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*हरे कृष्ण!* *जप चर्चा* *पंढरपुर धाम* *दिनांक 14 मई 2021* आज बहुत ही विशेष दिन और मुहूर्त हैं। आज साडे तीन मुहूर्तो में से एक अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त, शुभ दिन हैं । *गौर प्रेमानंदे हरि हरि बोल* *शुभ दिन, शुभ घड़ी, शुभ मुहूर्त।* मुझे एक सूची प्राप्त हुई हैं, इसमें प्राचीन काल में युग युगांतर से आज के दिन कौन सी घटनाऐं घटी इसका उल्लेख हैं।यह दिन अक्षय फल प्रदान करने वाला हैं।कैसा फल? जो अक्षय हो, जिसका क्षय नहीं हो। एक क्षय रोग भी हैं।कया आप जानते हो? टी.बी., टी बी को क्षय रोग कहते हैं।आप जानते ही होगें, जिसका क्षय होता हैं, तो क्या होता है? किंतु यह जो दिन हैं और यह दिन जो फल देता हैं, वह अक्षय फल देता हैं। घटता नहीं, बढ़ता हैं।यहा जिस क्रम से भी अलग-अलग बातें लिखी हैं,वो बता रहा हूँ ।आज के दिन ही, *श्रील प्रभुपाद की जय* श्रील प्रभुपाद ने 1953 मे वह 16 मई का दिन था, आज कौन सी तारीख हैं?आज इस साल 14 मई हैं और 1953 में यह 16 मई थी। इस दिन श्रील प्रभुपाद ने झांसी में भक्तों के संघ (लीग ऑफ डिवोटी) की स्थापना की। इस्कॉन की स्थापना तो बाद में न्यूयॉर्क में हुई।उसके पहले श्रील प्रभुपाद ने सर्वप्रथम एक संगठन की स्थापना की। उसका आयोजन भी किया था। उसका नाम अंग्रेजी में लीग ऑफ डिवोटीज रखा था।हिंदी में सार्वभौम सभा, ऐसा कुछ कहते हैं। उसकी स्थापना आज के दिन श्रील प्रभुपाद ने की। हरि बोल।झांसी के भक्त कहते हैं कि इस्कॉन का झांसी में गर्भधारण हुआ था गर्भधारण समझते हो कन्सीवड (conceived) मतलब गर्भधारण (conception)। तो आज के दिन इस्कॉन का झांसी में गर्भधारण हुआ।गर्भावस्था के समय (प्रेगनेंसी पीरियड) में प्रभुपाद वृंदावन में थे और न्यूयॉर्क में गए तो फिर 1966 मे इसकी डिलीवरी हुई। इस्कॉन का गर्भधारण झांसी में हुआ और न्यूयॉर्क में उसकी डिलीवरी हुयी,आज के दिन गर्भ धारण हुआ।आज श्री परशुराम एवं श्री हयग्रीव जयंती भी है।राम तीन हैं। श्री राम हैं, बलराम हैं और परशुराम। जिनके हाथ में कुल्हाड़ी होती है वह परशुराम हैं।और हयग्रीव?ग्रीव मतलब गर्दन और उनका मुख जो था वह घोड़े जैसा था। एक अवतार में आपने देखा होगा, दर्शन किया होगा। हयग्रीव भगवान और परशुराम भगवान यह उनका प्राकट्य दिन या अवतार दिन हो गया। *संभवामि युगे युगे* परशुराम भगवान और हयग्रीव भगवान आज ही के दिन,अक्षय तृतीया के दिन प्रकट हुए। आगे बढ़ते हैं जगन्नाथपुरी में जो रथ यात्रा होती हैं, हर वर्ष रथ यात्रा के लिए नया रथ बनाया जाता है। शायद आपको पता नहीं होगा प्रतिवर्ष वहां पर नया रथ होता है। तो आज के दिन जगन्नाथपुरी में नए रथ के निर्माण का कार्य शुरू होता हैं । आज वहां तैयारी हो रही हैं, हर वर्ष