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जप चर्चा २४.०२.२०२२ प्रवक्ता - अनंतशेश प्रभुजी ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया। चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम:। नमः ॐ विष्णु पादय, कृष्ण पृष्ठाय भूतले । श्रीमते भक्ति वेदांत स्वामिन इति नामिने ।। नमस्ते सरस्वते देवे गौर वाणी प्रचारिणे । निर्विशेष शून्य-वादी पाश्चात्य देश तारिणे ।। वांछा-कल्पतरूभयशच कृपा-सिंधुभय एव च पतितानाम पावने भयो वैष्णवे नमो नमः जय श्री कृष्ण चैतन्य, प्रभु नित्यानंद, श्री अद्वैत, गदाधर, श्रीवास आदि गौर भक्त वृन्द: हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे सर्वप्रथम प्रणाम श्री गुरु महाराज समस्त वैष्ण्व जान को सादर प्रणाम यहाँ पर हम सभी परिजन प्रातकाल इस मंगल बेला में सभी एकत्रित होकर गुरु महाराज के साथ नाम जप कर ले और विशेष रूप से श्रील प्रभुपाद जी के द्वारा प्रस्तावित यह प्रातकाल कार्यक्रम इसके विषय में कुछ मन में विचार है कुछ समय पूर्व हमारे जो काउंसलिंग सेशंस की रिट्रीट हुआ था उष समय भी हम ईश विषय में चर्चा किये थे कुछ सिमित भक्तो के लिए’श्रीमद भागवतम प्रथम सकन्ध के प्रथम अध्याय श्लोक संख्या ५ से हम प्रारम्भ करेंगे जहा पर श्री व्यासदेव वर्णन है नैविसरण्या का जो दृश्य है यहाँ पर बता दें एक समय की बात है एक दिन एक दिन प्रात: काल में यज्ञ आदि की जो क्रिया है उसको सम्पन करने के पश्चात __ जो ऋषि मुनि है उन्होंने अत्यंत आदरपूर्वक रूप गोस्वामी को आसान प्रदान किआ __ यहाँ श्रीला प्रभुपाद कहते है प्रातकालीन जो समय होता है आध्यात्मिक कार्यो के लिए सर्वक्रिस्ट काल होता है यहाँ प्रथम वाकया था बाकी तात्पर्य को स्पष्ट रूप से परंतु इसी वाक्य को लेकर मैं विचार किया आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए सर्वक्रिस्ट काल जिसे प्रभुपाद कहे तोह श्रीला प्रभुपाद के शब्दों को पढ़ने का विचार किए हुए हैं इस विषय में श्रीला प्रभुपाद _ और इस आंदोलन को प्रस्थापित करके श्रील प्रभुपाद ने विश्व अभियान गतिविधियां प्रारंभ की जहां तक मुझे स्मरण है अन्य भक्त इसमें सुधार कर सकते हैं लगभग 1970 का समय था शायद स्मरण है एक 2 वर्ष बाद या पहले का हो सकता है जब श्रीला प्रभुपाद ने यहां मॉर्निंग प्रोग्राम इंट्रोड्यूस किया था वैसे भी जब श्रील प्रभुपाद थे तोह उस समय तोह पस्चात्य जगत के लोग जिनके जीवन में सात्विकता नहीं थी और जिनके जीवन में भीं भीं प्रकार के व्यसन आदि थे तोह उनको नाम आदि प्रदान किया श्रील प्रभुपाद स्ट्रिक्ट स्टैण्डर्ड सेट नहीं किये थे ततपश्चात क्रमश: श्रील प्रभुपाद ने यह प्रात कालीन कार्यक्रम इस्कॉन में मॉर्निंग प्रोग्राम के नाम से काफी प्रसिद्ध है लगभग प्रातकाल 4 से लेकर ९ बजे का समय प्रभुपाद ने भिन्न-भिन्न जो मंगला आरती से लेकर नाम जप है नरसिंह आरती तुलसी आरती शिक्षा अष्टकम भागवतम का श्रवण गुरु पूजा गुरु वंदना आदि कार्यक्रम बनाएं यह जो प्रातः काल का समय है इसके विषय में प्रभुपाद का कहीं और