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*जप चर्चा* *26 -01-2022* *पंढरपुर धाम से* हरे कृष्ण ! राधे गोपाल की जय ! वैसे मैं दिन में बोलने का प्रयास करने वाला हूं मराठी में होगा शेड्यूल में मेरा भी नाम है इसीलिए ठीक है। ऑनलाइन भी मैं कुछ कहना चाहता हूं। से फ़्यू वर्ड्स और अन्य शायद उस समय भी सुन सकते हैं और वैसे आप सभी सादर आमंत्रित हो आप को आमंत्रण दिया हुआ है कैजुअल भी है। इसको अरावडे ऑन लाइन फेसबुक ,भी देख सकते हो। स्टार्टिंग फ्रॉम राइट नाउ, टिल लेट नाइट प्रोग्राम चलते रहेंगे। आप सभी साक्षी बन सकते हो यू कैन विजिट, सुनो देखो, हरि हरि ! राधा गोपाल का आज प्राकट्य दिवस है। आप समझ गए ना "ब्रम्ह महोत्सव" आज के दिन 2009 में वैसे नित्यानंद की त्रयोदशी का दिन था आज के दिन राधा गोपाल प्रकट हुए। हैप्पी बर्थडे टू यू। आज हमारे राधा गोपाल का बर्थडे है विग्रह का प्राकट्य या विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ भगवान उस रूप में प्रकट होते हैं या फिर हम कह सकते हैं वह तो होता ही रहता है। *परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् | धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ||* (श्रीमद भगवद्गीता 4.8) अनुवाद- भक्तों का उद्धार करने, दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूँ | हर युग में भगवान अवतार लेते हैं और मैं तो कहूंगा कि आज के दिन 2009 में भगवान संभवामि भगवान प्रकट हुए राधा गोपाल के रूप में अरावडे में, यह प्राकट्य दिन है। तो क्या कहें, हम कौन हैं? भगवान ही हैं भगवान की कृपा से भगवान आज प्रकट हुए। हमने आज के दिन अपने गांव को ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र को ही एक भेंट दे दी गिफ्ट दे दिया। राधा गोपाल के रूप में हमारे गांव को या उस परिसर को, क्षेत्र को, हमने कृष्ण को दे दिया, ले लो, ले लो कृष्ण ! राधा गोपाल ले लो। यह तो प्रभुपाद की कृपा से ही संभव हुआ। जैसा आप सुन रहे थे आईडिया प्रभुपाद ने ही मुझे दे दिया। अरावडे मैं इस्कॉन होना चाहिए। उस किसान को हमारे गांव में इस्कॉन का प्रतिनिधि बनाओ। एक पर्चे में ऐसा प्रभुपाद ने मुझे लिखा था तब मुझे आईडिया आ गया। उसी के साथ आज के दिन फाइनली 2009 में हमारे इस्कॉन की स्थापना हुई। विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ और वैसे नंद के घर आनंद भयो रे, भगवान नंद महाराज के घर में प्रकट हुए और सारे गोकुल निवासी वहां पहुंचे थे उनका अभिवादन करने या उनको आशीर्वाद देने, आयुष्मान भव ! वैसे ही जब राधा गोपाल प्रकट हुए तो उस क्षेत्र के हजारों लाखों लोग वैसे ही अभी आप सुन ही रहे थे इस्कॉन के देश विदेश के डेवोटीस , लीडर्स , जीबीसी सन्यासी, प्रभुपाद डिसाइपल्स की उपस्थिति में, इस प्रकार यह संपन्न हुआ। डॉ श्याम सुंदर शर्मा जी भी थे और भी कई थे आप जानते हो, स्वागत किया सब फेस्टिवल को संभाल रहे थे। आप में से कुछ भक्त तो साक्षी भी हो उस दिन के हरि हरि ! *भारत-भूमिते हैल मनुष्य जन्म यार।जन्म सार्थक करि' कर पर-उपकार ॥* चैतन्य चरितामृत अदि 9. 41 अनुवाद- जिसने भारतभूमि (भारतवर्ष ) में मनुष्य जन्म लिया है, उसे अपना जीवन सफल बनाना चाहिए और अन्य सारे लोगों के लाभ के लिए कार्य करना चाहिए।" भारत में जन्मे हो तो जन्म को सार्थक करो। कैसे करोगे जन्म को सार्थक? करी कर पर उपकार, यह अंतरराष्ट्रीय श्री कृष्ण भावनामृत संघ , इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस संघ के इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद की जय ! श्रील प्रभुपाद रहे हैं और रहेंगे भी, यह इस्कॉन पर उपकार का काम कर रहा है। श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने कहा करी कर पर उपकार, जन्म सार्थक कैसे करोगे ? तो इस मंदिर की ओपनिंग के साथ कुछ परोपकार का कार्य करने का एक प्रयास हुआ और फिर वह एक सफल प्रयास, मंदिर और यह सब कार्य भगवान का ही है। इस्कॉन का कार्य श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु का कार्य है और भगवान ही स्वयं को दे रहे हैं। देट इज़ व्हाट इज हैपनिंग, भगवान कार्य कर रहे हैं या श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु कार्य कर रहे हैं। क्या कार्य कर रहे हैं ?