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21 सितंबर 2019
जप चर्चा
हरे कृष्ण!
इस जपा कॉन्फ्रेंस में सम्मलित होने और जप करने के लिए आपका स्वागत है।आज इस जपा कॉन्फ्रेंस में विश्व भर से लगभग 500 प्रतिभागी सम्मिलित हुए हैं। हमारे साथ कुछ भक्त फेसबुक के माध्यम से और यहां मंदिर में भी कुछ भक्त हमारे सामने बैठे हुए जप कर रहे हैं।
मुझे स्क्रीन पर बहुत सारी रिपोर्ट्स भी मिल रही हैं।
हमारे साथ मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया से भक्त जुड़े हुए हैं। जेसिका माताजी भी जप कर रही हैं। मुझे आपकी अत्यंत उत्साहवर्धक रिपोर्ट्स मिल रहीं हैं कि आप सभी स्वयं तो जप कर ही रहे हैं लेकिन आप सब हरिनाम उत्सव के समय/दौरान स्वयं के साथ साथ अन्यों को भी जप करवा रहे हो। आप सबकी रिपोर्ट देख करके मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे इससे बहुत उत्साह मिल रहा है।
हरिनाम सुनना और पढ़ना माया नहीं है।आज मैं चैतन्य भागवत सुन रहा था कि श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु भी हरिनाम का रसास्वादन किया करते थे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे।।
चैतन्य महाप्रभु इस नामामृत के समुंदर में गोते लगाया करते थे। वे स्वयं ही नहीं लगाते थे अपितु अपने साथ में अन्य भक्तों को विशेष रूप से नित्यानंद प्रभु, श्रील हरिदास ठाकुर को निर्देश दिया करते थे।
सुनो!सुनो! नित्यानंद, सुनो हरिदास
सर्वत्र आमर आज्ञो करो
प्रकाश प्रति घरे गइया करो एइ भिक्षा
बोलो 'कृष्ण', भजो कृष्ण,
करो कृष्ण-शिक्षा।
सुनो, सुनो, नित्यानंद! सुनो, हरिदास! तुम मेरी आज्ञा को सर्वत्र जाकर, घर घर जाओ और सभी निवासियों से कृष्ण नाम जप करने की भीख मांगो, कृष्ण की पूजा करो और दूसरों को भी कृष्ण के निर्देशों का पालन करना सिखाओ। इसके अतिरिक्त किसी और को अर्थात किसी को कुछ भी बोलने या बोलने का कारण मत दो।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु सभी को निर्देश दे रहे थे। ये निर्देश सिर्फ उनके लिए नहीं हैं। हमें इसे इस भावना से लेना चाहिए कि वे निर्देश हम सभी के लिए हैं। महाप्रभु कहते हैं, हमें स्वयं जप करते हुए पूरी दुनिया को यह निर्देश देना चाहिए कि वे भी भगवान के नाम का जप करें और हरि नाम उत्सव का प्रचार करें। यह एक त्योहार है। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने कहा," डरो नहीं! जहां भी आप हरिनाम की महिमा फैलाते हैं, मैं अपने सुदर्शन चक्र के साथ वहां रहूंगा। मैं तुम्हारे साथ हूं, मैं तुम्हारी रक्षा करुंगा, मैं देख लूंगा। मैं संभाल लूंगा। तुम निश्चित रहो। जाओ और प्रचार करो।"
जब हम हरि नाम जप स्वयं करते हैं, सुनते हैं तब हमें अधिकार भी होता है कि हम दूसरों से प्रचार करने के लिए कहे।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु की जय!
हम श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के आदेशों का स्मरण दिला रहे हैं। हम चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी, परिकर, भक्त या सहयोगी बनने का प्रयास कर रहे हैं। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु का हमारे लिए यह सदा के लिए आदेश है कि
या़रे देख, तारे कह 'कृष्ण'- उपदेश।
सुनो हरिदास, सुनो नित्यानंद आमार आज्ञा करो प्रति घरे प्रकाश।
श्री कृष्ण अर्जुन को भगवतगीता में कहते है- मेरी शरण में आओ, डरो मत।
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।
कृष्ण कुरुक्षेत्र में अर्जुन से संस्कृत में कह रहे थे- डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ, वही बात महाप्रभु बंगला भाषा में दोहरा रहे हैं। दूसरों के साथ हरिनाम का अमृत बाँटो। दो अलग अलग मानसिकताएँ होती हैं- चींटी मानसिकता और कुत्ते की मानसिकता।
कुत्ते और चींटी की दोनों की प्रवृत्ति बिल्कुल विपरीत होती है। चींटियाँ कुछ मीठा खोजने में माहिर होती हैं। यदि चींटी को कुछ शक्कर या कुछ मीठा खाने को मिलता है,वह थोड़ा सा खाने का प्रयास करती है और जैसे ही उसको पता चलता है कि यह मीठा है, तो वह उसको वहीं खाना बंद करके सर्वत्र जाती है और सबको समाचार देती है- "हे चलो, चलो, वहां सब चलते हैं , दूर से उनको दिखाएगी, वो देखो, वो देखो, उस तरफ देख रही हो! वहां जाकर खा कर देखो तो सही, मैंने खा लिया है और अनुभव किया है बहुत मीठा है, चलो चलते हैं, चलो चलते हैं।" तब वह चींटी, कई सारी दर्जन, सैकड़ों, हज़ारों चींटियां को लेकर, उनके साथ मिलकर उसका आस्वादन करेंगी। ऐसी प्रवृत्ति/ स्वभाव भक्तों का, वैष्णवों का होना चाहिए। यह कुत्ते की मानसिकता से बहुत अलग है। उसकी मानसिकता लालच की होती है, कुत्ता कुप्रसिद्ध है लेकिन चींटी भी प्रसिद्ध है परंतु सुप्रसिद्ध है। एक सुप्रसिद्ध और एक कुप्रसिद्ध
