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जप चर्चा, 20 मार्च 2020 एकादशी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।आज एकादशी का महोत्सव संपन्न हो रहा हैं। एकादशी महोत्सव की जय। 544 स्थानों से भक्त जप कर रहे हैं।आप सभी भक्तों का स्वागत हैं। हो सकता हैं कि एकादशी कारण हैं कि आज जप करने वाले भक्तों की संख्या बढ़ी हैं। आप सभी जप करते रहिए। एकादशी के दिन जप करने का और भी अधिक महत्व हैं। एकादशी को भक्ति की जननी कहा हैं। माधव तिथि भक्ति जननी। आप में से कई भक्तों ने और अधिक जप करने का संकल्प लिया हैं,कि आज के दिन मैं 64 माला करूंगा।आप मे से कइ भक्तों ने यह चेट में लिख कर या कहकर संकल्प ले लिया हैं। अधिक जप कीजिए आज।वैसे भी आपके पास अभी फुर्सत हैं।यह कोरोना की करुणा हैं।वैसे तो माया हमें हर समय दौड़ाती रहती हैं और हम इधर-उधर भागते रहते हैं, जिसके कारण तनाव बढ़ता हैं। लोगों के लिए भक्ति करने का और भगवान के लिए समय नहीं होता।हरि हरि।आप भी थोड़ा व्यस्त रहते हो,क्योंकि आप गृहस्थ भक्त हो, इसलिए अपने इकनोमिक डेवलपमेंट में थोड़ा व्यस्त हो जाते हो। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि यह कोरोना कि करुणा है कि आपके पास समय हैं और आपके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं हैं। समाचार पढा कि आज मॉरीशस में 6:00 बजे से सब कुछ बंद हैं। कोई मुवमेंट नहीं कर सकता। यह आदेश वहा जारी कर दिया गया हैं।हमारे प्रधानमंत्री भी कुछ कह कर गए हैं। तो उस चीज का लाभ उठाइए। जो काम व्यस्तता के कारण नहीं कर पा रहे थे,वह कोरोना के कारण कर सकते हैं।सारे संसार को अपने आप को रोकना ही पड़ रहा हैं।सुपर पावर भी पावरलेस हो रही हैं।हीरो सभी जीरो हो रहे हैं।कोरोना अगर माया हैं, तो माया भी भगवान से स्वतंत्र नहीं हैं। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री को भी याद नहीं आया कि यहां भगवान का कनेक्शन हैं,भगवान से कोई संबंध हैं। प्रधानमंत्री सारे देश को संबोधित कर रहे थे कि कोरोना आ चुका हैं। यह करो यह मत करो, सावधान रहो। लेकिन भगवान के संबंध में एक शब्द भी नहीं कहा। उन्होंने यह तो कहा कि ऑफिस मत जाओ,परिवार के साथ रहो, बचकर रहो।लेकिन एक बार भी यह नहीं कहा कि भगवान को याद करो।भगवद्गीता पढ़ो या भगवान का नाम स्मरण करो।इस बारे में हमारे प्रधानमंत्री ने एक शब्द भी नहीं कहा। प्रल्हाद महाराज ने कहा हैं और यह सिद्ध हो रहा हैं अंधा यथा अंधे उपगिय मान(शलोक) कई सारे अंधे,अंधे नेताओं के आदेशों का पालन करते हैं या उनका अनुगमन करते हैं, अंधे लोगों द्वारा बनाए गए संविधान का पालन करते हैं।संविधान बनाने वाले अंधे हैं,तमोगुणी हैं।