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21 अक्टूबर 2019 हरे कृष्ण! आप सभी बहुत ही आशीर्वाद प्राप्त जीवात्माएं हो। इसलिए आप सभी जप कर पा रहे हो, यह आपका सौभाग्य है। आपको आशीर्वाद प्राप्त है, यह जप इसी का लक्षण है। आज पुनः एक भव्य दिवस है, कार्तिक मास में प्रत्येक दिन ही बड़ा और पवित्र होता है। आज भी हमें बड़ी-बड़ी रिपोर्ट प्राप्त हो रही हैं। आज हमारे साथ 502 स्थानों से प्रतिभागी जप कर रहे हैं। कई स्थानों से दीपदान की रिपोर्ट आ रही है, कल विवतमाल में माताजी ने अपने घर पर भक्तों को बुलाया था। आज रात्रि माधवी गोपी माता जी ने अपने घर ठाणे में दामोदर अष्टकम का कार्यक्रम रखा है। कल भिवंडी में लगभग 60 भक्तों ने दीपदान किया था। दिल्ली से हमारी गोपीगीत माताजी नित्यप्रति गोपीगीत गाती हैं। मंदिरों में और कई भक्त भी इस मास में दामोदरअष्टकम के अतिरिक्त गोपीगीत गाते हैं। यह गोपीगीत शरद पूर्णिमा की प्रथम रात्रि को गोपियों द्वारा गाया गया था। यह मास राधा रानी का भी मास है अर्थात यह उर्जाव्रत का मास है। जैसा कि दामोदर अष्टक में वर्णन है- नमो राधिकायै त्वदीय-प्रियायै अर्थात यह मास राधारानी, राधा गोविंद और रासलीला का मास है। आप सभी अपनी सूची में दामोदर अष्टकम के अतिरिक्त गोपीगीत को भी जोड़ सकते हैं और प्रतिदिन गा सकते हैं। हरि! हरि! ऑस्ट्रेलिया से चैतन्य भागवत प्रभु ने अपने आफिस में काम करने वाले साथियों से कल दीपदान करवाया। इस प्रकार से उन्होंने यशोदा मैया के दुलारे कृष्ण अथवा दामोदर को उनके जीवन से जोड़ दिया। हम प्रार्थना करते हैं और आशा भी करते हैं कि इस प्रकार जो भी लोग भगवान दामोदर को दीपदान करेंगे, वे निश्चित रूप से ही भगवान दामोदर को अपनी ओर आकर्षित करेंगे एवं उनकी कृपा को प्राप्त करेंगे अर्थात जो भी दीपदान करेगा,भगवान दामोदर उन सभी के हृदय को अपनी ओर आकर्षित करेंगे। आप सब लोग भी ज्यादा से ज्यादा लोगों को दीपदान करवाएं जिससे उन सब को भगवान दामोदर की कृपा प्राप्त हो सके। हरि! हरि! इस प्रकार से कुछ अन्य भी रिपोर्ट्स प्राप्त हो रही हैं जैसे रियूनियन से दयालु राधा माताजी बता रही हैं कि आज राधाकुंड का अविर्भाव तिथि अथवा महामहोत्सव है। हमारी ब्रजमंडल परिक्रमा पार्टी भी राधा कुंड के तट पर ही है। वे पिछली तीन रात्रियों से राधा कुंड पर ही निवास कर रहे हैं। कल उन्होंने गिरिराज गोवर्धन जी की परिक्रमा की थी। मैं विश्वस्त हूँ कि आप सभी ने भी ब्रज मंडल दर्शन पुस्तक में से गोवर्धन परिक्रमा का अध्याय अवश्य पढ़ा होगा। आज हमारे ब्रजमंडल परिक्रमा पार्टी के लगभग 1000 से 1500 भक्त राधा कुंड और श्याम कुंड की परिक्रमा करेंगे। वे राधाकुंड और श्यामकुंड के चारों तरफ एक एक स्थान का जो कि बहुत ही भव्य और दिव्य स्थान है उनका दर्शन करेंगे और वहां की लीला कथा सुनकर अपने को बहुत ही सौभाग्यशाली मानेंगे और बहुत ही लाभान्वित होंगे। आज ये भक्त और भी भाग्यशाली सिद्ध होंगे क्योंकि आज रात्रि राधाकुंड में जो मध्य रात्रि स्नान होता है उसमें ये सारे परिक्रमा वाले भक्त भी स्नान करते हैं। इस स्नान का निश्चित समय मध्यरात्रि है। हमारे परिक्रमा के भक्त, जो सौ हजार अर्थात एक लाख भक्तों के साथ में हैं जोकि आज के दिन चारों तरफ से राधा कुंड पर आते हैं और वे सभी तट पर स्थित रहकर और अपनी घड़ियों को देखते रहते हैं और जब 12:00 बजे मध्यरात्रि होती है तब सभी भक्त राधा कुंड में प्रवेश करते हैं और स्नान करते हैं और इस प्रकार से सब उस राधा कुंड के आविर्भाव घड़ी की बहुत प्रतीक्षा करते हैं । जो आज राधाकुंड में स्नान करते हैं वे काफी धन्यभागी होते हैं। आज का दिन