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29 सितंबर 2019
जप चर्चा
हरे कृष्ण!
आज रविवार होने के कारण आप में से कुछ लोग जप नहीं कर रहे हैं लेकिन यह हर रविवार की कहानी है। हमने कई बार दोहराया है। कुछ आराम कर रहे हैं लेकिन जो लोग जप कर रहे हैं वे आराम नहीं कर रहे हैं, आप सक्रिय हैं। आप शुभ पवित्र दिन में एक तथाकथित अवकाश बना रहे हैं । पवित्र व्यक्तियो के संग में पवित्र नामों के जप से निश्चित ही आप पवित्र हो जाओगे, पूरी तरह पवित्र हो जाओगे। मैं आप सभी को बधाई देता हूं, और मैं प्रसन्न हूं, भगवान प्रसन्न हैं, पूरा परम्परा आपके जप से प्रसन्न है।
आप में से कुछ लोग पवित्र नाम उत्सव की भावना को जारी रख रहे हैं। यह अच्छा है और यह स्वागत योग्य है। क्यों रोके? यह वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल है।
मैं आप को बताना चाहूंगा, कि तुलसी पूजा माताजी दुबई से हैं, मूल रूप से वे भारतवर्ष से हैं जो अब दुबई में हैं, उन्होंने 12 घंटे नॉन स्टॉप कीर्तन का आयोजन किया, जिसमें 50- 60 भक्तों ने भाग लिया, यह उनके जन्मदिन का समय भी था। आपको जन्मदिन मुबारक हो! हम उनके स्थान पर नॉन स्टॉप कीर्तन के आयोजन के लिए तुलसी पूजा माता से खुश हैं और हम सभी उनको जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हैं। आप सभी तुलसी पूजा माताजी के लिए एक महा-मंत्र का जप कर सकते हैं। आप मेरे साथ जप कर सकते हैं:
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे
मुझे लगता है कि हमने कल भी इसका उल्लेख किया था, हम इसे यवतमाल में दोहरा सकते हैं कई माताजी इकट्ठी हुई हैं और वे जप रिट्रीट कर रहे हैं। अमरावती से जयभद्र माताजी ने अमरावती से यवतमाल तक की यात्रा की है। उन्होंने महिलाओं के लिए जप रिट्रीट का आयोजन किया और कुछ 20-30 महिलाएं इस कार्यक्रम में 3 दिनों के लिए एकत्रित हो रही हैं और वह शाम को युवा लड़कियों के लिए इस्कॉन गर्ल्स फोरम कार्यक्रम भी आयोजित कर रही हैं। तो यह पवित्र नाम की महिमा को बढ़ावा देना है। हम इस प्रयास से बहुत खुश हैं,
और निश्चित रूप से सच्चिदानंद प्रभु गोवर्धन, वृंदावन में अपनी वापसी कर रहे हैं और लगभग 300 भक्त वहां एकत्र हुए हैं। मैं सभी विवरणों को नहीं जानता, लेकिन वे भगवान के लिए प्रेम विकसित करने की कला और विज्ञान सीखा रहे हैं या हृदय के मूल से भगवान को पुकार रहे हैं, कृष्ण के लिए रो रहे हैं। रिट्रीट का विषय काफी गंभीर है और मुझे खुशी है कि सच्चिदानंद प्रभु उस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। यह अभी भी जारी है, और अपने अंतिम दिन पर है। इसके अलावा पवित्र नाम की महिमा में, पवित्र नाम की सेवा और पवित्र नाम की स्थापना ही इस कलियुग का मुख्यधर्म है। इसलिए हम इस प्रयास से बहुत प्रसन्न हैं। आपको अपनी खुशी को हरीबोल के उच्चारण से व्यक्त करना होगा
हरि हरिबोल!
आप सभी को पवित्र नाम के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी लेनी होगी, पहले स्वयं जप करके जिम्मेदार होना चाहिए, आप पहले अपने स्वयं के जप को करे , फिर आप देख सकते हैं कि कैसे परिवार के सदस्य, आपके रिश्तेदार, आपके मित्र, आपके पड़ोसी, आपके सहकर्मी भगवान के पवित्र नाम का जप कर सकते हैं या कुछ एकदम नए लोग लोग...