उनको केवल लोगों के शरीर की चिंता हैं, बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि हमारा सटेट सेकुलर स्टेट हैं, हम धर्मनिरपेक्षता का पालन करते हैं।सेकुलर मतलब हमारी जो भौतिक आवश्यकताए हैं, जैसे रोटी कपड़ा मकान हैं या बिजली-सड़क-पानी हैं, इसका हम ख्याल करेंगे। ठीक हैं,अगर आप बीमार हो तो हमें उसकी चिंता हैं, लेकिन हमें आपकी आत्मा की चिंता नहीं हैं। आपके भगवान की चिंता नहीं हैं।उसकी चिंता हम नहीं करेंगे,क्योंकि हम सेकुलर स्टेट हैं।हम धर्मनिरपेक्ष हैं। हमारा सभी धर्मों में समभाव हैं। ऐसा क्या हैं कि वह निधर्म की बात करते हैं।वह कह सकते थे कि आप अगर सेक्युलर हो तो आप अपने भगवान को याद करो, कृष्ण को याद करो या अल्लाह को याद करो या भगवान को जिस भी नाम से पुकारते हो,उन्हें याद करो। ऐसा भी तो कह सकते थे। तो देख लो ऐसी स्थिति हैं इस संसार की। ऐसे हैं हमारे नेता और अभिनेताओं का तो कहना ही क्या और वैज्ञानिकों का भी क्या कहना। वह तो यह कहते हैं कि हमें दिखाओ,अगर आप भगवान को दिखा सकते हो तो भगवान हैं, वरना हमारे लिए भगवान हैं ही नहीं।आजकल के वैज्ञानिक परोक्ष वाद को स्वीकार नहीं करते।वैज्ञानिकों का यह हाल हैं तो हमारे नेताओं का यह हाल हैं कि हम सेकुलर स्टेट वाले हैं और अभिनेता का तो कहना ही क्या, वह तो काम और क्रोध का प्रदर्शन करते हैं।हरि हरि और कौन बच गए? ठीक हैं। तो हमारी कुछ माताएं बहुत परेशान हैं कि सब खत्म हो रहा हैं। व्यापार ठप हो रहे हैं। सब कुछ बंद हो रहा हैं। हम काम पर नहीं जा सकते।मुंबई में शायद लोकल ट्रेन भी नहीं चलेगी। बस नहीं चलेगी, यह नहीं होगा, वह नहीं होगा। तो कुछ माताएं हमारी ,कुछ भक्त गोवर्धन इकोविलेज पहुंची हैं और वहां पर भागवतम् का अध्ययन कर रही हैं। हमारी कुछ माता ने लिखा भी हैं जैसे की रामलीला माता जी की बहू हैं या बेटी हैं,वह कह रही हैं कि अब मेरे प्रभु जी रोज सेवा में जाते हैं। पत्नी को गर्व हैं कि जब हमारे पतिदेव काम पर जाते हैं तो तिलक पहन कर जाते हैं।मतलब प्रचार यशस्वी हो रहा हैं। ऐसा श्रील प्रभुपाद कहा करते थे। न्यायधीश भी कोर्ट में तिलक पहनकर जाएंगे और तिलक पहने हुए ही अपना फैसला देंगे। तो प्रभुपाद कहते थे कि तब मैं समझूंगा कि जो प्रचार हैं वह पूर्ण रूप से सफल हो रहा हैं। हरि हरि। प्रधानमंत्री के नागरिक भी तो बीमार हैं, लेकिन उनको तो भगवान याद नहीं आए। उन्होंने तो नहीं कहा कि भगवान से प्रार्थना करो, ताकि हमारे या मेरे देश के नागरिक ठीक रहे। ऐसा कुछ तो कह रहे थे, साथियों या भाइयों और बहनों। सभी जनता को अपना मान कर संबोधित कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि भगवान से प्रार्थना करो। यही अंतर हैं, कृष्ण भावना भावित होने और कृष्ण भावना भावित नहीं होने में। हमारी कृष्ण भावनाभावित माता जी के पति बीमार हैं, तो वह कह रही हैं कि आप लोग भगवान से प्रार्थना करो। हम लोगों को प्रार्थना करने के लिए कह रही है।