Hindi

8-1-2020 भगवत गीता मैराथन। जब हम जप करते हैं तो इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। परंतु वह सभी से प्रसन्न नहीं होते। भगवान की प्रसन्नता हमारे जप के ऊपर निर्भर करती है। कुछ भक्तों से भगवान बहुत अधिक प्रसन्न होते हैं। यह हमारी भाव भक्ति तथा अपराध विहीन जप एवं जप की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। ऐसा भी हो सकता है कि यद्यपि हम जप कर रहे हैं परंतु भगवान हमसे अप्रसन्न हो सकते हैं। उनकी अप्रसन्नता का कारण कई हो सकता है जैसे हमने पूरे दिन क्या किया। जप करते समय हम भगवान से उनकी सेवा के लिए याचना करते हैं परंतु जब हमें कोई सेवा मिलती है और तब यदि हम वह सेवा नहीं करें तो इससे भगवाना प्रसन्न हो जाते हैं। तुकाराम महाराज कितने अधिक प्रेम से भगवान का भजन करते थे? अकाम: सर्व कामो वा, मोक्ष काम उदारधी। तिव्रेण भक्तियोगेन यजेत पुरुषं परम ।। जप करते समय तुकाराम महाराज पुनः भगवत धाम जाने के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे थे। वे अपनी आध्यात्मिक सेवाओं में अत्यंत गंभीर रूप से संलग्न थे। वे अत्यंत आतुर होकर भगवान से प्रार्थना करने लगे मुझे आपकी बहुत याद आ रही है कृपया आप मुझे पुनः अपने घर बुला लीजिए। इस प्रकार इस भाव के साथ में भगवान से प्रार्थना कर रहे थे। जप करते समय हम भगवान के साथ फोन कॉल पर होते हैं। गुह्यं आख्याति प्रच्छति, षड विध प्रीति लक्षणम् । यह एक विधि है जिसके माध्यम से हम भगवान के समक्ष अपने ह्रदय की बात कहते हैं। जप भगवान के साथ हमारी अपॉइंटमेंट है। हम जैसे ही उठते हैं वैसे ही भगवान के साथ हमारी अपॉइंटमेंट प्रारंभ हो जाती है। भगवान सदैव हमारी कॉल उठाने के लिए तैयार रहते हैं। वह सातों दिन 24 घंटे तत्पर रहते हैं। जिस प्रकार अस्पताल में डॉक्टर सदैव तैयार रहते हैं उसी प्रकार भगवान भी अपने भक्तों के साथ बात करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। जब हम भगवद्गीता पढ़ते हैं तब भगवान हमसे प्रसन्न होते हैं जब हम भगवत गीता का वितरण करते हैं तथा अन्यों से हरी नाम का जप करने की प्रार्थना करते हैं तो इससे भगवान और अधिक प्रसन्न होते हैं। जो भगवान के इस ज्ञान को वितरित करता है तथा अन्य को इसे पढ़ने में लगाता है उससे भगवान बहुत अधिक प्रसन्न होते हैं। जो भगवत गीता वितरण का कारण बनते हैं वह भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं। जब हम स्वयं जप करें तथा अन्य को भी जप करने के लिए प्रेरित करें तो इससे अधिक प्रसन्नता भगवान को और किसी से नहीं हो सकती। अभी-अभी गीता मैराथन संपन्न हुआ है। क्या आपने भगवत गीता का वितरण किया? आपने कितनी पुस्तकों का वितरण किया? नोएडा से राधिका ने 32 भगवत गीता का वितरण किया। अन्य सभी भी अपना-अपना स्कोर बताइए। आप धीरे-धीरे टाइप कीजिए। यदि आप धीरे-धीरे टाइप करेंगे तो मैं आप सभी के स्कोर देख पाऊंगा। आप सभी भी इस स्कोर को पढ़ सकते हैं। भगवान आप सभी से अत्यंत प्रसन्न हुए होंगे । इस प्रकार बहुत अधिक मात्रा में भगवत गीता का वितरण हुआ है। आपने अभी तक अपना स्कोर नहीं बताया। अतः जो कुछ भी आपने यहां लिखा है उसे नोट कर लिया गया है। ना केवल मैंने परंतु सभी भक्तों ने भी उस स्कोर को पढ़ा है। जारे देखो तारे कहो कृष्ण उपदेश। जप का श्रवण करने का महत्व है। जप करते समय हम भगवान से उनकी सेवा के लिए याचना करते हैं। भगवान आपको वह बुद्धि भी प्रदान करते हैं। जब आप पुस्तक वितरण करते हैं तो इससे हर कोई प्रसन्न होता है श्रील प्रभुपाद से प्रसन्न होते हैं, सभी आचार्य से प्रसन्न होते हैं तथा मैं स्वयं इसे बहुत प्रसन्न होता हूं। यह जप की पूर्णता है। यदि कोई अभी भगवद्गीता नहीं पढ़ेगा तो वह भविष्य में यह भगवत गीता पढ़ सकता है। भगवत गीता का संदेश सदैव ताजा रहता है तथा कभी पुराना नहीं होता। आप सभी के पास अभी यह मौका है आप अपना अपना स्कोर बता सकते हैं। (इसके पश्चात सभी भक्त अपना अपना स्कोर बताते है ) आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं आशा करता हूं कि श्रील प्रभुपाद आप सभी से प्रसन्न होंगे। श्री श्री गुरु गौरांग की जय हो। भगवत गीता मैराथन की जय हो।

