Hindi

भगवान ने आपको एक और वर्ष प्रदान किया हैं हरे कृष्ण मैं आज सोलापुर में हूँ। यद्यपि यह जप चर्चा अत्यंत गंभीर विषय हैं परन्तु चूँकि यहां कि ध्वनि प्रणाली (साउंड सिस्टम ) ख़राब हैं अतः इससे इस जप चर्चा के भाव में विक्षेप उत्पन्न हो रहा हैं। आज कई भक्त मुझे नए वर्ष की शुभकामनायें भेज रहे हैं। विशेष रूप से महाराष्ट्र में यह उत्सव अत्यंत वैभवपूर्ण ढंग से मनाया जाता हैं। इस्कॉन सोलापुर इस उत्सव को आज भव्य जगन्नाथ रथयात्रा के साथ मना रहा हैं। यह इनकी ११ वीं जगन्नाथ रथयात्रा हैं। मैं विचार कर रहा था कि आज के दिन सम्पूर्ण भारतवर्ष में तथा विशेष रूप से महाराष्ट्र में कई लोग कुछ न कुछ संकल्प लेते हैं। वे कई कार्यों का शुभारम्भ भी आज से करते हैं। भोगी भी आज के दिन संकल्प लेते हैं। हम आज से यह कार्य करेंगे अथवा वह कार्य करेंगे , इस प्रकार के संकल्प लिए जाते हैं।  ऐसा भी हो सकता हैं कि वे यह संकल्प लें कि वे आज से जप प्रारम्भ करेंगे। हम भक्तों को भी आज नए वर्ष के उपलक्ष्य में कुछ संकल्प लेने चाहिए , परन्तु ये संकल्प कर्मी व्यक्तियों के समान न हो। आज कई व्यक्ति नया व्यवसाय प्रारम्भ करते हैं अथवा कोई नया कार्य करते हैं। भोगी कई प्रकार के भोगों को भोगते हैं , जिसका अंततः परिणाम यह होता हैं कि वे भोगी से रोगी बन जाते हैं। उन्हें यह जानकारी नहीं होती हैं कि भोग हमें रोग की ओर ले जाता हैं। भगवान कहते हैं , " योगी भवः। " (सोइये मत : जो पाला, सो सांपला अर्थात जो प्रवचन के मध्य में सो गया , उसका अंत हो गया।) इस जगत में भगवान श्री कृष्ण के विरुद्ध प्रचार होता हैं। कृष्ण कहते हैं योगी भव् परन्तु यह जगत कहता हैं भोगी भव्। दुर्भाग्यवश हम माया के राज्य में हैं, जहाँ हर कोई भोग के विषय में ही चर्चा करता हैं। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। परन्तु बुद्धिमान भक्त योगी बनने का संकल्प लेते हैं। यह जगत मूर्ख हैं , अथवा यहाँ के निवासी कम बुद्धिमान हैं। प्रायेण अल्पायुषः सभ्य कलावस्मिन युगे जनाः।  मन्दाः सुमन्दमतयो मन्दभाग्या हि उपद्रुताः।। हे विद्वान , कली के इस लोह युग में लोगों की आयु न्यून हैं। ये झगड़ालू , आलसी , पथभ्रष्ट , अभागे होते हैं तथा साथ ही साथ सदैव विचलित रहते हैं। (श्रीमद भागवतम 1.1.10) यह जगत पूर्णरूपेण मूढ़ हैं। हरे कृष्ण आंदोलन के भक्त योगी बनने का संकल्प लेते हैं। ' अच्छे दिन आएँगे। " परन्तु यदि आप भोगी बनते हैं तो अच्छे दिन कभी नहीं आएँगे। अच्छे दिन आएँगे और चले जाएँगे, आयाराम - गयाराम। अतः आप जप योगी बनिए , अथवा जप योगी बनने का संकल्प लीजिए। इस योग के माध्यम से हम भगवान के साथ अपना भूला हुआ सम्बन्ध पुनः स्थापित कर पाएँगे। यह सम्बन्ध जप के माध्यम से ही पुनः स्थापित हो सकता हैं। यदि हम जप करने का यह संकल्प लेते हैं तो ' फिर अच्छे दिन आएँगे। ' भगवान इसके लिए आश्वस्त करते हैं , श्रील प्रभुपाद भी हमें इसके लिए आश्वस्त करते हैं कि यदि हम जप करेंगे तो हम प्रसन्न रह सकते हैं। यह इस जगत के कर्मी व्यक्तियों द्वारा की गई मिथ्या प्रतिज्ञा नहीं हैं अपितु आपको यह समझना चाहिए कि यह वचन स्वयं भगवान द्वारा दिया गया हैं। चेतो दर्पण मार्जनं भव महादावाग्नि निर्वापणं , श्रेयः कैरव चन्द्रिका वितरणं , विद्या वधु जीवनं। आनन्दम बुद्धि वर्धनं प्रतिपदं ,पूर्णामृतास्वादनम , सर्वआत्मस्नपनं परम विजयते , श्री कृष्ण संकीर्तनं।। (शिक्षाष्टकम श्लोक 1)  आनन्दम बुद्धि वर्धनं : चैतन्य महाप्रभु ने भी ऐसा कहा हैं। यदि आप हरे कृष्ण का जप करेंगे तो उससे क्या होगा ? चेतो दर्पण मार्जनं - इससे हमारी चेतना की शुद्धि होती हैं। भव महादावाग्नि निर्वापणं अर्थात हम इस भौतिक जगत रुपी दावाग्नि में जल रहे हैं। हम इस अग्नि से केवल हरिनाम के जप द्वारा ही बच सकते हैं। उसी प्रकार  -  विद्या वधु जीवनं होता हैं। हम जप के द्वारा हमारी बुद्धि को पुनः प्राप्त कर