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*जप चर्चा* *20 अक्टूबर 2021* *पंढरपुर धाम से* हरे कृष्ण आज 925 स्थानों से प्रतिभागी जप कर रहे हैं, हरि बोल ! गुड नंबर, बैटर नंबर , स्वागत है। बैटर नंबर का कुछ कारण भी होगा अधिक संख्या आप जानते ही हो इसलिए हरि हरि ! आज अति विशेष दिन भी है और रात्रि भी, *श्रीबादरायणिरुवाच भगवानपि ता रात्री : शारदोत्फुल्लमल्लिकाः । वीक्ष्य रन्तुं मनश्चक्रे योगमायामुपाश्रितः ॥* (श्रीमद भागवतम 10.29.1) अनुवाद - श्रीबादरायणि ने कहा : श्रीकृष्ण समस्त ऐश्वर्यों से पूर्ण भगवान् हैं फिर भी खिलते हुए चमेली के फूलों से महकती उन शरदकालीन रातों को देखकर उन्होंने अपने मन को प्रेम - व्यापार की ओर मोड़ा । अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने अपनी अन्तरंगा शक्ति का उपयोग किया । भगवान आज रात्रि को या फिर यह भागवत में भी कहा है केंटो नम्बर 10 चैप्टर 29 टेक्स्ट नंबर 1 जहां महारास की रात्रि है और जिस महारास के वर्णन के 5 अध्याय भी है। इसे रास पंचाध्य भी कहते हैं किंतु इन अध्यायों को भागवत का प्राण भी कहा है। रास क्रीड़ा की रात्रि और फिर वह रात्रि कल्प तक लंबी हो गई नॉट जस्ट फ़ॉर ट्वेल्व ऑवर और कैसे ? वह भी समझने की बात है। ब्रह्मा का एक दिन और एक रात होती है और ब्रह्मा के दिन को कल्प कहते हैं फिर रात भी उतनी ही लंबी होती है। कल उत्सव है श्रीकृष्ण रास उत्सव या श्रीकृष्ण शरदीय रास उत्सव, शरद ऋतु की रास यात्रा, रस से हुआ रास, रस का समूह इतना रस इतना रस की श्रीकृष्ण स्वयं भी रसेषय हैं अर्थात रस की मूर्ति स्वयं श्रीकृष्ण ही हैं तो एंजॉयएड रास डांस टुनाइट, इसे शारदीय रास कहते हैं। वृंदावन में यह प्रसिद्ध उत्सव मनाया जाता है और इसी के साथ आज से शरद ऋतु भी प्रारंभ हो रहा है । वैसे टेक्निकली कल से है क्योंकि आज की रात्रि को रास क्रीडा प्रारंभ जरूर हुई किंतु कार्तिक मास शरद ऋतु का मास है अश्विन और कार्तिक, राइट, आज अश्विन महीने की पूर्णिमा है । आपकी जानकारी के लिए, साल में छह ऋतु होते हैं वसंत ऋतु फिर ग्रीष्म ऋतु फिर वर्षा ऋतु फिर शरद ऋतु फिर हेमंत ऋतु और फिर शिशिर ऋतु, इस प्रकार 12 माह छह ऋतु, दो दो महीने की एक ऋतु होती है । अश्विन और कार्तिक दो मास मिलाकर शरद ऋतु होता है। आज शरद ऋतु की पूर्णिमा है । शरद पूर्णिमा भोजा गिरी पूर्णिमा महाराष्ट्र में कहते हैं, इसी के साथ दामोदर मास भी प्रारंभ हो रहा है। दामोदर मास जो चातुर्मास का चौथा और अंतिम मास है। चतुर्मास चल रहा है तो आज से चौथा मास प्रारंभ हो रहा है । दामोदर मास की बहुत सारी महिमा है और इस मास में कई सारे बड़े-बड़े उत्सव मनाए जाते हैं क्योंकि भगवान की बड़ी-बड़ी महत्वपूर्ण लीलाएं संपन्न होती हैं इस मास में, बिगिनिंग विद दामोदर लीला, इसी महीने में दिवाली भी है। इसी महीने में हुई दिवाली के दिन ही कृष्ण ने अपने ही घर में चोरी की, डाका डाला, फिर कृष्ण को ओखल के साथ बांध दिया, दामोदर लीला भी इसी महीने में हुई है और यह महीना रासलीला के साथ ही प्रारंभ हो रहा है और गोवर्धन लीला भी इसी महीने में संपन्न हुई है। कार्तिक मास में गोवर्धन को भी धारण किया और बहुला अष्टमी के दिन राधा कुंड का प्राकट्य हुआ, राधा कुंड की जय ! वृंदावन के सभी स्थानों में राधा कुंड सर्वोपरि है क्योंकि राधा सर्वोपरि है इसलिए उनका कुंड भी सर्वोत्तम है। उस कुंड का प्राकट्य इसी महीने में हुआ और आविर्भाव तथा तिरोभाव दिवस भी है। श्रील प्रभुपाद का तिरोभाव तिथि महोत्सव भी इसी महीने में हुआ। हम उसको मनाएंगे और गोपाष्टमी वत्स पाल से अबुध गोपा, इसी महीने में श्रीकृष्ण पौगंड अवस्था को प्राप्त हुए ।