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*जप चर्चा*, *वृंदावन धाम*, *29 अगस्त 2021* हरी बोल। गौर प्रेमानंदे हरि हरि बोल। हमारे साथ 781 स्थानों से भक्त जप कर रहे हैं। हरि हरि। जप चर्चा तो होगा ही किंतु हमने कल भी सूचना दी थी, आज 7:10 तक आपके साथ वार्तालाप होगा क्योंकि मुझको राधा श्यामसुंदर श्रृंगार दर्शन के लिए दौड़ना है और फिर मुझे श्रील प्रभुपाद गुरु पूजा के कीर्तन करने के लिए भी आदेश हुआ है। यह सारी सेवा मुझको निभानी है। हरी हरी। श्रीकृष्ण बलराम की जय। आप सब जानते ही हो कि हम वृंदावन पहुंचे हैं और फिर यहां कृष्ण बलराम के दर्शन हो रहे हैं और भक्तों से भी मिलन हो रहा है। आज प्रात: काल कृष्ण बलराम की आरती भी हमने बहुत समय के उपरांत उतारी। हम इसका अभाव अनुभव कर रहे थे और फिर जप करने लगे तो *हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे* मन में यह विचार आ रहा था कि यह भी तो आराधना है। मैंने विग्रह कृष्ण बलराम की आराधना करी और हरे कृष्ण हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना भी क्या है? आराधना ही है। वह विग्रह आराधना है और यह नाम की आराधना या उपासना है। *कृष्णवर्णं त्विषाकृष्णं साङ्गोपाङ्गास्त्रपार्षदम् ।* *यज्ञै: सङ्कीर्तनप्रायैर्यजन्ति हि सुमेधस: ॥ ३२ ॥* (श्रीमद भागवतम 11.5.32) अनुवाद: कलियुग में , बुद्धिमान व्यक्ति ईश्वर के उस अवतार की पूजा करने के लिए सामूहिक कीर्तन ( संकीर्तन ) करते हैं , जो निरन्तर कृष्ण के नाम का गायन करता है । यद्यपि उसका वर्ण श्यामल ( कृष्ण ) नहीं है किन्तु वह साक्षात् कृष्ण है । वह अपने संगियों , सेवकों , आयुधों तथा विश्वासपात्र साथियों की संगत में रहता है । भागवतम कहता है कि बुद्धिमान लोग *सुमेधसः* क्या करेंगे? *यजन्ति* यानी आराधना करेंगे। कैसे आराधना करेंगे? *यज्ञै:* यज्ञ करके। कौन सा यज्ञ? *सङ्कीर्तनप्रायैर्य* संकीर्तन यज्ञ। संकीर्तन यज्ञ ही आराधना है। श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु की जय। यह आराधना और पद्धति श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने पूरे संसार को सिखाई। जब मैं जप कर रहा था तब कृष्ण याद आ रहे थे। याद आने चाहिए कि नहीं? जप आराधना का उद्देश्य यही है कि श्रीकृष्ण का स्मरण हो जाए। भगवान को हम याद कर सके। फिर मुझे वह गीत भी याद आ रहा था। (1) यसोमती-नंदन, ब्रज-बरो-नागर, गोकुल-रंजन कान गोपी-परान–धन, मदन-मनोहर, कालिया दमन विधान (2) अमला हरिनाम अमिय विलास विपिन-पुरंदरा, नवीना नगर-बोरा, बमसी-बदाना सुवास (3) ब्रज-जन-पालन, असुर-कुल-नासन नंदा-गोधन-रखोवाला गोविंदा माधव, नवनिता-तस्करा, सुंदर नंद-गोपाल (4) यमुना-तट-चारा, गोपी-बसाना-हारा, रस-रसिका, कृपामय: श्री-राधा-वल्लभ, वृंदाबन-नटबारा, भक्तिविनोद-आश्रय यशोमती नंदन क्योंकि अब जन्माष्टमी आ रही है। कल ही है। कितने दिन दूर है? जन्माष्टमी में बस एक दिन बचा है। मैं यह भी याद कर रहा था कि जन्माष्टमी के दिन यह गीत गाया जाता है और इस्कॉन में हम कई सारे गीत और भजन गाते रहते हैं। उनमें से यशोमती नंदन प्रसिद्ध गीत है। मैंने भी जब गीत सीखा। जब मैं इस्कॉन