Hindi

2-1-2019 तुलसी महारानी की आराधना हरे कृष्ण महामंत्र का विस्तार है। अब हम जप चर्चा के अंतर्गत हरी नाम की सेवा में कुछ शब्द कहेंगे। हम सब ने कल एक दूसरे को नए वर्ष की शुभकामनाएं दी तथा इस प्रकार हमारा इस वर्ष का 1 दिन बीत गया। मैं अभी नोएडा में हूं तथा यहां कल कई लोग भगवान का दर्शन करने के लिए आए हमारे मंदिर अध्यक्ष का अनुमान है कि लगभग 30 से 40 हज़ार भक्तों ने कल राधा गोविंद देव का दर्शन किया। यहां हरी नाम की भी विभिन्न प्रकार से सेवा संपन्न हुई जहां 12 घंटे अखंड हरिनाम कीर्तन किया गया। यहां एक अलग से बूथ लगाया गया था जहां नए भक्तों को हरे कृष्ण महामंत्र का जप करने की सुविधा प्रदान की गई। इन सभी के माध्यम से यह संदेश अत्यंत स्पष्ट हो जाता है कि आप जप कीजिए तथा प्रसन्न रहिए। इस्कॉन नोएडा इस प्रयास में सफल रहा। इसी कारण हम निरंतर जप करते हैं और कीर्तन के माध्यम से कई नए लोगों को कृष्णभावनामृत की ओर आकर्षित करते हैं। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु की जय हो। कल यह हरिनाम कई नए लोगों तक पहुंचा। उन लोगों में कई ऐसे भी थे जिन्होंने अपने जीवन काल में पहली बार हरे कृष्ण महामंत्र को सुना होगा। कई भक्त राधा गोविंद देव जी के समक्ष दर्शन मंडप में कीर्तन की धुन पर नृत्य भी कर रहे थे। यह अत्यंत सुंदर दृश्य था। आप भी अपने शहर, कस्बे, क्षेत्र में तथा अपने मंदिरों में इस प्रकार का आयोजन कर सकते हैं तथा अपने घर से भी इसे प्रारंभ किया जा सकता है। यदि आपके परिवार में कोई हरे कृष्ण महामंत्र का जप तथा कीर्तन नहीं कर रहा तो आप उन्हें ऐसा करने के लिए कहिए। यदि आप स्वयं हरे कृष्ण व्यक्ति कहलाना चाहते हैं तो आपको सदैव हरे कृष्ण महामंत्र का जप तथा कीर्तन करना होगा। आप सभी जप तथा कीर्तन करते हैं परंतु आप अन्य व्यक्तियों को भी इसके विषय में बताइए। यदि आप अन्यों को हरे कृष्ण महामंत्र के विषय में बताएंगे तो इससे हरि नाम प्रभु आपसे प्रसन्न होंगे। हरी नाम आपसे स प्रसन्न होंगे इसका अर्थ है कि भगवान हरी स्वयं आपसे प्रसन्न हो जाएंगे क्योंकि हरि नाम तथा भगवान हरि दोनों अभिन्न है। इस प्रकार जब हम प्रार्थना करते हैं तो हम कहते हैं हरि नाम प्रभु , हम प्रभु किसे कह रहे हैं? हम हरि नाम को प्रभु कह रहे हैं जिसका अर्थ है कि हरी नाम स्वयं भगवान है। आज प्रातः मंगल आरती में मैंने तुलसी आरती की। उस समय तुलसी आरती गाई जा रही थी तथा मैंने यह अनुभव किया कि हम साधकों के जीवन में तुलसी महारानी की आराधना का कितना महत्व है। यदि हम नामाचार्य हरिदास ठाकुर की कोई तस्वीर अथवा चित्र देखें तो हम देखते हैं कि वे सदैव अपना जप तुलसी महारानी के साथ करते हैं। उनके पास सदैव तुलसी महारानी विराजमान रहती है। यहां तक कि हमारे षड गोस्वामी भी तुलसी महारानी के समक्ष बैठकर जप करते थे। जब भी हम कोई तपस्या करते हैं तो तुलसी महारानी वहां उपस्थित रहती है। दो प्रकार की साधना होती है 1- वैदि भक्ति साधना 2- रागानुगा साधना। दोनों ही अपने स्थान पर अत्यंत महत्वपूर्ण है परंतु हम गौड़ीय वैष्णव प्रमुख रूप से रागानुगा भक्ति करते हैं। इन दोनों का उद्देश्य एक ही है। वेदी साधना होनी चाहिए क्योंकि इसके बिना हम प्रगति नहीं कर सकते। यह दोनों ही साधना है।रागानुगा भक्ति में हम किसी का अनुगमन करते हैं हम गोलोक से अथवा वृंदावन से जो भक्त हैं उनका अनुगमन करते हैं। वृंदा देवी एक महान व्यक्तित्व है। कोई-कोई यशोदा मैया तथा नंदबाबा का अनुगमन करते हैं उसी प्रकार कोई सुबल सखा का अनुगमन करते हैं तथा कोई राधा भाव अथवा गोपी भाव का अनुगमन करते हैं। रम्या काचिद उपासना वृजवधू वर्गेण या कल्पिता। यह चैतन्य महाप्रभु का मत है जिसमें यह बताया गया है कि उत्तम साधना किस प्रकार की जाती है। यहां यह बताया गया है कि हमें हमारी साधना ब्रज वधू वर्गेण या कल्पिता के समान करनी चाहिए। इसका अर्थ है कि हमें हमारी साधना करते समय वृंदावन की गोपियों के पद चिन्हों का अनुसरण करना चाहिए। हमें