होती हैं। इस साल भी आज रथ निर्माण का कार्य प्रारंभ होगा। जगन्नाथ पुरी से बद्रिकाश्रम चलते हैं। बद्रिकाश्रम में आज दर्शन खोलते हैं। शीतकाल में अक्टूबर-नवंबर में बद्रीनाथ मंदिर बंद होता हैं। लॉकडाउन जैसे कह सकते हैं। लॉकडाउन से भी अधिक गंभीर स्थिती क्योंकि वहां कोई नहीं रहता, पुजारी, पुरोहित, दर्शन आरती कुछ भी नहीं। लेकिन जो भी सामग्री हैं, भोग की सामग्री, पूजा की सामग्री सब की व्यवस्था वहां पर करके रखी जाती हैं। लेकिन वहां पर जो पास में आर्मी का कैंप होता हैं उनके अनुभव ऐसे रहे हैं, कि वहां पर शंख ध्वनि की आवाज और घंटा बजने की आवाज वे सुनते रहते हैं। वहां के मूल पुरोहित नारद मुनि हैं और देवता भी आते होंगे और वह सेवा पूजा संभालते हैं। सारे देवता जो हैं, वह सारे नीचे उतर आते हैं। अलग-अलग प्रयाग हैं, देवप्रयाग, यह प्रयाग, वह प्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार तक नीचे पहुंच जाते हैं। लेकिन बद्रीनाथ में पूजा चलती रहती हैं, तो आज के दिन फिर मंदिर पुनः खुलते हैं। दर्शन खुलता हैं। फिर सेवा पूजा शुरू हो जाती हैं।आज कई सारे लोग बद्रिकाश्रम पहुंचे होंगे।*बद्रिकाश्रम धाम की जय*। बांके बिहारी वृंदावन में एक विशेष मंदिर हैं।विशेष विग्रह और विशेष दर्शन।आज उनके चरणो के दर्शन होते हैं। मेरे मतानुसार आज एक ही दिन उनके चरण दर्शन होते हैं।आज के दिन बांके बिहारी के दुर्लभ चरण दर्शन होते हैं, आज के दिन यानी अक्षय तृतीया के दिन। आप नोट करो या याद रखो।वैसे आप श्रुति धर तो हो ही। एक बार सुन लिया तो याद रहता हैं।आपके लिए लिखने की कोई आवश्यकता नहीं । ठीक हैं।हम स्मार्ट तो नहीं लेकिन हमारा फोन तो स्मार्ट हैं। तो आप भी स्मार्ट बनीए। स्मार्टफोन के मालिक स्मार्ट होने चाहिए।आज कृष्ण और सुदामा के मिलन का दिन भी हैं। सुदामा को उनकी पत्नी ने जिनका नाम सुशीला था उन्होंने अपने पतिदेव को भेजा। जाओ, कुछ सहायता की मांग करो। तो आज के दिन सुदामा द्वारका गए। *रुक्मिणी मैया की जय* रुक्म्मिणी और द्वारकाधीश जिस महल में रहते हैं,उस महल में सुदामा और द्वारकाधीश का आज के दिन मिलन हुआ। अब महाभारत की ओर जाते हैं, हां कृष्ण और सुदामा मिलन यह भी महाभारत काल की ही घटना है। द्रोपदी चीर हरण से रक्षण भी आज ही के दिन हुआ।वैसे द्रौपदी वस्त्र हरण प्रसिद्ध हैं और उससे भी अधिक प्रसिद्ध है द्रोपदी की लज्जा की रक्षा।आज के दिन, उस लीला का स्मरण करो। देख रहे हो आप?सभा हैं, द्रोपदी हैं, बिचारे पांडव असहाय अवस्था में वहां बैठे हैं। और जब द्रोपदी ने पुकारा हे कृष्ण! हे गोविंद!तो कृष्ण गोविंद वहां प्रकट हुए हैं और फिर साड़ी की सप्लाई प्रारंभ हुई।