सकते हैं। आनन्दम बुद्धि वर्धनं - हमारे आनन्द में प्रत्येक पद पर उन्नति होती हैं। सर्वआत्मस्नपनं , इसके अलावा और क्या होगा ? वहाँ वर्षा होगी , तथा हम उस हरिनाम रूपी अमृत में गोते लगाएंगे । हरीबोल !!! चैतन्य महाप्रभु ने शिक्षाष्टकम में इसका वर्णन किया हैं, जिसका हम प्रतिदिन पाठ करते हैं। ऐसा हो सकता हैं कि हमें अभी इसका आभास नहीं हो रहा हैं परन्तु यही हमारा लक्ष्य हैं। हमें मन की उस अवस्था में पहुँचना चाहिए जहाँ हम उस अमृत से स्वयं को लाभान्वित कर सकें। आनन्दम बुद्धि वर्धनं प्रतिपदं ,पूर्णामृतास्वादनम हमारी आत्मा इस हरिनाम रूपी अमृत में स्नान करती हैं। इसके पश्चात परम विजयते श्री कृष्ण संकीर्तनं होता हैं। भगवान इस बात की गारण्टी देते हैं कि यदि हम इस संकीर्तन आन्दोलन में भाग लेते हैं तभी हम सफल हो सकते हैं। सफलता की गारंटी हैं। वह जीत क्या हैं?  परम विजयते श्री कृष्ण संकीर्तनं। हम मरते हैं तथा पुनः जन्म लेते हैं। यह एक प्रकार से पराजय हैं। पुनर अपि जननं पुनर अपि मरणं पुनर अपि जननी जठरे शयनं (आदि शंकराचार्य द्वारा रचित भज गोविन्दम के श्लोक २१ से उद्द्यत) यदि ऐसा होता हैं तो आप पुनः जन्म लेंगे और इस प्रकार यह क्रम चलता रहेगा , जिससे आपकी पराजय निश्चित हैं। (आप सो रहे हैं , यह भी एक प्रकार से पराजय ही हैं , क्योंकि जब आप सोते हैं तो आप माया द्वारा पराजित हो जाते हैं।) अतः हमें यह जानना चाहिए कि इससे किस प्रकार जीता जा सकता हैं। जन्म कर्म च मे दिव्यं , एवं यो वेत्ति तत्वतः। त्यक्त्वा देहं पुनर जन्म , नैति माम इति सोर्जुना।। हे अर्जुन ! जो मेरे जन्म तथा कर्मों की दिव्यता को तत्वतः जानता हैं , वह शरीर छोड़ने के पश्चात पुनः जन्म नहीं लेता हैं अपितु मेरे दिव्य धाम को प्राप्त करता हैं। (भगवद गीता 4.9) यह शरीर छोड़ने के पश्चात आप पुनः जन्म नहीं लेंगे। ये जप करने वाले साधक मेरे परम धाम गोलोक को प्राप्त करेंगे। यह जीत हैं। कोई बिचारा जब मर जाता हैं तो उसे जला देते हैं , तब अन्य व्यक्ति कहते हैं , " राम नाम सत्य हैं। " अतः राम नाम अथवा कृष्ण नाम ही सत्य हैं तथा यही वास्तविक हैं। उस समय वे भी सत्य को स्वीकार करते हैं। वे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ! राम नाम , कृष्ण नाम सत हैं अथवा सत्य हैं इसका जप करते हैं अतः हम भी इस हरिनाम का जप करके सत बन सकते हैं। हम इससे सनातन स्थिति को प्राप्त कर सकते हैं। हम आत्मायें हैं तथा हम सदैव उस स्थिति में स्थित रह सकेंगे। अतः आपको इसके लिए अपने कार्यों को ठीक प्रकार से करना चाहिए। इस कांफ्रेंस के माध्यम से हम यही कार्य करते हैं जहाँ हम न केवल अन्यों को जप करने के लिए प्रेरित करते हैं अपितु उन्हें ध्यानपूर्वक जप करने की सलाह देते हैं। हमें प्रतिदिन , अपराध रहित होकर , प्रेमपूर्वक जप करना चाहिए। इस जप चर्चा का उद्देश्य यही हैं , जहाँ आपको यह सब बताया जा सके। अन्यथा एक के बाद एक वर्ष आएँगे और जाएँगे परन्तु हम किसी भी प्रकार की उन्नति नहीं कर पाएंगे। यदि हम जप में प्रगति ही नहीं कर पा रहे हैं तो इस जीवन का क्या उद्देश्य हैं ? यदि हमने अपने अपराधों को कम नहीं किया हैं , तो इसके लिए भगवान ने कृपावश हमें इस जगत में , इस शरीर में एक और वर्ष प्रदान किया हैं , जिससे हम इन अपराधों से मुक्त हो सके। हमें इस एक और अतिरिक्त वर्ष का लाभ उठाना चाहिए। हैप्पी न्यू ईयर ! यदि आप ऐसा करेंगे तभी आप हैप्पी अथवा प्रसन्न रहेंगे। इस प्रकार आज इस कांफ्रेंस में ४४० प्रतियोगी सम्मिलित हुए हैं , जिनकी संख्या और अधिक बढ़ रही हैं। हमें इस संख्या को व्यास पूजा तक ७०० तक पहुँचाना हैं। अतः आप भी चैत्र प्रतिपदा के इस शुभ अवसर पर हमारे साथ सम्मिलित होइए। आप भी एक संकल्प ले सकते हैं कि हम इस कांफ्रेंस में जप करेंगे। इससे आपके जप में सुधार होगा , जो कई भक्तों का अनुभव हैं। कई भक्त इसके प्रत्युत्तर में " हरिबोल " लिखकर भेज रहे हैं। यदि आपको यह नहीं पता कि किस प्रकार इस कांफ्रेंस में सम्मिलित हुआ जाता हैं तो आपको उन भक्तों से सीखना चाहिए जो इसके विषय में जानते हैं। हरे कृष्ण !

