Hindi

जप चर्चा, पंढरपुर धाम से, 09 अगस्त 2020 हरे कृष्ण! 826 सुन लिया अनादि गोपी ? ठीक हैं,827 स्थानों से भक्त जप कर रहे हैं।हरे कृष्णा। सहो परिवार।भुवनेश्वर से बहुत सारे लोग जुड़े हुए हैं। घर भर गया आपका? क्या आप हिंदी समझते हो? हिंदी भूजबेन ? ठीक हैं, और भी कई लोगो के घर भरे हैं। माधव,नागपुर और भी कई सारे हैं। आप सब का स्वागत हैं। सुप्रभातम कहना अच्छा हैं। हरि हरि, देवहुति माधुरी । हरि हरि। तो कई सारे लोग एकत्र हुए हैं,लेकिन सारी दुनिया तो नहीं हुई हैं,कितना अच्छा होता कि अगर सारी दुनिया अपना सारा काम धंधा छोडकर एकत्र होती।हो सकता हैं, अभी भी कई लोग सो रहे होंगे। ऐसी संभावना तो हैं न? सात बज रहे हैं, लेकिन कई लोग मीठी नींद का माज़ा चख रहे होंगे ?रात को सोते नहीं,फिर प्रातकाल: में जागते नहीं और इतना सुनहरा अवसर ये ब्रहममुहृत को गवाते हैं।ये हैं कलियुग, जमाना बदल गया हैं।वही बातें हो रही हैं, कल भी बातें की और आज भी उसी पर चर्चा होने वाली हैं। में भी कुछ कहूंगा और फिर आप में से जिन्होंने हाथ ऊपर करे थे, वो भक्त आज बोल सकते हैं। उनमेसे कुछ नहीं बोलना चाहते, तो भी ठीक हैं। दूसरे भी कुछ बोल सकते हैं। लेकिन बोलने वालो की कुछ संख्या ही हो सकती हैं । जब हम इस संसार का अवलोकन करते हैं, निरक्षण करते हैं, या ऑब्जरवेशन या डायग्नोसिस करते हैं तो कैसे करना चाहिए?शास्त्र चक्षुक्ष:।जब हम शास्त्रों की आखों से या आचार्यों की आखों से देखेंगे तो कयोकि आप वैष्णव हो,विष्णु के प्रतिनिधि हो तो आप फिर बताओगे की क्या करना चाहिए। ये दुनिया तो भ्रमित हो सकती हैं। उनको पता नहीं है,की क्या करना हैं लेकिन वैष्णव जानते हैं।आप विष्णु दूत हो।हो की नहीं विष्णु के दूत? विष्णु की ओर से या परंपरा की ओर से परम्परा के भक्त विष्णु दूत होते हैं। दूत मतलब सन्देश वाहक, दूत, आप कहोगे लेकिन पहले मैं कहूँगाआपको पहले थोड़ा कलि पुराण सुनाऊँगा । कलि के जो दोष हैं, *कलेर दोष निजे राजन* 12.3.51 कलेर्दोषनिधे राजन्नस्ति ह्येको महान्गुणः । कीर्तनादेव कृष्णस्य मुक्तसङ्गः परं व्रजेत् ॥५१ ॥ हे राजन् , यद्यपि कलियुग दोषों का सागर है फिर भी इस युग में एक अच्छा गुण है केवल हरे कृष्ण महामंत्र का कीर्तन करने से मनुष्य भवबन्धन से मुक्त हो जाता है और दिव्य धाम को प्राप्त होता है । ये कहना मतलब कलि पुराण कहना हुआ।कलि का जो परिणाम निकल रहा हैं। कली के कारण जो दोष इस संसार में आ चुके हैं,ना सिर्फ संसार में बल्कि कह सकते हैं पृथ्वी या प्लेनेट पर और हम सभी में भी हम सभी भी तो उस पृथ्वी के लिए हैं पृथ्वी के ही अंग हैं पृथ्वी के ही बच्चे हैं पृथ्वी माता को हम कलयुग के चेलों ने बिगाड़ दिया है पृथ्वी का सत्यानाश कर दिया है कल भी इस बारे में कहा और आज भी प्रयत्न है मेरा कि कुछ कहू लेकिन देखते हैं क्या कह पाता हूंँ। शास्त्रों में सात अलग अलग तरह की माताए कही गयी हैं। वैसे पृथ्वी एक माता हैं। हमको खिलाती पिलाती कौन हैं? माताए ही , पृथवी माता ही खिलाती पिलाती हैं, हमारा लालन पालन ये पृथवी करती हैं, तो हम सभी ने मिलके वैज्ञानिक और फिर उद्योयगपति, राज नेता और फिर अभिनेता और फिर ये सब चांडाल चौकड़ी ने क्या किया है? पृथवी का सत्यानाश, पर्यावरण का सत्यानाश। या फिर मेंनें कल भी कहा कि इतना सारा डिफोरेस्टशन हो रहा हैं, जंगल के जंगल तोड़े जा रहे हैं। जो ब्राज़ील में हैं या जहाँ वहाँ यहाँ तहाँ तो या जंगल को काटा जा रहा हैं या जंगल