*हरे कृष्ण*
*जप चर्चा-०३/०६/२०२२*
*परम पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज*
*श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानंद श्री अद्वैत्य गदाधर श्रीवासादि गौर भक्त वृंद*
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*
*ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया*
*चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम:*
प्रभुपाद की जय।
जप करते समय आप और मै भी श्रील प्रभुपाद को देख रहे थे मैंने भी दर्शन किया।
श्रील प्रभुपाद का दर्शन करते करते जप कर रहे थे तो कुछ विचार आये मै वह आपके समक्ष रखना चाहता हु। हरी हरी
चिंतन तो भगवान् का तो चिंता किस बात की।
हमको चिंता है सरे संसार की।
हरी हरी
वैसे भगवान् भी चिंतित रहते है इसीलिए तो हम सुनते है श्री चैतन्य महाप्रभु , कृष्णा इस संसार में आते है। चिंता विवश कराती है फिर सम्भवामि इज युगे करते है।
भगवान भी चिंतिन होते है तो प्रभुपाद जैसे आचार्य क्यों नहीं होंगे।
भगवान् चिंतत होते है श्रील प्रभुपाद जाइए कोई विरला ही होते है। वे चिंतित होते थे और वृन्दावन को छोड़ के अमेरिका गए।
विदेश गए। पर दुखी दुखी
संसार के दुःख को देख के प्रभुपाद दुखी थे इसीलिए वे गए हमको भी भगवान के और श्रील प्रभुपाद के चरण चिन्हो का अनुसरण करके संसार में प्रवेश करना होगा। अपना मंदिरम परित्यज्य करना होगा गृहम परित्यजयाम या गृह आश्रम छोड़ के हमें भी मैदान में उतरना चाहिए वह कार्य करने के लिए जो भगवान् ने किया श्री कृष्णा चैतन्य महाप्रभु ने किया।
भगवान् आते है और और वे अन्तर्धान भी होते है -
*परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्* *धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे*
भगवान् प्रकट होते है। आचार्यो को अनुयायी इसे आगे बढ़ाते है। ऐसा कार्य हम सभी को करना है जो इस अंतरराष्ट्रीय श्री कृष्णभावनामृत से जुड़े हुए है। यह भगवान् का कार्य है। प्रभुपाद के कार्य को आगे बढ़ाना है।
कृष्ण प्रसाद है जो, लीला है , यात्रा है जो करते है करवाते है , प्रसाद खाते है खिलते है लोगो को ऐसा कार्य करने वाले उदार है। गोपीगीत कृष्ण कथा ही है इसको जब राजा प्रताप रूद्र जगन्नाथ पूरी में सुनाये श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु को तो वे प्रशन्न हुए और कहे मुझे तुम जो सुना रहे हो तुम उदार हो वदान्य हो।
मै तुमसे बड़ा प्रशन्न हु। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु आँखे बंद कर के लेते थे और राजा प्रताप रूद्र चरणों की सेवा कर रहे थे। उस सेवा से प्रशन्न थे ही लेकिन गोपी गीत से अधिक प्रशन्न हुए और कहे तुम उदार हो।
मै कृतज्ञ हु मै तुम्हारे लिए कुछ करना चाहता हु। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने कहा इस गोपी गीत के गायक मेरे आलिंगन को स्वीकार करो।
इस प्रकार श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने राजा प्रातओ रूद्र का आलिंगन करना नहीं चाहा आलिंगन किया और इसी प्रकार से पुरस्कृत किया। अपनी प्रशन्नता व्यक्त किये। जो भी कृष्ण भावना को औरो को देते है औरो के साथ शेयर करते है कई सरे रूप में तो उस व्यक्ति से भगवान् प्रशन्न होते है। हम जप करते है तो भगवान् प्रशन्न होते है लेकिन जप हम औरो को प्रेरित करते है तो भगवान् उस व्यक्ति से प्रशन्न होते है जिसने जप करने को कहा था। हमने गीता पढ़ी भागवत पढ़ी और हमने औरो को प्रेरित किया और वे पढ़ रहे है गीता भागवत तो भगवान अधिक प्रशन्न होते है। भक्ति रसामृत में ६४ गन है उसमे से एक है कृतज्ञता।
जब हम छोटी मोती कोई सेवा करते है तो भगवान् कृतज्ञ बन जाते है और सोचते है भगवान मुझे इसके लिए कुछ करना है। जो ग्रन्थ पढ़ रहा है उससे प्रशन्न होते है भगवान् और जो प्रेरित करते है उससे अधिक प्रशन्न होते है। शांति प्रिय होंगे लोग इससे और जो वॉर चल रहा है वह नहीं होगा प्रसाद ग्रहण होने से। प्रसाद ग्रहण करने का और कराने का जो फल है वह शांति है शांति शुत्र है। प्रसाद ग्रहण यह सोल्युशन है। वॉर को बन करना है तो यही उपाय है। प्रसाद जो खा रहे है और खिला रहे है उनसे भगवान् प्रशन्न होते है इसके घर में झगड़े भी काम होते है।
हरी हरी। कोई यात्रा में गया कोई मंदिर गया या और सब को साथ में लेकर गया उनसे भी भगवान् प्रशन्न होते है। रथ यात्रा में हम गए और मित्रो को भी जोड़ दिए , पंढरपुर यात्रा में हम गए , नवद्वीप मंडल यात्रा में गए महिमा समझाये , ऐसे निमित्त बनाने वाले से भी भगवान् प्रशन्न होते है।
ऐसे कार्य हमको करना है भगवान् की प्रशन्नता करने वालो से। जन्म की सार्थकता किसमे है परोपकार में है। मनुष्य शरीर परोपकार के लिए है। हरी हरी।
हम सबको जो इस परिवार के सदस्य है यह गुरु और गौरांग का परिवार है अंतर राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ है इसकी हमें चिंता होनी चाहिए चिंतन होना चाहिए।
हरी हरी
संसार के सभी जिव हमारे भाई है बहने है। सभी है। हमें इस संसार के वासुदेवं कुटुम्भ है जो इसका विचार करना है। कुवे में रहने वाला मेंढक जैसा मत सोचो हम छोटे नहीं है हम कृष्ण के घर के है गौरांग गौरांग, पांडुरंग के घर के है हम।
एक दूसरे को स्मरण दिलाना है हम कौन है , किस परिवार के है, जीवन का क्या उद्देश्य है। संसार में जब हम प्रवेश किये तो यहाँ की माया ने जपत लिया है। इस माया के चंगुल में फसे हुए जिव पीड़ित है , परेशान है। कुछ मार्ग हमको दिखाया है हम उसे स्वीकार कर रहे है। हरी हरी।
अधिक से अधिक लोगो को हमें लाना है आपकी क्या आइडियाज है मैंने जो कहा इस समबन्ध में। आपका कोई साक्षात्कार है आप हमें और सभी को बता सकते हो। कुछ विशेष सेवा की पद्धति जिसमे आपको सफलता मिल रही है तो आप इसे हमारे साथ शेयर कर सकते हो।
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By admin|2023-07-29T09:44:43+00:00June 3rd, 2022|Comments Off on Lord delights by preaching of Kṛṣṇa Consciousness