Hindi

जप चर्चा ११ नवंबर २०२० हरे कृष्ण! आज हमारे साथ 812 स्थानों से प्रतिभागी सम्मिलित हैं। हरि! हरि! दिव्यम, थाईलैंड से और राधा पंढरीनाथ, पंढरी से हो या दुबई से हो या मुंबई के हो गए? आप कई स्थानों से हो। हम लोग ऐसे संसार भर में बिखर गए हैं। लाडली राधिका,मायापुर से क्या तुम वहां हो? हरि! हरि! आप सभी का स्वागत है। राय रामानंद, पटियाला से व कृष्ण रसायन, चिलकांजी वाले! हरि! हरि! अच्छा है! आप सभी जप कर रहे हो। जैसा कि मैंने अभी कहा है कि आप 800 स्थानों से जप कर रहे हैं। आप सभी का स्वागत है, अभिनंदन है। इस्कॉन अरावड़े से भक्त जप कर रहे हैं। नोएडा, शोलापुर, सभी अन्यों जगह के भक्त भी जप कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया से प्रशांत प्रभु भी हमारे साथ हैं। क्या आज बर्थडे है? नहीं! चारों और रूमर फैला हुआ है । ठीक है। परिक्रमा भी ज्वाइन कर रहे हो? जपा सेशन तो ज्वाइन कर ही रहे हो? वैसे आज थोड़े अधिक भक्तों ने जपा सेशन भी ज्वाइन किया है। वैसे हर रोज सभी जपा सेशन भी ज्वाइन नहीं करते। जब एकादशी का सीजन आ जाता है तब तो आप हमारा साथ देते हो अन्यथा आप अपनी जगह पर रहते हो। हरि! हरि! इस जपा कॉन्फ्रेंस में भी हर रोज जप किया करो। प्रतिदिन परिक्रमा सम्पन्न हो रही है। इसका पूरा लाभ उठाओ। दामोदर मास की जय! आपने दामोदर व्रत को अपनाया होगा। दामोदर व्रत को अपनाने वाले को दामोदर व्रती कहते हैं अर्थात जिसने भी व्रत को अपनाया उसको व्रती कहते है। जैसे कथाव्रती या दामोदर व्रती होते हैं। प्रतिदिन अपना रिकॉर्ड भी रखो। डायरी में नोट करो या अपना साधना कार्ड भरो। आपको प्रेरित किया जा रहा है। मैंने आज परिक्रमा की, मैंने आज दीपदान किया या आज मैंने थोड़ा अधिक जप किया या मैंने आज इतनी माला का जप किया। हरि! हरि! प्रभुपाद के ग्रंथ पढ़े या ब्रजमंडल दर्शन ग्रंथ को भी पढ़ा या औरों से दीप दान करवाया या हम इतने लोगों के घरों में गए और हमने इतने लोगों से दीपदान कराया। इस कार्तिक मास में ऐसे व्यस्त रहना चाहिए। डायरी रखो उसमें नोट करो। अपना साधना मेंटेन करो। तत्पश्चात आप अपना साधना कार्ड अपने काउंसलर को प्रस्तुत कर सकते हो अथवा सबमिट कर सकते हो। तब वे आपको कुछ सुधार बताएंगे कि यह करो, यह मत करो या ऐसा अधिक करो। आप सभी के काउंसलर होने चाहिए। हर भक्त और शिष्य का काउंसलर होना चाहिए चाहे आप छोटे या बड़े भक्त अथवा शिष्य हो, हर एक का काउंसलर होना चाहिए। काउंसलर नहीं है तो काउंसलर का चयन करो। अपना काउंसलर चुनो और उनके काउंसली बनो और इस प्रकार टीम बनाओ। टीम में रहो। काउंसलर काउंसली की टीम या एक काउंसलर के कई सारे काउंसली औऱ उनका समूह, वैसे ग्रुप में रहना चाहिए। तभी हमारी रक्षा