जारे देखो तारे कहो कृष्ण उपदेश
या सभी जिन लोगों के साथ आप संपर्क में आते हैं या उनके साथ बातचीत करते हैं। आप उनसे भी जप करने की अपील कर सकते हैं उनको समझा सकते हैं कि कैसे जप करना है और यह सुनिश्चित करना है कि वे जप कर रहे हैं। अपने स्वयं के जप के लिए जिम्मेदारी लें और पवित्र नाम के प्रचार के प्रति भी अपना दायित्व ले।
इसलिए यह न केवल जीबीसी की ज़िम्मेदारी है और न ही केवल मंदिर अध्यक्ष या केवल मंदिर प्रबंधन की ज़िम्मेदारी है कि वह भगवान के पवित्र नाम का प्रचार और प्रसार करे। जीबीसी की ओर से, मंदिर के अध्यक्ष की ओर से, मंदिर प्रबंधन की ओर से, आपके आध्यात्मिक गुरुओं की ओर से, आपको गौरांग महाप्रभु की ओर से यह जिम्मेदारी लेनी होगी। वही हैं जिन्होंने अपने सभी अनुयायियों को जारे देखो तारे कहो कृष्ण उपदेश और बोलो कृष्ण भजो कृष्ण कोरो कृष्ण-शिक्षा का निर्देश दिया है। तो यह निर्देश भगवान ने हम सभी को दिया है और फिर श्रील प्रभुपाद ने इस अंतराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ का आयोजन किया है। हम सभी को संगठित रणनीति के साथ, एक निश्चित रणनीति के साथ पवित्र नाम का प्रचार करना चाहिए। हमें हमेशा याद रखना होगा कि यह प्रचार क्या है? जब हम कहते हैं कि पवित्र नाम का प्रचार प्रसार। यह कृष्ण का प्रचार है।
हम उनके साथ कृष्ण को साझा कर रहे हैं। हम उनके साथ दयालु, सर्वशक्तिशाली, सौंदर्यपूर्ण भगवान को साझा कर रहे हैं और यह पूरे संसार की जरूरत है। यह वह है जो प्रत्येक इकाई, प्रत्येक जीव को संतुष्ट करेगा। कृष्ण से बेहतर कुछ भी नहीं जो शांति बनाए, संतुष्टि लाए और लोगों को खुश और संतुष्ट बनाए। बहुत बड़ी बात है। यह कुछ संप्रदायवाद या हल्की बात नहीं है। इसे करने के लिए कुछ जिम्मेदारी लें। कृष्ण को पवित्र नाम के रूप में साझा करें।
हमें अभी नोएडा से खबर मिली कि भक्त जिम्मेदारी से कार्य कर रहे हैं।
इस्कॉन नोएडा पदयात्रा का आयोजन कर रहा है। पदयात्रा आज इस्कॉन नोएडा से शुरू हो रही है। वे 15 दिनों तक दर्जनों कस्बों और गांव का भ्रमण करते हुये, वृन्दावन में ब्रज मण्डल यात्रा शुरू होने से पहले ही समय पर पहुचेंगे, दामोदर माह की शुरुआत होते ही। इसलिए इस्कॉन नोएडा ने प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी ली है। वे भगवान के पवित्र नाम के प्रचार के लिए यह कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं। इसलिए यह काफी अनुकरणीय है।
तुलसी पूजा माताजी का एक जिम्मेदारीपूर्ण कार्य है, सच्चिदानंद प्रभु बहुत जिम्मेदार तरीके से प्रचार कर रहे हैं और उसी प्रकार से जयभद्र(प्रभु) भी। तो कृष्ण और कृष्ण चेतना को अपने चारों ओर, लोगों के साथ हर जगह साझा करने के लिए अधिक से अधिक जिम्मेदारी लेते रहें।
निश्चित रूप से जब हम कहते हैं कि पवित्र नाम के साथ प्रचार करें तो हम श्रील प्रभुपाद की पुस्तकों को वितरित करें, हम प्रसाद वितरित करें, हम कभी कभी कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम, कुछ त्योहारों का आयोजन करें। इतनी सारी गतिविधियाँ हैं, लेकिन पवित्र नाम केंद्र में है। केंद्र में है कृष्ण। तो पवित्र नाम, पुस्तक वितरण, प्रसाद वितरण के प्रचार के साथ-साथ उत्सव भी मनाए जाते हैं। यह एक कम्पलीट पैकेज है। ( महाराज जी हस्ते हुए....)
तो इन सब चर्चाओं के साथ हम अपनी जप टॉक को समापन देते हैं। बहुत कुछ है हमारे पास करने के लिए। भगवान कृष्ण के पवित्र नामों का जप और प्रचार करें ताकि आप स्वयं को कृष्ण भावनाभावित कर सकें और सम्पूर्ण विश्व को कृष्णभावनामृत बना सकें।
गौर प्रेमानन्दे हरि हरिबोल!