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जपा टॉक 30 अक्टूबर हरे कृष्ण, आज 444 स्थानों से भक्त हमारे साथ जप कर रहे हैं। कार्तिक शुुक्ल द्वितीय है आज, यह तो काल की बात है जहां तक देश की बात है मैं बरसाने में हूं वह वृंदावन में है और आज बरसाने में प्रातः काल भक्तों की दीक्षा भी होगी, इसीलिए मैं बरसाने में हूँ, बरसाना धाम की जय! हम जहां भी हैं ऑफकोर्स अगर धाम में हैं तो जप और आसान होता है अर्थात भगवान का स्मरण और सरल होता है। स्वाभाविक रूप से आप कल्पना कर सकते हो मैं जहां से जप कर रहा हूं वहां से लाडली लाल जी के मंदिर का पहाड़ मुझे दिखाई दे रहा है, वहां लाड़ली लाल जी विराजमान है। राधा रानी की जय बरसाने वाली की जय । वर्षभानुऔर कीर्तिदा भी रहते थे । "तप्त कांचन गौरांगी राधे वृंदा वनेश्वरी वृषभानु सुते देवी प्रणमामी हरि प्रिये " राधारानी हरिप्रिया भी हैं वह हरि को प्रिय हैं इसीलिए उन्हें हरिप्रिया कहा जाता है और वृषभानु सुता, संबोधन में सुते कहते हैं तो वे राजा वृष भानु की नंदिनी, पुत्री हैं। वे कीर्तिदा की पुत्री भी हैं। इस प्रकार राधा कृष्ण का स्मरण और भी सरल और आसान होता है हम उनका नाम ले रहे हैं हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। धाम में जब हम पहुंचकर जप करते हैं कीर्तन करते हैं जब उनको पुकारते हैं। श्रील प्रभुपाद इस महामंत्र को टेलीफोन नंबर भी कहा करते थे कि यह टेलीफोन नंबर भगवान का है ,राधा कृष्ण का है इसीलिए यह 16 डिजिट का है, लंबा भी है किसी भी राजा महाराजा या प्राइम मिनिस्टर का इतना लंबा फोन नंबर है क्या? यह तो भगवान का ही होना चाहिए। धाम में आकर जब हम यह फोन नंबर डायल करते हैं हरे कृष्ण हरे कृष्ण जब डायल किया तो भक्त कहते हैं ऐसी समझ है कि जब हम धाम में आकर कॉल करते हैं तो फिर यह लोकल कॉल हो जाता है क्योंकि भगवान बगल में ही तो रहते हैं यह इंटरनेशनल कॉल नहीं है या long-distance कॉल नहीं है यह लोकल कॉल है लॉन्ग डिस्टेंस कॉल को पहुंचने में या पहुंचाने में कुछ दिक्कतें भी आ सकती हैं और वह महंगा भी हो सकता है और long-distance कॉल में जो संवाद है वह ठीक से सुनाई नहीं देगा हम क्या कह रहे हैं फोन में दूसरी पार्टी हमसे क्या कह रही है तो लॉन्ग डिस्टेंस कॉल तो लॉन्ग डिस्टेंस कॉल ही होता है। long-distance कॉल वर्सेस लोकल डिस्टेंस कॉल। सामने आकर जब हम कॉल करते हैं अर्थात जप करते हैं तो वह लोकल कॉल हो जाता है बड़ी आसानी से और फटाफट कनेक्शन जुड़ जाता है और जप करना सरल होता है अर्थात यह एक कॉल ही है when we called someone किसी को हम फोन करते हैं किसी से कुछ कहते हैं तो वह बात भी है जब हम हरे कृष्ण हरे कृष्ण महामंत्र का जप किया, नंबर डायल किए हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे तो इसका अर्थ है कि हम कॉल कर रहे हैं संबोधित कर रहे हैं पुकार रहे हैं उनसे कुछ कहना चाहते हैं, यह एक कॉल का ही प्रकार है। जब हम धाम में आकर जप करते हैं तो जिसको हम कॉल कर रहे हैं हम कृष्ण को कॉल कर रहे हैं, हम राधा को कॉल कर रहे हैं, उनको पुकार रहे हैं संबोधित कर रहे हैं अपने दिल की कुछ बात उन्हें सुनाना चाहते हैं।धाम में भगवान का स्मरण सरल हो जाता है। भगवान यहीं रहते हैं, यहीं लीला करते हैं उनकी अष्ट कालीय लीलाएं। 