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जपचर्चा-31-10-2019
हरे कृष्ण !!!
“बातें कम जप अधिक “
जैसा कि आज श्रील प्रभुपाद की तिरोभाव तिथि है। और आजकल मैं वृंदावन में ही हूं। 1977 में भी मैं वृंदावन में ही था,14 नवंबर की तारीख थी उस साल जैसा की श्रुतकीर्ति प्रभु ने लिखा है कि मैं उस समय श्रील प्रभुपाद के बगल में ही था और श्रील प्रभुपाद को प्रस्थान करते हुए हमने देखा। अंततोगत्वा श्रील प्रभुपाद ने अंतिम श्वांस ली और मुख खोलते हुए हरेकृष्ण कहा, हम सुन नहीं पाए किंतु हम समझ सकते हैं श्रील प्रभुपाद ने उस समय क्या कहा। उस समय प्रभुपाद के जितने भी शिष्य थे, वृंदावन में पहुंच चुके थे और वहां उपस्थित थे। कमरे में तो सभी नहीं आ सकते थे अतः उन्हें बाहर ही खड़ा होना पड़ा। हम सभी कुछ कर तो नहीं सकते थे, हम सिर्फ हरे कृष्ण हरे कृष्ण ही कर सकते थे ।
सभी लोग बाहर खड़े होकर कीर्तन कर रहे थे । ऐसा नहीं था, कि कोई एक कीर्तन लीड कर रहा हो और दूसरे सभी शिष्य उसे फॉलो कर रहे हो ,बल्कि हम सभी उच्च स्वर में एक साथ कीर्तन कर रहे थे। हरे कृष्ण महामंत्र का और उस समय हम सभी ने वैसा ही किया जैसा कि प्रभुपाद कहा करते थे "क्राइंग लाइक ए बेबी" और उस समय हमारा कीर्तन बिल्कुल वैसा ही था। उस समय हम सब छोटे बालक के समान ही थे कृष्णभावनामृत में, उस वक्त जब हमारे मध्य में से श्रील प्रभुपाद ने प्रस्थान किया तो हम सब छोटे बालको जैसे ही थे ।
वैसे तो हम सब आज के दिन को शुभ दिन ही कहते हैं। किंतु आज से 42 वर्ष पूर्व अपने गुरु की वपु सेवा / वाणी सेवा से हम अनाथ हो गए, हम सब बालक और बालिका रो रहे थे । आज जब सुबह मैंने मंगला आरती में प्रभुपाद जी की समाधि पर उनकी आरती की तो उस समय मुझे उनकी बहुत सी स्मृतियां और याद सता रही थी। मेरा अनुभव तो कुछ ऐसा है कि यह दिवस प्रभुपाद का तिरोभाव नहीं बल्कि अविर्भाव या प्राकट्य दिवस जैसा होता है, क्योंकि उनकी यादें स्वत: अपने आप आ जाती हैं , और ऐसा होना भी चाहिए ।
जैसा कि मैं बता रहा था मंगला आरती के बाद जब मै कृष्ण बलराम के विग्रह के पास गया तो वहां मेरे अन्य गुरु भाई भी उपस्थित थे। सभी आपस में एक दूसरे को देख कर एक दूसरे का आलिंगन करने लगे और अभिनंदन करने लगे तभी पीछे से मुझे श्रुतकीर्ति प्रभु ने स्पर्श किया और आलिंगन किया और उसके पश्चात वही हुआ जो आज से 42 वर्ष पूर्व हुआ था। मेरा हृदय भर आया और मैं रोने लगा , श्रुतकीर्ति प्रभु प्रभुपाद के निजी सेवक हुआ करते थे और उनको आलिंगन करने से मुझे प्रभुपाद का स्मरण हो आया, हम सभी प्रभुपाद को बहुत याद कर रहे थे।
प्रभुपाद की जय.. ।
हम प्रभुपाद की वाणी सेवाएं कर सकते हैं। हम उनके आदेश, उपदेशों को समझ के उनका पालन भी कर सकते हैं।
प्रभुपाद ने पूछा कि मैं कैसे समझूंगा कि तुम मुझसे प्रेम करते हो ? उन्होंने कहा मेरे जाने के बाद किस प्रकार तुम लोग आपस में सहयोग करते हो , आपस में योगदान करते हो, इस बात पर ये निर्भर करेगा। इस्कॉन मेरा शरीर है तो इस प्रकार श्रील प्रभुपाद आज हमारे मध्य इस्कॉन के रूप में उपस्थित हैं। श्रील प्रभुपाद ने कहा मै इस्कॉन का फाउंडर आचार्य हूं। इस हरे कृष्ण आंदोलन के लिए इसके विस्तार के लिए या इसकी रक्षा के लिए तुम सब किस प्रकार एक दूसरे को सहयोग करते हो या योगदान लेते और देते हो, तो मैं समझूंगा कि आप मुझसे प्रेम करते हो। तो मैं भी यही स्मरण करता हूं जो प्रभुपाद कह रहे थे आप लोग दूसरी या तीसरी पीढ़ी के हैं प्रभुपाद आपके भी गुरु हैं
आपके शिक्षा गुरु हैं। हम लोगों ने जो बात सुनी वही मैंने आपको भी सुनाई , किस प्रकार आप लोग भी आपस में सहयोग करते हो श्रील प्रभुपाद का यह वचन आप पर भी लागू होता है। तो क्या आप लोग भी प्रभुपाद से प्रेम करते हो? तो आप निश्चित ही कहेंगे हां हम प्रभुपाद से प्रेम करते हैं। हां हम सभी को प्रभुपाद से प्रेम करना चाहिए। केवल कहना ही नहीं चाहिए कि हां हम प्रभुपाद से प्रेम करते हैं कृपया आप सभी अपने प्रेम को प्रभुपाद के प्रति दर्शाइए संसार को भी देखने दीजिए आपके इस प्रेम को प्रभुपाद के प्रति जो है ।
क्या करके ?
इसकी रक्षा करके मनसा; वाचा के द्वारा प्रयास करके, और यह प्रयास ही आपको कृष्ण प्रेम देगा और कृष्ण आपको प्राप्त होंगे हम सबका और आपका जीवन सफल होगा। “यस्य देवेपरा भक्तिः यथा देवे तथा गुरौ “। जैसा हम भगवान की भक्ति करते हैं यह प्रभुपाद जी कहा करते थे, यह वैदिक वचन है जैसे हम कृष्ण की, या चैतन्य की भक्ति करते हैं जैसा आदि भगवान् की भक्ति करते हैं वैसे ही भक्ति हमें गुरु की भी करनी चाहिए। ऐसा करने से सिद्धि प्राप्त होती है,कृष्ण प्रेम प्राप्त होगा। मैं अभी परिक्रमा में जाऊंगा सभी प्रभुपाद की तिथि का उत्सव मना रहे हैं।
श्रील प्रभुपाद तिरोभाव तिथि महोत्सव की जय … ।
गौर प्रेमानंदे…।