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जप चर्चा, गुरु महाराज द्वारा, 21 फरवरी 2022 श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद आविर्भाव दिवस गोरांगा *ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।* *चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम :।।* *श्री-व्रश भानवी देवी-दयिताय कृपा बधये* *कृष्णा-संबंध-विज्ञान:-दायिने प्रभवे: नमः* यह भी एक प्रणाम मंत्र हैं।श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद का प्रणाम मंत्र। आज एक महान दिन हैं या कृष्णभावना में एक से एक महान दिन आते रहते हैं,तो आज का दिन एक विशेष दिन हैं।श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद जन्मोत्सव की जय।मतलब श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद की आज व्यास पूजा हैं। हमारे लिए यह व्यास पूजा दिन हैं।1874 में आज ही के दिन जगन्नाथपुरी में भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर का जन्म हुआ था या वह प्रकट हुए थे। वह भक्ति विनोद ठाकुर के पुत्र के रूप में जन्मे थे और उनका जन्म का नाम बिमला प्रसाद हैं।श्रील भक्ति विनोद ठाकुर ने उनका नाम विमला प्रसाद रखा।उन्होंने यह अनुभव किया कि यह जगन्नाथ के प्रसाद के रूप में मुझे मिला हैं या जगन्नाथ की शक्ति का प्राकट्य करण हो रहा हैं। विमला नाम की जो शक्ति हैं उनके प्रसाद के रूप में यह मिला हैं। Śakti-śaktimator abhedaḥ (ब्रह्मा सूत्र) शक्ति और शक्तिमान में भेद नहीं हैं। इसलिए उनका नाम विमला प्रसाद रखा। आज मैं उनका जन्म चरित्र तो स्मरण नहीं करूंगा, आज मैं बल्कि यह बताना चाहूंगा कि इस साल इस्कान यह विशेष उत्सव किस प्रकार से मना रहा हैं। वैसे यह एक ऐतिहासिक घटना हैं। यह घटना आपने सुनी ही होगी।श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर के साथ अभय बाबू का मिलन। जोकि भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के रूप में प्रसिद्ध हुए, उनका अपने गुरु के साथ सर्वप्रथम मिलन 1922 में हुआ और यह वर्ष कौन सा चल रहा हैं? 2022। आज से 100 साल पहले यह पहली मुलाकात हुई। दो विशेष आत्माओं के बीच में यह पहली मुलाकात आज से 100 साल पहले हुई। भक्ति वेदांत और भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर का मिलन की बेला का उत्सव मनाया जा रहा हैं। श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद की व्यास पूजा के दिन इस्कान इनके मिलन की 100 वीं वर्षगांठ मना रहा हैं। इन दोनों आचार्यों के प्रथम मिलन की 100 वीं वर्षगांठ। यह प्रथम मिलन कोलकाता में हुआ। तो कोलकाता में एक उल्टाडांगा रोड नाम का स्थान था, आज से 100 साल पहले। वहां पर भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर ने 1918 से रहना प्रारंभ किया। और भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर का जो कोलकाता में हेड क्वार्टर था या कोलकाता में जो गोडिय मठ था वह इसी स्थान पर था। इसकी छत पर अभय बाबू श्रील प्रभुपाद से मिले और अभय बाबू प्रणाम करके बैठने ही जा रहे थे, अभी ठीक से बैठे भी नहीं थे। इतने में ही भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद ने कहा कि तुम... पाश्चात्य देश में जाकर भागवत धर्म का, गौरवाणी का..अंग्रेजी भाषा में प्रचार करो।इस आदेश का पालन भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने किया।वह जीवन भर तैयारी कर रहे थे और 1966 में उन्होंने इस्कॉन की स्थापना न्यूयॉर्क में की।इस्कॉन की स्थापना की परिकल्पना के बीज यही उल्टाडांगा रोड की छत पर बोए गए थे। इस्कॉन ने बड़े ही प्रयास से और बड़ी मुश्किलों के साथ इस स्थान को अब ले लिया हैं। यहां श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद 14 साल तक रहे और यह उनका हेड क्वार्टर था। वह सब समय तो नहीं रहे लेकिन जब जब कोलकाता आते थे, तब यह उनका प्रचार केंद्र था। यहां गोडिय मठ था। बाद में रीलोकेट हुआ। तब से यह स्थान खाली ही पड़ा था, कोई भी इस स्थान पर ध्यान नहीं दे रहा था और इस स्थान का दुरुपयोग हो रहा था.. इत्यादि इत्यादि। इस्कान ने इसका कानूनी रूप से अधिकार लिया हुआ हैं। और इस को उस समय की असली तस्वीरें प्राप्त करके पुनः उसी रूप में बनाया हैं जैसे यह 100 साल पहले था। बड़े ही सावधानी से अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए इस स्थान का रिनोवेशन किया हैं। आप इसे देख ही सकते हैं। इसका चेहरा ही बदल गया हैं, नहीं चेहरा बदल गया ऐसा तो नहीं कहेंगे, क्योंकि यह जैसा था वैसा ही बना दिया गया हैं। जैसा यह 100 साल पहले था, वैसा ही अब बना दिया गया हैं और आज के दिन इस स्थान का उद्घाटन हो रहा हैं। यह श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर और भक्तिवेदांत प्रभुपाद को समर्पित किया जा रहा हैं, डेडीकेट किया जा रहा हैं और संसार भर के भक्तों की सेवा में समर्पित किया जा रहा हैं।भक्त इस स्थान का दर्शन कर सकते हैं, इस स्थान से स्पूर्ति ले सकते हैं। केवल अंग्रेजी भाषा में ही नहीं संसार की सभी भाषाओं में प्रचार कर सकते हैं। तो इस स्थान का आज उद्घाटन हो रहा हैं। इस्कॉन के एक मंदिर के रूप में भी इसका नामकरण हो रहा हैं। इस्कॉन उल्टाडांगा मंदिर की जय।आज मंदिर की ओपनिंग हैं। इस स्थान पर एक समय पर मंदिर था या श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर का गोडिय मठ था।इसको इस्कान ने प्राप्त किया हैं और इसकी ओपनिंग आज कोलकाता में उल्टाडांगा रोड पर हो रही हैं। पूरे दिन वहां समारोह होगा और सायं काल को कथा भी हैं या इस ऐतिहासिक घटना का संस्मरण भी होगा।यह ऐतिहासिक स्थल हैं और श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर का जो आदेश अभय बाबू को मिला था,यह भी ऐतिहासिक हैं। इसका पूरा संस्मरण दिलाया जा रहा हैं या उन आदेशों की स्थापना की जा रही हैं या उनको अमर बनाया जा रहा हैं। उन उपदेशों को अमर किया जा रहा हैन और यह स्थान भी अमर रहे इसलिए इस स्थान का इस प्रकार से रिनोवेशन किया हैं, ताकि यह अमर रहे।इसे बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से से किया गया हैं, ताकि यह वास्तु बहुत समय के लिए या आने वाले 10000 वर्षों के लिए बना रहे। हालांकि आने वाले समय में भी इनको इसका रिनोवेशन करते रहना पड़ेगा, लेकिन यह प्रचार जैसे-जैसे इस पृथ्वी के हर ग्राम हर नगर में पहुंचेगा तो वहां के गोडिय वैष्णव भक्तों को यह स्थान उस प्रचार प्रसार के प्रारंभ का स्मरण दिलाएगा या यहां दिए हुए उपदेश के फलस्वरूप इस्कॉन की स्थापना हुई और इस्कॉन का प्रचार प्रसार बढ़ा,तो यह स्थान एक स्रोत हैं इस्कॉन का, यह स्थान इस्कॉन की नींव हैं या यहां पर इस्कॉन का बीजारोपण हुआ।इस स्थान पर भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को बीज मिला और उसी बीज का यह अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत वृक्ष बना और उस वृक्ष की शाखाएं अर्थात केंद्र विश्व भर में फैल रहे हैं और एक समय हर नगर हर ग्राम में इस वृक्ष की शाखा पहुंच जाएगी। तो इस प्रचार प्रसार की शुरुआत जहां से हुई वह स्थान हैं यह एक उल्टाडांगा जंक्शन रोड कोलकाता। इसका आज उद्घाटन हो रहा हैं। वैसे उनके फंक्शन में मुझे आज शाम को भी बोलना हैं। यह बस ओपनिंग के लिए तैयार हैं। इसका एक छोटा सा वीडियो देखते हैं, आपको इसका दर्शन दिखाते हैं। वैसे इस्कॉन के हर फॉलोअर को चाहे वह कहीं का भी हो उसको अपने जीवन में एक बारी यहा जरूर आना चाहिए। मैं यह भी चाह रहा था कि इस उपलक्षय में आप में से कुछ भक्त अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करना चाहे तो करें। यह बहुत अच्छा अवसर हैं, अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करने का। मंदिर का उद्घाटन हैं और श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद का आविर्भाव दिवस भी हैं और जो आदेश भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद ने अभय बाबू को दिए उसकी सो वी वर्षगांठ भी हैं। इस उपलक्ष्य में आप में से कुछ भक्त एक-एक मिनट में कुछ उद्गार कहिए। कोलकाता के इस प्रयास का अभिनंदन कीजिए या जो भी आपके मन में विचार आ रहे हो प्रकट कीजिए। पहले वीडियो देख लीजिए, उसके बाद जो बोलना चाहे वह अपने हाथ उठा सकते हैं। हरे कृष्णा।

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