं कि वृन्दावन की अद्भुत भूमि में रहने वाले भगवान श्री कृष्ण वास्तव में कौन हैं। भगवद गीता के एक तात्पर्य में आता हैं - भगवान कृष्ण के धाम , लीलाओं तथा गुणों का वर्णन सुनकर कोई भी मोहित हो जाता हैं। मैंने विचार किया कि यह अत्यंत अद्भुत हैं। हम इस आकर्षण के विषय में और अधिक चर्चा करेंगे। इसके अलावा और कुछ भी अधिक महत्पूर्ण नहीं हैं। यहाँ परम भगवान श्री कृष्ण हैं , यहाँ उनका धाम हैं , यहाँ उनका निवास स्थान हैं , यहाँ गोवर्धन तथा यमुना हैं , इन सभी के लिए हम खोज कर रहे थे तथा श्रील प्रभुपाद ने वे सभी वास्तव में हमें प्रदान किए अतः मैं उनका बहुत बहुत आभारी हूँ। यदि हम केवल उनके चरण कमलों को मजबूती से पकड़ कर रखेंगे तो हम निश्चित ही भगवद धाम जा सकते हैं। हम इस जगत में रहते हुए अपना कर्म करके भी इससे कभी आकर्षित नहीं होंगे अपितु हम केवल अपना जीवन निर्वाह करेंगे। किसी ने एक टिप्पणी की थी कि मुझे स्थिर रहने के लिए निरन्तर हरिनाम का जप करना चाहिए। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। श्रील प्रभुपाद की जय ! परम पुज्य लोकनाथ स्वामी महाराज की जय ! समवेत भक्त वृन्द की जय !

English

DON'T SERVE MAYA! Parama Karuna used to chant everyday with us from Nagpur, now he is in China for business tour and is chanting from there. Like that devotees are taking advantage of the japa conference. Even when they are traveling they get association during chanting and a little bit of my association and also hundreds of you chanting with us. I am in Noida. Today we have special VVIP visitors visiting Noida. We have Nityanand Padukas here. So we welcome Nityanand Padukas. We have HG. Jananivas Prabhu here today. It's a very big day today for ISKCON Noida. They have arranged a fundraising program for TOVP in the auditorium this evening. Guess who else is coming! We have a very special guest this evening as well, Ambarish Prabhuji ( Alfred Ford) will be attending . Today HG. Jananivas Prabhu will be our guest speaker for morning japa talk. ISKCON Noida devotees are around me. We have a fundraising program for Prabhupada's TOVP project. We are very thankful to Jananivas Prabhuji for bringing Padukas - Lord Nityananda's footprints over here. We are very, very grateful. He never leaves Mayapur. You must be knowing his glories and his steady service. Steady like a rock and with great determination he has stuck to Mayapur, to the Lotus Feet of Radha-Madhava, Pancatattva and Lord Narasimha. He has been doing service year after year almost for fifty years now. Nityananda Prabhu's Padukas are on the altar and I was offering aarti to Radha-Govind. But the special attraction was Nityananda Prabhu's Padukas. I was eagerly awaiting Their arrival. I had been thinking about the Lotus Feet of Nityananda Prabhu for several days. As they were on the altar and as I was offering aarti to them, I heard a voice from within. I could say it was very clear & loud. The voice was WHY? WHY? WHY? And then the following thoughts were “ Why should you serve Maya? Tell me. Any good reason? Any body in the world could convince me or you, why you should remember or serve maya- Why? Why? Why? So I thought that was Lord Nityananda speaking. He is the original guru. He was questioning me why should you sleep during chanting. You are serving maya that way right? So that was the blessings of Lord Nityananda, the revelations of Lord Nityananda. So today I would request HG.Jananivas Prabhuji to speak. We had been around four hundred devotees chanting on this conference and listening. We would like to hear how you had been maintaining steady devotional service, steadily staying on in Mayapur. steadily serving their Lordships and steadily also chanting. You are also known for your dance. You have been doing