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24 अक्टूबर 2019 हरे कृष्ण! आज हमारे साथ 578 स्थानों से भक्त जप कर रहे हैं। आज भक्तों की संख्या में कुछ वृद्धि हुई है। अब हमारे साथ 582 भक्त जप कर रहे हैं। इसका एक मुख्य कारण यह भी हो सकता है कि आज रमा एकादशी है। हमारे लिए एकादशी का दिवस मुख्यतया पुनःअवलोकन करने का दिवस होता है कि हमने अपने निजी क्षेत्र में तथा सामूहिक क्षेत्र में कितनी उन्नति की है। इस मास में हमारा लक्ष्य कार्तिक एकादशी तक लगभग 700 की संख्या तक पहुंचना है जो अभी काफी दूर है। आप सभी इसे थोड़ा सा देखने का प्रयास कीजिए कि किस प्रकार से यह संख्या इस कार्तिक मास में 700 को पार कर सकती है। आज के दिन आप सब अपनी भक्ति में हुई उन्नति का अवलोकन कर सकते हो। स्वरूपानंद प्रभु, अब तुम्हारा स्वास्थ्य कैसा है ? आप अपने स्वास्थ्य का रिव्यू (अवलोकन) करो। जब स्वस्थ होंगे तभी आप अन्य लोगों को और ज्यादा से ज्यादा जोड़ सकोगे। आज का दिन हमारा साधना, सेवा, संबंध, सिद्धांत आदि का पुनः अवलोकन करने का दिवस है कि हमने पिछली एकादशी से लेकर इस एकादशी तक कितनी उन्नति की है। निताई चंद्र प्रभु अपना स्टेटमेंट दे रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड के कई भक्तों एवं शिष्यों ने मिलकर एक ग्रुप बनाया है जिसकी संख्या बढ़कर लगभग 26 हो गई है। सेनापति भक्त प्रभु इस ग्रुप का रविवार को अवलोकन करेंगे एवं उनको फेस टू फेस (आमने सामने) सम्बोधित कर उनसे बात करेंगे। पदयात्रा प्रेस से भी यही अपेक्षा है कि वे अधिक से अधिक श्रील प्रभुपाद की एवं उनकी स्वयं की पुस्तकों का वितरण करेंगें और अपनी रिपोर्ट देंगे। जिससे रविवार के दिन सेनापति भक्त के द्वारा उसके विषय में भी बताया जा सके। ऐसी योजना बनाई गई है कि आप सब रविवार को ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्थित रहें जिससे रविवार को इस रिपोर्ट को दिया जा सके। नागपुर मंदिर से यह रिपोर्ट आ रही है कि लगभग 70 भक्त मंगला आरती में आ रहे हैं। यह बहुत सुंदर है। हमें एकादशी के दिन यह रिपोर्ट सुनकर बहुत प्रसन्नता हुई है। हम अन्य मंदिर के अध्यक्षों तथा मैनेजमेंट सदस्यों को इसकी प्रेरणा देना चाहते हैं कि वे भी इस कार्तिक मास में अपने काँङ्ग्रिंगेश्न् (congregation) भक्तों को अधिक से अधिक संख्या में मंदिर में मंगला आरती में आने के लिए प्रेरित करें। जब मैं नोएडा मंदिर में था, तब मैंने वहां दो अटेंडेंस के रजिस्टर देखे थे, एक मंदिर के भक्तों के लिए और दूसरा congregation भक्तों के लिए। नोएडा के लगभग 30 काँङ्ग्रिंगेश्न् (congregation) भक्तों द्वारा इस रजिस्टर पर हस्ताक्षर किया गया था। इस संख्या को और अधिक बढ़ाया जा सकता है। आप सभी काँङ्ग्रिंगेश्न् (congregation) भक्त, शिष्य व अन्य भक्त इस मास में मंदिर के कार्यक्रमों को अधिक से अधिक अटेंड कीजिए। जैसे यदि आप मंगला आरती में नहीं जा पा रहे हैं तो आप दीपदान में जाइए। घर में साधना करने में और मंदिर में जाकर साधना करने में अंतर होता है। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने 'परं विजयते श्री कृष्ण संकीर्तनम्' उन्होंने भक्तों को संग में संकीर्तन करने के लिए कहा है। जब हम मंगला आरती, दीपदान संग में करते हैं या श्रीमद् भागवतम क्लास संग में सुनते हैं तब इसमें सबसे प्रमुख चीज़ साधु संग होती है। इस प्रकार से यदि हम मंदिर में आकर भक्तों के साथ सारी क्रियाएं करते हैं तो निश्चित रूप से हमारी सामूहिक और निजी भक्ति में काफी उन्नति हो सकती है। हरि! हरि! ग्रेटर नोएडा से खबर आ रही है कि वहां लगभग 30 भक्त मंगल आरती में आ रहे हैं। कल इस्कॉन अरावड़े द्वारा भी हाई स्कूल में दीपदान का आयोजन किया गया था और वहां लगभग 550 बच्चों ने दीपदान किया। वियतमाल के आनंदिनी माता जी और हमारे यादव प्रभु ने 30 किलोमीटर दूर गांव में जाकर दीपदान का कार्यक्रम करवाया जिसमें लगभग डेढ़ सौ भक्त सम्मिलित हुए व दीपदान किया। उसके उपरांत उन्होंने दामोदर भगवान का प्रसाद ग्रहण किया। अहमदाबाद से शुभ लक्ष्मी माता जी भी दीपदान के प्रोग्राम का आयोजन करती हैं।