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हरीनाम ही एकमात्र उपाय हैं   हरे कृष्ण आज पंढरपुर से भक्त हमारे साथ जप कर रहे हैं।  बैंगलोर से गणेश ने ४ भक्तों को इस कांफ्रेंस में सम्मिलित होने के लिए प्रोत्साहित किया हैं।  सोलापुर से राम लीला माताजी भी अन्य भक्तों को इस कांफ्रेंस में सम्मिलित करने के लिए प्रयास करती रहती हैं। इस कांफ्रेंस में सम्मिलित होने वाले भक्तों के संख्या की सीमा ५०० थी, परन्तु दीनानुकम्पा माताजी , जो इस कांफ्रेंस का निर्देशांक करती हैं , उन्होंने इस संख्या की सीमा को बढ़ा कर अब १००० कर दिया हैं , अतः अब १००० तक भक्त इस कांफ्रेंस में सम्मिलित हो सकते हैं। यह ज़ूम की तरफ से अधिकतम सीमा हैं। आपको हमारा लक्ष्य पता हैं।  जुलाई में ७० वीं व्यासपूजा तक हम इस संख्या को ७०० तक पहुँचाना चाहते हैं।  अतः आपको अन्य भक्तों को भी इस कांफ्रेंस में सम्मिलित होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अपने पड़ोसियों के प्रति दयालु बनिए। जैसा कि बाइबल में कहा गया हैं , " आप अपने पड़ोसियों से उसी प्रकार  प्रेम कीजिये , जिस प्रकार आप स्वयं से करते हैं। "  अपने मित्रों , सम्बन्धियों तथा भक्ति वृक्ष के सदस्यों का स्मरण कीजिये तथा उनके प्रति दयालु बनते हुए आप उन्हें भी इस जप संग अथवा जप चर्चा में सम्मिलित करने का प्रयास कीजिए। मैं आप सभी जप करने वाले साधकों को देखकर अत्यंत प्रसन्न हूँ। आप सही तथा सबसे सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं। हरे कृष्ण महामंत्र का जप कीजिये ! भगवान हमसे यही करवाना चाहते हैं।  हम अपने ह्रदय के भगवान को अनुभव करना चाहते हैं। हम उनका दर्शन करना चाहते हैं।  " मैं आपको देखना चाहता हूँ। " जॉर्ज हैरिसन ने यह कहा था , " हे भगवान ! मैं आपको देखना चाहता हूँ।  मैं आपके साथ रहना चाहता हूँ। " ऐसा मैं नहीं कह रहा हूँ , ऐसा जॉर्ज हैरिसन ने कहा हैं। वे भगवान चाहते हैं कि हम हरे कृष्ण का जप करें।   महाप्रभु कीर्तन नृत्य गीत , वादित्र माध्यं मनसो रसेन। रोमांच कम्प अश्रु तरंग भाजौ, वन्दे गुरोः श्री चरणारविन्दम्।। (गुरवाष्टकम श्लोक २) ' आध्यात्मिक गुरु सदैव महाप्रभु के संकीर्तन आंदोलन में कीर्तन करते हैं ,नृत्य करते हैं , भजन गाते हैं। चूँकि वे अपने ह्रदय में इसका आस्वादन करते हैं अतः उनके शरीर में रोमांच हो जाता हैं , उनकी आँखों से अश्रुधारा प्रवाहित होने लगती हैं , तथा उनके शरीर में कम्पन्न होता हैं , ऐसे मेरे आध्यात्मिक गुरु के चरण कमलों में मैं शाष्टांग प्रणाम करता हूँ। " निस्संदेह हम भी किसी समय महाप्रभु के साथ उनकी लीला में थे , परन्तु हमें यह नहीं पता कि हम किस रूप में तथा किस चेतना के साथ उस लीला में सम्मिलित हुए थे। परन्तु अब हम पुनः अपनी चेतना में स्थित हैं। हमें यह मनुष्य शरीर मिला हैं। हम इस गौड़ीय वैष्णव परंपरा से जुड़े हैं।  हमें हरिनाम भी प्राप्त हुआ हैं अतः निरंतर जप करते रहिए। हरे कृष्ण का जप कीजिए तथा प्रसन्न रहिए। गोस्वामियों का यह भाव था।  मैं आपके साथ जाना चाहता हूँ, मैं आपके साथ रहना चाहता हूँ। यह एक अत्यंत गंभीर गीत हैं , जिसे जॉर्ज हैरिसन ने अपने ह्रदय की गहराइयों से गाया था तथा मुझे भी यह गीत अत्यंत प्रिय हैं। अतः निरंतर जप करते रहिए। श्रील प्रभुपाद ने भी कहा हैं , " जप कीजिए तथा प्रसन्न रहिए। " इसके अलावा अन्य कोई मार्ग नहीं हैं ! नहीं हैं ! नहीं हैं ! अतः इस बात पर बल दिया गया हैं। शास्त्रों में भी इसी बात पर बल देते हुए कहा गया हैं , कृष्ण ने अपने वचनों से शास्त्रों की रचना की हैं। माया मुग्ध जीवेर नाहीं स्वतः कृष्ण ज्ञान।  जीवेर कृपाय कईला, कृष्ण वेद पुराण।। " बद्ध जीव स्वयं के प्रयास से अपनी कृष्णभावनामृत को जाग्रत नहीं कर सकते हैं। परन्तु अपनी अहैतु कृपा से स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने वेद तथा पुराणों की रचना की हैं। " (चैतन्य चरितामृत मध्य लीला २०.१२२) हम बद्ध जीव हैं, जो पूर्णरूपेण माया के बंधन में हैं तथा निरंतर मुसीबत में गिरते रहते हैं। भगवान ने अत्यंत कृपा करके अपने इन बच्चों को शास्त्र प्रदान किये हैं। जीवेर कृपाय कईला, तब भगवान ने शास्त्रों, वेद तथा पुराणों की रचना की। सभी वेदों तथा पुराणों में भी यही कहा गया हैं कि हरिनाम ही एकमात्र उपाय हैं। अतः सदैव जप करते रहिए। ध्यानपूर्वक , ठीक प्रकार से , अपराध रहित होकर , भक्तिभाव से , तथा शुद्धता के साथ जप कीजिए। मुझे आज सोलापुर जाना हैं। वहां कल जगन्नाथ रथयात्रा हैं।  आप सभी भी उसमे सादर आमंत्रित हैं।  यदि आप शारीरिक रूप से उसमें नहीं आ सकते हैं तो मानसिक रूप से अवश्य सम्मिलित होइए। हरे कृष्ण !