this year after year. So what is the secret? You kindly share that with us , with chanters from around 20 countries. HG. JANANIVAS PRABHUJI HARE KRISHNA HARE KRISHNA KRISHNA KRISHNA HARE HARE HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAMA HARE HARE. Thank you for inviting me to Noida and in this program. Lord Nityananda's shoes are here for everyone to take shelter of. Maharaja said why should we remain steady with Maya? We had been steady with Maya for billions and billions of births. By Prabhupada’s grace we have been able to see through the grand hoax of Maya. Trying to enjoy this material world which is like an ocean full of Sharks & alligators and Timingila fish. It will swallow our Bhakti. So take shelter of lotus Feet of Radha-Govindji. Attraction for Maya is very strong. But not stronger than the Holy name. Why I am remaining steady? Actually I am physically and even with mind not steady, but somehow or the other by the process of vaidhi sadhana bhakti we can externally engage our senses in the service. It purifies. I like the holy name and Krishna consciousness and specially the philosophy because we know we are going back to Godhead. We know who Krsna is in the wonderful land of Vrindavan. There is one purport in Gita. - one should become captivated by hearing the descriptions of Krsna , his dhama and his activities. I thought it was such a wonderful thing. We will explain this attraction. Nothing else would really make sense. Here is Krsna, The Supreme personality of Godhead. Here is his dhama. Here is his abode. Here is Govardhan. Here is Jamuna. All these are wonderful things we have been searching for and Prabhupada gave us that in reality, so l am very thankful. Just hold on to his lotus feet and we can go back to Godhead. We can maintain in this material world and I have don't have any attraction, but somehow or other I can maintain. Someone made a comment let me become steady then I will chant the holy name HARE KRISHNA HARE KRISHNA KRISHNA KRISHNA HARE HARE HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAMA HARE HARE. Srila Prabhupada ki Jai! HH. Lokanath Swami Maharaja ki Jai! Samaveda Bhakta Vrnda ki JaI!

Russian

Джапа сессия 23.02.2019 НЕ СЛУЖИТЕ МАЙЕ! Парама Каруна воспевал каждый день с нами в Нагпуре, сейчас он находится в Китае в командировке и воспевает там. Вот так преданные пользуются преимуществами джапа - конференции. Даже когда они путешествуют, они получают общение с преданными во время воспевания, у них есть немного моего общения, и к тому же сотни из вас также воспевают с нами. Я сейчас в Ноиде. Сегодня у нас есть специальные VVIP гости, посещающие Ноиду. У нас есть Нитьянанда Падукаш. Мы приветствуем Нитьянанду Падукаша. У нас есть Е.М. Джананивас прабху здесь сегодня. Сегодня очень важный день для ИСККОН Нойда. Этим вечером они организовали программу сбора средств для Храма Ведического Планетария (TOVP) в аудитории. Угадайте, кто еще ожидается! У нас также есть особый гость сегодня вечером, Амбариш Прабхуджи (Альфред Форд) будет присутствовать. Сегодня Е. М. Джананивас Прабху будет нашим приглашенным докладчиком на утренней беседе о джапе. Преданные ИСККОН Нойды вокруг меня. У нас есть программа сбора средств для проекта Храма Ведического Планетария (TOVP) Прабхупады. Мы очень благодарны Джананивасу Прабхуджи за то, что он привез сюда Падуки – следы стоп Господа Нитьянанды. Мы очень, очень благодарны. Он никогда не покидает Маяпур. Вы должны знать его славу и его постоянное служение. Устойчивый, как скала, и с большой решимостью он привязался к Маяпуру, к Лотосным Стопам Радхи-Мадхавы, Панчататтвы