8 काल होते हैं आठ पीरियड प्रातः काल अपराह्न मध्याह्न अपराह्न प्रदोष काल संध्या काल रात्रि काल उषाकाल इस प्रकार से आठ काल हैं और उनके नाम भी हैं और किस समय से किस समय तक कौन सा काल कितने बजे से कितने बजे तक यह भी सब स्पष्ट है यदि आप कभी सुने पढ़े समझे होंगे भगवान की हर लीला किसी काल में और किसी देश में किसी स्थान में होती है तो यह काल हुए अष्ट काल और फिर देश हैं प्रदेश हैं प्रदेश तो वन है द्वादश कानन हैं। भगवान अलग-अलग वनों में अलग-अलग समय भिन्न-भिन्न लीलाएं खेलते हैं एक अष्टकालिए स्मरण एक साधना भी है कई साधक यह साधना करते हैं अपनी घड़ी को देखते हैं वह 7:00 बजे हैं भगवान अभी उठे होंगे अभी उनका अभिषेक श्रृंगार चालू होगा अब गौशाला में जाते होंगे कृष्णा बलराम का नाश्ता प्रसाद प्रातः काल में चालू होगा भगवान इस समय क्या कर रहे होंगे ग्वाल बाल आने वाले हैं नंद भवन की घंटी बजा रहे होंगे। चलो चलो कन्हैया चलो चलो वी आर गेटिंग लेट इस बात से यशोदा को अच्छा नहीं लगता है जब वन का प्रस्थान करने का समय आता है जब 8:00 बजे का समय होता है यशोदा तो चाहती है कि कृष्ण वन में जाएं ही नहीं 24 घंटे में उनके घर में रहे उनके साथ उनकी गोद में अगल बगल में वह कोई बहाना निकालती है और अधिक समय और अधिक समय लगाती है, कन्हैया को घर में रखने का उनका प्रयास रहता है अरे रुको रुको अभी तो वस्त्र ठीक से नहीं पहना है मैंने अभी तो तुम्हारी चोटी नहीं बनी अरे अभी तो तुम्हारा लंच पैक नहीं हुआ ब्रेड तो मैंने लगा दी पर अभी बटर नहीं लगा मैं माखन ले आती हूं इस प्रकार से यशोदा मैया का उद्यम या उद्योग या प्रयास रहता है। दूसरी और कन्हैया को जल्द से जल्द नंद भवन से बाहर निकालकर उनके साथ वन में जाने के लिए ग्वाल बाल उत्कंठित होते हैं। इस प्रकार की खींचातानी चलती है । एक और से यशोदा उनको खींच रही है, घर में अधिक समय उनको रखना चाहती है दूसरी ओर ग्वाल बाल कन्हैया के मित्र उनको जल्दी बाजी रहती हैं, स्मरण दिला रहे हैं जल्दी करो जल्दी करो जल्दी करो तुम्हारी मम्मी की माया तुम फंसे हो छोड़ दो निकल पड़ो, डू योर ड्यूटी गायों की रखवाली करना उनकी ड्यूटी है। कल हम सुन रहे थे। ड्यूटी का तो बहाना है कन्हैया और उनके सारे मित्र वे तो खेलना चाहते हैं वन में जाएंगे गाय तो चरती रहेंगी कन्हैया और उनके मित्र खेलेंगे। गायों की रखवाली , गोचारण यह सेवा है , यह उनका व्यवसाय है उनका धर्म है खेलना है उनका धर्म तो लीला अर्थात खेल तो भगवान खेलते रहते हैं तो जब हम धाम में जप करते हैं तो कन्हैया का राधा कृष्ण का स्मरण और आसान होता है ,सरल होता है ,सफल हो जाता है जैसे लोकल कॉल सस्ता भी होता है, आसान भी होता है ।सारी बातें कही हुई सुनाई भी देती हैं। यह धाम वास का एक ही लाभ है इसीलिए श्रील रूप गोस्वामी जहां 64 भक्ति के अंगों की चर्चा करते हैं तो अंततोगत्वा कहते हैं कि 5 प्रधान भक्ति के अंग हैं, "साधु संग नाम संकीर्तन भागवत श्रवण मथुरा वृंदावन धाम वास और श्री मूर्ति अर्चा विग्रह की आराधना " यह पांच महा साधन हैं, विशेष साधन है तो इस विशेष साधनों में धाम वास भी एक महत्वपूर्ण अंग है इसलिए प्रभुपाद कहा करते थे धाम वास करना चाहिए। यह हमारी भक्ति और हमारे जप के लिए, ध्यान के लिए स्मरण के लिए अनुकूल होता है।