ध्यान पूर्वक शास्त्र अध्ययन करते हुए अत्यंत गंभीरता पूर्वक वृंदावन की गोपियों का अनुसरण करना चाहिए। इस प्रकार हम गोलोक से जो भक्त हैं उनका जब हम अनुसरण करते हैं तब हम स्वयं के भीतर एक विशेष प्रकार का भाव अनुभव करते हैं और यदि हम ऐसा करते हैं तो वह रागानुगा भक्ति कहलाती है। जब मैं तुलसी आरती कर रहा था तब मैं इन सभी के विषय में चिंतन कर रहा था। नमो नमः तुलसी कृष्ण प्रेयसी नमो नमः। जप करते समय हम सभी तुलसी महारानी का स्मरण करते हैं और तुलसी महारानी को यह प्रार्थना करते हैं। राधा कृष्ण सेवा पावो यही अभिलाषी। मेरी क्या अभिलाषा है? मैं राधा कृष्ण की सेवा करना चाहता हूं। हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते समय जो हमारी इच्छा होती है उसका वर्णन यहां तुलसी आरती में भी आया है। हरे कृष्ण महामंत्र कि टीका में गोपाल गुरु गोस्वामी बताते हैं कि जब हम हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं तो हम भगवान से यह प्रार्थना करते हैं सेवा योग्यम कुरु अर्थात आप मुझे अपनी सेवा के योग्य बनाइए । हम तुलसी देवी से भी यही प्रार्थना कर रहे हैं। राधा कृष्ण सेवा पावो येई अभिलाषी अर्थात हे वृंदा देवी ! आप हमें राधा कृष्ण की सेवा में नियोजित कीजिए क्योंकि वृंदा देवी विभिन्न प्रकार की सेवाएं सभी को देती है। जिस प्रकार मंदिर अध्यक्ष तथा आयोजक हमें कोई सेवा प्रदान करते हैं उसी प्रकार सेवा प्रदान करने की जिम्मेदारी तुलसी महारानी का धर्म है। ये तोमार शरण लय तार वांछा पूर्ण हय। आप उनकी इच्छा पूरी करती हैं जो आपकी शरण लेते हैं। हे वृंदा देवी !आप एक परम वैष्णवी है। वांछा कल्पतरु भयश्च, कृपा सिन्धु भ्य एव च । पतितानां पावनेभ्यो , वैष्णवेभ्यो नमो नमः। इस प्रकार तुलसी देवी भक्तों को भक्ति देती है। कृष्ण हमें भक्ति नहीं दे सकते। भगवान के भक्त हमें भक्ति प्रदान कर सकते हैं। श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर अपनी पुस्तक माधुर्य कादंबिनी में इसका विस्तार से वर्णन करते हुए बताते हैं कि किस प्रकार भगवान के भक्त हमें भक्ति प्रदान कर सकते हैं। भगवान हमें भक्ति नहीं देते भगवान के भक्त हैं जो हमें भक्ति प्रदान करते हैं। इसी प्रकार भगवान की महान भक्त तुलसी महारानी भी हमें भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति प्रदान करती है। कृपा करी करो तारे वृंदावन वासी अर्थात हे तुलसी महारानी आप वृंदावन वासी अथवा गोलोक वासी हो कृपया हम पर अपनी कृपा कीजिए। तुलसी महारानी नोएडा वासी नहीं है यद्यपि वह नोएडा में प्रकट होती है फिर भी वह सदैव वैकुंठ वासी है। आप उन्हें वैकुंठ में भी प्राप्त कर सकते हैं परंतु उनकी वास्तविक स्थिति गोलोक तथा वृंदावन में हैं। वृंदावन नाम स्वयं ही यह बताता है कि यह वृंदा देवी का वन है वृन्दायः वनम इति वृंदावनम। वृंदावन नाम कृष्ण के कारण नहीं है यह तो वृंदा देवी के कारण हैं। वृंदा देवी सदैव वहां निवास करती है , इसलिए वह वृंदावन वासी है। तुलसी महारानी की यह प्रार्थना अत्यंत विशेष है। यह प्रार्थना गौड़ीय वैष्णव के भावों से भरी हुई है। मोर एई अभिलाष विलास कुंजे दियो वास। मेरी क्या इच्छा है? मैं विलास कुंज में निवास करना चाहता हूं। वह स्थान जहां कृष्ण, राधारानी तथा गोपियों के साथ में अपनी लीला संपन्न करते हैं उस स्थान को कुंज कहते हैं। कुंज विहार। ऐसा वर्णन आता है कि भगवान तीन स्थानों पर निवास करते हैं। वे यशोदा तथा नंद बाबा के साथ नंद भवन में निवास करते हैं। वहां वे प्रातः काल तथा रात्रि के समय निवास करते हैं। जब वे गायों को चराते हैं तब वे जंगल में निवास करते हैं। यह एक बहुत बड़ा चौगान होता है जहां गायें चरती है और यह दूसरा स्थान है जहां भगवान निवास करते हैं। नंद भवन में वात्सल्य रस की प्रधानता होती है। गौचारण लीला के समय सख्य रस प्रधान होता है। तृतीय स्थान भी जंगल में ही होता है। इन विशेष स्थानों को कुंज कहा जाता है। निकुंज में बिराजो घनश्याम राधे राधे । कृष्ण