यानी 5 साल के बाद छठवां साल भी इसी महीने में प्रारंभ हुआ अतः गोपाष्टमी भी मनाएंगे। कार्तिक मास में ही बहुला अष्टमी है। कृष्ण पक्ष की बहुलअष्टमी और शुक्ल पक्ष की है गोपाष्टमी फिर इसी महीने में ही जो एकादशी आएगी शुक्ल पक्ष की एकादशी, उत्थान एकादशी, शयन एकादशी के साथ कृष्ण भगवान विश्राम करते हैं "शयनी एकादशी" पंढरपुर में उस दिन बहुत बड़ा उत्सव होता है और अन्य स्थानों पर भी होता है । सोए हुए भगवान उत्थान एकादशी के दिन जग जाते हैं। तुलसी विवाह पूर्णिमा को होता है, अतः यह दामोदर मास तुलसी विवाह का मास भी है । इस प्रकार मैं सभी तो नहीं बता रहा हूं। हमारे नरोत्तम दास ठाकुर का तिरोभाव दिवस भी इसी महीने में है और गौर किशोर बाबा जी महाराज का तिरोभाव दिवस भी दामोदर मास में ही है। इतने सारे उत्सव और भी जो मैंने कहे भी नहीं, ये सारे दामोदर महीने में मनाए जाते हैं । सो ईट्स स्ट्रांग रिकमेंडेशन, कहा है इस दामोदर मास में, कार्तिक मास में वृंदावन वास करना चाहिए। वृंदावन में रहना चाहिए हरि हरि ! यदि वृंदावन में नहीं रह सकते यस ! सोच रहे हो? आपमे से कुछ लोग सोच रहे हैं लेकिन मेंटली तो रहना ही चाहिए । यहां आपका शरीर अहमदाबाद में हो सकता है या व्हाट एवर नागपुर में या हेयर एंड देयर , मिडल ईस्ट, लेकिन आप को मन से या दिल से इस मास में वृंदावन में रहना चाहिए वृंदावन वास करना चाहिए। यू शुड लूसिंग योर हार्ट इन वृंदावन ड्यूरिंग दिस मंथ, इस से पहले जब कभी आप यहां आए थे और चले तो गए, अपने अपने गांव नगर या देश व्हाट, दैन व्हाट हैपन? यू लॉस्ट योर हार्ट इन वृंदावन, उस हार्ट को खोजने के लिए, यू लॉस्ट योर हार्ट,नाउ यू कैन फाइंड योर हार्ट तो फिर वृंदावन आना होगा, गेट योर हार्टबैक और खोजते खोजते दैन यू लूज़ योर हार्ट मोर इन वृन्दावन, हार्ट को खोजते खोजते और अपने दिल को और खो बैठोगे। सो दिस इज़ द मंथ, गेट लॉस्ट इन वृंदावन, वृन्दावन में तल्लीन होना तल्लीन जो शब्द है उसे तत् + लीन तल्लीन ओम तत्सत अपने मन को लीन करना है। तत मतलब वृन्दावन, भगवान् भी होता है *स वै मनः कृष्णपदारविन्दयो र्वचांसि वैकुण्ठगुणानुवर्णने करौ हरेर्मन्दिरमार्जनादिषु श्रुतिं चकाराच्युतसत्कथोदये ॥* *मुकुन्दलिङ्गालयदर्शने दृशौ तद्धृत्यगात्रस्पर्शेऽङ्गसङ्गमम् । घ्राणं च तत्पादसरोजसौरभे श्रीमत्तुलस्या रसनां तदर्पिते ॥* *पादी हरे क्षेत्रपदानुसर्पणे शिरो हृषीकेशपदाभिवन्दने । कामं च दास्ये न तु कामकाम्यया यथोत्तमश्लोकजनाश्रया रतिः ॥* (श्रीमद भागवतम 9.4.18) अनुवाद - महाराज अम्बरीष सदैव अपने मन को कृष्ण के चरणकमलों का ध्यान करने में अपने को भगवान् का गुणगान करने में अपने हाथों को भगवान् का मन्दिर झाड़ने - बुहारने में तथा अपने कानों को कृष्ण द्वारा या कृष्ण के विषय में कहे गये शब्दों को सुनने में लगाते रहे । वे अपनी आँखों को कृष्ण के अर्चाविग्रह , कृष्ण के मन्दिर तथा कृष्ण के स्थानों , यथा मथुरा तथा वृन्दावन , को देखने में लगाते रहे । वे अपनी स्पर्श इन्द्रिय को भगवद्भक्तों के शरीरों का स्पर्श करने में अपनी घ्राण - इन्द्रिय को भगवान् पर चढ़ाई गईं तुलसी की सुगन्ध को सूँघने में और अपनी जीभ को भगवान् का प्रसाद चखने में लगाते रहे । उन्होंने अपने पैरों को पवित्र स्थानों तथा भगवत् मन्दिरों तक जाने में, अपने सिर को भगवान् के समक्ष