स्वयं को दे रहे हैं मुझे ले लो, मुझे ले लो, कॉज एंड इफेक्ट, सर्वकारणकारणम्, *ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्दविग्रहः । अनादिरादिर्गोविन्दः सर्वकारणकारणम् ॥* श्लोक1 ब्रम्हसंहिता अनुवाद - सच्चिदानन्दविग्रह श्रीगोविन्द कृष्ण ही परमेश्वर हैं वे अनादि , सबके आदि और समस्त कारणों के कारण हैं ॥१ ॥ भगवान सर्व कारण कारणम और इफेक्ट क्या है या जो उसका परिणाम है वह भगवान है। कॉज एंड इफेक्ट कार्य और कारण दोनों भगवान ही हैं। आज के दिन भगवान ने स्वयं को दे दिया अरावड़े में और इस प्रकार चैतन्य महाप्रभु स्वयं को दे रहे हैं दुनिया वालों को या कृष्ण को दे रहे हैं।कृष्ण नो मोर इंडिया लिमिटेड, हो ही नहीं सकते। ही इज अनलिमिटेड हरि हरि ! यह जो कृष्ण भावनामृत संघ का कार्य है इसका हमको पार्ट एंड पार्सल बनना चाहिए। ऐसा करेंगे और हम समर्पित होंगे इसी को भगवान ने कहा है। *सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज |अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा श्रुचः ||* (श्रीमद भगवद्गीता १८.६६) अनुवाद- समस्त प्रकार के धर्मों का परित्याग करो और मेरी शरण में आओ । मैं समस्त पापों से तुम्हारा उद्धार कर दूँगा । डरो मत । सारी दुनियादारी या माया देट एंड, बस हो गया। स्टॉप, नॉनसेंस ! भगवान की शरण में आओ, राधा गोपाल की शरण में जाओ, राधा गोपीनाथ या भगवान के कितने सारे नाम हैं और भगवान सर्वत्र प्रकट हो रहे हैं उनकी शरण में जाओ और मुक्त हो जाओ,सुखी हो जाओ और यह कार्य कृष्णभावनामृत के प्रचार प्रसार का कार्य इसको प्राधान्य मिलना चाहिए। ऐसा श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर ने भी कहा, अभय बाबू को 1922 में, जब अभय बाबू गांधीवादी बन रहे थे, देश को स्वतंत्र करना है तब श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर ने कहा वी कैन नॉट वेट, पहले देश को स्वतंत्र करेंगे और फिर बाद में कृष्ण भावना मृत का स्वीकार करेंगे या प्रचार प्रसार या आचार विचार हो , नो ! कृष्ण कॉन्शसनेस कैन नॉट वेट , तो इंडिपेंडेंस का आज के दिन के साथ में कोई संबंध है देश को स्वतंत्र करना है। रिपब्लिक डे ऑफ इंडिया पता नहीं हरि हरि ! भारत-भूमिते हैल मनुष्य जन्म यार।जन्म सार्थक करि' कर पर-उपकार, चैतन्य महाप्रभु ने कहा है कृष्ण भावनामृत को स्वीकार करो और इस विचार के बनो ,ऐसा ही आचरण रखो और इसका प्रचार करो , फिर हम इंडिपेंडेंट हो जाएंगे, मतलब जब तक हम लोग भगवान पर डिपेंड नहीं करते, अर्थात भगवान पर डिपेंड करना होगा तभी हम लोग मुक्त होंगे, माया से मुक्त होंगे, अदर वाइज ऑल डिपेंडिंग ऑन माया, माया पर ही सब डिपेंड है। माया के भरोसे चल रहा है। रियल डिपेंडेंस तो तब होगा जब हम भगवान पर डिपेंड करना सीखेंगे या शुरू करेंगे। कृष्ण भावना यही सिखाती है। यही शिक्षाएं हैं जो इस देश की शिक्षाएं हैं हरि हरि !ठीक है इंडिपेंडेंट होने का संकल्प लो इन ट्रू सेंस हम लोग आज भी इंडिपेंडेंट नहीं हुए हैं। 75 साल तो हो गए। इस देश ने तथाकथित स्वतंत्रता को प्राप्त किया लेकिन अब भी हम माया के गुलाम हैं या विदेश के आचार विचारों से प्रभावित हैं। वेस्टर्न लाइफ़स्टाइल अभी हम इस पर निर्भर हैं। अंग्रेजों ने हमको चाय पिलाना सिखाया यू आर ड्रिंकिंग टी, यू आर नॉट इंडिपेंडेंट अंग्रेजों ने ऐसा ब्रेनवाशिंग कर दिया इंडियंस का और वह ब्रेनवाशिंग अब तक और ब्रेन डर्टी हमारे गंदे विचार नीच विचार हमारी खोपड़ी में हमने डाल दिए। अब उन्हीं को हम उच्च विचार मानते गए और मान रहे हैं यह बहुत दुर्भाग्य की बात है। यदि इस देश को किसी ने स्वतंत्र किया है या करने का प्रयास हो रहा है तो वह प्रयास है गौड़ीय वैष्णव आचार्यों के, उनके संतों के जो प्रयास रहे लाभकारी हैं। उसी से हम स्वतंत्र होंगे। पहले समझना भी तो चाहिए कि स्वतंत्र किससे होना है? (इंडिपेंडेंस फ्रॉम व्हाट द फर्स्ट क्वेश्चन) किस से स्वतंत्र होना है? श्रील प्रभुपाद ने वह कार्य प्रारंभ किया परंपरा से गौड़ीय वैष्णव परंपरा यह कार्य पिछले 500 वर्षों से कर रही है। तो ज्वाइन दिस मूवमेंट। छोड़ो भारत नहीं, छोड़ो माया, धन, यू आर इंडिपेंडेंट। हरि हरि !ठीक है। अब हम यही विराम देते हैं। निताई गौर प्रेमानंदे ! हरि हरि बोल !

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