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जप चर्चा,
18 मार्च 2022,
मायापुर धाम.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सवों में पर्वों में सर्वोपरि उत्सव, पर्व है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव की जय! जन्माष्टमी सर्वोपरि उत्सव है, इसमें कोई दोराह नहीं है आज तक। गौर पूर्णिमा महोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव से बिल्कुल कम नहीं है। यह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जैसी ही है या कुछ अधिक ही है। जो श्रीकृष्ण, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रकट हुए। वह बन गए श्रीकृष्णचैतन्य महाप्रभु और वह प्रकट हुए गौर पूर्णिमा के दिन मतलब आज के दिन। गौर पूर्णिमा महोत्सव की जय! आज गौर पूर्णिमा है। फाल्गुन पूर्णिमा भी है और भी क्या क्या नाम है। और भी नाम है लेकिन ढोल यात्रा भी है, आपकी भाषा में बंगाल में और होली यात्रा भी है। होली भी है कुछ स्थानों पर। मैं कहते रहता हूं, तुम कहो तो अच्छा ही है यहां सब बातें। 536 वर्ष पूर्व आज के दिन, आज के दिन लेकिन दिन में नहीं सायंकाल के समय सूर्यास्त और चंद्रोदय के समय, एक और सूर्यास्त हो रहा था पश्चिम में पूर्व दिशा में चंद्रोदय होने जा रहा था। उस क्षण इसी धाम में इसी धाम में मैं इसलिए मैं कह रहा हूं कि मैं धाम में हूं इस समय। और मैं आपसे वार्तालाप कर रहा हूं। जो सुन रहे हैं, मुझे विश्वभर के भक्त देशभर के भक्त उनके लिए। मैं उस स्थान से बात कर रहा हूं, या उस कक्ष से मैं बात कर रहा हूं, जिस कक्ष के खिड़की से में योगपीठ जन्मस्थान चैतन्य महाप्रभु के जन्मस्थान का मंदिर का शिखर मुझे यहां से दिखाई देता है। इतने निकट मैं भी हूं और आप भी हो जो यहां मेरे समक्ष उपस्थित हैं। और आज तो क्या कहना इतनी बड़ी संख्या में गौर भक्त ही कहना होगा उनको जो आज पधारे हैं और दिन भर में पधारने वाले हैं। उसी स्थान से यह वार्तालाप हो रहा है आपके साथ। यहां श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु प्रकट हुए। हरिबोल!!
श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु दया करो मोरे ।
तोम बिन के दयालु जगत् संसारे ॥
पतित पावन हेतु तव अवतार ।
मोसम पतित प्रभु ना पाइबे आर॥
बस इतना ही कहने की आवश्यकता है। चैतन्य महाप्रभु को संबोधित करते हुए श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु दया करो मोर और आप कहोगे दिल से कहोगे, श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु दया करो मोरे तो श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु आप पर दया करेंगे। बस इतना कहने कि आवश्यकता है। आज जन्म दिवस है। महाप्रभु का जन्म दिवस है कल बर्थडे पार्टी है। गौरांग! गौरांग! गौरंगा! जब बर्थडे पार्टी होती है किसी की, कुछ भेज उपहार लेकर जाते हैं, बर्थडे गिफ्ट। पता नहीं आप कोई गिफ्ट लाए हो या लाने वाले थे पता नहीं लेकिन, मैं यही सोच रहा था कि, सबसे अच्छा उपहार दो तो यह है कि, आप स्वयं ही स्वयं को लाकर आत्मनिवेदन करो। स्वयं को अर्पित करो। त्वदीयवस्तु गोविंद तुभ्यं एव समर्पये और हम में वैसे वस्तु भी नहीं है हम तो जीवात्मा है। हमारा एक वचन है कि, भगवान सारी वस्तुएं आपकी है या हमारा पास जो भी है आपका है।