и Господа Нарасимхи. Он служит год за годом почти пятьдесят лет. Падуки Нитьянанды Прабху находятся на алтаре, и я предлагал Арати Радха-Говинде. Но особой достопримечательностью были падуки Нитьянанды Прабху. Я с нетерпением ждал их прибытия. Я думал о Лотосных Стопах Нитьянанды Прабху в течение нескольких дней. Когда они были на алтаре и когда я предлагал им арати, я услышал голос изнутри. Я мог бы сказать, что это было очень ясно и громко. Голос был ЗАЧЕМ? ЗАЧЕМ? ЗАЧЕМ? И затем следующие мысли были: «Почему вы должны служить Майе? Скажите мне. Есть ли какая-то хорошая причина? Любой в мире может убедить меня или вас, почему вы должны помнить майю или служить ей. Зачем? Зачем? Зачем? Я подумал, что это говорит Господь Нитьянанда. Он изначальный гуру. Он спрашивал меня, почему вы спите во время воспевания. Вы служите майе таким образом, это верно? Так что это были благословения Господа Нитьянанды, откровения Господа Нитьянанды. Поэтому сегодня я бы попросил выступить Е.М. Джананиваса Прабхуджи. На этой конференции около четырехсот преданных воспевали и слушали. Мы хотели бы услышать, как вы поддерживали устойчивое преданное служение, устойчиво пребывая в Маяпуре, устойчиво служа Их Светлостям и устойчиво воспевая. Вы также известны своим танцем. Вы делаете это год за годом. Так в чем же секрет? Будьте любезны поделитесь этим с нами, с участниками из 20 стран. Е.М. ДЖАНАНИВАС ПРАБХУДЖИ HARE KRISHNA HARE KRISHNA KRISHNA KRISHNA HARE HARE HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAMA HARE HARE. Спасибо, что пригласили меня в Ноиду и на эту программу. Обувь Господа Нитьянанды здесь для всех, чтобы принять прибежище. Махарадж сказал: "почему мы должны с устойчивостью оставаться с Майей? Мы устойчиво были с Майей на протяжении миллиардов и миллиардов рождений. По милости Прабхупады мы смогли увидеть великий обман Майи. Пытаясь наслаждаться этим материальным миром, который похож на океан, полный акул, аллигаторов и рыб Тимингил. Это будет поглощать наше бхакти. Итак, примите прибежище у лотосных стоп Радха-Говинды,Радха-Мадхавы, потому что привлечение майей очень сильно. Но не сильнее Святого Имени. Как я остаюсь устойчивым? На самом деле я физически и даже ум неустойчивый, но так или иначе, благодаря процессу вайдхи садхана бхакти мы можем вовлекать свои чувства в служение. Так мы очищаем их. Мне нравится Святое Имя, сознание Кришны и особенно философия, потому что мы знаем, что возвратимся к Богу. Мы знаем, кто такой Кришна в чудесной стране Вриндавана. В Гите есть один комментарий - человек должен быть очарован, услышав описания Кришны, его дхамы и его деятельности. Я думал, что это такая замечательная вещь. Так мы можем объяснить это привлечение: ничто другое не имеет смысла. Это Кришна, Верховная Личность Бога. Вот Его дхама, вот Его обитель. Вот это Говардхан. Вот это Ямуна. Все эти замечательные вещи, которые мы искали, и Прабхупада открыл их нам на самом деле, поэтому я очень благодарен. Просто держась за его лотосные стопы, и мы сможем вернуться к Богу, освободиться от запутанности в материальном мире. Мы можем поддерживать себя в материальном мире, но мы не привлечены, в большей или меньшей степени мы можем поддерживать себя. Порой преданные хотят сначала обрести стабильность в своей жизни и практике, чтобы начать воспевать Святые Имена. Но нет необходимости ждать и откладывать на потом, а повторять уже сейчас, сразу. HARE KRISHNA HARE KRISHNA KRISHNA KRISHNA HARE HARE HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAMA HARE HARE Шрила Прабхупада Ки Джай! HH. Локанатха Свами Махараджа Ки Джай! Самаведа Бхакта Вринда ки Джаи!