एक चींटी का एक अलग दृष्टिकोण होता है और कुत्ते का अलग दृष्टिकोण होता है। यदि कभी कुत्ते को ब्रेड आदि मिल जाता है, वह कुत्ता स्वयं ही खाएगा। कुत्ता ऐसा कभी भी नहीं सोचेगा कि वह आधा खा करके, आधा किसी दूसरे कुत्ते भाई को दे देगा, तुम भी खाओ ना। इसे द्वेष, ईर्ष्या या लोभ कह सकते हैं। ऐसा कुत्ता जिसके मुंह में ब्रेड है, यदि कभी तालाब पर या किसी नदी जहां पर जल है, जल के किनारे खड़ा होकर पानी में अपना प्रतिबिम्ब देखता है, जल में वह अन्य एक कुत्ते को मुँह में रोटी के टुकड़े के साथ देखता है और पूछता है, "अरे कौन है तू ?" "उसके मुख में जो ब्रेड है, वो भी मुझे चाहिए, मैं खाऊंगा" ऐसा सोच कर कुत्ता कभी मुहं खोल कर भौंकने लगता है या भौंकने का प्रयास करता है, उसका क्या होगा, उसके मुँह में जो ब्रेड एक टुकड़ा था, वह भी गिर जाएगा, उस ब्रेड के टुकड़े को चाहने की उसकी लालच की मानसिकता के परिणामस्वरूप वह मुँह में जो ब्रेड है, उसे भी खो बैठेगा। इसे दुष्परिणाम कहो या लोभप्रवृत्ति। वैष्णव को चींटी जैसा व्यवहार करना चाहिए और वैष्णव करते भी हैं।यहीं वैष्णव की पहचान योग्य विशेषता है।
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
पीड़ पराई जाणे रे।
वे दूसरों की पीड़ा भी समझते हैं और उनके पास दूसरों को इस पीड़ा से मुक्त करने के लिए उपाय भी होते हैं । वे दूसरों को भी हरिनाम देते हैं।
हरि! हरि!
मैं जप करते हुए आपके द्वारा भेजे हुए रिपोर्टों को पढ़ रहा था। सभी रिपोर्ट पढ़ना सम्भव ही नहीं है। आप इतने सारे रिपोर्ट भेजने वाले, मैं पढ़ने वाला एक,मैं सारे रिपोर्ट नहीं पढ़ सकता हूँ लेकिन जो भी मैंने रिपोर्ट पढ़े, मैं उनके संबंध में कुछ कहने वाला हूं। बाकी लोग नाराज मत होएगा कि मैंने आपकी रिपोर्ट को नहीं पढ़ा।
हरि! हरि!
रिपोर्टस : मैं इस्कॉन पुणे के बारे में पढ़ रहा था कि उन्होंने पिछले साल वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल के दौरान पुणे के 101 शहरों में एक ही समय पर एक साथ हरिनाम कीर्तन सम्पन्न किया था और इस वर्ष वे 208 शहरों में एक साथ कीर्तन करना चाहते हैं। यह बहुत ही अद्भुत है। तो नोयडा के बारे में क्या? आप कम से कम 25शहरों से शुरुआत कर सकते हैं।
हरि! हरि बोल!
इस्कॉन पुणे भक्त वृन्द की जय!
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु अपनी कृपा की दृष्टि आप सभी पर और
पहली बार जीवन में जप कीर्तन करने वालों पर बनाए रखें।
नोयडा में वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल के दौरान सुबह सुबह कई सारे भक्त हज़ारों जप मालाओं को लेकर पार्को में जा रहे हैं और प्रातः कालीन मोर्निंग वॉक करने वालों से कम से कम एक माला जप करवा रहे हैं। रिपोर्ट आ रहीं है कि 100 से अधिक लोगों ने जप किया और वे हरिनाम संकीर्तन भी सम्पन्न करने जा रहे हैं। किसी भक्त ने भिवंडी से रिपोर्ट भेजा है कि मैंने कल 37 माला का जप किया।मैं 16 माला का जप करने वाला हूं पर मैंने 37 माला का जप किया। आशीर्वाद दीजिए। ( हँसते हुए..)
मेक्सिको से कैरन तुलसी माताजी दूसरों को जप करवा रही हैं। ठाणे के रेवती रमन प्रभु congregation (संघ) के और मंदिर के भक्तों को 64 माला का जप करवा रहे हैं। आप भी अपने अपने भक्ति वृक्ष के भक्तों के साथ या अन्य भक्तों के साथ, मंदिर के भक्तों के साथ 64 माला का जप करने का संकल्प कर सकते हैं। कुछ भक्त न्यू गोवर्धन इको विलेज जा रहे हैं, वहां जा कर भक्त जाप करेंगे।
भगवान आप सभी प्रतिभागियों, श्रोताओं पर अपना आशीर्वाद बरसाएं। भगवान निश्चित रूप से प्रसन्न हैं। मैं भी प्रसन्न हूं और अपना आशीर्वाद देता हूं।
वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल के चार दिन बीत चुके हैं, चार दिन बाकी हैं। यदि आप में से जिन्होंने कुछ भी नहीं किया है, उन्हें कम से कम कुछ करना चाहिए। कुछ तो करो।
अपने विचारों के लिए वेबसाइट पर जाएं और वर्ल्ड होली नेम फेस्टिवल के अंत में वेबसाइट पर अपनी रिपोर्ट भेजें।
विश्व हरि नाम उत्सव की जय!
हरे कृष्ण!