*हरे कृष्ण*
*जप चर्चा- १५/०६/२०२२*
*परम पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज*
*जय जय श्री चैतन्य जय नित्यानंद*
*जय जय श्री अद्वैत्य चंद्र गौर भक्त वृन्द*
जय जगन्नाथ
उड़ीसा के भक्त कह सकते है जय जगन्नाथ।
कुछ समय से सारी दुनिया ऑनलाइन चल रही थी कल के दिन हमारे भाग्य का उदय हुआ और जगन्नाथ हमें यहाँ ले आये।
पर्सनल फेस टू फेस दर्शन हुआ।
जगन्नाथ के प्राकट्य का दिन है उसी दिन स्नान यात्रा होती है कल हुयी।
हमको यहाँ पहुंचते पहुंचते देरी हुयी हम सोच रहे थे स्नान की यात्रा होगी या नहीं लेकिन जगन्नाथ ने स्नान देरी से करवाया और हमें स्नान का दर्शन दे ही दिया।
हरी हरी स्नान यात्रा हो ही रही थी स्नान यात्रा के मध्य में जगन्नाथ ने ही भेजे होंगे एक पांडा आये और उन्होंने जगन्नाथ के स्नान का जल दिया हमने पान किया आप दर्शन कर सकते हो एक अंग वस्त्र भी देकर गए जो जगन्नाथ पहने थे स्नान के वक्त।
इस वस्त्र का स्पर्श जगन्नाथ के स्पर्श के ही सामान है। पताका भी देकर गए। कल हमने सिखर पर कलश पर पताका देखा। तुलसी भी हम तक पहुंच गयी।
ऑनलाइन चल ही रहा था इसीलिए ऑनलाइन में हम प्रसाद नहीं बात सकते।
यह सब आप देख रहे हो कल जगन्नाथ का भट जगत पसरे हाथ। हम भी हाथ फैला रहे थे। वहा आनंद बाजार है। जगन्नाथ प्रसाद आनंद। एक पांडा है वह जगन्नाथ के प्रसाद बनाते है उनोने हमको प्रसाद दिया जी भर के हमने प्रसाद ग्रहण किया। फिर उन्होंने हमको कुवा दिखाया जिस कुवे से साल में एक बार जगन्नाथ का अभिषेक होता है। विमला देवी के सामने है यह कुवा। दिखाते दिखाते उन्होंने हमको जगन्नाथ का जहा नव कलेवर होता है पुराने विग्रह रखेह जाते है समाधिस्थ किये जाते है वह स्थान भी हमने देखा हरी हरी।
जब देखते है तो बहुत कुछ होता भी है यह देखना साधारण देखना नहीं होता।
दर्शनीय स्थल जब हम देखते है सुनते है तो कुछ याद आता है।
१९७७ में मै पहली बार आया था जगन्नाथ के दर्शन के लिए उस समय पांडा लोगो ने मुझे रोका था।
में पूछा क्यों रोक रहे हो तो उन्होंने कहा तुम पहले क्रिश्चन थे तुम्हे इस्कॉन वालो ने हिन्दू बनाया है उन्होंने सच मच हमको आउट करा दिया था।
लेकिन उसी समय जब पांडव ने रोका था हमको खींचा तानी चल रहा था तो हमारे साथ एक शिष्य थे प्रभुपाद के उनका जन्म न्यूयोर्क में हुआ था। वे भी हमारे साथ जा रहे थे उन्होंने देखा लड़ाई हो रही है हम क्यों बिच में पड़े चलो हम जगन्नाथ के दर्शन करते है।
और उन्होंने दर्शन भी किया।
और हम उन्हें वृक्षराज को खोज रहे थे।
वे आये दर्शन करके और हमें तुलसी लाये थे और हमने उनको गले लगाया। उन दिनों जगन्नाथ ने हमें आउट किया था लेकिन कल हमें के पांडा अंदर ले गए बढ़िया सा जगन्नाथ के समक्ष निकट दर्शन करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
क्या कह सकते है हमारी जगन्नाथ यात्रा सफल हो गयी।
जीवन सफल हुआ। *जगन्नाथ स्वामी नयन पथ गमी भाव तुमि* ऐसी प्रार्थना करते है भक्त। भक्त भगवान् को मिलाना चाहते है और जगन्नाथ भी भक्त को देखना चाहते है। पतित है हम सब और जगन्नाथ है पवन हम सभी को सुद्धा बनाने वाले है जगन्नाथ स्वामी की जय। जगन्नाथ स्वामी प्रेम की मूर्ति है। कैसा प्रेम ? भक्त प्रेम