और स्वय भी कर रही हैं, लेकिन हमारे देश के प्रधानमंत्री ने तो नहीं कहा कि उनके देश के नागरिक बीमार हैं या उनके बीमार होने की संभावना हैं तो उनके लिए प्रार्थना की जाए। उन्होंने उनका तो आभार प्रकट किया जो लोग कोरोना के मरीजों की सेवा में या देशवासियों की सेवा में व्यस्त हैं, लेकिन भगवान का आभार प्रकट नहीं किया। कोरोनावायरस से बचाव में जो जुटे हैं, केवल उनका आभार मानो और भगवान को भूल जाओ। भगवान का कोई लेना देना नहीं हैं।हरि हरि।यह हैं दुनिया की हालत।भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद कहा करते थे कि दुनिया में वास्तव में कृष्ण भावना का अभाव हैं। किसी चीज का अभाव हैं, तो वह कृष्ण भावना का हैं,बाकी सब तो हैं, हैं तो सब कुछ भगवान का ही,सारा वैभव,सारी पृथ्वी, यह वसुंधरा सब भगवान का ही वैभव हैं।वसुंधरा मतलब वैभव या संपत्ति बाकी सब कुछ उपलब्ध हैं, कम या अधिक मात्रा में।भगवान ने ही उपलब्ध करवाया हैं। अभाव अगर किसी बात का हैं तो यह कि हम कृतघन हैं। भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद ने तो कहा कि कृष्ण भावना का अभाव हैं, माया का इतना प्रभाव हैं, कली का इतना प्रभाव हैं। यह सब प्रभाव हैं। लेकिन अभाव किसका हैं? कृष्ण भावना का अभाव हैं, इसीलिए यह अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावना भावित संघ जिस का अभाव हैं, उसकी पूर्ति के लिए प्रयास कर रही हैं।कृष्ण भावना का अभाव हैं और उसी की पूर्ति प्रभुपाद द्वारा स्थापित यह अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावना मृत संघ कर रहा हैं और आप भी सभी कृष्णभावनामृत आंदोलन के सदस्य हो। जैसे अभी 590 प्रतिभागियों ने जप चर्चा में भाग ले रखा हैं। यह एक अच्छा संकेत हैं। यह कोरोनावायरस का प्रभाव हैं और एकादशी का भी महात्मय समझने वाले लोग आए हैं। हरे कृष्णा आंदोलन के सदस्य कुछ अधिक संख्या में आज जप चर्चा में जुटे हैं और सब ने मिलकर जप किया और अगर जप नहीं भी किया तो कम से कम जप चर्चा तो सुन ही रहे हैं। खैर सभी का स्वागत हैं।अब आप वह करो जो प्रधानमंत्री नहीं कर रहे हैं, या कोई सरकार नहीं कर रही हैं, या सरकार का शिक्षा मंत्रालय ऐसी शिक्षा नहीं दे रहा हैं और ना तो मीडिया ही इस शिक्षा को लोगों तक पहुंचाने के लिए माध्यम बन रहा हैं।अखबार वाले और इंटरनेट सोशल मीडिया कोई भी कुछ नहीं करता हैं। भगवान के संदेश को पहुंचाने का कोई माध्यम नहीं बन रहा हैं। भगवान की याद उनको नहीं आती हैं। वैसे कोरोनावायरस आया ही इसलिए हैं ताकि आप भगवान को याद करो लेकिन संसार फिर भी नहीं याद कर रहा हैं। तो आप सभी कृष्ण भावनाभावित भक्त उन्हें स्मरण करा दो कि सभी समस्याओं का हल तो कृष्ण ही हैं। भगवान के शब्दों में तो समस्या क्या हैं? जन्म,मृत्यु, जरा, व्याधि वास्तव समस्याएं तो यही हैं। आप कहोगे केवल चार, मैं तो आपको 400 समस्याएं बता सकता हूं।