को आग लग रही हैं। जंगल आग में हैं। पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया ने जो जंगल आग देखा ये ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में अभूतपूर्व हैं,ऐसी आग जिस अग्नि ने लाखो वर्ग किलोमिटर जंगल को राख बना दिया और हर साल कैलिफ़ोर्निया में ऐसा होता ही हैं। जंगल अग्नि। और भी कई जगह इस प्रकार हो रहा हैं या तो हम वृक्षों को काटते हैं या फिर जंगल जल रहे हैं, तो इस प्रकार से मैंने एक समय कहा था,हालांकि कहने के लिए समय भी नहीं हैं,पर यह जो वृक्ष हैं या इस पृथवी पे जो हरियाली हैं जो लटावेली है या कई और भी जो रंग बिरंगे पुष्प भी है ये पृथवी माता का वस्त्र हैं,साडी हैं। पृथवी माता ने साडी पहनी हुई हैं। उसमे एक अचछी नक़्क़ाशी भी हैं। या हो सकता है की अलग अलग रंग जो अधिक्तर हरियाली ही हैं, हरा रंग और भी रंग होते हैं प्रकृति में, वृक्षवाली में, फिर उस वस्त्र को हम संसार के या कलियुग के जन क्या कर रहे हैं? पृथ्वी को हम विवस्त्र कर रहे हैं, ये कृत्य वैसा ही हैं, जैसे दुशाशन - दुष्ट शाशन करने वाला - दुशाशन - जैसे द्रौपदी का वस्त्र हरण कर रहा था,तो वैसा ही इस संसार के जो शाशक हैं, हम सारे मिलके इस पृथवी का जब डिफोरेस्टशन करते हैं या आग लगा के जब जलाते हैं या आग लगती हैं, जलता हैं, तापमान बढता हैं,ग्लोबल वार्मिंग होती हैं,तो कुछ फ्रिक्शन के साथ आग लग जाती हैं।हरि हरि। तो फिर दुशाशन का जो हाल हुआ और सारी कौरव सेना का जो हाल हुआ, उनकी जाने चली गयी,वह सब मर गए। तो अब भी ऐसा ही हैं, वहीं होगा,वहीं हो रहा हैं, फिर महामारी आती हैं और जाने जाती हैं। हमारा स्वास्थ बिगड जाता हैं।कई आतंकवादी आ जाते हैं, वो जान लेते हैं, तो ऐसे ही उनको दण्डित करा जाता हैं।यह सब हमारे पाप कर्तय के कारण हैं।हम लोग डिफोरेस्टशन की बात कर रहे थे तो फिर वोही पेड़ काट काट के जाने क्या क्या करते हैं। यह मैं नहीं बताऊंगा। एक तो कागज़ बनता हैं और कागज़ का उपयोग होता हैं। प्रिंट मीडिया में अख़बार छपते हैं। और फिर अखबार ही हैं, कलि पुराण और जो संसार भर की जो बुरी खबर हैं "कलेलर दोष निधे राजन" वो ही छापते हैं। उसका प्रचार प्रसार होता हैं। तो ये उपयोग होता हैं। पेड़ काट दिए कागज़ बन गया,बड़े बड़े कारखाने हैं। पेपर मिल हैं, फिर धुआँ भी हैं। हवा प्रदूषित हो गयी और उस कागज़ से जो भी पेपर बना और अखबार छपते हैं। संसार भर में कितने सारे न्यूज़ पेपर,सैकड़ो की संख्या में अख़बार छपते हैं और फिर प्रातःकाल में जब हम देरी से उठते हैं, हो सकता हैं आठ बजे।कुछ लोग शराब भी पिते होंगे। कुछ लोग तो चाय तो पीते ही हैं और चाय के साथ चाय की मिठास और बढ़ती हैं, जब अखबार भी साथ में पढते हैं। तो संसार भर का जो कचरा न्यूज़ हैं, हम अपने मन रूपी कचरे के डिब्बे में डाल देते हैं और संसार भर का कचरा खबर , ताज़ी खबर या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या प्रिंट मीडिया से हम अपने मन को भर देते हं।संसार भर के आतंकवादी क्या कर रहे हैं? या यह सिनेमा वो सिनेमा जिसमे क्या होता हैं, सिर्फ सेक्स होता हैं और वोइलेंस होता हैं।काम और क्रोध, दो चीज होती हैं। नायक खलनायक ये कामी लोग और हम ऐसे लोगो को हीरो बनाते हैं, यह हमारा हीरो हैं, ये मेरा हीरो है। वैसे ये हीरो तो जीरो ही होते हैं, लेकिन हम उनको हीरो बनाते है हम उनकी नक़ल करते है। हमारा काम का धंधा होता हैं और हम भी काम और क्रोध में लग जाते हैं।