तुभ्यं एव समर्पये लेकिन कई बार हम वस्तुएं तो अर्पित करते हैं लेकिन स्वयं को अर्पित नहीं करते है। यह ले लो, यह उपहार ले लो, हमारे पास जो वस्तु है, आपके हैं। पत्रं पुष्पं फलं तोयम या यत्करोसी यतज्ञासि.... चैतन्य महाप्रभु के बर्थडे के उपलक्ष्य में अगर हम बेस्ट गिफ्ट यही होगा, स्वयं को ही समर्पित करेंगे। तो, इस बर्थडे पार्टी का यह भी वैशिष्ट्य विशेषता है कि जिसका बर्थडे हैं वह भी आपको गिफ्ट देंगे। हरि बोल! आप दे या ना दे, देना तो चाहिए हमारी ओर से भी, बेस्ट गिफ्ट तो हम स्वयं को ही दे दे। निसंकोच हम स्वयं को दे सकते है। श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु भी हम को गिफ्ट देंगे और वह गिफ्ट वस्तु है जिसको श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु गोलोक से जब आज के दिन प्रकट हो रहे थे, आज के दिन गोलोकंच परित्यज लोकानाम त्रानकारणात, आते आते श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभुने गोलोक की जो मूल्यवान वस्तु है या भेंट है उसकों लेकर आए। उन्होंने सोचा ही होगा कि, मैं जब यहां पर आऊंगा मुझे मिलने के लिए, कुछ भेट वस्तु दे देंगे तो मुझे उसके बदले कुछ देना होगा। कुछ भेट वस्तु देना होगा और वह भेट है गोलोकेर प्रेमध हरिनाम संकीर्तन श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु गोलोक वृंदावन से, गोलोक वृंदावन कि जो सबसे मूल्यवान भेंट वस्तु है वह लेकर आए। और वहां मूल्यवान वस्तु है,
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। और समझने की बात यह है कि, हमने तो समर्पित किया स्वयं को भगवान को समर्पित किया। उसके बदले में हम तो कह रहे हैं कि हम को गिफ्ट देंगे। मंत्र देंगे महामंत्र देंगे हरिनाम देंगे, मतलब क्या दिया, भगवान ने महामंत्र दिया मतलब क्या दिया सोचने की बात है। क्या दिया, भगवान ने गिफ्ट तो दिया यह तो बहुत अच्छी बात है आपने स्वयं को दिया महाप्रभु को। महाप्रभु भी स्वयं को आपको देंगे। हरि बोल! क्योंकि कलीकाले नामरुपे कृष्णावतार जहां हरे कृष्ण हरे कृष्ण नाम क्या है? यह अवतार है। और वैसे उस दिन 536 वर्ष पुर्व सायंकाल में श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु प्रकट हुए। निमाई, निमाई, निमाई प्रकट हुए सायंकाल मे लेकिन, दिन में भगवान प्रकट हो रहे थे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। महामंत्र के रूप में, चैतन्य महाप्रभु दिनभर अवतार ले रहे थे। उस दिन चंद्र ग्रहण का दिन था। तो जब चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण होता है। उस दिन लोग क्या करते हैं, गंगा जमुना यहां वहां या गंगा सागर है और तीर्थ बार-बार गंगा सागर एक बार ऐसा भी कहते हैं। लोग जाते हैं। जहां तीर्थ हैं या कुंड है वहां जाकर स्नान करते हैं। जिस दिन चैतन्य महाप्रभु प्रकट होने वाले थे उस दिन हजारों लाखों लोग चैतन्य भागवत में वर्णन किया है वृंदावनदास ठाकुरने। दिन में लोग स्नान करते हुए, हरिबोल! हरिबोल! हरिबोल! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। नाम ले रहे थे। मतलब भगवान स्वयं को उन जप कर्ताओं को, कीर्तन कर्ताओं को, कीर्तनकार कीर्तन करने वालों को स्वयं को दे रहे थे, या लेना-देना चल रहा था। आपने मुझे दे दिया। अब मैं आपको दे देता हूं। कुछ इस तरह का यह लेनदेन है। आपने स्वयं को मुझे 100% दे दिया।
ये यथा माँ प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम् ।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥
ऐसा भी श्रीकृष्णा वचन दिए हैं भगवदगीता में। आप जितना शरण देते हैं वैसा ही उतना ही आत्मा को प्रकट होता हूं तांस्तथैव भजाम्यहम् यह तो कहना कठिन है लेकिन, समझना कठिन है जो जितनी मेरे शरण लेता है उस व्यक्ति का में भजन करता हूं। भगवान भजन करते हैं।