हां वह भी समस्या हो सकती हैं, लेकिन भगवान के शब्दों में केवल चार ही मुख्य समस्याएं हैं। जन्म,मृत्यु, जरा,व्याधि, तो इस समस्या का हल भगवान के पास हैं। एनॆछि औषधि माया नाशिबारॊ लागि हरि-नाम महा-मंत्र लओ तुमि मागि(जीव जागो,भक्ति विनोद ठाकुर द्वारा) भगवान प्रकट भी हुए और प्रकट होकर कह रहे हैं कि मेरे अलावा तुम्हारा और कौन बंधु हैं? तो मैं आया हूं, आपका बंधु, आपका मित्र और साथ में आपकी जो उलझने हैं उसके लिए सुलझन लेकर आया हूं।मेरे पास आपकी हर समस्या का उपाय हैं।केवल मांग लो। भक्ति विनोद ठाकुर कह रहे हैं कि प्रभु मैं मांग रहा हूं,मुझे दीजिए। मुझे हरि नाम चाहिए। मुझे हरि नाम चाहिए। भगवान ने कहा कि मांगो मांगो। हरि नाम मांगो। तो भक्ति विनोद ठाकुर ने कहा कि मुझे दीजिए, मुझे इसे दीजिए। मुझे चाहिए। ऐसे ही हम सभी को यह मांग करनी चाहिए कि हमें कृष्ण चाहिए। आपको क्या चाहिए?कुछ बोल क्यों नहीं रहे? भगवान चाहिए या माया चाहिए? ओर माया चाहिए? अभी तक पेट नहीं भरा तुम्हारा? आपको कहना चाहिए कि हमें माया नहीं हमें कृष्ण चाहिए। क्या आपकी यह डिमांड हैं कि हमें कृष्ण चाहिए? कुछ कह रहे हैं कि कृष्ण प्रेम चाहिए। क्या आपको कृष्ण नहीं चाहिए? कृष्ण प्रेम ही तो कृष्ण हैं। संसार की माया चाहिए तो यह जन्म भी तो माया ही हैं। मृत्यु भी माया ही हैं।कोरोनावायरस भी माया ही हैं और सभी बीमारियां भी माया ही हैं। जन्म,मृत्यु, जरा व्याधि माया ही हैं। यह सभी माया की देन हैं, माया की भेंट हैं। हमको कृष्ण चाहिए,माया नहीं चाहिए,नहीं चाहिए,नहीं चाहिए। इसके लिए कहा गया हैं हरेर नाम हरेर नाम हरेर नामैव केवलम कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरण्यधा (चेतनय चरित्रामृत आदि लीला 7.76) तीन बार कहा गया हैं। एक ही बात को तीन बार कहा गया हैं। हमको मुक्ति नहीं चाहिए, भुक्ति नहीं चाहिए, सिद्धि नहीं चाहिए। तीन बार कहा गया हैं कि नहीं चाहिए,नहीं चाहिए,नहीं चाहिए। क्या नहीं चाहिए? जो भुक्ति की कामना हैं, भुक्ति कामी हम नहीं बनना चाहते,मुक्ति की भी कामना नहीं है और सिद्धि की भी कामना नहीं हैं।कृष्ण भक्त निष्काम अतएव शांत। हम कृष्ण भक्त बनना चाहते हैं। हमें कृष्ण चाहिए।हमें कृष्ण प्रेम चाहिए और फिर जब आप सब ऐसे भक्त बनोगे तो आप शांत हो जाओगे। आप संतुष्ट हो जाओगे। आशापाशशतैर्बद्धा: कामक्रोधपरायणा: | ईहन्ते कामभोगार्थमन्यायेनार्थसञ्जयान् ||भगवद्गीता 16.12|| दुनिया क्या चाहती हैं?आशा के पाश में बंधा रहना चाहती हैं, आशा के पाश ने हमको बांध दिया हैं। हम सभी बद्ध हैं,किससे?