राधारानी तथा गोपियों के साथ इन कुंजों में अपने लीला संपन्न करते हैं। अतः हम वृंदा देवी को क्या प्रार्थना करते हैं? मोर एइ अभिलाष विलास कुंजे दियो वास अर्थात आप कृपया मुझे इन विलास कुंजों में स्थान प्रदान कीजिए। नयने हेरीबो सदा युगल रूप राशी मैं अपने नेत्रों में युगल रूप राशी अर्थात राधा गोविंद, किशोर किशोरी, लाडली लाल के युगल रूप की छवि को कैद करना चाहता हूं। राशि का क्या अर्थ होता है? इसका अर्थ है पर्वत अथवा बहुत बड़ा ढेर। भगवान समस्त सौंदर्य के स्रोत है। मुझे उनका दर्शन प्राप्त कर लेने दीजिए। जब हम हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं तब भी हम इसी प्रकार की प्रार्थना करते हैं। हे हरिनाम प्रभु ! हे राधे ! कृपया मुझे अपना दर्शन दीजिए। गोपाल गुरु गोस्वामी बताते हैं कि हरे कृष्णा महामंत्र का जप करते समय हमारी क्या प्रार्थना होती है? प्रेष्ठाय सः स्वभिष्ट लीलाम माम श्रव्य। यह राधा रानी के लिए हमारी प्रार्थना है अर्थात जो आपके पृष्ठ हैं जो आप के सबसे निकट हैं, कृपया उनके साथ अपनी लीला को मेरे समक्ष प्रकट कीजिए। कृपया मुझे उस लीला का श्रवण करने दीजिए। इससे आगे जब हम हरे राम हरे राम कहते हैं तब अगले हरे में हम यह प्रार्थना करते हैं प्रेष्ठाय सः स्वभिष्ट लीलाम माम श्रव्य। श्रव्य का अर्थ है दर्शन दीजिए। यह सभी भाव तथा अनुभव हरे कृष्ण महामंत्र में समाहित है। हे राधे आप कृष्ण के साथ अपनी लीला को मेरे समक्ष प्रकट कीजिए। तथा हे कृष्ण आप राधा रानी के साथ अपने लीला को मेरे समक्ष प्रकट कीजिए। कृपया मुझे उनका श्रवण करने दीजिए कृपया मुझे उनका दर्शन करने दीजिए। इस प्रकार हरे कृष्ण महामंत्र तथा तुलसी महारानी की प्रार्थना में यह समानता है। हरे कृष्ण महामंत्र में अन्य सभी प्रार्थनाएं समाहित रहती है। जैसा कि हमने बताया था जब आप हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं तो आप गोपी गीत, वेणु गीत, युगल गीत, भ्रमरगीत तथा तुलसी महारानी की प्रार्थना आदि सभी प्रार्थनाएं कर लेते हैं। सभी प्रार्थनाएं इस हरे कृष्ण महामंत्र में समाहित है। इसलिए जब आप हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे महामंत्र का जप करते हैं तो आप इन सभी प्रार्थनाओं को भी गा लेते हैं। तुलसी वंदना भी इस हरे कृष्ण महामंत्र का एक विस्तार है। हम तुलसी महारानी को जो प्रार्थना करते हैं वही प्रार्थना हम हरि नाम प्रभु को भी करते हैं। यही निवेदन धर सखीर अनुगत कर यहां अनुगत्य की बात की गई है। कृपया मेरी विनती स्वीकार करें। सर्वप्रथम हमने हमारी इच्छा व्यक्त की मोर एइ अभिलाष अब हम निवेदन कर रहे हैं और वह निवेदन है सखीर अनुगत करो। कृपया मुझे सखियों के पद चिन्हों का अनुसरण करने दीजिए। सेवा अधिकार दिए करो निज दासी। यहां यह निवेदन किया गया है कि आप मुझे कृपया कुछ अधिकार प्रदान कीजिए जिससे मैं आपकी सेवा कर सकूं। इस प्रकार यह प्रार्थना हम तुलसी महारानी को करते हैं तो जब हम तुलसी महारानी के सानिध्य में जप करते हैं तो हम यह सभी प्रार्थनाएं उनके समक्ष कहते हैं। तो यहां यह निवेदन किया गया है कि आप मुझे उन सभी भक्तों का आनुगत्य प्रदान कीजिए। लक्ष्मी देवी वृंदावन के बेलवान अथवा श्रीवन में बहुत लंबे समय से तपस्या कर रही है। उन्हें रासलीला में प्रवेश क्यों नहीं मिल रहा? क्योंकि वह किसी का अनुगमन नहीं करना चाहती। उनमें वह नम्रता नहीं है। यह दासानुदास का भाव है। वृंदावन का यही भाव है कि हम किसी का आनुगत्य करें। जब हम ऐसा करेंगे तभी हमें कृष्ण की लीला में प्रवेश मिल सकता है। वृंदावन की परंपरा यही है। हमें भी यह सीखना चाहिए। हमें हमारे दैनिक जीवन में वरिष्ठ भक्तों के पद चिन्हों का अनुसरण करना चाहिए। न केवल वृन्दा देवी अपितु हमें जीबीसी से भी यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें कुछ सेवा प्रदान करें। सेवा अधिकार दिए कर निज दासी। कृपया हमें कोई सेवा प्रदान कीजिए। कृपया मुझे आप के पद चिन्हों का अनुसरण करने