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29 अगस्त 2019 हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। हरि नाम प्रभु की जय! आज की जप चर्चा, यह संभवतः कल सुबह भारत मैं इसका उपयोग होगा। तो अकिंचन भक्त आपको इसके विषय में बता देंगे और जब भी होगा वे इसे भारत के समय अनुसार चला देंगे तो आज इस कॉन्फ्रेंस में 85 भक्त हैं, जो अभी हमारे साथ जप कर रहे हैं। हमें इतने अधिक भक्तों की आज उम्मीद नहीं थी, क्योंकि मॉरिशस और भारत में अभी देर रात का समय है। तो आप सभी जप पर्सन है। आप दिन के समय भी जप करते हैं और आप रात्रि में भी जप कर रहे हैं। स्मरण न काल: अर्थात जप मैं कोई नियम नहीं है, किसी समय का अथवा उसका स्मरण करने का कोई नियम नहीं है। इसलिए आप सदैव जप कीजिए। वैसे प्रातः काल के समय जप करना सबसे उत्तम होता है ।परंतु आप दिन के समय या रात्रि के समय भी जप कर सकते हैं। जब हम जप करते हैं तो एक प्रकार से यह समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग है। आज यहां पर राधा देश में जब मैं भागवतम कक्षा दे रहा था। तो मैं आपको बताना भूल गया मैं अभी बेल्जियम में हूं। और यहां का जो मंदिर है, उसे राधादेश कहते हैं। यह मंदिर संपूर्ण विश्व में अत्यंत प्रसिद्ध है। राधा देश अर्थात यह राधा का देश है। यह मंदिर एक प्रकार से ग्रामीण क्षेत्र में बना हुआ है। और यहां पर एक "कैसल" एक इमारत है जो कि एक किलेनुमा अत्यंत ही शक्तिशाली इमारत है। जो यहां का प्रमुख आकर्षण है। एक समय यह इमारत यहां की सेना के द्वारा उपयोग में ली जाती थी। परंतु पिछले 40 वर्षों से ये इस्कॉन के अंडर है। अभी इस्कॉन के भक्त इसकी देखभाल कर रहे हैं। यह अत्यंत प्रसिद्ध इमारत है, इस इमारत को देखने के लिए यंहा गाड़िया ओर बस भर भर कर आती हैं। इस प्रकार से जब बेल्जियम वासी यहां आते हैं तो हमारे इस्कॉन के भक्त उन्हें वह इमारत दिखाते हैं जो प्रसिद्ध है। ओर साथ ही साथ वे राधा गोपीनाथ मंदिर के दर्शन भी कराते हैं। उन्हें वे म्यूजिक दिखाते हैं। और उन्हें भरतनाट्यम भी दिखाते हैं, यहां जो भी दल आता है। वह भरतनाट्यम प्रतिदिन देखता है, साथ ही साथ यहां एक बहुत बड़ा गिफ्ट शॉप भी है जहां पर आपको चांदनी चौक, लुई बाजार इत्यादि जो भारत के प्रमुख स्थान है। वहां जैसे उपहार आपको यहां भी मिल सकते हैं। इसके साथ ही यहां पर एक छोटी सी सुंदर गौशाला है हमारे नागपुर के गौरहरि प्रभु गोशाला की देखरेख करते हैं । यहां पर गोविंदा रेस्टोरेंट भी है तो जब मैंने देखा कि बेल्जियम वासी बस में भरकर यहां पर आए और उन्होंने अत्यंत स्वादिष्ट प्रसाद यहां पर पाया इसमें इस्कोन बुलैटअर्थात गुलाबजामुन भी थे। इस्कॉन बुलेट के माध्यम से हमारे इस्कोन के भक्त इन बेल्जियम वासियों की दानवी चेतना, राक्षसी प्रवृति (हमारे भीतर जो प्रमुख गुण है) उसका वह वध कर रहे थे। जो यहां के निवासी हैं, वो ये प्रसाद पाकर अत्यंत प्रसन्न थे।उनके लिए शाकाहारी भोजन का अर्थ होता है, सलाद और उबला आलू बस इतना ही परंतु जो यहां पर भक्त हैं, वे उन्हें शाकाहारी भोजन किस प्रकार बनाया जाता है, वह भी उन्हें सिखाते हैं। जब मैं अमेरिका में था, उस समय यहां पर यूथ प्रीचिंग हो रही थी, जो युवा है उनको प्रचार किया जाता है और जब वे कॉलेज में जाकर के प्रचार कर रहे थे । यहां पर प्रचार करते समय प्रेजेंटेशन को बीच मे रोककर शाकाहारी व्यंजन बनाना भी सिखाते हैं। इस प्रकार से कई व्यक्ति शाकाहारी बन रहे हैं और इसका श्रेय इसकोन को भी जाता है। इस प्रकार अमेरिका में जब मैं रुक्मणी द्वारिकाधीश मंदिर में था जब हम वहां पर जन्माष्टमी मना रहे थे, उस समय भगवान को 1008 भोग लगाए गए और भोग अलग अलग प्रकार के थे। इस प्रकार से इतने अधिक भोग बनाए गए कि जो उनका दर्शन करने के लिए वहां आए, जो वहां के नगरवासी थे, वे इससे एक प्रकार से आश्चर्यचकित थे। इस प्रकार से पश्चिम के लोग शाकाहारी बन रहे हैं, इस प्रकार हरे कृष्ण भक्त यहां के निवासियों को शाकाहारी बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। प्रत्येक