यह दुनिया पागल हैं और इन पागलो की संगती में जो आएगा यह दुनिया उनको पागल ही कर देगी। जो इन पागलो के साथ आएगा उनके संम्बन्ध में सुनेगा पढेगा वो भी फिर पागल ही हो जाएगा।हरे कृष्णा। हम कल भी सर्वे की बात बता रहे थे कि कई साल पहले एक सर्वे हुआ और क्योकिं लोग अधिक अधिक भोगी बन रहे हैं या उनको प्रोत्साहित करा जाता हैं कि आप भोगी बनो,आप भोगी बनो। कृष्णा ने कहा हैं, आप योगी बनो और यह संसार का सन्देश हैं या संसार के तथाकाहित नेता या भ्रमित नेता हैं,उनकी प्रेरणा हैं कि भोगी बनो, भोगी बनो।हरि हरि। भोगी बनो और फिर रोगी बनो और उनको यह पता नहीं हैं कि भोगी बनाएंगे तुमको तो साथ में रोगी भी बनाएगे,वैसे भारत भूमि की यह खासियत हैं कि भारत भूमि तपो भूमि हैं और पहला आदेश उपदेश भगवान ने ब्रह्मा को जो इस ब्रह्मांड के पहले जीव हैं,उनको पहली बात जो करने के लिए कही थी वह तप ही था।तप करो तो ये भारत भूमि हैं, तपो भूमि और आजकल पुरे संसार को भोग में ही आनंद आता हैं। भारत भी वही कर रहा हैं। इसको भोग भूमि बना दिया हैं। भोगी बनो तो फिर रोगी बनो, यह उनको पता नहीं हैं कि भोगी बनेंगें अगर तो रोगी भी बनना ही पडेगा।पृथवी को भूमि कहते हैं।पृथवी को हमने भोग भूमि बना दिया हैं और इस भोग की कोई सीमा ही नहीं है। काम और फिर क्रोध और फिर लोभ। फिर लोभी बनो तो में जयादा समय नहीं लेना चाहता हूँ।आज आप लोग जयादा बोलेंगे। तो जो एक सर्वे हुआ उसके अनुसार अमेरिका का जो रहने का स्टैण्डर्ड है उनके अनुसार रहने का स्टाइल और जितने सामग्री का वो उपयोग करते है भोग विलास के लिए और जितने कर रहे है उससे तृप्ति तो नहीं हो रही है और चाहते है और चाहते हैं।तो अभी की जो चाहत हैं, अमेरिका में भोग विलास की वो सबसे आगे हैं।अमेरिका "लैंड ऑफ़ ओप्पोरचुनिटी", तो उस सर्वे में ये कहा गया था की हमे 5 पृथवी की आवश्यकता हैं, तब कुछ समाधान होगा। जितना कामी,क्रोधी, लोभी हम हैं उसके अनुसार 5 पृथवी की आवशयकता हैं,जो अमेरिकन लोगो की भोग की वासना है उसकी तृप्ति के लिए हमको 5 ग्रह की आवश्यकता हैं। और फिर अगर यूरोपियन स्टैण्डर्ड से जायेंगे तो हमे 3 ग्रह की आवश्यकता है। और भारत के स्टैण्डर्ड से प्राचीन भारत के न की आधुनिक भारत के, आधुनिक भारत तो बाहर हैं, भारत तपो भूमि के स्टैण्डर्ड से 1 ग्रह ही काफी हैं, जिसमे हम बहुत सारे चीज़ो को इस्तेमाल ही नहीं करेंगे। हम तपस्या करेंगे। अपने अपने स्थान पर जो भी सामग्री है वो बनी रहेगी * नैचुरली *।उसी से शोभा हैं, पृथवी की। फिर वो वन हैं या समुद्र हैं या ज़मीन हैं या आकाश हैं यथावत हैं।हम बना के या बना रहे। ये स्वच्छ भारत के लिए तो मन स्वच्छ होना चाहिए। तो भारत स्वच्छ तो सड़क स्वच्छ और कार स्वच्छ और मन हैं, कचरा गंदा। तो में अब यही रुकूंगा और आप में से बता सकते हैं, कि क्या करना चाहिए?ये प्रश्न हैं।अगर आपको पूछा जायेगा तो आप क्या कहोगे?कैसे बचा सकते हैं पृथवी को और हम सब को भी? हमारा कैसे रक्षण होगा? या कैसे परिवर्तन होगा? या कैसे कुछ क्रांति हो सकती हैं? क्या उपाय हैं?अब मेैं यहाँ रुकता हूंँ। और वंसीवदन ठाकुर आप लिख रहे हो? आप वैसे भी भक्त जो उपाए बताते हैं और ट्रांस्क्रिबेर भी अंग्रेजी में लिखते है आप भी लिखते हो। में सोच रहा था की जो भी भक्तो ने आज और कल जो उपाए बताये थे या कहेंगे उसके आधार पर आप कोई रिपोर्ट त्यार करके सभी को प्रस्तुत करो। एक लेख लिख सकते हैं। ठीक हैं। हरि हरि ।।

English

Russian