दामोदर मास में विशेषकर धाम वास की और भी अधिक महिमा है कई सारे भक्त, कल गोवर्धन पूजा भी है यहां पहुंचे हैं परिक्रमा भी कर रहे हैं और कई सारे आ रहे हैं रास्ते में हैं । समाचार मिल रहे हैं हम जयपुर में हैं हम बस पहुंचने वाले हैं कल गोवर्धन पूजा भी है और प्रभुपाद का भी तिरोभाव दिवस महोत्सव भी है कई सारे भक्त आ रहे हैं । उनको भी धाम वास प्राप्त होगा वृंदावन धाम की जय आप बहुत लोग लिख रहे हो वृंदावन धाम की जय वृंदावन धाम की जय अगर आप यहां नहीं पहुंचे हो नहीं पहुंच सकते हो तो आप मानसिक परिक्रमा करो मानसिक भेंट या दर्शन हो सकते हैं ऐसा ही करना पड़ता है हम लोग जहां भी हैं नागपुर में या कानपुर में या मॉस्को या न्यूयॉर्क हमारा ध्यान तो धाम में ही होना चाहिए या दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जब हम हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं तो इस माध्यम से हम धाम का ही ध्यान कर रहे हैं। वृंदावन के धामी हैं राधा कृष्णा तो जब हम जप करते हैं तो हम वृंदावन का धाम का भी ध्यान, राधा कृष्ण का भी ध्यान ,कृष्ण जिनका नाम है गोकुल जिनका धाम है ऐसे श्री भगवान को मेरा बारंबार प्रणाम है जिनका नाम हमने कहा हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण जिनका नाम है जिनका नाम है राधा कृष्ण राधा कृष्ण दो अलग नहीं है वह एक ही है अर्थात हरे कृष्ण जिनका नाम है ,गोकुल जिनका धाम है वृंदावन जिनका धाम है और यशोदा जिनकी मैया हैं नंदजी बपैया हैं ऐसे श्री गोपाल को मेरा बारंबार प्रणाम है जप करते हुए हम याद कर सकते हैं राधा कृष्ण की मैया यशोदा मैया की जय नंद महाराज की जय कीर्तिदा की जय ऐसे हम रागानुग भक्ति का अवलंबन करते हैं। वात्सल्य भक्ति के आचार्य कहो नंद बाबा और यशोदा है उनका स्मरण करते हुए उनके भाव उनकी भक्ति के पीछे पीछे चलना है 'अनुगा' - उनके पीछे पीछे गमन करना है तो क्यों नहीं है हम और जब हम हरे कृष्ण महामंत्र का जप कर रहे हैं तो नंद बाबा और यशोदा का स्मरण हो ही जाता है और ऐसे श्री गोपाल को बारंबार प्रणाम है तो गोपाल का स्मरण तो हो ही जाता है वह गौचारण लीला खेलने वाले हैं गोपाल। राधा जिनकी जाया है अद्भुत उनकी माया है अर्थात राधा जिनकी भार्या है ऐसा भी कृष्ण वल्लभा राधा कैसी है कृष्ण प्रिया है हरि प्रिया है भार्या है कृष्ण की है राधा अल्हादिनी शक्ति है राधा जिनकी जाया है अद्भुत जिनकी माया है ऐसे श्री घनश्याम को बारंबार प्रणाम है, लूट लूट दधि माखन खायो ग्वाल बाल संग गैया चरायो। ऐसे लीला धाम को बारंबार प्रणाम है। हम जप कर रहे हैं हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। और हम लीलाओं का स्मरण कर रहे हैं श्री कृष्ण का नाम जप या माता-पिता का स्मरण कर रहे हैं कृष्ण की राधा का स्मरण कर रहे हैं व माखन चोर कृष्ण का स्मरण कर रहे हो इस प्रकार हमारा धाम वास स्वतः हो जाता है। जब हम इस प्रकार का स्मरण करते हुए जप करते हैं तो हम धाम में पहुंच जाते हैं । हमारा शरीर अन्यत्र हो सकता है लेकिन हम वहां नहीं होंगे हम तो धाम वासी बनेंगे। ध्यानपूर्वक जप के साथ यदि स्मरण हो रहा है , धाम के धामी का स्मरण ,तो हमारा भी धाम वास हो रहा है । प्रभुपाद कहते थे मैं न्यूयॉर्क में नहीं हूं मैं वृंदावन में हूं । मैं न्यू जर्सी में नहीं हूं मैं तो वृंदावन में हूं। जब प्रभुपाद राधा गोविंद का अथवा राधा मदन मोहन का या राधा दामोदर का (जहां श्रील प्रभुपाद निवास करते थे) उनका ऐसा ध्यान पूर्वक जप कर रहे हैं तो वे न्यूयॉर्क में थोड़े हैं वृंदावन में हैं।ऐसा प्रभुपाद कहा करते थे । यह आज के लिए फूड फॉर थॉट था यह बातें आप याद रखिए यह पद्धतियां जप करते समय भगवान का ध्यान- ध्यान पूर्वक ध्यान करते हुए आप वृंदावन पहुंच जाओगे आपका भी धाम वास होगा आज की वार्ता थोड़ी लंबी हो गई। राधे राधे बरसाना धाम की जय ब्रजमंडल धाम की जय ।

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