दिजीएज। जीबीसी, मंदिर अध्यक्ष, बेस के अध्यक्ष आदि हमें इन सभी का अनुगमन करना चाहिए। एक सच्चा अनुगामी ही अच्छा लीडर बन सकता है। वृंदावन का ऐसा भाव है और हम भी इसी भाव को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते समय हम यही प्रार्थना करना चाहते हैं। चेतो दर्पण मार्जनम। हमारे मन में जो भी गंदगी है वह साफ हो जाए। हमारे भीतर अहम माम इति यह जो अहंकार है यह गंदगी के समान है जब हम इस गंदगी को बाहर फेंक देंगे तब चेतो दर्पण मार्जनम होगा। दीन कृष्णदासे कय यही येन मोर हय श्री राधा गोविंद प्रेम सदा येन भासी। मैं दीन कृष्णदास हूं मैं कृष्ण का एक नम्र सेवक हूं। हम भी जप करते समय तुलसी महारानी को यह प्रार्थना करते हैं। हरे कृष्ण महामंत्र के माध्यम से हम तुलसी महारानी को यह निवेदन करते हैं। श्री राधा गोविंद प्रेमे सदा येन भासी , कृपया मुझे राधा कृष्ण के चरण कमलों के प्रेम की प्राप्ति होने दीजिए। हरे कृष्ण महामंत्र के जाप का लक्ष्य है 'प्रेम पुमार्थो महान' जो कि पंचम पुरुषार्थ है उसे प्राप्त करना। इस प्रकार तुलसी आरती के माध्यम से हम यह प्रार्थना तुलसी महारानी को करते हैं। तथा हमारा लक्ष्य होता है श्री राधा गोविंद प्रेमी सदा येन भासी। तुलसी महारानी की जय हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे

English

2nd January 2020 Worshipping Tulasi - expansion of the maha-mantra We will speak few words now in service of Harinama as our japa talk. We have wished each other , 'Happy New year' and the first day of the year has passed. I am in Noida and there were innumerable visitors taking darsana of Their Lordships, which our temple president estimated to be around 30 to 40 thousand. Lots of service of Harinama was being done as there was 12 hours of continuous kirtana. There was also a separate booth where new visitors were given the opportunity to chant. Through all of this the message which was given was clear 'chant and be happy’. It was a successful effort by ISKCON Noida. For this reason only continuous kirtana was arranged and japa was getting done by new people. All glories to Sri Krsna Caitanya Mahaprabhu. Yesterday this Harinama reached many more people. There may have been many people in the crowd who must have heard the Hare Krishna maha-mantra for the first time in their life. Many people were also dancing in the darsana mandap in front of Radha Govind Devji. That was a very beautiful scene. So you should also arrange such things in your area, your town, your temples and also at your home because charity begins at home. If some members in your family are not chanting, not doing kirtana, tell them to chant. To join this moment of Hare Krishna means you will have to chant and do kirtana, otherwise you cannot be called 'Hare Krishna people'. You all are chanting and doing kirtana, but also reach out to others. If you tell others to do Harinama chanting then Harinama will be pleased with you. Harinama will be so happy. Harinama will be happy means Lord Hari will be happy, because Harinama is Lord Hari Himself. When we pray like that we say Harinama Prabhu…… to whom we are saying Prabhu? To Harinama. That means Harinama is Prabhu. Today I sang mangala aarti and I offered arati to Tulasi Devi. That time I had some thoughts regarding the worship of Tulsi which is so very important in our life as sadhakas. If we view some picture of namacarya Haridas Thakur, then what do we observe? In whose association does he do his Japa? It used to be with Tulasi Maharani. Even Shad Goswami used to chant