आज एकादशी के दिन चारों तरफ से बहुत ही सुंदर रिपोर्ट आ रही है। आप जहां कहीं भी हैं, आप अपनी साधना की गुणवत्ता व क्वांटिटी उन दोनों में वृद्धि का अवलोकन कर सकते हैं कि आपका यह कार्तिक व्रत किस प्रकार से चल रहा है? या आपका जप किस प्रकार से चल रहा है ? आपके बुक डिस्ट्रीब्यूशन या प्रसादम डिस्ट्रीब्यूशन में (पुस्तक वितरण या प्रसादम वितरण) में वृद्धि हुई है या नहीं। इस प्रकार आप देख सकते हो कि आप कृष्ण को पाने में, कृष्ण को वितरित करने में , कृष्ण की दामोदर चेतना भावना को विकसित करने में और उसको लोगों में बांटने में कितना तत्पर हो।आप इसका अवलोकन कर सकते हो। आप सामूहिक या परिवार या भक्तों में बैठकर इष्ट गोष्ठी कर सकते हो कि किस प्रकार से आपने कुछ अनर्थ निवृत्ति प्राप्त की है या आपका कुछ अध्ययन बढ़ा है या आपका जप बढ़ा गया है। भक्ति विनोद ठाकुर अपने शिष्यों और अनुयायियों को रिकमंड(सुझाव) किया करते थे कि उन्हें एकादशी से एकादशी के बीच में अपनी साधना का अवलोकन करना चाहिए कि हमनें पिछली एकादशी से इस एकादशी तक कितनी प्रगति की है। सांगली से राधानंद प्रभु बता रहे हैं कि उनकी छोटी पुत्री भरतनाट्यम करती है, वह भरतनाट्यम ग्रुप के सभी बच्चों को एकत्र करके उनसे दीपदान कराना चाह रही है अथवा करवाएगी। आप सबसे बहुत अच्छी रिपोर्टस प्राप्त हो रही हैं। आप इन रिपोर्ट्स को स्वयं भी पढ़ सकते हो। मैं इसके अतिरिक्त और अधिक गुह्य आध्यात्मिक विषय पर चर्चा करना चाहता हूं। मैं आप सबको यह बताना चाहता हूं कि आज रमा एकादशी के दिन हमारी ब्रजमंडल परिक्रमा बद्रिकाश्रम में पहुंचती है। एक बद्रिकाश्रम वृंदावन में भी स्थित है। यह भक्तों का एक बहुत बड़ा अद्भुत अनुभव होता है। वे राधा कुंड में स्नान के पश्चात पैदल चलकर डिग की ओर जाते हैं। तत्पश्चात वे डिग से बद्रिकाश्रम की ओर जाते हैं। बद्रिकाश्रम की तरफ यात्रा पर जाते हुए उन्हें एक पर्वत श्रृंखला, घाटी तथा कदंब खंडी दिखाई देना प्रारंभ हो जाती है। वहां इस मौसम में कई ग्वाले अपनी गायों को चराने के लिए आते हैं। वृंदावन धाम में बद्रिकाश्रम पर एक तपस्या कुंड भी है जहाँ पर नर नारायण ऋषि रहते तथा तपस्या करते हैं। जब ब्रजमंडल परिक्रमा के भक्त वहां पहुंच कर तपस्या करते हैं, तब उनका जो अनुभव होता है वह ब्रजमंडल परिक्रमा का मुख्य आकर्षण बिंदु होता है जिसे वह बद्रिकाश्रम में पाते हैं। आपने प्रत्येक दिन ब्रजमंडल दर्शन पुस्तक का जो एक अध्याय पढ़ने का संकल्प लिया है, आप सभी उसका यह अध्याय पढ़ कर अनुभव ले सकते हैं। जिस प्रकार से प्रत्येक भक्त जो अपने जीवन काल में बद्रिका आश्रम का दर्शन करना चाहता है, उसी प्रकार से नंद महाराज की भी इच्छा हुई कि वह बद्रिकाश्रम जाकर दर्शन करें। उस समय कृष्ण एक छोटे नन्हें बालक थे। उन्होंने नंद महाराज से कहा- "यदि आप तीर्थ यात्रा करना चाहते हैं तो आपको ब्रज से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। आपको वृंदावन छोड़ने की आवश्यकता नहीं है।" उन्होंने वृंदावन में ही जोकि समस्त तीर्थ स्थलों का उद्गम स्थान है, वहाँ पर बद्रिकाश्रम को प्रकट कर दिया। इस प्रकार से उन्होंने अपने पुत्र होने का जो दायित्व होता है कि वह अपने माता-पिता को समस्त द्वीपों की यात्रा करवा कर आए, भगवान कृष्ण ने बद्रिकाश्रम को वृंदावन में प्रकट करके किया। इस प्रकार से उन्होंने अपने माता-पिता नंद बाबा, यशोदा मैया और बलराम के साथ साथ समस्त ब्रजवासियों को बद्रिकाश्रम का दर्शन कराया। वृंदावन के ब्रज मंडल में बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम और समस्त