पाश से। आशा की रस्सियो से आशा अर्थात इच्छाओं की रस्सियो से,इच्छाओं की रसियो ने हमको जगड के रखा हैं और कितनी आशाएं हैं, इच्छाएं हैं? सैकड़ों। इन सब से बंधे हुए हैं और कलयुग के लोग बहुत ही एक्सपर्ट हैं? किस में? काम, क्रोध में। काम,क्रोध परायण। काम और क्रोध में निपुण हैं। भक्ति कामी, मुक्ति कामी, सिद्धि कामी, सब कामी ही हैं और कामना कि जब पूर्ति नहीं होती तो क्रोध आता हैं। काम से भोग भोगने का प्रयास तो किया लेकिन समाधान नहीं मिला और कभी समाधान मिलता ही नहीं। जिसका परिणाम होता हैं, फ्रस्ट्रेशन अथवा क्रोध। हम क्रोधित हो जाते हैं। यह सब माया का खेल या माया का चक्कर हैं और हम बढ़िया से मस्त हैं। माया में हम इतने मस्त हैं कि कोरोना आ गया।फिर भी भगवान की याद नहीं आ रही हैं। भगवान ही समाधान हैं।यह हम नहीं सोच रहे हैं।इस कोरोनावायरस का कोई भी इलाज नहीं हैं।कोई दवा कोई इंजेक्शन नहीं हैं।ऐसा कह रहे हैं। वह भी सही हैं।लेकिन जितनी भी बीमारी हैं, उसका अंततः इलाज तो केवल एक ही हैं। हरेर नामेव केवलम। मानते हो कि नहीं? मॉरीशस वाले?3 दिन पहले ही यह मॉरीशस वाले कह रहे थे कि हमारे देश में तो कोई कोरोना नहीं हैं। अमेरिका इस से पीड़ित हैं, भारत भी इससे पीड़ित हैं, लेकिन हमारे यहां नहीं हैं। हम तो सबसे अलग और बहुत ही महत्वपूर्ण लोग हैं। यहां तो कोरोना नहीं हैं। लेकिन कोरोना ने करुणा कर ही दी और इस देश में अब 6:00 बजे से बंद घोषित कर दिया हैं। भगवान के दरबार में देर हो सकती हैं, लेकिन अंधेर नहीं होती। तो सभी को ही कृपा मिलने वाली हैं। सभी देशों को कृपा मिलेगी। किसी को पहले मिलेगी तो किसी को बाद में। सबसे पहले तो चाइना को मिली। हरि हरि। केवल हरे कृष्ण भक्त बचेंगे और बचना हैं तो हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे इसका जप स्वयं भी करो और औरों से भी कीर्तन करवाओ। इसी के साथ ही गीता भागवत भी पढ़ो और विचार करो और दिमाग में कुछ कृष्ण भक्ति की बातें डालो। दूसरों की मदद करो। ठीक हैं। यहां समय खत्म होता हैं। आज एकादशी हैं, तो आप सभी व्यस्त रहो। ज्यादा से ज्यादा जप करो। ज्यादा से ज्यादा पुस्तकों का अध्ययन करो और घर बैठे बैठे प्रचार करो और अपने घर को भी वैकुंठ बनाओ। कल आपको गृह कार्य दिया था कि जो जो आपके घर में कमी हैं, उसको पूरा करो। जैसे अगर तुलसी नहीं थी तो तुलसी को ले आओ। आपको एक छोटी सी सूची दी थी, पूरी तो सूची नहीं दी। कुछ छोटी ही दी कि कैसे आप अपने घर को वैकुंठ या गोलोक बना सकते हो। और मुख्य तो आपके जो भाव हैं, उसी को प्रकट करना हैं। उसी का प्रदर्शन होगा, तभी घर बैकुंठ बनेगा। वैकुंठ मतलब चिंता मुक्त स्थान। ठीक हैं। गौर प्रेमानंदे हरि हरि बोल।

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