होगी। यदि हम अकेले रह जाएंगे तो फिर माया हमें आसानी से पकड़ सकती है। माया डिवाइड एंड रूल( फूट डालो और राज करो) करती है। हमें भक्तों से दूर रखती है अर्थात अलग कर देती है। फिर हमें फंसाती है, भ्रमित करती है। इसीलिए यह टीम होना जरूरी है। हरि! हरि! जहाँ तक ब्रज मंडल परिक्रमा की बात है। ब्रज मंडल परिक्रमा की जय! ब्रजमंडल परिक्रमा आज बद्रिकाश्रम में है और आज एकादशी भी है। रमा एकादशी महोत्सव की जय! वैसे प्रतिवर्ष इस रमा एकादशी के दिन ब्रजमंडल परिक्रमा बद्रिकाश्रम में ही होती है। बद्रिकाश्रम वृंदावन में ही है। यह नहीं समझना कि अब परिक्रमा के भक्त हिमालय के शिखर पर चढ़ गए। हां, हां हिमालय के शिखर पर चढ़ गए लेकिन वो हिमालय भी वृंदावन में ही है। उसमें बद्रिकाश्रम भी है, वृंदावन में केदारनाथ भी है,वृंदावन में रामेश्वरम भी है। वृंदावन में द्वारका धाम और द्वारकाधीश भी हैं। वैसे सारे धाम वृंदावन में हैं। जब एक समय सनातन धर्म के अनुयायी जिसका नाम हिंदू धर्म हो गया है। हरि! हरि! वैसे हमारा हिंदू धर्म से कुछ लेना-देना नहीं है। हम लोग भागवत धर्म या गौड़ीय वैष्णव धर्म का अवलंबन करते हैं। मैं यह कह रहा था कि हर धार्मिक व्यक्ति बद्रिकाश्रम की यात्रा जरूर करना चाहता है या चार धामों की यात्रा जरूर करना चाहता है। नंद बाबा व यशोदा मैया भी यात्रा करना चाहते थे। पुत्र का फर्ज बन जाता है कि वह माता-पिता को यात्रा में ले जाएं। अतः कृष्ण और बलराम, नंद बाबा यशोदा और कई सारे ब्रजवासी जुट गए। कृष्ण और बलराम असंख्य ब्रजवासियों को लेकर बद्रिकाश्रम गए। बद्रिकाश्रम धाम की जय! वास्तविक आदि बद्रिकाश्रम धाम तो वृंदावन धाम में ही है। जिस प्रकार कृष्ण सभी अवतारों के स्तोत्र हैं अर्थात कृष्ण अवतारी हैं और उनसे अवतार होते हैं। तब वे अवतार अलग-अलग धामों में निवास करते हैं अथवा अपनी लीला संपन्न करते हैं या उन धामों के धामी बन जाते हैं। धाम के होते हैं धामी। धामी मतलब अवतार। हर धाम में एक एक अवतार होता है। वैसे यह सारे अवतार कृष्ण से होते हैं। उसी प्रकार सारे धाम भी वृंदावन से उत्पन्न होते हैं या बनते हैं। बद्रिकाश्रम में सभी बृजवासी नंद यशोदा आ गए। परिक्रमा करने वाले भक्त भी परिक्रमा करते करते कल के दिन वहां पहुंच गए थे। तत्पश्चात वहां रात्रि का पड़ाव होता है। वहाँ वे दो रात बिताएंगे। जैसे बद्रिकाश्रम में सारे दर्शन हैं वैसे यहां भी हैं। आज के दिन सारे बद्रिकाश्रम की परिक्रमा होती है। जैसा कि हम बता रहे थे कि राधा कुंड की परिक्रमा या गोवर्धन की परिक्रमा अलग से होती है। आगे जब बद्रिकाश्रम आते हैं, तत्पश्चात बद्रिकाश्रम की परिक्रमा होती है। हरि! हरि! वहां पर् नर-नारायण का दर्शन भी होगा। वहां