नंदग्राम में वृंदावन में आज के दिन ब्रज मंडल में पावन सरोवर का प्राकट्य हुआ हैं। *नंदग्राम धाम की जय* नंदग्राम में प्रसिद्ध सरोवर हैं, पावन सरोवर। उसकी क्या महिमा हैं? आप हमारी ब्रजमंडल दर्शन किताब मे पढ़ लेना। आज से चंदन यात्रा प्रारंभ होती हैं। यह ग्रीष्म ऋतु हैं और इतनी गर्माहट चल रही हैं। कृष्ण को वन में जाना ही पड़ता था ठंडी हो, गर्मी हो, वर्षा हो। तो विशेष चंदन लेपन *सर्वांगे हरिचंदन सुललितम* इस्कॉन के सभी मंदिरों में, सिर्फ इस्कॉन ही नहीं कृष्ण के सभी मंदिरों में आज चंदन लेपन प्रारंभ होता हैं और यह 21 दिन तक चलेगा। तो आपको भी चंदन घिसने की सेवा, चंदन लेपन की सेवा करनी चाहिए और फिर चंदन से लिप्त कृष्ण की फोटो भी आप खींच सकते हो। उसको प्रसारित कर सकते हो, औरों को दर्शन करा सकते हो। यह आज से शुरू होने वाला हैं।इस्कॉन के कई मंदिरों में स्पर्धा भी चलती है । लॉकडाउन भी हैं तो देखते हैं इस्कॉन के पुजारी कैसे-कैसे दर्शन कराते हैं और विशेष दर्शन आंध्र प्रदेश में जो सिम्हाचलम है, यह सिम्ह मतलब नरसिम्ह और अचल मतलब पर्वत। पर्वत के शिखर पर नरसिम्ह विराजमान है तो आज के दिन उन नरसिम्ह भगवान का चंदन लेपन होता हैं या दर्शन होता हैं । केवल नरसिम्ह भगवान के ही नहीं वराह भगवान के भी दर्शन होते हैं।यह सिम्हाचल पर्वत आंध्र प्रदेश विशाखापट्टनम के पास है। यह प्रसिद्ध मंदिर है। आंध्र प्रदेश में नौ अलग-अलग नव नरसिम्ह मंदिर हैं, उसमें से यह प्रसिद्ध हैं। यहां केवल नरसिंह भगवान के दर्शन नहीं हैं अपितु प्रल्हाद महाराज की प्रार्थना और इच्छा अनुसार वराह भगवान के भी दर्शन है। । प्रल्हाद महाराज ने प्रार्थना भी कि हे प्रभु आपने नरसिंह भगवान के दर्शन तो दे दिये लेकिन आपने मेरे चाचा हिरण्याक्ष का वध करने वाले वराह भगवान के दर्शन नहीं दिये। हिरण्यकशिपु का वध करने वाले नरसिम्हा हैं और मैं हिरण्याक्ष का वध करने वाले वराह भगवान के भी दर्शन करना चाहता हूं। इस विग्रह में दो दर्शन साथ हैं। एक ही विग्रह में दो दर्शन हैं, नरसिंह और वराह। वराहलक्ष्मी और नरसिंह। आज यहां विशेष दर्शन प्राप्त होता हैं और आज चंदन लेपन भी होता है। आज के दिन अक्षय की बात चल रही हैं। अक्षय तृतीया पर सूर्यदेव द्वारा पांडवों को अक्षय पात्र प्रदान किया गया। सूर्य देव पांडवों को अक्षय पात्र देते हैं और उसी में द्रोपदी भोजन बनाती हैं। आप जानते ही हो, एक दिन दुर्वासा मुनि अपने सारे अनुयायियों के साथ आ गए। तो उस समय उस अक्षय पात्र की महिमा का पता चला। वह लीला तो प्रसिद्ध है। वह अक्षय पात्र कभी खाली नहीं हुआ था। समाप्त नहीं हुआ था। वह अक्षय पात्र आज के दिन सूर्यदेव ने पांडवों को दिया। कुबेर को धन प्राप्ति और पदप्राप्ति भी आज के दिन हुई। यह कहां-कहां से अलग-अलग शास्त्रों से पुराणों से जानकारी प्राप्त हुई है। शास्त्रों की बात है तो माननी ही पड़ेगी। कुबेर को धन की प्राप्ति हुई । पद की प्राप्ति हुई। कई लोग आज के दिन धन प्राप्ति करते हैं। सोने चांदी का काफी बड़ी मात्रा में क्रय वक्रय होता रहता हैं।