रविवार को यहां पर वे उन्हें प्रसाद उपलब्ध कराते हैं जो पूर्ण रूप से शाकाहारी होता है और इसके साथ ही साथ गोविंदास रेस्टोरेंट वहां पर आकर भी वह इस स्वाद का आस्वादन कर सकते हैं। हरे कृष्ण भक्त उन्हें जो प्रसाद उपलब्ध करवाते हैं वह केवल शाकाहारी ही नहीं होता है परंतु वह प्रसाद कृष्णमय होता है। वह केवल वेजिटेरियन ही नहीं है कृष्ण टेरियन भी है। वहां पर राधा देश में एक कॉलेज है जिसका नाम है भक्ति वेदांत कॉलेज यहां पर कई प्रकार के कोर्स करवाए जाते हैं, अभी-अभी यहां पर कीर्तन क्लास चल रही थी, जो अभी-अभी कुछ समय पहले ही समाप्त हुई है। यहां सुरभि माताजी है जो आप सभी की गुरु बहन है वह अत्यंत थी सुंदर बांसुरी बजाती हैं, वहां पर कॉलेज में बांसुरी नहीं सिखाती हैं, परंतु वह यहां करताल सिखाती हैं। वह करताल में अत्यंत ही निपुण है और एक प्रकार से कहे तो माताजी करताल मास्टर हैं। करताल बजाना भी एक कला है, हर कोई निपुणता के साथ में करताल नहीं बजा सकता। यहां पर उन्होंने करताल बजाना सिखाया, सुरभी माताजी मालती माताजी की पुत्री हैं और उन्हीं के घर पर आज मैं ये जप कॉन्फ्रेंस कर रहा हूं। इसके साथ ही साथ भक्तिवेदांत कॉलेज में भक्ति शास्त्री आदि कई कोर्स भी करवाए जाते हैं, यहां पर वर्ष में एक बार कीर्तन मेला होता है। वर्ष में एक बार तीन चार दिन का कीर्तन मेला होता है । उसे राधादेश मेलोज के नाम से यहां जाना जाता है ओर इस कीर्तन मेले में लगभग यूरोपीय देशों से कई भक्त आते हैं। उसमे विशेष रूप से युवा भी इसके प्रति अत्यंत आकर्षित रहते हैं। सचिनंदन महाराज भी इसमें सम्मिलित होते हैं, और उनको भी यहां से इस राधादेश मेला में आने के लिए आमंत्रण मिलता है, ये मुझे भी आमंत्रित करते हैं। कीर्तन मेला में यहां पर ठंड होती है, मेरे लिए यह संभव नहीं हो पाता, कि मैं इसमें सम्मिलित हूं। लेकिन फिर भी यहां के भक्त मुझे इस कीर्तन मेले में सम्मिलित होने के लिए आमन्त्रण भेजते हैं। राधा देश का प्रोजेक्ट अत्यंत ही विशाल है, यह अत्यंत ही सुंदर प्रोजेक्ट है। अभी मैं यहां राधा देश में हूं और कुछ दिन में यहां पर रहूंगा। मैं यहां राधा देश के भक्तों से मिलने के लिए आया हूं, और उनसे मैं मिल रहा हूं। साथ ही साथ राधा देश में होलैंड से जो बेल्जियम के नजदीक ही है (इन दोनों की सीमाएं) आपस में मिलती हैं वहां से और भी कई स्थानों के भक्त मुझसे मिलने के लिए आए हैं। हॉलैंड में मेरे कुछ शिष्य हैं और वहां पर कुछ ऐसे भी भक्त हैं जो कि इंस्पायर्ड हैं, वे सब भी यहां पर राधा देश में मुझसे मिलने के लिए आये हैं क्योंकि मैं वहां पर नहीं जा सकता हूं। इस समय मेरा वहां पर जाने का प्रोग्राम नहीं है, इसलिए वे सभी यहां पर आ रहे हैं। मैं यहां पर उन सभी के साथ समय व्यतीत कर रहा हूं और उनसे मिल रहा हूं और अगले 1 घंटे में यहां पर भी कीर्तन होगा। जब राधा गोपीनाथ शयन करने के लिए जाते हैं तो यंहा के पुजारी राधा गोपीनाथ का श्रृंगार चेंज करते हैं। उनको जब रात्रि शयन की पोशाक पहनाई जाती है और उनका श्रृंगार करवाया जाता है, तब भक्त यहां पर बैठकर कीर्तन करते हैं। और भगवान जब शयन करने के लिए जाते हैं, उस समय यहां पर कीर्तन चलता है। वे भजन गाते हैं और हरे कृष्ण का कीर्तन करते हैं। आज भगवान के लिये मैं कीर्तन करूँगा, और अगले एक घंटे में कीर्तन प्रारम्भ होने वाला है। और मैं देख रहा हूं कि यह जप चर्चा रात्रि के समय शुरू हुई थी और मैं देख रहा हूं कि आप में से कई भक्त अभी सो रहे हैं। मनुप्रिया माता जी आप नही सो रही हैं, कई भक्त हैं जो अभी उबासी ले रहे हैं और उन्हें नींद आ रही है, आप सब अब रेस्ट कर सकते हैं। भारत में यह रात्रि का समय हो रहा है। इस प्रकार आप सदैव जप करते रहिए, इस जप चर्चा को हम यहीं पर विराम देते हैं और आज की यह जप चर्चा भारतीय समय अनुसार चलाई जाएगी। हम इस चर्चा को यहीं पर विराम देते हैं। हरे कृष्ण परम पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज की जय।।

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