बहुला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। राधा कुंड का जल वास्तव में भगवान के प्रेम का तरल रूप है। यह जल राधा कृष्ण के प्रेम का रूप है, आज रात्रि में जो लोग इस जल में स्नान करते हैं वह भगवान राधा कृष्ण की कृपा प्राप्त करते हैं। उनके जीवन में निश्चित रूप से भगवान राधा कृष्ण के प्रति प्रेम विकसित होता है। आज का दिन बहुत ही सुंदर और उन्नत दिवस है। जय राधा! जय कृष्ण! जय राधाकुंड! आप में से जो भी भक्त प्रयास कर सकते हैं, वे वहां जरूर जाएं। निश्चित रूप से आप में से कई भक्त दिल्ली,नोएडा, आगरा और इधर उधर से राधा कुंड पर जाने का प्रयास करते हैं, भाग रहे होते हैं। कृष्ण बलराम मंदिर से भी कई भक्त मध्यरात्रि स्नान के लिए जाते हैं। दुबई से श्यामालंगी माताजी भी कृष्ण बलराम मंदिर में आई हुई हैं, वह भी आज राधाकुंड में मध्य रात्रि स्नान करने के लिए बहुत उत्सुक हैं। आप इस अवसर को अपने हाथ से जाने मत दीजिए। यदि आप किसी भी प्रकार से मैनेज कर आ सकते हैं तो आज रात्रि का स्नान करने अवश्य आइए। आपका बहुत-बहुत स्वागत है। आप सब इस आनंद प्रेम रस में गोते लगाइए। यह भगवान का प्रेम रूपी तरल अमृत है। यह बहुत ही अद्भुत अनुभव है। हमने बहुत वर्षों से इसका अनुभव लिया है, हमें इसका बहुत ही साक्षात्कार है। हम आप सभी का स्वागत करते हैं कि आप भी यहां आकर इस अद्भुत अनुभव को स्वयं भी अनुभव कीजिए और इस अमृत को प्राप्त कीजिए। हरि! हरि! आप में से जो भक्त राधाकुंड नहीं जा पाए हैं, वह भागवत में से या किसी अन्य शास्त्र से आज के इस पर्व की विशेषता को पढ़ सकते हैं। वास्तव में आज के दिन भगवान जब राधारानी और गोपियों से मिलने और रासलीला के लिए तैयार थे, तभी एक अरिष्टासुर नाम का एक असुर बैल के रूप में आया। वह विभिन्न प्रकार से आकर व्यवधान उत्पन्न करने लगा और ब्रजवासियों को बहुत ही कष्ट देने लगा। भगवान जोकि रासलीला के लिए तैयार थे उनको एक प्रकार से लड़ने के लिए चुनौती देने लगा। उसने ब्रज में इतना उत्पात मचाया कि गर्भवती महिलाओं का गर्भपात तक होने लगा। इस प्रकार भगवान ने उसके व्यवधान को देखकर उसकी चुनौती को स्वीकार किया और अरिष्टासुर को मार दिया। अरिष्टासुर को मारने के पश्चात जब भगवान राधारानी और गोपियों के समक्ष गए कि 'चलो! अब हम रासलीला प्रारंभ करते हैं' तब गोपियों ने उनके साथ में रासलीला करने से एकदम मना कर दिया। उन्होंने भगवान के ऊपर एक आक्षेप लगाया कि "आपने एक बैल का वध किया है। एक तरह से आपने गोवंश की हत्या की है इसलिए हम आपके साथ क्रीड़ा नहीं कर सकते। आप हमसे दूर हट जाइए, हमें हाथ मत लगाइयेगा। आपको पहले इस ब्रह्मांड के समस्त तीर्थो में जा कर डुबकी लगानी होगी, स्नान करना होगा। उसके उपरांत जब आपका शुद्धिकरण हो जाएगा, तब हम आपके साथ में रास नृत्य करेंगी"। भगवान ने कहा,"अगर मैं सब तीर्थों में जाऊंगा, इसमें तो बहुत समय लगेगा। चलो! मैं अभी उन सब तीर्थों को यही आमंत्रित कर लेता हूं।" भगवान ने अपनी ऐड़ी से एक बहुत बड़ा कुंड बनाया जिसका नाम श्याम कुंड पड़ा। उसके बाद उन्होंने संपूर्ण ब्रह्मांड की सारी पवित्र नदियों, कुंडों सरोवरों और तालाबों इत्यादि को आमंत्रित किया और उस कुंड को पवित्र जल से भर दिया और भगवान ने उसमें स्नान किया। तत्पश्चात जब गोपियों ने कहा कि "अब आप पवित्र हो गए हैं, अब हम आपके साथ-साथ रासलीला कर सकते हैं" , परंतु भगवान ने उन से मना कर दिया कि "नहीं! अब आप सब मुझसे दूर हो जाओ क्योंकि आप लोगों ने यह जानते हुए भी कि अरिष्टासुर एक राक्षस था, आपने मेरे ऊपर दोषारोपण किया है। मैं भी आपके साथ तब तक कोई क्रीड़ा नहीं करूंगा जब तक आप सब भी संपूर्ण