जितने भी तीर्थ स्थल हैं, सब ब्रज मंडल में उपस्थित हैं। भगवान ने अपने माता पिता के लिए जो तीर्थ यात्रा आयोजित की। ब्रज मंडल और नवदीप मंडल दोनों में ही समस्त तीर्थ समाहित हैं। जो भी ब्रजमंडल अथवा नवद्वीप की परिक्रमा करता है। उसे इन सभी तीर्थ स्थलों की परिक्रमा करने का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। आप सभी का ब्रज मंडल परिक्रमा में स्वागत है। कल मैं इस प्रकार से सोच रहा था कि इस्कॉन के प्रत्येक भक्त को कम से कम अपने जीवन काल में एक बार ब्रज मंडल परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। यदि आपने पहले कभी परिक्रमा नहीं की है तो कृपया आज रमा एकादशी के दिन आप इसके लिए प्लान कीजिए कि आज अपने जीवन काल में एक बार अवश्य ब्रजमंडल परिक्रमा करेंगे, चाहे अगले वर्ष या चाहे उससे अगले वर्ष। वृंदावन आपका इंतजार कर रहा है। मैं आपको कोई आईडिया नहीं देना चाहता लेकिन यदि आप फिर भी पूरा मास नहीं बिता सकते हैं, आप कम से कम 10 दिन के लिए आइए या 2 हफ्ते के लिए आइए। श्रेष्ठ तो यह रहेगा कि आप यहां पूरे मास की परिक्रमा कीजिए। इस प्रकार से आप सभी भगवान के चरणों में इच्छा और प्रार्थना कीजिए। आपके अंदर एक तीव्र इच्छा होनी चाहिए कि आप अपने जीवन काल में कम से कम एक बार ब्रजमंडल परिक्रमा के लिए अवश्य आएंगे। यहां ऐसे बहुत भक्त हैं जोकि पिछले 30 सालों से ब्रजमंडल परिक्रमा कर रहे हैं या कोई 20 वर्षों से, कोई 10 साल से कर रहा है। आप एक बार अवश्य आइए। यह आपका जीवन परिवर्तन (लाइफ ट्रांस्फोर्मिंग) करने का अनुभव होगा। जब आप एक मास के लिए ब्रजमंडल परिक्रमा में चलेंगे, तब आप खुद ही भक्ति और जीवन में बहुत ही बदलाव अनुभव करेंगे। यह आपके लिए बहुत ही सुंदर दिव्य अनुभव होगा जिसे आप इस कार्तिक मास में परिक्रमा करते हुए जीवन में प्राप्त करेंगे। ऐसा मेरा सुझाव है आप सभी इसे गंभीरता से लीजिए और आप सभी जीवन काल में एक बार अवश्य ब्रज मंडल परिक्रमा कीजिए। ब्रजमंडल परिक्रमा की जय! गौर प्रेमानंदे हरि हरि बोल!

English

24 March 2020 Maya is the problem and Krsna is the solution Hare Krishna. Gaura Hari! Today we have 662 devotees participating. Keep chanting. Chanting is the only solution. I've told this to you many times before, but have you understood? harer nāma harer nāma harer nāmaiva kevalam kalau nāsty eva nāsty eva nāsty eva gatir anyathā Translation: For spiritual progress in this Age of Kali, there is no alternative, there is no alternative, there is no alternative to the holy name, the holy name, the holy name of the Lord. [CC Adi 7.76] Be convinced. Your intentions should be strong. Keep this thought fixed in your mind. Harinama is the only solution. Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare Maya is problem and Krsna is the solution. Maya has many forms. kṛṣṇa-bahirmukha hañā bhoga vāñchā kare nikaṭa-stha māyā tāre jāpaṭiyā dhare Translation: As soon as we forget Kṛṣṇa and we want to do things for our sense gratification, that is māyā. [Prema-vivarta] When a living entity wants to enjoy or do sense gratification, then maya immediately attacks the soul. As soon as the marginal energy jiva desires to enjoy, maya catches him around his neck. Maya will always knock and kick you. Because of Maya there are problems. Krsna punishes us through Maya to turn us around from vimukha to sanmukha, bahirmukha to antarmukha. As we become antarmukha, we will get solutions to all the problems. Like I said, chanting is the only solution. The name Hari is the Lord Hari and so Hari's name is