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जप चर्चा 10 दिसंबर 2021, पंढरपुर धाम. हरे कृष्ण. आज 1000 स्थानों से भक्त जप के लिए जुड़ गए हैं। आज विशेष दिन है। इसलिए नहीं कि, हमारे साथ आज विशेष अतिथि है अमेरिका से या केवल अमेरिका के ही भक्त, भक्त तो अमेरिका का नहीं होता है। भक्त वैकुंठ यां गोलोक का होता है। ऐसे कुछ नहीं है कि, अमेरिकन भक्त, भारतीय भक्त, अफ्रीकन भक्त, भक्त तो भक्त है। बाकी तो वैष्णवेर जाती बुद्धि आपको पता है, ऐसा कोई विचार हमें नरक की ओर ले जाएगा। ऐसे हमें कभी हमें सोचना भी नहीं चाहिए कि. यह अमेरिका का भक्त है। रशिया का भक्त है। यह अफ्रीका का भक्त है। भक्त तो भक्त होता है। भक्त मतलब वैष्णव। वैष्णव तो विष्णु के दास होते हैं। वैकुंठ के होते हैं। ऐसे ही वैष्णव उपाधि नहीं है, वैसे भी भक्त भी उपाधि नहीं है। सर्व उपाधि विनीर्मुक्तं। तत्परत्वेन निर्मलम।। हमें सभी उपाधियों से मुक्त होना है। ना हम विप्रो न च नरपति श्रीकृष्णचैतन्य महाप्रभु ने कहा है, मैं ब्राह्मण नहीं हूं। क्षत्रिय नहीं हूं। मैं ब्रह्मचारी नहीं हूं। सन्यासी भी नहीं हूं। गोपीर भर्तुर पदकमले दासानूदास। कई सारे उपाधियां है किंतु किसी को भक्त कहते हैं तो भक्त को यह उपाधि नहीं है। यह इस संसार की उपाधि नहीं है। किसी को भक्त कहना वैष्णव कहना, गोलोक में सभी वैष्णव रहते हैं। आप सभी भी सभी गोलोक में वैष्णव है। यह विषय तो चलता रहेगा जब तक मैं बोलता रहूंगा। हरे कृष्ण, मैं कह रहा था कि, आज का दिन विशेष है। आज का दिन विशेष क्यो है, 3 वर्ष पूर्व आज के दिन है 10 सितंबर 2018 हमने हमारा जपा झूम कॉन्फ्रेंस शुरू किया था। हरिबोल! आज के दिन ही 3 साल पहले यह जपा कॉन्फ्रेंस प्रारंभ हुई और लगभग लगभग बिना कोई व्यत्यय नित्य आज तक चल ही रहे हैं। यह ब्रेकिंग न्यूज़ है आपकी जानकारी के लिए। बेशक यह उनके जानकारी के लिए है जो कभी कभी ज्वाइन करते हैं। या फिर आप में से कोई भक्त होंगे जब पहली बार उन्होंने जपा कॉन्फ्रेंस ज्वाइन किया है। परंतु कई सारे भक्त हैं इस कॉन्फ्रेंस में 3 साल से बिना व्यत्यय है। हरि हरि, आज के इस विशेष दिन हमारे भक्त कृष्ण के भक्त मेरे भक्त, कृष्ण के भक्त हैं तो फिर हम कह सकते हैं मेरे भक्त आज ज्वाइन किया है यह जप कॉन्फ्रेंस तो हम आप सबका हार्दिक स्वागत करते हैं। मुझे ऐसे लगता है कि आप सब तो हिंदी जानते ही होंगे ना। गुरु महाराज कॉन्फ्रेंस में एक भक्त को संबोधित करते हुए पूछ रहे हैं, वृंदावनदास मुझे बोलना था वृंदावन दास को छोड़कर किंतु वहां भी ब्रजवासी हैं उन्होंने ब्रज धाम में काफी समय बिताया है आप हिंदी बोलते हो ना। मैं 10/ 12 साल पहले जब न्यूजर्सी में था मुझे याद है. यह थपा कांफ्रेंस का जो आईडिया है मुझे वहां से मिला। उन दिनों में अमेरिका के भक्त कहना पड़ता है, पता नहीं कैसे अमेरिका अमेरिका के भक्त। वहां अमेरिका में रहते हैं लेकिन अमेरिका में नहीं ऐसा कह सकते हैं। हम इस दुनिया में रहते हैं लेकिन इस दुनिया में कि नहीं। मैं सोच रहा था यह अलग विचार है समझने के लिए। आप अमेरिका में हो लेकिन आप अमेरिकन नहीं हो। उन दिनों में भक्त फोन पर जप कॉन्फ्रेंस चलाते थे। मैं जब वहां था अभी तो यह झूम जपा कॉन्फ्रेंस है वीडियो कांफ्रेंस का वगैरा हम उपयोग कर रहे हैं। उन दिनों में तो भक्तों के यहां व्हाट्सएप या जो कुछ भी उसका नाम था, टेक्निकल