तीर्थों में स्नान करके नहीं आती।" यह सुनकर गोपियां एक प्रकार से बहुत बड़ी दुविधा में पड़ गई कि वह सब अब जल कहां से लेकर आएंगी। उन्होंने पास में जहां अरिष्टासुर ने काफी उत्पात करके बहुत बड़ा गड्ढा बना दिया था, गोपीजनों ने उसी कुंड/ गड्ढे को अपने कंगनों से खोद कर थोड़ा और बड़ा किया। उसके पश्चात सब गोपियां एक पंक्ति बनाकर कुसुम सरोवर तक खड़ी हो गयी और एक घट घट में जल को लाइन से लाते हुए इस कुंड को भरने लगे लेकिन उसमें इतना समय लग रहा था। ये सारी गोपियों के लिए एक कड़ी एक्सरसाइज भी थी, भगवान को गोपियों पर दया आ गई। तब भगवान ने उनसे कहा कि " यदि आप चाहें तो आप ऐसा कर सकते हैं, मेरे कुंड से अपने कुंड को जोड़ लीजिए, इस प्रकार से आपके कुंड में भी सारे तीर्थों का जल आ जाएगा" परंतु राधा रानी और गोपीजनों ने मना कर दिया कि "हमें आपके कुंड का जल नहीं चाहिए।" तब सभी पवित्र तीर्थ, नदियां और सरोवर इत्यादि जो जल रूप में थे वह सब प्रकट हो गए और उन्होंने श्रीमती राधारानी के चरणों में प्रार्थना की, "कृपया! आप हमें अपनी सेवा करने का एक मौका दीजिए। आप हमारे जल का इस्तेमाल कीजिए।" तत्पश्चात राधारानी ने श्याम कुंड से राधा कुंड के बीच में एक ब्रिज/टनल जैसा बनाया जोकि आपने देखा होगा। राधाकुंड और शामकुंड का यह संगम आज रात्रि में बना था जिससे कि आज रात्रि में ही राधाकुंड का जल प्रकट हुआ था आज राधाकुंड का प्रकाट्य दिवस है। कुछ भक्त आज मुझे स्मरण करा रहे हैं कि आज उनका जन्मदिन भी है। अहमदाबाद से शुभ लक्ष्मी माताजी बता रही हैं कि आज के दिन उनकी दीक्षा हुई थी मुझे भी स्मरण हो रहा है कि आज ही के दिन 1972 में राधा कुंड अविर्भाव तिथि के दिन, मैं प्रभुपाद के साथ वृंदावन के राधा दामोदर मंदिर में था। उस दिन वहां श्रील रूप गोस्वामी प्रभुपाद जी की भजन कुटीर और समाधि मंदिर के आंगन में एक उत्सव मनाया गया था। राधाकुंड आविर्भाव दिवस बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है। इस पवित्र कार्तिक अथवा दामोदर मास में राधा दामोदर मंदिर जो कि हम रूपानुगों के लिए जो अत्यंत ही श्रेष्ठ स्थान हैं। वहाँ पर श्रील रूप गोस्वामी प्रभुपाद की समाधि मंदिर और भजन कुटीर पर श्रील प्रभुपाद जी हमारे सामने ही तमाल वृक्ष के नीचे बैठ कर माला पर जप कर रहे थे। उसी दौरान श्रील प्रभुपाद जी ने मुझे बुलाया और मेरी माला पर भी जप किया और मुझसे पूछा कि चार नियम कौन कौन से हैं ? मैंने श्रील प्रभुपाद को चार नियम बताए। उसके उपरांत श्रील प्रभुपाद जी ने अपने हाथ से मेरे हाथ में माला दी और कहा "कम से कम 16 माला का नियमित जप करना और तुम्हारा नाम पड़ता है लोकनाथ।" मेरे माता-पिता ने मुझे रघुनाथ नाम दिया था और मैं अब श्रील प्रभुपाद का लोकनाथ बन गया था। इस प्रकार से यह मेरा आध्यात्मिक जन्मदिन है। मेरे शरीर का जन्म तो अन्यत्र कहीं हुआ था परंतु मेरी आत्मा का शुद्धिकरण अथवा पुनर्जन्म राधा दामोदर जी के प्रेम से, राधा दामोदर के मंदिर में ही बहुला अष्टमी के दिन श्रील प्रभुपाद जी के द्वारा दीक्षा देकर हुआ था राधा दामोदर की जय! राधाकुंड की जय! श्रील प्रभुपाद की जय! आप सभी को आज बहुला अष्टमी की बहुत-बहुत बधाई हो आपको आज के इस दिन की बधाई हो। आपको दामोदर मास की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। उन भक्तों को बहुत शुभकामनाएं है जिनका आज आध्यात्मिक जन्मदिन है। आज मेरे पास भी प्रसन्न होने के पर्याप्त कारण हैं। आज ही के दिन मेरा आध्यात्मिक जन्म हुआ था। आज मेरा आध्यात्मिक बर्थडे(जन्मदिवस) है। गौर प्रेमानंदे! हरि! हरिबोल!

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