sitting near Tulsi Maharani. When any austerity is being performed, Tulsi Maharani is always there. There are two types of sadhana: 1. Vaidhi bhakti sadhana 2. Raganuaga sadhana Both are important, but Gaudiya Vaisnavas mostly follow Raganuga bhakti. The goal is the same. There is vaidhi (sadhana) without which we cannot progress. Both are sadhana. In Raganuga bhakti we do anugaman ( following someone),some devotee from Goloka, or devotees of Vrindavan. Vrinda Devi is a great personality. Some follow Yasoda Mata or Nandababa, some maybe following Subala sakha, or Radha bhava or Gopi bhava. ramya kacid upasana vraja-vadhu-vargena ya kalpita This is Caitanya Mahaprabhu’s opinion about how devotion should be done. It should be like that of vraja-vadhu vargena ya kalpita. Devotion should be performed following in the footsteps of the gopis of Vrindavan. Trying to study and sincerely follow the gopis of Vrindavan. Trying to follow in the footsteps of one of the devotees of Goloka, to arouse such emotions and feelings in us, to study this is called as Raganuga bhakti. When I was doing Tulasi aarti, I was thinking of these things. namo namaḥ tulasī kṛṣṇa-preyasi namo namaḥ While chanting we should remember, offer obeisances and prayers to Tulasi. rādhā-kṛṣṇa-sevā pābo ei abilāṣī What desire do I have?I want to get the service of Radha and Krsna. The feelings which we are expected to have during the chanting of Hare Krishna maha-mantra are also there in this prayer of Tulasi arati. Commentary on the Hare Krishna maha-mantra explains that when we chant the Hare Krishna maha-mantra we are supposed to have feelings of - seva yogyam kuru . When we are chanting the Hare Krishna maha-mantra in our mind we should have the feeling, "Please make me eligible to do Your service. " The same thing we pray to Tulsi Devi also. radha krsna seva pabo ei abhilasi Vrinda Devi gives us service as she is in charge of distributing different services, like the Temple commander or organiser. Distribution of services is the Dharma of Tulsi Maharani. ye tomāra śaraṇa loy, tara vāñchā pūrṇa hoy You fulfil the desires of those who take your shelter. O Vindadevi! She is also Vaisnavi. vancha-kalpatarubhyash cha kripa-sindhubhya eva cha patitanam pavanebhyo vaishnavebhyo namo namaha So Tulasi gives devotion to devotees. Devotion is not given by Lord Krsna. Bhakti is given by bhaktas or devotees. Srila Viswanath Chakravarty Thakur has explained this very well in his book, Madhurya Kadambini that one can get devotion from devotees. Lord doesn't give that, but devotees give devotion to others. So great devotee like Tulasi Maharani also gives devotion. kṛpā kori' koro tāre vṛndāvana-vāsi “O Tulasi Maharani who is Vrindavanvasi or Golokavasi please bestow your mercy on us.” Tulasi Maharani is not Noida-vasi although she does appear in Noida. She is also not Swarga-vasi but is Vaikuntha-vasi. You will get her in Vaikuntha, but her original place is in Goloka or Vrindavan. The name Vrindavan itself suggests Vrinda-vana , Vrindayaha vanam. The name of the forest is Vrindavan because of Vrinda Devi, not because of Krsna. It is named after Vrinda Devi. She is a resident of Vrindavan,Vrindavan-vasi. This prayer to Tulsi Maharani is very special. It is filled with the bhavas of Gaudiya Vaisnavas. mora ei abhilāṣa, vilāsa kuñje dio vāsa