भी हमने पढ़ा मॉर्निंग इज द बेस्ट टाइम टू होल्ड टो डा स्प्रिटिकल सर्विसेज आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए सबसे श्रेष्ठ काल जिसे कहा गया है यहाँ पे तोह काल का दो , दो तीन विषय को में एक साथ विचार कर रहा था तोह देखते है एक सत्र में हम कितना कुछ कर पाएंगे पदमालि प्रभु की विशेष करुणा है उनका भी उनका भी एक सत्र की सम्भवना रहेगी तोह देखते है तोह कब होगा देखते है तोह प्रथम था की शास्त्रीय दृष्टि से और संसारीक दृष्टि से िश प्रातकाल का जो महत्व है जिस समय हम अपना नाम रहे है इसकी महत्ता को स=जब समझते है श्रील प्रभुपाद के शब्दों में प्रभुपाद कितना अधिक इन शब्दों पर जोर दिए हैं और तत्पश्चात फिर कैसे हम लाभ प्राप्त कर सकते हैं _ दृष्टि से तोह जैसा प्रभुपाद ने कहा है प्रातकाल का जो समय है तोह काल समय विशेष प्रभाव करता है किसी भी क्रिया में किसी भी स्थान पर और किसी भी वस्तु पर काल का प्रभाव बहुत अधिक रहता है सर्वत ही कॉल का प्रभाव है भगवान ही काल रूप में है परंतु समय किसी भी स्थान को किसी भी कार्य को वास्तु आदि को सिद्ध करने के लिए जिस तरह से भागवतम में भी कलि काल के विषय में भी जब बताया जाता था शाम दिनम धर्मा सत्यम शौचं क्षमा दया कलेना बलिना राजन नकसंती आयु बलन स्थिति तोह ये काल ही है कलयुग जो समय है काल के प्रभाव से कलेना बलिना राजन नकसंती,नकसंती नाश होता है किसका सत्य का शौच का दया का और आयु का नाश होता है बल का नाश होता है और स्मृति का नाश होता है वही पर आगे फिर सिद्ध गोस्वामी कहते है पुंसां कालीकृतां दोसँ द्रव्य दशवतं सम्भावन ये काली काल का विशेष प्रभाव क्या है दूषित करेगा दोष आजाएंगा किस्मे आएगा द्रव्य में कोई भी वस्तु हो यहाँ पे वस्तु में दूसन आता ही है जैसे फ़ूड pollution कहे सभी वस्तु में दूषण आता है तोह द्रव्य देश स्थान पर भी दूषण होता है और आत्मसम्भावन व्यक्ति का स्वाभाव भी दूषित हो रहा है जिस प्रकार से और एक दृश्टांग दिया जाये जिस प्रकार से काल होते है ऋतु होती है वर्षाऋतु तोह वर्षा ऋतु का अपना एक प्रभाव होता है वर्षा ऋतु में नदी का जल मेला हो जाता है कीचड़ होने लगता तोह तुरंत स्थान प्रभावित करने लगते हैं बहुत अधिक शीत आई तो व्यक्ति का स्वभाव भी कभी-कभी प्रभावित हो जाते हैं तोह केवल उस वर्षा ऋतु में आप रहेंगे तो आप भीग जाते हैं जब शीतकाल में रहेंगे तो उसका भी प्रभाव होता है तो ऐसे ही काल का इस कलिकाल का एक प्रभाव है जब कलिकाल में रहता है उसकी आयु का बल का उसकी स्मृति का उसकी पवित्रता का उसकी सत्यता का नाश हो जाता है तोह काल बहुत अधिक प्रभावित करता है हमें तोह कई ऐसे काल है दुस्टांग है ग्रहण होता है जैसे आप देखते है तोह उसमे भी दोष आते है स्त्रियों का भी विशेष काल होता है अपवित्रता स्वाभाविक आजाती है आप ज्योतिष के पास जाते हैं तोह भी सबसे पहला प्रशन होता है सही मुहूर्त बताइए किसी भी कार्य को सिद्ध करने के लिए एक मुहूर्त तोह मुहूर्त जैसे २४ घंटे को लगभग ३० मुहूर्त कहे जाते हैं ४८ मिनट का एक मुहूर्त