आपको उद्धव का भी दर्शन होगा। भगवान ने उद्धव को विशेष आदेश किया था कि तुम बद्रिकाश्रम में जा कर रहो। यह सारे दर्शन वहां है। बद्रिकाश्रम तपोभूमि है। यहाँ नर नारायण भगवान ने तपस्या की है। यह नर और नारायण की तपस्या स्थली है। हरि! हरि! भगवान यहाँ तपस्या नहीं कर रहे थे अर्थात भगवान का ऐशोआराम ही चल रहा था। नारद मुनि जब भी भगवान से मिलने जाते तो देखते कि भगवान अनंत शैया पर लेटे हुए हैं और लक्ष्मी जी उनके चरणों की सेवा कर रही हैं अर्थात नारद मुनि जब भी भगवान को मिलने के लिए जाते तो नारद मुनि ऐसा ही दृश्य देखते। तब एक समय नारद मुनि ने भगवान् से पूछा कि लोग मुझसे पूछेंगे कि नारदजी, क्या आप वैकुंठ से लौट रहे हो। यस! यस! भगवान, क्या कर रहे थे? तब मैं क्या बता सकता हूं? आप तो आराम ही करते रहते हो। यदि मैं ऐसी बातों का प्रचार करूंगा तो पूरी दुनिया भी ऐसा ही आराम करना पसंद करेगी। आप कुछ करके दिखाओ जिससे आपका कार्य अथवा आपका कृत्य पूरी दुनिया भर के लोगों के लिए आदर्श बने। जिससे वे लाभान्वित हो। तब भगवान ने अपना बैकुंठ धाम अपना ऐशो आराम यहाँ तक कि लक्ष्मी को भी वहीं पर छोड़कर, इस ब्रह्मांड में प्रवेश किया और वह स्थान ढूंढते हैं, जहां वे तपस्या करेंगे। वैसे जब ब्रह्मा का जन्म हुआ था, तब उनकी जिज्ञासा रही कि मुझे अब क्या करना चाहिए, मुझे क्या करना चाहिए। उन्होंने दूर से दो अक्षर सुने- 'त' 'प' त,प 'त'प'। तब ब्रह्मा की समझ में आया कि तपस्या करनी चाहिए। तत्पश्चात ब्रह्मा जी ने तपस्या की, तपस्या का फल क्या हुआ? नायं देहो देहभाजां नृलोके कष्टान्कामानह्हते विइ्भुजां ये । तपो दिव्यं पुत्रका येन सत्त्ं शुद्धवेच्यस्माइृह्यासौख्यं त्वनन्तम् ॥ (श्रीमद भागवत 5.5.1) अर्थ: भगवान् ऋषभदेव ने अपने पुत्रों से कहा-है पुत्रो, इस संसार के समस्त देहधारियों में जिसे मनुष्य देह प्राप्त हुई है उसे इन्द्रियतृप्ति के लिए ही दिन-रात कठिन श्रम नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा तो मल खाने वाले कूकर-सूकर भी कर लेते हैं। मनुष्य को चाहिए कि भक्ति का दिव्य पद प्राप्त करने के लिए वह अपने को तपस्या में लगाये। ऐसा करने से उसका हृदय शुद्ध हो जाता है और जब वह इस पद को प्राप्त कर लेता है, तो उसे शाश्चत जीवन का आनन्द मिलता है, जो भौतिक आनंद से परे है और अनवरत चलने वाला है। ऋषभदेव जी भगवान ने भी अपने पुत्रों से यही बात कही। पुत्रों! पुत्रों! क्या करो? ब्रह्मा जी को क्या करना चाहिए, यह बताया तो था ही। तपस्या करनी चाहिए। तपस्या करो। तपस्या करोगे तो शुद्धीकरण होगा। चेतना भी शुद्धि होगी। विचारों में शुद्धि होगी। हमारे आचार- विचार, व्यवहार में शुद्धि होगी। 