What is my desire? To get the residence in Vilas Kunja. The place where Krsna performs his pastimes with Radharani and the gopis are called Kunja. Kunja-vihar. It is explained that the Lord stays at three places. He stays with mother Yasoda and Nandbaba at Nand Bhavan. That is staying at home in the morning and evening. He stays in the forests at the time of herding the cows. There used to be big pasturing grounds where the cows graze on lush, green grass. This is a second place. At home there was an exhibition of Vatsalya Rasa. At places of Gocaran Lila there was Sakhya Rasa. The third place is in forest itself. These special places are termed as Kunja. nikunja mein biraje ghanshyam radhe radhe…. Krsna does his pastimes with Radharani and gopis at these Kunjas. So what prayer do we offer to Vrinda Devi? mora ei abhilāṣa, vilāsa kuñje dio vāsa Let me get some place to serve in Vilas Kunjas. nayana heribo sadā yugala-rūpa-rāśi I want to relish with my eyes yugala-rupa-rasi Radha-Govind, Kisor- Kisori, Ladali-lal. yugala-rūpa-rāśi. What is this 'rasi'? It's a heap, mountain. Lord is the reservoir of all beauty. Let me get His darsana. When we chant Hare Krishna maha-mantra that also has a similar prayer. He Harinam Prabhu, He Radhe, please give me your darsana. presthaya saha svabhista-lilam mam sravaya Gopal Guru Goswami explains when we say the Hare Krishna maha-mantra ,what is one of our prayers? presthaya saha - this is the prayer to Radha. presthaya saha - one who is your presth , your dear most, svabhista-lilam - please reveal the best of your pastimes with Him. Let me hear that. Then further we say Hare Rama Hare Rama. At the next Hare we pray, -presthaya saha svabhista-lilam mam sravaya. sravaya means please show. All such emotions and feelings are hidden in this Hare Krishna maha-mantra. O Radha please reveal Your pastimes with Krsna. O Krsna please reveal Your past times with Radha. Let me hear that. Please show me that. The feelings in the prayer to Tulsi Maharani and Hare Krishna maha-mantra are quite similar. Hare Krishna maha-mantra includes all other players. When you chant Hare Krishna maha-mantra you have also sung all the other songs like Gopigeet, Venugeet, Yugalgeet or Brahmageet or prayer to Tulasi Maharani. It is all in one. When you chant, Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare You have also sung all the songs. Tulasi Vandana is also an expansion of that. Whatever we are praying to Tulsi Maharani, the same thing we are praying to Harinama Prabhu also. ei nivedana dhara, sakhīra anugata koro Its matter of 'anugatya' or following. Please accept my plea. First is mor ai abhilas .- This is my desire. Then we say this is my plea, sakhīra anugata koro. Let me follow in the footsteps of sakhis. sevā-adhikāra diye koro nīja dāsī Let me get some rights to do some service. Such prayers we are offering to Tulsi Maharani, when we are chanting in the presence of Tulsi Maharani. So a prayer is being made - let me follow ( anugatya) in your footsteps. Goddess Laksmi is observing austerities in Srivan or Belvan of Vrindavan since a long time. Why she is not getting entrance into the Rasa Lila? Because she doesn't want to follow in the footsteps. She doesn't have such humility. This is the subject of das-dasanudas. This is the spirit of Vrindavan, of following anugatya . Then one gets entrance into the pastimes of Krsna. Such is the discipline of Vrindavan. We also have to learn that. So in our daily practical life we will have to follow in the footsteps of senior devotees. Not only to Vrinda Devi, but you can also pray to GBC to give some seva. sevā-adhikāra diye koro nīja dāsī Give us seva. Please accept my attempt to follow in your footsteps. GBCs or temple commander or head of the department or leader of BACE. We have to follow them. Only the best follower becomes a leader. Good follower becomes good leader. One who can't follow cannot be a leader. Such is the culture of Vrindavan and so we also pray like that. While chanting Hare Krishna maha-mantra we should have such emotions to become refined. ceto-darpana-marjanam. Whatever garbage is there in the mind, thoughts of aham- mameti are garbage. When we throw off this garbage then ceto-darpana-marjanam will happen. dīna kṛṣṇa-dāse koy, ei yena mora hoy śrī-rādhā-govinda-preme sadā yena bhāsi I am Dina Krsna Dasa, humble servant of Krsna. We are also offering such prayers to Tulasi Maharani when we are chanting. Through the medium of Hare Krishna maha-mantra we are offering such prayers to Tulsi Maharani. śrī-rādhā-govinda-preme sadā yena bhāsi Let me get love unto the lotus feet of Radha and Krsna. The objective of chanting the maha-mantra is prema pumartho mahan which is pancham purushartha. So such prayers are also being offered to Tulsi Maharani. śrī-rādhā-govinda-preme sadā yena bhāsi Tulasi Maharani ki Jai! Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare

Russian

Перевод наставлений после совместной джапы за 2 января 2020 Итак, служение Святому Имени, давайте поговорим немного о Святом Имени. На данный момент Счастливый Новый год проходит хорошо . Я в Нойде сейчас. Там было бесчисленное количество посетителей. Некоторые говорят 40-50 тысяч людей. Там проходил 12-часовой киртан. Посетители воспевали отдельно от преданных. Послание было, воспевай Харе Кришна и будь счастлив! Итак это была попытка сделать их воспевающими. Это была успешная попытка проведённая ИСККОН Нойда. Было много людей которые слышали Святое Имя первый раз. Многие танцевали перед Радха Говиндой. Это было удивительное зрелище. Как уже говорилось милость начинается из дома, можете попросить людей воспевать в вашем доме. Присоединится к движению Харе Кришна означает, воспевание Святого Имени. Харинама будет такой счастливой если вы попросите других воспевать. Если Святое Имя удовлетворено, означает Хари удовлетворён. Некоторые молитвы написаны о Харинам Прабху. Мы рассматриваем Святое Имя как Прабху. Фактически Харинам является Прабху. Есть пища для размышления. Я пел Мангала Арати после стольких многих дней. Я поклонялся Туласи Махарани. Некоторые мысли пришли в это время. Поклонение Туласи очень важно в жизни всех садхак. Где бы мы ни видели нарисованного Шрилу Харидаса Тхакура, мы увидим, что он воспевает перед Туласи Махарани. Шесть Госвами также применяли это. Туласи также присутствует на Ш.