होता है ३० मुहूर्त के २४ घंटे होते हैं तोह मुहूर्त भी कॉल पर प्रभाव करता है वैसे ही जो आध्यात्मिक पथ पर प्रयास कर रहे हैं जो भगवत प्राप्ति करना चाहते हैं जिन भगवन के लिए अर्जुन सम्बोधन देते है परब्रह्मा परम धाम पवित्रम परममा भव: वो परब्रह्म जो है उन परब्रह्म की प्रय्तक्ष अनुभूति जो है इसी जीवन में करना चाहता हु उस परब्रह्म की कृपा को अनुभव करना चाहता हु उसके लिए विशेष काल को ही रखा जाता है और उसको ब्रह्ममुहूर्त कहा जाता है लगभग जितने भी आध्यात्मिक पथ हैं केवल भक्ति मार्ग में नहीं चाहे ज्ञान मार्ग हो या अस्टांग योगी का जो पालन करते हो या ज्ञानी हो ध्यानी हो या किसी भी पंथ के हो लगभग मैं चेक कर रहा था केवल मनुसंहिता में ही नहीं समस्त स्थानों पर इस समय को इस समय को बहुत अधिक जोर दिया गया है अगर आप देखना चाहे तोह गूगल पे ब्रहमुहर्त आप टाइप करेंगे तोह इतने लोग िश संसार में िश विषय पर चर्चा कर रहे है जैसे आपकी जानकारी में नरेंद्र मोदीजी हमारे प्रधानमंत्री हमने सुना है वे भी प्रातकाल ३ बजे उठते है और फिर सांसारिक लोगो में और भी दृशंत हम देते है जैसे अक्षय कुमार आदि कुछ सांसारिक लोग है जो िश समय को बहुत अधिक ज़ोर देते है आयुर्वेद की भी दृष्टि से देखा जाये तोह ब्रह्ममुहार्त का काल ब्रह्ममुहार्त याने विशेष रूप से सूर्योदय से लगभग १:३० घंटा पहले दो मुहर्त को ब्रहमुहर्त कहते है मतलब कितने ५६ मिनट हो गए तोह लगभग वो जो काल होता है हमारी दृष्टि से ४:३० से लगभग सवा ४ का जो काल होता है जय्दा स्पश्ट कहा जाये तोह जैसे ३ से ६ का समय बतया गया है मैं सुन रहा था एक बार बता रहे थे जहां तक मुझे स्मरण है गौर किशोर दास बाबा जी महाराज और जग्गनाथ दास बाबा जी महाराज के बीच इस विषय पर चर्चा हुई मंत्र सिद्ध का काल कौन सा होता है तोह उन्होंने कहा कि यह जो विशेष बेला होती है ३ ३ से ४ का समय ३ से ७ तक का लगभग ६ तोह वैसे ही प्रभा होता है तोह ३ से ७ का जो समय होता है को मंत्र सिद्ध कहा जाता है ब्रह्म मुहूर्त विशेष समय है जब सूर्य उदय के पूर्व अरुणा उदय होता है और अरुणा उदय प्रथम किरण क्षितिज को स्पष्ट करती हैं गुस्सा में ब्रह्मांड की ऐसे मतलब कई योग आदि पतंजलि में इसकी चर्चा की गई है ब्रह्मांड की समस्त जो दिव्य शक्तियां है एक साथ उस समय प्रवेश करती है स्पर्श करती है पृथ्वी को बहुत अधिक शुद्ध सात्विक तत्काल में होती है भी प्रकार की तामसिकता नहीं रहती जो पाप प्रित का कार्य करते हैं अधिकांश से रात्रि के समय करते हैं प्रात का जो काल होता है और इसका अभी मुझे शास्त्रीय रेफरेंस से श्लोक मिला नहीं है मनुसंहिता से चेक करा रहा था परन्तु यह कई बार कई स्थानों पर सुनने में मिला है की रात्रि के चार विभाजन जिसे कहा जाता है रौद्र काल राक्षस काल गनतत्व काल और मनोहर काल कहा जाता है संध्या से सूर्यास्त के पश्चात जो समय होता है लगभग मान लीजिए ६ से ९ का उसको रौद्र काल कहा जाता है तत्पश्चात ९ से १२ उसको राक्षस काल कहते हैं उसके पश्चात १२ से ३ का जो समय है उसको गनतत्व काल कहते