English

6th April 2019 LORD HAS GIVEN ONE ADDITIONAL YEAR TO YOU! Hare Krishna!! I am in Solapur. Japa talk is a serious subject, but the sound system is faulty, which is destroying the mood. Today many devotees are sending me good wishes for new year. Specially in Maharashtra this festival is celebrated in a grand way. ISKCON Solapur is celebrating it with a grand Jagannatha Ratha-yatra. This is their eleventh Jagannatha Ratha-yatra celebration. I was thinking that on this day all over India and specially in Maharashtra, people take a lot of vows (sankalpas). They make shubh arambh (auspicious beginning) of so many things. Bhogis also make sankalpas. We will do this and that. Or maybe they will think of beginning to chant. We devotees also should take a sankalpa for the new year, not like karmis. From today many start a new business or new work. They enjoy different bhogs and become bhogis and then they become rogi. They are not aware that bhog leads to rog ( disease). The Lord says, ‘yogi bhava’ ( Don't sleep - zo pala tor sam pala {one who sleeps during a lecture is finished} ) This world does anti- Krsna propagation. Lord says, yogi bhava and the world says bhogi bhava. Unfortunately we are in the kingdom of Maya. Here everyone talks about the bhoga. HARE KRISHNA HARE KRISHNA KRISHNA KRISHNA HARE HARE HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAMA HARE HARE But intelligent devotees take a sankalpa of becoming yogi. World is mad, less intelligent and so much more. prāyeṇālpāyuṣaḥ sabhya kalāv asmin yuge janāḥ mandāḥ sumanda-matayo manda-bhāgyā hy upadrutāḥ. O learned one, in this iron Age of Kali men almost always have but short lives. They are quarrelsome, lazy, misguided, unlucky and, above all, always disturbed. (SB. 1.1.10) It is a mad , mad, mad world. Devotees of the Hare Krishna movement take vows of becoming yogis. ‘Achhe din aayenge!’ ( soon there will be better days) by becoming Bhogi, achhe din kabhi nahi aayenge!’ ( If you become 'bhogi’ then good days can never come) Good days will come and go. Ayaram - Gayaram! (They will come and go) So be Japa Yogis. Take a sankalpa to become Japa Yogis. By this yoga we should re-establish our lost relationship with the Lord. It should be established by chanting Japa. We should take that vow of chanting. 'fir achhe din aayenge!’.( Then definitely there will be good days) Lord has guaranteed, Prabhupada has also guaranteed that chant Hare Krishna and be happy. This is not a false promise given by people in this material world, but you should realize, this is the promise given by supreme Lord. ceto-darpaṇa-mārjanaḿ bhava-mahā-dāvāgni-nirvāpaṇaḿ śreyaḥ-kairava-candrikā-vitaraṇaḿ vidyā-vadhū-jīvanam ānandāmbudhi-vardhanaḿ prati-padaḿ pūrṇāmṛtāsvādanaḿ sarvātma-snapanaḿ paraḿ vijayate śrī-kṛṣṇa-sańkīrtanam ( Siksastakam Verse 1 ) ānandāmbudhi-vardhanaḿ Caitanya Mahaprabhu has said , Chant Hare Krishna and then what will happen? - ceto-darpaṇa-mārjanaḿ - your consciousness gets cleansed. There is cleansing of the consciousness. bhava-mahā-dāvāgni-nirvāpaṇaḿ. We are burning in the fire of