फोरम था। उस पर जपा करते थे। तो मुझे उन जप करने वालों भक्तों को शायद मैंने उनके साथ कुछ समय जप किया भी। और उनको संबोधित भी किया और उन दिनों मे बीटीजी में भी उसकी विज्ञापन आया करता था। जपा कॉन्फ्रेंस ज्वाइन करो। तो तब से मैं सोच रहा था कि मैं भी ऐसा जपा करू भक्तों के साथ। तो फिर 3 साल पहले जब मैं अमेरिका में था। मैं बोस्टन में था। हनुमंत प्रेषक स्वामी महाराज गुरुमहाराज एक भक्तों को संबोधित करते हुए, "आप थे ना तब मेरे साथ वहां पर" हमने महाराज को वह अपना मोबाइल चला रहे थे। उसमें कुछ डूबे हुए थे। मैं सोच रहा था, महाराज मोबाइल पर इतना क्या देख रहे हैं। बाद में मैंने पता लगाया कि, महाराज जप कर रहे थे उनके शिष्यों के साथ, मित्रों के कुछ देशों से जप कर रहे थे उनके साथ। तो मैंने सोचा हां मुझे भी यह करना है। मैं भी ऐसे ही करना चाहता हूं। तो महाराज ने मुझे सारी बातें सिखाई। उन्होंने सारे सिक्रेट मुझे शेयर किए और वहां से मे साउथ अफ्रीका पहुंच गया। तो फिर आज के दिन मैं डरबन में था। डरबन साउथ अफ्रीका हमने सारी टेक्निकल व्यवस्था की। जूम कॉन्फ्रेंस बुकिंग वगैरह सब कुछ और हमने जप कॉन्फ्रेंस प्रारंभ किया। शुरुआत में तो यह जप चर्चा के बाद में नहीं सोच रहा था। शुरुआत में तो हम जप ही करते थे। हमने शुरुआत की तब 10 से कम लोग थे और उसके बाद हम प्रयास करते रहे। उसका प्रमोशन करते रहे। 5-10 के फिर 10-20 हो गए 10-20 के फिर 40 -50 हो गए और फिर धीरे-धीरे तो 100- 200 हो गए। और हम लोग हमने झूम के साथ हमारे पास कुछ सौ सदस्य की व्यवस्था थी। फिर हमने 250 तक बढ़ाई वह भी फुल होने लगा फि,र उसके बाद हमने 500 तक उसको बढ़ाया उसके हम उसके बाद हमने एक हजार के क्षमता वाला बुक किया। आप देख सकते हो आज 1000 सदस्य है। अब हमें पता नहीं कि, अब क्या करना है। और झूम के पास भी इससे ज्यादा क्षमता वाला कोई व्यवस्था उनके पास नहीं है। और हम यहीं पर रह गए। झूम के लोगों का भी सर फट रहा है कि कैसे किया जाए। हमें कैसे ज्यादा क्षमता वाला व्यवस्था कैसे दी जाए। जिससे हम 2000 या 5000 भक्त एक साथ जुड़ जाए। यह संख्या बढ़ती जाएगी। हरि नाम का प्रचार दिन-ब-दिन बढ़ने वाला है। थोड़े समय पहले मैं सोच रहा था, प्रभुपाद कहां करते थे, यूटीलिटीज या फिर प्रिंसिपल जैसे प्रभुपाद कहां करते थे। तो हम यहां जो टेक्निकल सुविधाएं हैं उसको यूटिलाइज कर रहे हैं। उपयोगिता ही सिद्धांत है, हिंदी में कहोगे तो। तो हम इन सारी चीजों का उपयोग कर रहे हैं। यह व्यवस्था यह झूम कॉन्फ्रेंस और हम सोशल मीडिया को अध्यात्मिक बना रहे हैं। सोशल मीडिया यह सिर्फ सोशल मीडिया नहीं है। यह अध्यात्मिक मीडिया है। और प्रभुपाद के शब्दों में एक अंध पंगु न्याय करते हैं। अंधपंगु में न्याय इन शब्दों में तो आपने नहीं सुना होगा। लेकिन आप सुनते हो, अंधा और लूला आदमी दोनों एक साथ आकर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। हम भी वही कर रहे हैं। हमारी संस्कृति पूरब की आध्यात्मिकता। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। यह भारत की संपत्ति है। यहां इंडिया की संपत्ति है। नही मुझे इंडिया नहीं कहना है। यहां भारत की संपत्ति है। इंडिया यह मॉडल रूप है। उसमें भारत नहीं है। उसमें भारतीयता नहीं बचती है। जब हम दिन-ब-दिन इंडियन बन रहे हैं। पाश्चात्य देशों का नकल कर रहे हैं। लेकिन जब पाश्चात्य देशों के टेक्नोलॉजी का हम कृष्णभावना के प्रचार और प्रसार में उपयोग करते हैं तो हम अपने भारतीयता को असली भारतीयता को बरकरार रखते है। साधनों का उपयोग करते हैं। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। तो आप लोग देख सकते हो कि, कैसे हम एकत्रित आ सकते हैं। सम्मिलित हो सकते हैं। यह एक समाज है भक्त समाज। संकीर्तन बड़ी संख्या में एकत्रित आना और हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करना। कीर्तन करना। श्रवणं कीर्तन विष्णु स्मरणम यह टेक्नोलॉजी हमें एक साथ ला रही है। वैसे तो हमारा जप चर्चा संक्षिप्त ही होता है। तो मैं ज्यादा नहीं बोल सकता हूं। मेरा हृदय खोल कर नहीं रख सकता हूं। यहां मुमकिन नहीं है। मुमकिन हो सकता है अगर मुझसे 10 सर और 10 मुंह हो तो। या उससे ज्यादा और हर एक मुंह अलग-अलग बात कर सके परंतु मेरे पास उस तरह के सिद्धि नहीं है। दुर्दैव से एक ही मुख है। जैसे गोपिया कहां करते थे ब्रह्मा बुद्धू कहीं का, क्यों बुद्धू ब्रह्मा, ब्रह्मा और बुद्धू बुद्धिमान नहीं बुद्धू है। वैसे रावन के भी 10 सर है परंतु उसको दिमाग ही नहीं है। वैसे ही गोपिया कह रही है। ब्रह्मा को दिमाग ही नहीं है। उन्होंने हमको सिर्फ दो आंखें दी है और और वह भी खुलते है बंद होती है। आई वांट टू सी यू जॉर्ज हैरिसन ने गाया है भगवान के लिए। आई वांट टू सी यू गोपियां ऐसे सोच रहे हैं। और हमें भी चाहिए कि हम उनका अनुकरण करें। हमें भी कुछ उसी तरह का भाव रखना चाहिए। रम्याकाचित उपासना व्रजवधु वर्गेन याकल्पितः चैतन्य महाप्रभु कि सलाह है। गोपी जैसा भाव राधाभाव व्रजभाव आंखें केवल दो ही है और वह भी पलकती रहती है। बंद होती रहती है। कितना हम देख पाएगी। मुझे भी यह एहसास होता है विलाप होता है शायद थोड़े समय के लिए मुझे बहुत सारे मुंह हो और सुनने वाले भी हो तो। आप सभी इस जपा कॉन्फ्रेंस का श्रेय यश हो इस जपा कॉन्फ्रेंस के यश का श्रेय इधर सभी जपा कॉन्फ्रेंस में सम्मिलित होने वाले सदस्यों को भी जाता है। वह सभी 1000 भक्त उनसे गारंटी है कि उससे ज्यादा है लेकिन, वह मीटिंग में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं। जैसा कि रास्कल झूम मैं अभी तो थोड़ी देर पहले उनका गुणगान कर रहा था और अभी रास्कल बोल रहा हूं। क्योंकि इन्होंने सिर्फ एक हजार की क्षमता रखी है, रास्कल कहीं के। अधिक भक्त जुड़ सकते थे लेकिन स्थान ही नहीं है। ऐसी व्यवस्था ही नहीं है। तो 1000 भक्त तो ज्वाइन कर रहे हैं। जितने भक्त प्रतिदिन और जो कभी-कभी आते हैं ऐसे भक्तों और जैसे कि आज कुछ भक्त जुड़ गए हैं, अतिथि के तौर पर। सभी अमेरिका से नहीं है गोलोक से हैं किंतु, अभी अमेरिका में है। आप कभी-कभी आते हो आप में से कोई रोज आता है तो कोई कभी-कभी जुड़ते हैं हफ्ते में एक बार या बीच-बीच में प्रिया गोविंद आप रोज छपा कॉन्फ्रेंस में जोड़ते हैं वह माधवी से जा और रामचंद्र आरती और भी कई सारे हमारे पास समय कम है इसे मैं सभी का नाम नहीं ले सकता हूं, समय का ध्यान रखते हुए। मैं आप लोगों अपमान नहीं कर रहा हूं या फिर आप का उल्लेख नहीं करना चाह रहा हूं ऐसे कुछ नहीं है। मुझे पता है आप में से बहुत सारे लोग रोज जुडते हैं। कई सारे उत्साहो पर जूड़ते हैं गोराचांद भी कभी-कभी जुड़ते हैं। वह भी आज है। धन्यवाद। हरे कृष्ण।

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