हैं और फिर ३ से ६ उसको हम कहेंगे यहां मनोहर काल कहलाता है और इसको अमृतवेला कुछ पंथ में इस समय को अमृतवेला ३ का जो समय हैं ३ के बाद अमृतवेला कहा जाता है तोह िश समय विचारो की शुद्धता प्रकृति में भी एक स्वाभविक शुद्धता को देखा जाता है और बताया जाता है की मानुसाहिता के अनुसार माणूसहिंता के जो समर्निश लोग है उसमे बताया जाता है की ब्रह्म मुहर्ते स्तिया निद्रा सर्व पुण्य स्वकर्णी समस्त पुण्य स्वकर्णि ब्रह्ममुहृते हैमतलब जो व्यक्ति केवल एक क्रिया करता है कौनसी जो व्यक्ति सो जाता है ुष समय और कुछ न करे केवल सो जाता है ब्रह्म मुहर्ते स्तिया निद्रा समस्त सर्व पुण्य स्वकर्णी कहा गया है समस्त मतलब कितना पुण्य तोह ये मतलब पूरे जीवन का हो अभी तक का जितना पुण्य अर्जन हुआ है ब्रह्ममुहार्त के काल में कोई व्यक्ति यदि कोई सो जाता है सोवत है सो जाता है तोह जितना उसने पुण्य अर्जन किया है समस्त पुण्य शंड़ मात्र में स हो जाता है ुष समय जो व्यक्ति अगर सो जाता है तोह यहाँ वाकया एक साधु के लिए बहुत गंभीर वाकया है प्रभुपाद के शब्दो से देखंगे इसे तोह ुष समय मनुस्मृति में एक श्लोक है विशेष रूप से में कल ही थोड़ा कथा में व्यस्त थे तोह मिल नहीं पाए हलाकि विसहर था की पावर पॉइंट प्र्रेसेन्टेशन के साथ प्रस्तुत करे समस्त श्लोको के साथ श्लोक है मनुस्मृति में जहा पर बताया है की ब्रह्ममुहृत के काल में जैसे कोई उठता है तोह रौद्र काल राक्षस काल गनतत्व काल और मनोहर काल कहा जाता है तोह रौद्र काल वो समय जिस समय सोना नहीं सोना चाहिए कभी भी जैसे भगवत में भी वर्णन है जैसे शिवजी और उनके गण विचरण करते है ुष समय शिव से प्राथनाए मंत्र आदि उच्चारण होने चाहिए रौद्र काल में कीर्तन होना चाहिए संकीर्तन आदि मन्त्र जाप और कुछ श्लोको का उच्चारण रौद्र काल में होता है राक्षक काल में भूल कर भी जागना नहीं चाहिए कहते है ९ से १२ का जो काल होता है क्युकी राक्षक की प्रवत्ति बहुत अधिक प्रबल हो जाती है ुष काल में जितने भी भोग विलास आदि करने में जो प्रवृत लोग जो होते है संसारी लोग िश काल में ही अधिक पाप होना चोरी होना डकैती होना ये समय अधिक पप्रोमिनेन्ट रहता है गनतत्व काल तत्पश्चात १२ से ३ का रौद्र काल हुआ समय जिस समय रोगी सोते है राक्षक काल वह है जिस समय भोगी जागते है और गनतत्व काल ऐसे योगियों के लिए बताया जाता है जो योगी होते है सिद्धजन होते है वो विशिस्ट काल है जिस समय विशिस्ट अनुभूतिया करते है दिव्यासाक्षस्कार जैसे हम देखते है श्रील प्रभुपाद जी है श्रील भक्तिविनोद ठाकुर है श्रील हरिदास ठाकुर है ऐसे कई आचार्य गण जो निद्रा आहार आदि पर विजय प्राप्त किये हम इसको अनुकरण नहीं कर सकते पांच ुष विशिष्ट काल में जब सम्पूर्ण सृष्टि एकदम जब शांत हो जाती है ुष समय वो ग्रंथो का लेखन करते थे जिसको अब हम कहते है प्रभुपाद के भक्तिवेदांत तात्पर्य क्या है अर्ली मॉर्निंग एक्स्टसी जिसको कहा जाता है ___ ३ से ६ लगभग सूर्योदय का जो काल होता है िश समय कोई यदि ३ के पूर्व यदि जाग जाता है तोह बतलाया जाता है तोह