झुकाने में और अपनी इच्छाओं को चौबीसों घण्टे भगवान् की सेवा करने में लगाया । निस्सन्देह, महाराज अम्बरीष ने अपनी इन्द्रियतृप्ति के लिए कभी कुछ भी नहीं चाहा वे अपनी सारी इन्द्रियों को भगवान् से सम्बन्धित भक्ति के कार्यों में लगाते रहे । भगवान् के प्रति आसक्ति बढ़ाने की और समस्त भौतिक इच्छाओं से पूर्णतः मुक्त होने की यही विधि है । अपने मन से चिंतन करना है स्मरण करना है वृन्दावन का और कृष्ण की वृंदावन लीलाओं का, दामोदर की यथासंभव निवास करना है। वैसे सब समय तो पूरे मास के लिए तो नहीं लेकिन कुछ दिनों के लिए तो आप आ ही सकते हो प्रयास कीजिए ट्राई योर बैस्ट, वैसे दामोदर व्रत भी होता ही है कई सारे व्रत होते हैं एकादशी का व्रत भी होता है पतिव्रत भी होता है पतिव्रता नारियां होती हैं, होनी चाहिए कई सारे व्रत, ब्रह्मचर्य का व्रत होता है ब्रम्ह्चारियों के लिए बृहद व्रत भी है। एकादशी व्रत यह भी दामोदर व्रत भी एक व्रत है। भक्तिरसामृत सिंधु में रूप गोस्वामी प्रभुपाद का रेकमेंडेशन है, दामोदर व्रत करना चाहिए तो चातुर्मास का व्रततो चल ही रहा है लेकिन चातुर्मास में भी एक व्रत होता है जो कि कुछ विशेष संकल्प या साधना के व्रत लिए जाते हैं। सभी मासों में दामोदर महीना सर्वोपरि है तो दामोदर मास दामोदर व्रत का पालन करना चाहिए। प्रतिदिन। आज से ही वैसे प्रारंभ हो रहा है तो दामोदरअष्ठक और दीपदान, आपको भी दीपदान करना है औरों से भी दीपदान करवाना है। आजकल इस्कॉन में कई सालों से मिडिल ईस्ट में जो दुबई है, दुबई का नाम दामोदर देश है , वहीं यह दामोदर ऑफरिंग लैंप या दीपदान की योजना प्रारंभ हुई और बहुत बड़ी संख्या में दीपदान करवाते हैं। मिडिल ईस्ट में कर रहे थे फिर धीरे-धीरे और नगरों में शहरों में देशों में हमारे शोलापुर में या शोलापुर ही क्यों, और स्थानों पर भी जैसे एशिया मॉरीशस या औरों को, आप औरों से करवा सकते हो यह भी एक व्रत है। दीप दान करना है, और उसे करवाना हरि हरि ! कृष्ण की लीला, श्रील प्रभु पाद की जो कृष्ण बुक है लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण उसका अध्ययन का आप संकल्प ले सकते हो और ब्रजमंडल दर्शन हमारी लिखी हुई पुस्तक या ग्रंथ उसको पढ़ सकते हो। कई सालों से भक्त पढ़ रहे हैं। चैप्टर ए डे , ब्रजमंडल दर्शन में 30 अध्याय हैं तो चैप्टर के डे ,कीप्स माया अवे, गेट फैमिली एंड फ्रेंड्स टुगेदर और आप पढ़ सकते हो, ऑनलाइन भी पढ़ सकते हो, शेयर कर सकते हो, ब्रजमंडल दर्शन यदि आपके पास बुक नहीं है तब आप उसे आर्डर करें, हिंदी में है, अंग्रेजी में है और अन्य कई सारी भाषाओं में उसका अनुवाद हो रहा है, रशियन स्पेनिश बंगाली मराठी, छोटी परिक्रमा भी हो रही है। बृजमंडल में पिछले साल राधा रमण महाराज केवल पांच शिष्यों के साथ थे , लेकिन इस साल देखते हैं छोटी परिक्रमा के साथ ऑफलाइन ऑन ग्राउंड परिक्रमा होगी। बारह वनों की चौरासी कोस परिक्रमा आज से प्रारंभ हो रही है। आज या कल से है और आज से वैसे ऑनलाइन परिक्रमा भी शुरू हो रही है। लास्ट ईयर भी हुई थी। वह परिक्रमा तो आसान है. अटेंड करना आपको कहीं आना जाना नहीं है। जीना वहां मरना वहां घर छोड़कर जाना कहां , आप घर तो छोड़ते नहीं ,होम डिलीवरी होगी परिक्रमा की, उसको भी अपने व्रत की लिस्ट में जोड़ सकते हो। एवरीडे वॉच, वॉच ऑनलाइन परिक्रमा, कल से मैं परिक्रमा में होऊंगा या होउंगी। ठीक है। अब हम यहीं विराम करते हैं। हरि हरि बोल !

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