'शुद्धवेच्यस्माइृह्यासौख्यं त्वनन्तम्' असली सुख आनंद है, वह प्राप्त होगा। यह सांसारिक सुख नहीं है। सुख आता है, सुख जाता है। यह आया राम, गया वाला सुख नहीं हैं। ऐसा सुख जो आया और रह भी गया और बढ़ेगा। चेतोदर्पणमार्जनंभवमहादावाग्नि-निर्वापणं श्रेयः कैरवचन्द्रिकावितरणं विद्यावधूजीवनम्। आनन्दाम्बुधिवर्धनं प्रतिपदं पूर्णामृतास्वादनं सर्वात्मस्नपनं परं विजयते श्रीकृष्ण संकीर्तनम्॥1॥ ( श्री शिक्षाष्टकं) अर्थ: श्रीकृष्ण-संकीर्तन की परम विजय हो, जो वर्षों से संचित मल से चित्त का मार्जन करने वाला तथा बारम्बार जन्म-मृत्यु रूप महादावानल को शान्त करने वाला है। यह संकीर्तन-यज्ञ मानवता का परम कल्याणकारी है क्योंकि यह मंगलरूपी चन्द्रिका का वितरण करता है। समस्त अप्राकृत विद्यारूपी वधु का यही जीवन है। यह आनन्द के समुद्र की वृद्धि करने वाला है और यह श्रीकृष्ण-नाम हमारे द्वारा नित्य वांछित पूर्णामृत का हमें आस्वादन कराता है। यह तपस्या करने से होगा। तपस्या करो। भगवान ने बद्रिकाश्रम को अपना तपोभूमि बनाया। वैसे पूरा भारत भारतवर्ष ही तपोभूमि के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसे बद्रिकाश्रम की जय! बद्रिकाश्रम में तप्त कुंड है। भगवान ने कुंड जिसमें गरमा-गरम जल (हॉट वॉटर) की व्यवस्था की है। सर्वत्र बर्फ है 'स्नो एवरीवियर' लेकिन बद्रिकाश्रम मंदिर के प्रांगण में कुछ कुंड हैं। हम कई बार बद्रिकाश्रम गए। हम वर्ष 1977 अक्टूबर-नवंबर के मास में वहीं थे। हमनें वहाँ तप्त कुंड में स्नान किया। यह अद्भुत है। उधर बर्फ है बीच में तप्त कुंड है। कुछ कुंड तो बोलिंग वॉटर है, कुछ यात्री जब वहां जाते हैं, वे उसी जल में चावल को पकाते हैं ।हरि! हरि! यहाँ बद्रिकाश्रम में भी कुंड हैं लेकिन वहां का जल ठंडा होता है। उस जल में भी स्नान करने से तपस्या हो जाती है। हरि! हरि! बद्रिकाश्रम के संबंध में और भी पढ़ो। भागवत में पढ़ो। हमारी ब्रजमंडल दर्शन में पढ़ो। चर्चा करो। खूब कथाएं भी होती हैं, उनको सुनो। आज जरूर देखना, ज्वाइन करना ब्रजमंडल बद्रिकाश्रम परिक्रमा को जरूर ज्वाइन करना। हरि! हरि! कोई प्रश्न टीका टिप्पणी है, वैसे आज एकादशी भी है। हम कहा करते ही हैं कि आप थोड़ा या पूरा सिंहावलोकन करो। यह कार्तिक व्रत कैसे चल रहा है? या ठीक से नहीं चल रहा है, कुछ समस्याएं हैं। आप में से कोई भक्त कुछ कहना चाहते हैं बढ़िया से चल रहा है या हम परिक्रमा का आनंद ले रहे हैं या यह अच्छा हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है। हम बहुत खुश हैं या फिर कोई समस्या है या फिर कोई प्रश्न कोई जिज्ञासा है। हमारे पास थोड़ा सा समय है। हमने थोड़ा समय बचा कर रखा है। आप गुह्यमाख्यति पृच्छति कर सकते हैं। हरे कृष्ण!

English

Russian