हरे कृष्ण लैंड मुंबई में नया भक्त था। पहले कुछ मैंने भजन सीखे उसमें से एक यशोमती नंदन गीत है, प्रसिद्ध है। श्रील भक्तिविनोद ठाकुर की रचना है। यह गीत है और यह ध्यान(मेडिटेशन) है। जब हम इस गीत को गाते हैं। हम इसको सुनते भी हैं। यह पूरा गीत हमको कृष्ण का स्मरण दिलाता है। हरे कृष्ण हरे कृष्ण जप हो भी रहा है और साथ में यह भजन याद आए, तो अच्छा है। यशोमती नंदन और यह भी नाम ही है। वैसे तो पूरा यशोमती नंदन गीत और भजन है। यह एक-एक भगवान का नाम है और कुछ नाम भगवान का यशोदा के साथ जो संबंध है उसको स्मरण दिलाता है या कोई लीला का स्मरण दिलाता है या फिर कुछ भगवान के गुण का स्मरण दिलाता है। तो ऐसे भगवान के नाम बन जाते हैं। भगवान के अनेक नाम है। विष्णु सहस्त्रनाम भगवान के नाम ही नाम है। नाम कैसे बनते हैं? भगवान के रूप का, गुण का, लीला का और यहां तक कि धाम का भी उल्लेख करते हैं। उसका स्मरण दिलाते हैं। हम ऐसे समझ सकते हैं कि भगवान के अलग-अलग नाम है। भगवान के अलग-अलग नाम क्यों हैं? क्योंकि भगवान के कई सारे गुण हैं। किसी नाम से उस गुण का उल्लेख होता है। भगवान कितने सुंदर है। सुंदर लाला सचिर दुलाला, सचीर दुलाल है वह भी सुंदर है। फिर सुंदर लाल नाम बन जाता है। कृष्ण ही बन जाते हैं। कृष्ण ही है या गौर सुंदर श्याम सुंदर ही है। यह नाम है। भगवान का एक नाम श्यामसुंदर है। यह सौंदर्य का स्मरण दिलाता है। कैसे सुंदर है? श्यामसुंदर है। घन इव श्याम और दूसरे हैं गौर सुंदर। वह भी सुंदर है। लेकिन वह गौर वर्ण के हैं तो गौर सुंदर। श्याम वर्ण के है तो श्यामसुंदर। तो नाम,रूप, गुण, लीलाओं का और धाम का वृंदावन बिहारी लाल की जय, और एक नाम हो गया। वृंदावन बिहारी, वृंदावन में बिहार करते हैं। हम यशोमती नंदन गीत को गाएंगे तो नहीं किंतु सुनाएंगे। गायन ही हो जाता है। गोलोक में बोलना भी गान ही है चलना भी नृत्य ही है। उस दृष्टि से यह गान ही है। *यसोमती-नंदन ब्रज-बरो-नागर* यशोमती नंदन, यशोमती मैया के यह नंदन है। ऐसे देवकीनंदन भी है। नंदनंदन भी है या तो यशोमति नंदन कहा है। लेकिन वह वह कईयों के नंदन है। वैसे ब्रज की हर स्त्री कृष्ण को अपने पुत्र के रूप में स्वीकार करती है। तो वह सभी के नंदन है। ब्रजवासियों के नंदन है। विशेष रुप से यशोमती नंदन है। *ब्रज-बरो-नागर* वृंदावन के प्रेमी है। *गोकुल-रंजन कान* कृष्ण कन्हैया लाल की जय। कान्हा बड़ा प्रसिद्ध नाम है। *गोकुल-रंजन कान* जब गीत लिखे जाते हैं कान्हा का कान लिख सकते हैं। काव्य लाइसेंस मिलता है। कभी ऐसे शब्दों को कभी थोड़ा अपभ्रंश भी हो जाता है किन्तु यह समस्या नहीं है। तो कान यहां कहां है। यह गोकुल वासियों के कान्हा है। सभी गोकुल वासियों के आकर्षण हैं। *गोपी-परान–धन* वैसे गोपी-प्राणधन होना चाहिए था। गोपी प्राणधन का गोपी-परान–धन हुआ। *राधा कृष्ण प्राण मोर जुगल किशोर*। यह गोपियों के प्राण है। गोपियों के प्राणधन है, धन है। तो क्या वह सिर्फ गोपियों के प्राण धन है? औरों के प्राणधन है कि नहीं? और आपके प्राणधन कौन हैं? जब हम सुनते हैं यह गोपियों के प्राण धन है।

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