materialexistence. We will be saved from that fire by Chanting. Like that -vidyā-vadhū-jīvanam. We will also gain intelligence by chanting. ānandāmbudhi-vardhanaḿ. Our happiness will increase at every step. prati-padaḿ pūrṇāmṛtāsvādanaḿ we will experience happiness at every step. sarvātma- snapanaḿ . What else will happen? There will be shower. We will be swimming in the nectar of the holy name. Haribol!! Caitanya Mahaprabhu said this in Siksastakam which we recite every morning. Maybe we are not experiencing that now but that's the goal. We will experience that state of mind and existence , that we are empowered with the nectar. ānandāmbudhi-vardhanaḿ prati-padaḿ pūrṇāmṛtāsvādanaḿ Our soul will take bath in the ocean of Harinama. Then paraḿ vijayate śrī-kṛṣṇa-sańkīrtanam. Lord has guaranteed that if we join this then you will be successful. Success is guaranteed! What is that victory? paraḿ vijayate śrī-kṛṣṇa-sańkīrtanam. We die and take birth again. It's a defeat. Punarapi jananam punarapi maranam punarapi janani jathare sayanam( Verse 21 of 'Bhaja Govindam’ by Adi Sankaracarya) If this goes on you are dying again and again. Birth - death again and again and again , then you are defeated.( You are sleeping, that is also defeat. Sleeping means , you have been defeated by Maya again and again.) So what is the victory? janma karma ca me divyam evam yo vetti tattvatah tyaktva deham punar janma naiti mam eti so ‘rjuna One who knows the transcendental nature of My appearance and activities does not, upon leaving the body, take his birth again in this material world, but attains My eternal abode, O Arjuna. (BG 4.9) After leaving this body, you will not take birth again. The chanter will come to the abode where I reside, to Goloka. This is the victory. The poor fellow has died and has been burnt. Others are saying -’ Ram Nama Satya hai’. So Ram nama or Krsna nama is the reality or the truth. They are accepting the truth. Chanting always HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAMA HARE HARE! Ram Nama, Krsna nama, Hare Krishna nama ‘sat’ or satya hai and by doing japa of this nama we will also become ‘sat’. We will become eternal. We are souls and will remain in that form. So get your things worked out. Of course on this conference we are doing that, by inspiring everyone to not just chant, but chant attentively. Chanting daily, offenselessly with love. This Japa talk is meant for that, to inform you about it. Otherwise years come and go , but no progress is made. What's the use of this life if we don't make any progress in chanting? If we have not reduced our aparadhas as yet, then the Lord has kindly given us one more year , in this body , in this world. We should take advantage of this additional year. Happy New year! Then we will become happy. So there are 440 participants on this conference, which will increase gradually. We have to make 700 till Vyasa Puja. So you could join us on this auspicious occasion of Caitra Pratipada. Make a sankalpa that we will chant on this conference. By that Japa will improve , which is the experience of many. Many have responded by saying Haribol! If you don't know how to chant on this conference, you learn from those who know how to join and get started. Hare Krishna.

Russian