यह दिवस और भी कई प्रकार के संपत्ति को जुटाने का या खरीदने का होता हैं। मैं तो कहुगा कि आज के दिन आप प्रेम धन को ही प्राप्त कीजिए। यह सब के लिए ठीक है , क्योंकि यह सूचना मिली हैं कि आज खरीदारी का दिन है। परिवार में ईष्ट गोष्टी होंगी और पत्नी लिस्ट बनाकर तैयार करेगी। प्रभुजी प्रभुजी हमारे पास कार नहीं है। मोटरसाइकिल से हम कब तक घूमेंगे। यह लज्जास्पद बात हैं और भी कई चीज हैं। परतुं आप तो वैष्णव हो। *हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।* इस प्रेम धन की प्राप्ति के बिना हम निर्धन हैं। वैसे हम कोई भी संपत्ति या धन जुटा ले,लेकिन अगर प्रेम धन नहीं हैं हमारे पास तो हम निर्धन हैं।यह मत्स्य पुराण में लिखा है। गंगा माता का पृथ्वी अवतरण भी आज ही के दिन हुआ हैं। गंगा माता एक समय केवल स्वर्ग में ही थी। स्वर्ग से गंगा आज ही के दिन पृथ्वी पर पहुंच गई। गंगा माता की जय! बद्रिकाश्रम में पुनः लौटते हैं। बद्रिकाश्रम में व्यास गुफा है। व्यास गुफा में गणेश गुफा भी है। गणेश व्यस देव जी के सचिव या सेक्रेटरी रहे हैं।आज ही के दिन महाभारत की रचना का प्रारंभ हुआ। व्यासदेव जो महाभारत के रचईयता है। सभी वैदिक वाग्ड़मय की रचना व्यासदेवने यही से की। बद्रिकाश्रम में हम भी गए थे, कई बार गए। एक बार 1977 में गए थे। उस समय श्रील प्रभुपाद का स्वास्थ्य ठीक नहीं था इसीलिए हम वृंदावन आए थे। रात को हम पुस्तक वितरण की रिपोर्ट प्रभुपाद को दे रहे थे। प्रभुपाद अपनै कक्ष में ही थे।तो हमने कहा कि, प्रभुपाद हम बद्रिकाश्रम में व्यास गुफा मे गए थे और आपकी भगवदगीता यथारूप व्यासदेव को दिखाइ। प्रभुपाद ने सुना तो हंस रहे थे.,प्रसन्न थे। उसी गुफा में जहां महाभारत की रचना हुई मतलब भगवतगीता की भी रचना हुई। भगवदगीता भी महाभारत के युद्ध के बारे मे ही हैं। भीष्म पर्व के 18 अध्याय है। वह 18 अध्याय भगवदगीता हैं। यह अक्षय तृतीया ही उस महाभारत की रचना के प्रारंभ का दिन हैं। दुर्गा माता की जय! दुर्गा माता *विनाशायच दुष्कृताम* भी दुष्टों का संहार करती हैं।भगवान की लीला में भगवान की सहायता करती हैं। आज के दिन महिषासुर का वध दुर्गा माता ने किया। महिषासुर का बड़ा प्रसिद्ध चित्र आपने देखा होगा। दुर्गा माता के हाथ में त्रिशूल हैं और महिषासुर को लेटाया हुआ है। उसके ऊपर वह खढ़ी हुई है। उसकी जान ले रही है। वह लीला,महिषासुर के वध का दिन आज ही है। उड़ीसा में क्षीरचोर गोपीनाथ रेमुणा मे बालेश्वर नाम का शहर है। उसी के कुछ अंतर पर रेमुणा नाम का स्थान है। वहां के क्षीरचोर गोपीनाथ हैं। आज ही के दिन उन्होंने माधवेंद्र पुरी के लिए क्षीर की चोरी की है । इन दिनों में माधवेंद्र पुरी वृंदावन से वहां पर पहुंच गए थे।