English

8th January 2020 Bhagavad-Gita Marathon When we chant, the Lord is pleased. But, he is not pleased with everyone. His pleasure depends on how we chant. He is pleased with a very few devotees. It depends on our bháva, bhakti without offences and the quality of our Japa. Might be Lord is displeased with us even if we are chanting. There might be several reasons which might displease Him like how we behave throughout the day. We beg for service during chanting but if we don’t render service to Him then He gets displeased. With how much love Tukarama Maharaja chanted? Right now I am in Pandharpur, and yesterday evening we had class on Srimad- Bhagavatam where we were remembering Tukarama Maharaja. He was chanting in Dehu with other devotees. akamah sarva-kamo va moksa-kama udara-dhih tivrena bhakti-yogena yajeta purusam param Translation A person who has broader intelligence, whether he be full of all material desire, without any material desire, or desiring liberation, must by all means worship the supreme whole, the Personality of Godhead.[SB 2.3.10] While he was chanting, he was desiring to go back to Godhead. He was very intense in his devotional service. He was very adamant to go home and was saying I’m missing you, bring me back to home. So, with this intense devotion, he was having conversation with the Lord. When we chant, we directly connect to the Lord via a phone call. guhyam akhyati prcchati bhunkte bhojayate caiva sad-vidham priti- laksanam [NOI 4] So this system is there to open up our heart to the Lord during chanting. We have appointment with Lord. Japa is an appointment with the Lord. We make an appointment as soon as we get up. He is ready to receive our call all the time( 24 hours a day, 7 days a week). He is ready on all the days as doctors are ready in the hospital. When we read Bhagavad-Gita, then the Lord is pleased. When we distribute Bhagavad-Gita and ask others to chant then Lord is more pleased with the one who distributes this knowledge and also encourages others to read it. Those who have become the cause of delivering the Bhagavad-Gita pleases the Lord. If we chant and also inspire others to chant by telling the glories of holy name then He is much more pleased. Just now Gita Marathon took place. Did you distribute Bhagavad-Gita? How many books did you distribute? Radhika from Noida did 32. Others please write. Please type gradually. You can also read scores. Lord is very pleased with all of you. Lots of Bhagavad-Gitas have been distributed. You were not reporting. So whatever has been written has been noted, Not only by me but by all participants. yare dekha, tare kaha krsna'-upadesa There are benefits of hearing japa. You beg for service. Lord gives you intelligence. As you distributed books, then we are pleased - Srila Prabhupada, acaryas and myself. This is perfection of chanting. So many people will read Bhagavad-Gita if not now, then in future. News from Bhagavad-Gita will always remain fresh and never become old. I think most of you had opportunity to announce scores. Congratulations all of you! Thank you very much. May Srila Prabhupada bless you all! All Glories to Guru Gauranga! All glories to Bhagavad-Gita Marathon!

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