the only solution. The Lord came in this world to give this name as a solution. enechi auṣadhi māyā nāśibāro lāgi' Translation: I have brought the medicine that will wipe out the disease of illusion from which you are suffering. (Jiva Jago Verse 4) And the Lord said in this way also, āmi binā bandhu āra ke āche tomāra Translation: Other than Myself you have no friend in this world. (Jiva Jago Verse 3) ‘Oh friends, Oh my sons, Oh dear souls, Who else is there as brother other than Me?’ suhṛdaṁ sarva-bhūtānāṁ - “I am your only best friend.” You will be peaceful as soon as you realise this. We don't care much about shanti or peace. We make use of such a peaceful mind. Shanti is sadhan and Bhagavan is sadhya. Prema ( love) for Krsna is sadhya. Prema purtho mahaan kali kale nama rupe krsna avatara nama haite haya sarva jagat nistara Translation: “In this Age of Kali, the holy name of the Lord, the Hare Krsna maha-mantra, is the incarnation of Lord Krsna. Simply by chanting the holy name, one associates with the Lord directly. Anyone who does this is certainly delivered. (CC Adi 17.22) yatra mad bhakta gayanti tatra tishthami narada. Jiva gets association of the Lord in form of Holy Name. Then this is greatest welfare. bhoktāraṁ yajña-tapasāṁ sarva-loka-maheśvaram suhṛdaṁ sarva-bhūtānāṁ jñātvā māṁ śāntim ṛcchati Translation: A person in full consciousness of Me, knowing Me to be the ultimate beneficiary of all sacrifices and austerities, the Supreme Lord of all planets and demigods, and the benefactor and well-wisher of all living entities, attains peace from the pangs of material miseries. [BG 5.29] If the mind is peaceful then we chant Hare Krsna Hare Krsna Krsna Krsna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare This way there will be union between the soul and the supersoul. Union of the soul is the incarnation of the Hare Krishna maha-mantra. Hare Krishna is an avatar. When we chant the Hare Krishna Mantra, Krsna will be present. jahan krsna wahan nahe maya adhikar Wherever there is Krsna, Maya does not have any scope whether it is in the home or any other place. If there is darkness in a room, as soon as you turn on the light darkness is not there. Where there is light darkness can never be there. Similarly, where Krsna is present , Maya cannot be there. Hare Krishna maha-mantra is Bhagavan and we meditate on it with a peaceful mind. Astanga yoga is also sadhana. Siddhi is meditation. yama niyama asana pranayam pratyahara dhyan dharana samadhi are steps. Everything is sadhan(means) and samadhi is goal. In samadhi the soul realises the Lord fully. The soul can see the Lord clearly. There is union between the soul and the Lord. That is samadhi. Full- fledged Krishna consciousness. Due to the Coronavirus, there is increase in the number of participants. On this day one year before, I was in Nasik. Devotees from Nasik reminded me about this. I reached Nashik Road by train. There were many devotees to welcome me. I met them for the first time. We performed kirtana enthusiastically. I expressed my ecstasy in meeting with them. We can see and watch kirtana also. We danced and people watched it. We can also smell the kirtana if there are garlands. We were celebrating Brahmotsava (Deity installation). Many devotees received initiation on that day. Few devotees wrote to me that they have their birthday today as this is the day of theri initiation. I was reminded of Caitanya Mahaprabhu's statement to Sanatana Goswami. brahmāṇḍa bhramite kona bhāgyavān jīva" "Guru-kṛṣṇa-prasāde pāya bhakti-latā-bīja" Translation: Out of many millions of wandering living entities, one who is very fortunate gets an opportunity to associate with a bona fide spiritual master by the grace of Kṛṣṇa. By the mercy of both Kṛṣṇa and the spiritual master, such a person receives the seed of the creeper of devotional service.[CC Madhya Lila 19.151] When the Lord's exclusive mercy is showered upon the soul the Lord makes the jiva fortunate. Then Lord sends such a devotee to pradarshaka guru or siksa guru and then eventually that soul reaches his spiritual master also. And that's how, there is a rise of fortune for that jiva. At the time of initiation, Guru gives Lord to that jiva. First, the Lord gives Guru to the jiva then the Guru hands over the Lord to the jiva. At the time of initiation, Guru gives the Hare Krishna maha-mantra and some other rituals are performed. Guru says, “Please take God.” Guru instructs the disciple to chant 16 rounds daily. It’s like a contract is signed. Follow the 4 regulative principles, avoid 10 offences towards the holy name and make sure you remain part of Srila Prabhupada’s movement. Guru gives some instructions like this. In this way sadhana of jiva begins and then starts the homework of the jiva. Gurujana plants the seed of devotional service in heart of the jiva. Then he has to implement ways to nourish that seed. sravana kirtan jale koroho sinchan With sravan (hearing) and kirtana (chanting the glories of the Lord) the jiva or sadhaka has to nurture that seed. Along with that, one has to save oneself from offences and anarthas. One has to study scriptures. One has to study Nectar of Devotion which is the science of devotional service. Srila Prabhupada has written it as summary study of Bhakti Rasamrta Sindhu, just like Krishna book is summary study of the 10th canto of Srimad-Bhagavatam. It is also our duty to read these books. Devotees reminded me that they had initiation a year before. So I'm reminding all the devotees, not only them that we have to keep doing the homework. Sadhu sanga is mandatory. sadhu-sanga, sadhu-sanga -- sarva-sastre kaya lava-mātra sādhu-saṅge sarva-siddhi haya Translation: Simply by associating with a pure devotee, one becomes wonderfully advanced in Kṛṣṇa consciousness.[CC Madhya Lila 22.54] Srila Prabhupada established this society for sadhu sanga only. There are festivals, yatras for this purpose only. We should take advantage of this. When I was in Nasik we went for Nasik darsana. We took darsana of Mother Godavari. We saw how Lord Rama stayed with Mother Sita and Laksman in a grass hut. We also saw the place where Surpanakha’s nose got cut. The nails of Surpanakha were long like supa. Today we also see long nails with nail polish and they keep on this succession of Surpanakha. The place where the nose of Surpanakha got cut and fell became Nasik. Nasik is Dhama and Kumbha-mela is celebrated over here. I am also a Mahanta