हरि हरि, मेरी ओर से भी आप सभी को गौर पूर्णिमा महोत्सव की शुभकामनाएं। आप सबको गौरांग महाप्रभु के जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूं। आप भी आनंदी हो जाओ, इस बर्थडे पार्टी में सम्मिलित होकर और अनुभव करके। चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव प्राक़ट्य दिन गौर पूर्णिमा महोत्सव। आप आज के दिन वैसे कई सारे असंख्य लोग हैं, जिनको गौर पूर्णिमा वह क्या होती है? हजारों लाखों को यह पता नहीं है। ना तो उनको नवद्वीप मायापुर पता है। मायापुर, हम जब पदयात्रा करते हुए आ रहे थे 1976 की बात है। वृंदावन से मायापुर आ रहे थे. रास्ते में लोग पूछते महाराज महाराज कहां जा रहे हो। हम जब कहते कि हम मायापुर जा रहे हैं तब महाराज होकर भी मायापुर जा रहे हो। माया का पुर, माया की नगरी है, महाराज माया की नगरी जा रहे हैं। लोग नहीं जानते थे मायापुर कहां है, क्या है। और अब तक पता नहीं है लेकिन, महाप्रभु की कृपा से श्रील प्रभुपाद की जय! श्रील प्रभुपाद मोर सेनापति भक्त।
चैतन्य महाप्रभु की सेनापति भक्त श्रील प्रभुपाद और हमारी परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हुए, श्रील प्रभुपाद ने श्रील भक्तिविनोद ठाकुर, श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर, भक्तिवेदांत श्रील प्रभुपाद की जय! उनकी योजना से सारे संसार। और आज का उत्सव केवल मायापुर में ही नहीं, जहां पर भी आप उपस्थित हो लगभग दो हजार भक्त सुन रहे हैं जप भी किया उन्होंने और भी सुन रहे हैं तो उन सब थानों पर गौर पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। आप इस्कॉन मतलब यहां इंटरनेशनल सोसायटी इंटरनेशनली ग्लोबली संपूर्ण विश्व मैं आज गौर पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। यह धीरे-धीरे एक दिन आएगा उसमें कुछ 8-9 हजार वर्ष लगेंगे तब तक क्या होगा, यह सुवर्णकाल है। कलयुग का यह सुवर्णकाल इस सुवर्ण काल में क्या होगा पृथ्वीते आछे नगरादिग्राम सर्वत्र प्रचार होइबो मोर नाम, मेरा नाम इस पृथ्वी पर जितने भी नगर हैं, ग्राम है, उन नगरों में ग्रामों में मेरे नाम का प्रचार होगा। एक दिन ऐसा भी आने वाला है। अच्छे दिन आएंगे एक सरकार कहती रहती है। ऐसे दिन आने वाले हैं। और वह दिन अच्छे होंगे सभी नगरों में ग्रामों में सारे पृथ्वी पर हरिनाम होगा। हरिनाम पहुंचेगा। तो उस समय इस पृथ्वी के हर नगर में हर ग्राम में गौर पूर्णिमा महोत्सव भी मनाया जाएगा। हरिबोल! अब तो हम ऐसा नहीं कह सकते हैं कि, हर नगर में हर ग्राम में हो रहा है लेकिन, हजार हजारों लाखों ग्रामों में पहुंच चुका है यह हरिनाम। जहां जहां हरिनाम पहुंचता है तो वहां वहां सबको पता चलता ही है। महाप्रभु का पता चलता है और मायापुर का पता चलता है। और फिर मैं कहते ही रहता हूं, नाम से धाम तक, नाम से धाम तक और फिर नाम ही उन जीव को धाम तक ले आता है या तो फिर वहां गौर पूर्णिमा महोत्सव में आते हैं। जाते हैं। आएंगे जाएंगे, आएंगे जाएंगे, हर साल आएंगे या बीच-बीच में आते जाएंगे। और फिर उनका क्या होगा, त्यक्तवा देहं पुनर्जन्म नैति फिर मामेति
फिर आ गए तो, फिर आ ही गए सदा के लिए यही रह जाएंगे। नाम से धाम तक। नाम लीजिए नाम नाचे जीव नाचे नाचे प्रेम धन, भक्तिविनोद ठाकुर का भजन। नामाश्रय करी जतन तुम्ही ताकह आपन काज नाम का आश्रय लो। पुनः नाम का आश्रय मतलब किसका आश्रय, नाम का आश्रय मतलब भगवान का आश्रय क्योंकि, अभिन्नत्व नामनाम्नि नाम और नामी अभिन्नोत्व।
ठीक है।
धन्यवाद।
गौरांग! जय निमाई! जय निताई!