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5th April 2019 HARINAMA IS THE ONLY OPTION! Hare Krishna! Today Pandharpur devotees are chanting with us on the conference. Ganesh from Bangalore has encouraged four devotees to join the conference. Rama Lila Mataji from Solapur also keeps making efforts to encourage other devotees to join. We have a limit of 500 participants who are able to join the conference. So now Dinanukampa mataji who coordinates the conference has upgraded it and now we can have up to 1000 participants. That's the maximum limit for Zoom. You know our target. By July, till 70th Vyasa Puja we would like to see 700 participants. So you have to encourage others to join. Be kind to your neighbours. ‘Love thy neighbour as thyself.’ It is said in the Bible. Remember your neighbours. Remember your friends, remember your relatives, remember your Bhakti-vriksha members. Be kind to them and get them to join this japa sanga or Japa talk conference. I am happy with all you chanters. You are doing the right and the best thing. Chant Hare Krishna’ mahamantra! That is what Lord wants us to do. It is the Lord that we wish to realize, the Lord of our hearts. We wish to see Him. “ I want to see You!” , George Harrison said that. “ O! Lord , I want to see You! I want to be with You!” I am not saying, George Harrison had said this. That Lord wants us to chant Hare Krishna. You couldn't go wrong by chanting Hare Krishna. This is the Lord's will . This is what the Lord did Himself few years ago. mahāprabhoḥ kīrtana-nṛtya-gīta- vāditra-mādyan-manaso rasena romāñca -kampāśru-tarańga-bhājo vande guroḥ śrī-caraṇāravindam (Gurvastakam Verse 2) ‘Chanting the holy name, dancing in ecstasy, singing, and playing musical instruments, the spiritual master is always gladdened by the sankirtana movement of Lord Caitanya Mahaprabhu. Because he is relishing the mellows of pure devotion within his mind, sometimes his hair stands on end, he feels quivering in his body, and tears flow from his eyes like waves. I offer my respectful obeisances unto the lotus feet of such a spiritual master.’ Of course we were with Mahaprabhu somewhere, in some bodies, who knows in what consciousness. At least now we have come to our senses. We have this human form of life. We have come in contact with this Gaudiya Vaisnava parampara. We have received the holy name, so keep chanting. Chant Hare Krishna and be happy. Goswamis had this bhava. I want to go with You. I want to be with You. It's quite a serious song sung from the heart of George Harrison. I like that song. So keep Chanting. Prabhupada also has said, 'Chant and be happy!’. There is no other way! No other way! No other way! There is emphasis. Emphatically sastras are saying ‘vacana’( words) of the Lord, Krsna compiled all the sastras. māyā-mugdha jīvera nāhi svataḥ kṛṣṇa-jñāna jīvere kṛpāya kailā kṛṣṇa veda-purāṇa “The conditioned soul cannot revive his Kṛṣṇa consciousness by his own effort. But out of causeless mercy, Lord Kṛṣṇa compiled the Vedic literature and its supplements, the Purāṇas ( CC Madhya 20.122) We are bound up, conditioned and in big trouble, fully illusioned. Lord by being kind has given scriptures to his children. jīvere kṛpāya kailā Then Lord wrote the sastras, ved, Purana. All veda puranas are also saying that ,Harinama is the only option. So keep chanting. Chant correctly, properly, attentively, offenselessly, devotionally, purely. I have to go to Solapur. There is Jagannath Ratha-yatra tomorrow. You are also invited. If you can't come, you can be present mentally. Hare Krishna!!

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