of Kumbha mela. We go there whenever there is Kumbha-Mela. Srila Prabhupada also went there along with his disciples. This is the greatness of Nasik Dhama. jai sri rama ho gaya kaam. If you don’t accept Lord Rama then the other option is to die with the Coronavirus. Our internet is also dying over here. Many thoughts keep on coming. As devotees said that they had their initiation ceremony, I was reminded of my initiation and my name. I was born on a Tuesday on which Lord Rama appeared and hence my parents named me Raghunath. Lord Krsna appeared on Wednesday. I was thinking that Srila Prabhupada will give me some name like Radha Raman starting with the letter R. Srila Prabhupada kept nath and named me Lokanath. When I heard my name Lokanath, which was given on the same day as the appearance of Radha-Kunda (Bahulastami) I thought this is happening because of Srila Prabhupada and all the previous acaryas. In this way there is a gradual rise in our fortune taking place. Will meet you again. Hare Krishna!

Russian

24 марта 2020 г. Майя это проблема, а Кришна это решение Харе Кришна. Гаура Хари! Сегодня у нас 662 преданных. Продолжайте воспевать. Воспевание - единственное решение. Я говорил вам это много раз, но поняли ли вы? харер нама харер нама харер намаива кевалам калау настй эва настй эва настй эва гатир анйатха Перевод: В нынешний век вражды и лицемерия единственный путь к освобождению - это повторение святого имени Бога. Нет другого пути, нет другого пути, нет другого пути . [ЧЧ. Ади 7.76] Быть убежденным Ваши намерения должны быть сильными. Держите эту мысль в уме. Харинама - единственное решение. Харе Кришна Харе Кришна Кришна Кришна Харе Харе Харе Рама Харе Рама Рама Рама Харе Харе Майя это проблема, а Кришна это решение. Майя имеет много форм. кршна-бахирмукха хана бхога ванчха каре никата-стха майя таре джапатия дхаре Перевод: Как только мы забываем о Кришне и хотим что-то сделать для удовлетворения своих чувств, это майя. [Према-виварта] Когда живое существо хочет наслаждаться или удовлетворять свои чувства, тогда майя немедленно нападает на душу. Как только джива желает наслаждаться маргинальной энергией, майя ловит её за шею. Майя всегда будет сбивать и пинать тебя. Из-за майя есть проблемы. Кришна наказывает нас через майю, чтобы превратить нас из vimukha в sanmukha, bahirmukha в antarmukha. Став антармукхой, мы получим решение всех проблем. Как я уже сказал, воспевание - единственное решение. Имя Хари - это Господь Хари, и поэтому имя Хари - единственное решение. Господь пришел в этот мир, чтобы дать это имя в качестве решения. enechi auṣadhi māyā nāśibāro lāgi’ Перевод: Я принес лекарство, которое уничтожит болезнь иллюзий, от которой вы страдаете. (Джив Джаго Стих 4) И Господь сказал: āmi binā bandhu āra ke āche tomāra Перевод: У тебя нет друга в этом мире, кроме меня самого. (Джив Джаго Стих 3) «О друзья, о мои сыновья, о дорогие души, кто еще там, как брат, кроме Меня? сухридам сарва-бхутанам - «Я твой единственный лучший друг» Вы будете спокойны, как только поймете это. Нас не волнует Шанти или мир. Мы используем такой мирный ум. Шанти - это садхан, а Багаван - это садхья. Према (любовь) к Кришне это садхья. Prema purtho mahaan кали кале нама рупе кршна аватара