भगवान ने अपनी क्षीर प्रसाद की चोरी की और अपने पीछे रखी थी।तब पुजारी सो रहा था। उसको भगवान ने कहा, "उठ जाओ मेरे पास पीछे एक लोटा है,क्षीर का। माधवेंद्रपुरी को ढूंढो। तुमको पहले ही प्रसाद वितरण करना चाहिए था। माधवेंद्र पुरी को खिलाना चाहिए था। खिलाया नहीं तुमने। कैसे पुजारी हो तुम,अभी जाओ।" आज के दिन माधवेंद्र पुरी के लिए गोपीनाथ ने क्षीर चुराई और माधवेंद्र पुरी ने प्राप्त की। इसे अमृतकेलि नाम से जाना जाता है।श्रीमद्भागवत के प्रथम स्कंध के तृतीय अध्याय में 22 अवतारों की सूची हैं।ऋषभदेव उनमेसे एक हैं। ।*एते चांशकलाः पुंसः कृष्णस्तु भगवान् स्वयम् ।* *इन्द्रारिव्याकुलं लोकं मृडयन्ति युगे युगे ॥* ऋषभदेव ने पूरे साल भर उपवास किया था। और फिर आज ही के दिन उन्होंने उपवास को तोड़ा। अक्षय तृतीया के दिन।और भी कई सारी बातें हैं। और भी बड़ी महत्वपूर्ण बातें हैं। किंतु समय भी महत्वपूर्ण है। समय भी कृष्ण हैं। समय मूल्यवान हैं कि नहीं। कैसे कहेंगे?मैं भी सोच ही रहा था। कालअस्मि भगवान ने कहा मैं ही काल हूं। काल अगर भगवान हैं, तो भगवान धनवान हैं। भगवान मूल्यवान है। तो काल भी मूल्यवान है। कीमती है। इस मूल्यवान समय का उपयोग भी हमें इस मूल्यवान मनुष्य जीवन के उपयोग में व्यतीत करना चाहिए। हमें सूचना मिली थी कि आज ही के दिन हमारी हेल्पलाइन का उद्घाटन होगा। तो देखते हैं क्या-क्या तैयारी हुई है। हेल्पलाइन में आपको केवल मदद लेनी ही नहीं है बल्कि देनी भी है। मदद करने का सेवा करने का भी अवसर है। धन कमाने का ही नहीं धन का सदुपयोग करने का भी दिन है। दान देने का भी दिन है। तो आप दानी बनो। जिस प्रकार से भी आप सेवा दान दे सकते हैं। दान मतलब केवल धन ही नहीं, जो भी सेवा कर पाओ। चर्चा चल ही रही थी कई दिनों से और कई प्रकार के मदद की आवश्यकता है। मदद कीजिए। मदद कीजिए। आप ऑक्सीजन दे सकते हो। दवा दे सकते हो। सलाह दे सकते हो। सहानुभूति दे सकते हो। कई प्रकार के प्रेजेंटेशन भी हो रहे थे। एक प्रकार से जीवनदान दो। लोगों की जान बचाई तो जीवनदान दिया आपने। आपका कारणीभूत हो। यह कोरोनावायरस खराब तो था परिस्थिति और भी खराब हुई। उसे रोकने के लिए prevention is better than cure की बात चल रही है। तो देख लो क्या क्या कर सकते हो। आज के दिन भी या फिर आज से शुरुआत करो। इस शुभमुहूर्ता अक्षय तृतीया के दिन से। आपका स्वागत है। आज हमारा कॉन्फ्रेंस हाउसफुल हो गया। शुभ समाचार आपके लिए। शुभ प्रभात समाचार आपके लिए। 1000 स्थानों से भक्त सम्मिलित हुए। अधिक भी हैं। लेकिन अभी तो यहां हॉल खचाखच भरा हुआ है भक्तों से। कोई स्थान रिक्त नहीं है। ठीक है। *हरि बोल।*

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