हमारा प्रेम कृष्णा प्रेम। हम जगन्नाथ से प्रेम करते है और वे किनसे प्रेम करते है भक्तो से प्रेम करते है।
साधु मेरे ह्रदय में है और साधु के ह्रदय में मै हु। दुनिया में क्या है ? जीवात्मा है जिव है और वे भक्त है। दुर्देव से संसार में जिव पहुंचे है और वे भगवान को भूल गए है उनकी भोग वांछा है। भूले भटके जिव को प्रेम देने भगवान आते है धाम से।
*गोलोक नाम्नि निज-धाम्नि तले च तस्य*
*देवी-महेश-हरि-धामनु तेषु तेषु*
*ते ते प्रभाव निचया विहिताश्च येन*
*गोविंदं आदिपुरुषं तमहं भजामि*
गोलोक के निवासी जगन्नाथ पूरी के वासी बन जाते है। वैसे यह भी वृन्दावन ही है। यहाँ नीलाचल है और सुन्दाचाल भी है।
नीलाचल भी गोलोक ही है।
गोलोक में द्वारका मथुरा होता हिअ। जगन्नाथ मंदिर द्वारिका है और सुन्दराचल है वृन्दावन। हरी हरी।
जब रथ यात्रा होती है तो वृन्दावन के भक्त भगवान् को द्वारका से कुरुक्छेत्र से वृन्दावन ले जाते है। कल हमने नया रथ भी देखा। ३ रथ देखे मैंने। कल हुयी स्नान यात्रा और १४-१५ दिन में होगा रथ यात्रा। प्रति वर्ष नए रथ बनाये जाते है।
नीलाचल और सुंदराचल के बिच नदी बहती है और जगन्नाथ बलदेव सुभद्रा को बड़ी पार करवाते है। और रथ ने विराज करके गुंडिचा मंदिर पंहुचा देते है। यह जगन्नाथ पूरी धाम का प्रलय नहीं होता। यह गोलोक ही है वृन्दावन ही है। धाम एक ही है २ नहीं है। जगन्नाथ पूरी में श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु रहे। मै कुछ दिन पहले पानीहाटी में था। पानीहाटी में पूरा एक दिन महाप्रभु रहे यह कोई मामूली बात नहीं है। इसीलिए पानीहाटी धाम की जय। वह धाम महँ धाम हुआ। नित्यानंद प्रभु भी वह ३ महीने रहे। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु जगन्नाथ पूरी में १८ साल रहे।
१ वर्ष = ३६५
३६५*१८= ६५७०
इतने दिन श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु वह रहे।
मै कह ही रहा था की केवल भक्त ही भगवान् से प्रेम नहीं करते है भगवान भी प्रेम करते है। भक्त और भगवान् के बिच जो रपेम है प्रीति है उसका प्रदर्शन जगन्नाथ पूरी में होता ही रहता है यह प्रेम का धाम है।
यह मिलन का भी स्थान है जहा भगवान् और भक्त मिलते है।
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*
गौड़ीय वैषणव के लिए जगन्नाथ और जगन्नाथ पूरी विशेष धाम है जहा रहने के लिए सच्ची माता ने निमाई को निवेदन किया तुम जाओ जगन्नाथ पूरी में रहो।
यहा जगन्नाथ स्वामी विरह से व्यतीत है। भक्त से बिछुड़ गए है विरह से व्यतीत है जगन्नाथ स्वामी। हरी हरी
यहाँ होता है मिलन भक्त और भगवान का। जगन्नाथ पूरी में मिलते है। ऐसा ही हुआ जब चैतन्य महाप्रभु यहाँ थे तो। चैतन्य महाप्रभु रथ के सामने जब जाते तो कहते आप दीपक हो।, आपका अंग कोमल है , आप मुक्ति दाता हो, दुस्टो का आप संहार करते हो। जगन्नाथ स्वामी की जय। वही कृष्ण प्रेम जगन्नाथ प्रकट किये है।
*जय गौर सेइ कृष्ण सेइ जगन्नाथ*
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे* यह भी उन्ही की कृपा है।
English
Russian
By admin|2023-07-29T10:21:37+00:00June 24th, 2022|Comments Off on Lets Chant Together 24th June 2022