нама хаите хая сарва джагат нистара Перевод: «В эту эпоху Кали, святое имя Господа, Харе Кришна маха-мантра, является воплощением Господа Кришны. Повторяя святое имя, человек напрямую общается с Господом. Любой, кто это делает, обязательно возвращается. (ЧЧ Ади 17.22) йатра мад бхакта гайанти татра тиштхами нарада. Джива получает общение с Господом в форме Святого Имени. Тогда это величайшее благосостояние. бхоктарам йаджна-тапасам    сарва-лока-махешварам сухрдам сарва-бхутанам   джнатва мам шантим рччхати Перевод: Человек, полностью осознавший, что Я - единственный, кто наслаждается всеми жертвоприношениями и плодами подвижничества, что Я верховный владыка всех планет и полубогов, а также друг и благодетель всех существ, избавляется от материальных страданий и обретает полное умиротворение. [БГ. 5.29] Если ум спокоен, тогда мы поем Харе Кришна Харе Кришна Кришна Кришна Харе Харе Харе Рама Харе Рама Рама Рама Харе Харе Таким образом, между душой и сверхдушой будет единение. Союз души - это воплощение маха-мантры Харе Кришна. Харе Кришна это аватар. Когда мы будем воспевать Харе Кришна Мантру, Кришна будет присутствовать. jahan krsna wahan nahe maya adhikar Везде, где есть Кришна, у Майи нет никаких возможностей, будь то дома или в любом другом месте. Если в комнате есть тьма, как только вы включите свет, тьмы не будет. Там, где свет, тьма никогда не может быть. Точно так же, там где присутствует Кришна, Майи не может быть. Харе Кришна маха-мантра - это Бхагаван, и мы размышляем над этим со спокойным умом. Аштанга йога это также садхана. Сиддхи - это медитация. йама нияма асана пранаяма пратьяхара дхьяна дхарана самадхи - это шаги. Всё это садхан (методы), а самадхи это цель. В самадхи душа полностью осознает Господа. Душа может ясно видеть Господа. Существует союз между душой и Господом. Это самадхи. Полноценное сознание Кришны. Из-за Коронавируса наблюдается увеличение числа участников. В этот день год назад я был в Насике. Преданные из Насик напомнили мне об этом. Я достиг Насик Роуд на поезде. Было много преданных, чтобы приветствовать меня. Я встретил их впервые. Мы пели киртан с энтузиазмом. Я выразил свой экстаз на встрече с ними. Мы также можем видеть и смотреть киртан. Мы танцевали, а люди смотрели на это. Мы также можем чувствовать запах киртана, если есть гирлянды. Мы праздновали Брахмотсаву (инсталляция Божеств). Многие преданные получили посвящение в тот день. Некорые преданные написали мне, что у них сегодня день рождения, поскольку это день их посвящения. Мне напомнили об указании Чайтаньи Махапрабху Санатане Госвами. brahmāṇḍa bhramite kona bhāgyavān jīva” “Guru-kṛṣṇa-prasāde pāya bhakti-latā-bīja” Перевод: Из многих миллионов странствующих живых существ тот, кто очень удачлив, получает возможность общаться с истинным духовным учителем по милости Кришны. По милости как Кришны, так и духовного учителя такой человек получает семя лианы преданного служения [ЧЧ Мадхья Лила 19.151] Когда исключительная милость Господа проливается на душу, Господь делает дживу счастливой. Затем Господь посылает такого преданного к pradarshaka guru или шикша-гуру, и затем в конце концов эта душа достигает своего духовного учителя. И вот как, у этой дживы растет состояние. Во время