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11 सितंबर 2019
हरे कृष्ण
आज की जप चर्चा गुरु महाराज इस प्रकार प्रारंभ करते हैं आप सदैव जप करिए, नहीं आप अभी जप मत करिये मेरे कहने का तात्पर्य है कि आप प्रत्येक दिन जप करिए यह सर्वश्रेष्ठ कार्य है, यह ऑथराइज्ड कार्य है जो हमें करना चाहिए तथा जप करना इस कलयुग का धर्म है। वास्तव में धर्म का अर्थ क्या होता है धर्म का अर्थ है आपका नियत कर्तव्य। हरि नाम का जप करना हमारा कर्तव्य है, हमारा भविष्य इस जप पर ही आधारित है। कई बार ऐसा कहा जाता है कि आपका भविष्य आपके हाथ में है और यह सत्य भी है जब आप अपनी जपमाला अपने हाथ में लेते हैं, जब आप जप करते हैं तो आपका भविष्य आपके हाथ में होता है।
आप अपने भविष्य की तैयारी करते हैं यदि इस प्रकार से आप जप करते हैं आपका भविष्य अत्यंत ही उज्जवल है। हरि नाम का जप हमें पुनः हमारे घर लेकर जा सकता है, हमारा घर अर्थात यहां अभी रह रहे हैं वह नहीं पृथ्वी ,मॉस्को आदि नहीं है, अपितु जहां से हम आए हैं पुनः हमें भगवत धाम लेकर जा सकता है यह इस हरिनाम की शक्ति है। यह जप अत्यंत ही महत्वपूर्ण है हम किस प्रकार जप कर रहे हैं इस पर हमारा भविष्य टीका हुआ है। आप जप कर रहे हैं यह अच्छी बात है परंतु आप किस प्रकार से जप कर रहे हैं वह उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि आपका जो भविष्य है वह इस बात पर डिपेन्ड करता है कि आप किस प्रकार जप करते हैं।
इस प्रकार कई बार जो ट्रक होती है या बड़ी लोरी होती है उनके पीछे लिखा होता है कि मैं कैसे वाहन चला रहा हूं यह मेरा फोन नंबर है आप मुझे बताइए। ऐसा कहते हैं कि यदि आप अपनी लाइन में ड्राइव कर रहे हो तो आपकी ड्राइविंग सुरक्षित रहती है। परंतु आप अपनी लाइन में ड्राइव नहीं करते हो तो वह असुरक्षित ड्राइविंग है, उससे हमें प्रॉब्लम हो सकती है। जो ट्रक ड्राइवर होता है वह चालक चाहता है कि आप मुझे बताइए मैं कैसा वाहन चला रहा हूं यदि मैं खराब वाहन चला रहा हूं तब भी आप मुझे बताइए हम जो कि एक जप साधक हैं, जप साधक होने के नाते हमें भी यह पूछना चाहिए कि मेरा जप किस प्रकार से हो रहा है।
यदि हम वास्तव में यह नहीं पूछते हैं कि मेरा जप सही हो रहा है या गलत हो रहा है, परंतु हम यह पूछ सकते हैं कि मैं किस प्रकार से जप कर रहा हूं। हमारे जो भी सीनियर होते हैं अच्छे जप करने वाले साधक हैं हम उनसे इस विषय में प्रश्न पूछ सकते हैं अथवा हम शास्त्रों से पढ़ सकते हैं, हम किस प्रकार ध्यानपूर्वक जप कर सकते हैं। इस्कान में कई प्रकार की गाइडबुक्स है जिनका रेफरेंस के रूप में हम यूज कर सकते हैं यह जपा रिट्रीट बुक है, जो कई बुक्स सच्चिदानंद महाराज, भुरिजन प्रभु ,तत्वरूप दास महाराज इन्होंने कई रिफॉर्म जपा गाइड बुक लिखी है, उनका हम उपयोग कर सकते हैं, इसके साथ ही साथ हम ईस्ट गोष्ठी में जब भक्तों से मिलते हैं उनसे हम यह प्रश्न पूछ सकते हैं और रूप गोस्वामी भी इसके बारे में बताते हैं गुह्यम आख्यति प्रयच्छति षडविधि प्रीति लक्ष्णम यह 6 प्रकार के प्रीति लक्षण हैं। भक्तों में उनमें गुह्यम आख्यति और प्रयच्छति यह भी दो विशेष लक्षण होते हैं जिनमें की भक्त अपने हृदय की बात पूछते हैं और वह पूछते हैं कि आप कैसे हैं आपका जप कैसा चल रहा है और साथ ही साथ अपने हृदय की बात बताते हैं कि मेरा जप के प्रति क्या अनुभव है।
प्रत्येक समय ऐसा नहीं है कि आप उन्हें अपनी समस्या ही बताएं, यह अच्छी बात नहीं है, प्रत्येक समय जब आप उनसे मिले अपनी समस्याएं बताएं यह उचित नहीं है, आप उन्हें अपने आध्यात्मिक जीवन के सुख समाचार भी बताएं ,आप उन्हें अपने अनुभव बताएं जिसे सुनकर भक्तों को प्रसन्नता हो, हमेशा अपनी समस्याएं बताना यह अच्छी बात नहीं, आपको उन्हें शुभ समाचार भी बताने चाहिए। जब आप इस प्रकार से भक्तों से मिलते हैं तो आपको उनसे प्रश्न पूछना चाहिए, आपको उनकी सहायता लेनी चाहिए और हमें इसका अवलोकन भी करना चाहिए कि मैं किस प्रकार से जप कर रहा हूं अथवा मेरे कुछ प्रश्न है, कुछ संशय है, क्या आप इनका निवारण कर सकते हैं। ऐसा कहते हैं कि यदि आप किसी कार्य को प्रतिदिन करते हैं तो धीरे-धीरे आप उसी कार्य को करने में प्रवीण हो जाते हैं।
यह वास्तव में योगासन के संदर्भ में होता है और कहते हैं कि हम जप योगी हैं, हम भी प्रत्येक दिन योगासन करते हैं क्योंकि हम प्रत्येक दिन जप करते हैं। हम प्रत्येक दिन 16 माला का जप करते हैं और ऐसा भी नहीं है कि हम 16 बार यह महा मंत्र बोलते हैं अपितु हम एक माला में 108 बार यही मंत्र बोलते हैं और इस प्रकार हम 16 माला करते हैं। लगभग प्रत्येक दिन हम हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे इस महामंत्र का लगभग हम हजारों बार उच्चारण करते हैं।
यदि हम इस मंत्र का उच्चारण ठीक प्रकार से करें तो आपको इसका हजार गुना लाभ मिलेगा, परंतु जैसा कि आज मैं सुन रहा था मेरे पीछे कोई भक्त बैठा हुआ था और वह बिल्कुल अस्पष्ट रूप से जप कर रहा था, कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोल रहा है। यदि इस प्रकार से आप जप करते हैं जो कि गलत तरीका है, इससे तो आपको हजारों गुणा हानि भी हो सकती है क्योंकि आप उस मौके को हाथ से गंवा देते हैं। आप ठीक प्रकार से जप कीजिए, सही प्रकार से उच्चारण कीजिए, इसका पूरा पूरा लाभ लीजिए आपको हजार गुना लाभ हो सकता है।
हरे कृष्ण