Б. класс. Есть два вида садханы: Ваидхи и Рагануга. Особенно Гаудиа Вайшнавы практикуют Рагануга Бхакти. Без Ваидхи мы не можем прогрессировать вперёд. В Рагануге мы следуем по стопам преданных из Вриндавана. Поскольку Вринда Деви наиболее известная личность. Некоторый следуют за Нандой, Яшодой, Субалой. Как нам следует заниматься преданным служением? Господь Чайтанья сказал, чтобы мы следовали по стопам Девушек Враджа. Следуя по стопам во Врадж, нужно практиковать, это часть Рагануги Бхакти. Эти мысли пришли когда я поклонялся Туласи. Во время воспевания мы также помним Туласи и предлагаем наши поклоны. Какое моё желание? Я хочу быть занятым в служении Радхарани и Кришне. Настроение которые предполагается во время воспевания Святого Имени, существует во время Туласи Арати. Сделай меня достойным служения. Это то о чём мы просим Туласи Деви. Фактически Вринда Деви, это та, кто выделяет служение, подобно коменданту храма или организатору праздника. Распределение служения это работа или дхарма Туласи Махарани? Те кто хочет принять прибежище у Тебя, его желание будет выполнено Тобой. Она также Вайшнави. Она дает Бхакти. Бхакти не дается Господом но преданными. Это было объяснено Вишванатхой Чакраварти Тхакуром. Бхакта дает Бхакти не Господь. Поэтому Туласи Махарани такая великая личность. Она дает нам преданное служение. Пожалуйста будь милостива к нам, так как ты Вриндаванваси. Она не является жителем Нойды, Вайкунтхи, она во Вриндаване. Леса Вринда Деви называются Вриндаваном. Это название после Вринда Деви. Эти молитвы Туласи Деви особенные и они наполнены всеми чувствами Гаудиа Вайшнавов. Как только Кришна проводит Свои игры с Гопи, Он посещает Кунджи. Он остается с Нандой и Яшодой дома. Отдельно от этого Он идёт в лес пасти коров. Это второе место. Дома Он проявляет Ватсалья бхаву. В лесу он проявляет Сакхйа расу. В лесу есть некоторые места как nikunja где Он проводит время с Гопи. Он не остается там. Мы молимся Вринда Деви, чтобы мы получили место в этих Kunja. Моё желание увидеть Божественную Пару своими глазами. Есть много вещей. Могу ли я получить Их даршан? В воспевании Харе Кришна есть много молитв, такие как пожалуйста даруй мне Твой Даршан. Мы говорим Харе Кришна. Гопал Гуру Госвами говорит это. Мы молим Радхарани, позволить нам слышать игры которые проходят с Её дорогим Кришной. Затем мы просим занять нас или позволить нам увидеть это. О, Кришна позволь мне слышать игры которые Ты проводишь с Радхарани. Когда мы повторяем Харе Кришна, сюда уже входят все молитвы. Харе Кришна Махамантра это все и одна, это предполагается, что мы поём все песни. Это то, о чём мы молим Туласи Деви. Первым было сказано, что это моё желание, потом было сказано, что моя молитва это получить общение с сакхи. Затем молитва получить служение. Эта anugatya очень важна. Лакшми совершает аскезы, чтобы войти в танец Раса. Но она не сможет войти, так как Она не хочет следовать. Вот что необходимо, чтобы войти в игры Господа, такая дисциплина во Вриндаване. В ежедневной практике мы также должны следовать за нашими старшими. Поэтому не только Вринда Деви, а также GBC. Им также может быть предложены подобные молитвы, дать нам служение. Это может быть сказано ТР, … последователь Господа становится хорошим лидером. Если кто-то не соглашается следовать, тогда он не может быть хорошим лидером. Эти чувства во время воспевания должны быть усовершенствованы. Мы должны отделить от этого мусор. Я и моё. Это смиренное служение Кришне в молитве Туласи Деви. Мы молим Туласи Деви через воспевание Харе Кришна, наделить нас любовью к Радхарани и Кришне. Цель воспевания это достичь любви. Туласи махарани Ки Джай! (Перевод матаджи Оджасвини Гопи)