посвящения Гуру дает Господа этой дживе. Сначала Господь отдает Гуру дживе, затем Гуру передает Господа дживе. Во время посвящения, Гуру даёт Харе Кришна маха-мантру и совершаются некоторые другие ритуалы. Гуру говорит: «Пожалуйста, прими Господа». Гуру наставляет ученика повторять 16 кругов ежедневно. Это как подписание контракта. Следуйте 4 регулирующим принципам, избегайте 10 оскорблений в отношении святого имени и убедитесь, что вы остаетесь частью движения Шрилы Прабхупады. Гуру дает несколько таких наставлений. Таким образом начинается садхана дживы, а затем начинается домашняя работа дживы. Гуруджана сажает семя преданного служения в сердце дживы. Затем он должен реализовать способы, чтобы питать это семя. sravana kirtan jale koroho sinchan С помощью шраван (слушания) и киртана (воспевания славы Господа) джива или садхака должны взращивать это семя. Вместе с тем нужно спасать себя от оскорблений и анартх. Нужно изучать Священные Писания. Нужно изучать Нектар Преданности, который является наукой преданного служения. Шрила Прабхупада написал это как краткое изложение Бхакти Расамриты Синдху, точно так же, как книга Кришна - это краткое изложение 10-й песни Шримад-Бхагаватам. Мы также обязаны читать эти книги. Преданные напомнили мне, что у них было посвящение год назад. Поэтому я напоминаю всем преданным, а не только им, что мы должны продолжать делать домашнюю работу. Садху санга обязательна. sadhu-sanga, sadhu-sanga — sarva-sastre kaya lava-mātra sādhu-saṅge sarva-siddhi haya Перевод: Просто общаясь с чистым преданным, человек поразительным образом продвигается в сознании Кришны [ЧЧ Мадхья Лила 22.54] Шрила Прабхупада создал это общество только для садху-санги. Есть фестивали, ятры только для этого. Мы должны воспользоваться этим. Когда я был в Насике, мы пошли на Насик даршану. Мы получили даршан Матери Годавари. Мы увидели, как Господь Рама остался с Матерью Ситой и Лакшманом в хижине с трав. Мы также видели место, где нос Шурпанаки был отрезан. Ногти Сурпанакхи были длинными, как supa. Сегодня мы также видим длинные ногти с лаком для ногтей, и они продолжают эту преемственность Шурпанаки. Местом, где нос Шурпанаки был отрезан и упал, стал Насик. Насик - это Дхама и здесь празднуется Кумбха-мела. Я также Маханта Кумбха мелы. Мы идем туда, когда есть Кумбха-Мела. Шрила Прабхупада также отправился туда вместе со своими учениками. Это величие Насик Дхамы. джай шри рама хо гая каам. Если вы не принимаете Господа Раму, то другой вариант - умереть с Коронавирусом. Наш интернет тоже умирает здесь. Многие мысли продолжают приходить. Когда преданные сказали, что у них была церемония посвящения, мне напомнили о моем посвящении и моем имени. Я родился во вторник, когда явился Господь Рама, и поэтому мои родители назвали меня Рагхунатх. Господь Кришна явился в среду. Я думал, что Шрила Прабхупада даст мне какое-то имя, например Радха Раман, начиная с буквы Р. Шрила Прабхупада сохранил натх и назвал меня Локанатх. Когда я услышал свое имя Локанатх, которое было дано в тот же день, что и явление Радха-Кунды (Бахулаштами). Я подумал, что это происходит из-за Шрилы Прабхупады и всех предыдущих ачарьев. Таким образом происходит постепенное повышение нашей удачи. Увидимся снова. Харе Кришна!