सौंदर्य तेज़ आयु आरोग्य बुद्धि बल विद्या और सौभाग्य वृद्धि लक्ष्मी जैसे लगभग मनु महाराज के कई चीज़ बताई है इन सभी का तिवत्रा से इसका वर्धन होता है सौंदर्य का तेज़ का बुद्धि का वर्धन होता है और फिर मेडिकल साइंस में भी ऐसे कुछ कुछ अलग अलग रेफ़्रेन्स दिए गए है की न्यूरॉन पैटर्न हमारा कुछ बनता है जो की मस्तिस्क का विकास िश समय में होता है किसी तरह का नकारात्मक ऊर्जा का मतलब वायुमंडल में नकारत्मक ऊर्जा है वायु मंडल में बहुत सकारत्मकता रहती है और ऑक्सीजन प्योर होता है ुष समय का ऐसा बतया गया है बहुत हाई क्वालिटी का जो ऑक्सीजन है जो मेडिकल की दृष्टि से जो लंग्स के लिए हमारे और ब्रेन के लिए और शांत मन के लिए जो अव्यसक है जिस प्रकार की वायु वह सुद्ध सात्विकता ुष वायुमंडल में होती है इसीलिए कहा गया है जो कुंडली है प्राणायाम आदि जो करते तोह वो उसी विशिष्ट काल को बहुत अधिक महत्व देते है तोह यह तोह मतलब मेडिकल की दृष्टि से कहा है शार्प मेमोरी इम्मेडिएटली पावर बढ़ता है एनर्जेटिक होता है स्वस्थ की दृष्टि से भी इसका बहुत एक बताया गया है सूर्य की ऊर्जा सकती जो समाय प्रकट होने लगती है तोह ुष समय बतया गया है की जैसे कोई उठ जाता है तोह सूर्य की समस्त ऊर्जा उसे प्राप्त होती है और सूर्योदय के समय कोई सोता रहे तोह सूर्य उसकी समस्त ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है इसीलिए देखा गया है सूर्योदय के पस्चात जो लोग उठते है उनमे बहुत अधिक आलस होता है प्रमाद होता है तामसिकता होती है उनके चेहरे पर तेज़ का आभाव होता है और बुद्धि थोड़ी ऐसे एक्टिव नहीं होती उनकी तोह िश तरह से बतलाया जाता है तोह यहाँ तोह सांसारिक दृष्टि से भी हमने चर्चा की परन्तु अगर आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये ब्रह्ममुहृत सब्द से जो हमने प्रारम्भ किया था ब्रह्ममुहृत मतलब एक तरह से विशेस समय है जब ब्रह्म की अनुभूति हो सकती है ब्रह्म साक्षात्कार के लिए जो समय रखा गया है जिस तरह से कहा जाये जैसे संस्कार के लिए भी बताते है जैसे मानव जीवन में बाल्यावस्था में जो संस्कार जिसको कौमार अवस्था कहा जाता है कौमार अवस्था में जो संस्कार होते है उसका प्रभाव सम्पूर्ण जीवन भर बना रहता है वैसे ही सम्पूर्ण दिवस की जो चेतना है उसकी बालावस्था होती है ब्रह्ममुहृत ब्रह्ममुहृत एक तरह से स्पंज होता है न स्पंज स्पंज को जब आप पानी में डूबते हो स्पंज जो है पानी सोक लेता है उसी तरह से एक विशिष्ट काल होता है जिस समय चेतना संसार के समस्त विसयो को तुरंत सोक लेती है सब्द रूप स्पर्श गंध ुष काल में आप जो देखते है ुष काल में जो आप मंत्र शब्द ुचाहरण करते है शब्द सुनते है पूरी तरह से गहरे आपके चित में बना लेते है और इसीलिए विशेश रूप से ुष समय जो काल होता है ब्रह्ममुहृत भगवन की प्रथम दृष्टि जिसको कौशलया सुप्रभातम कहते है िश बात को त्रैलोक्यं मंगलम कुरु उठिस्ता उठिस्ता गोविंदा भगवन उठते है भगवन की प्रथम दृष्टि होती है जिसको हम मंगलादर्शन कहते है मंगलादर्शन क्यों कहा जाता है भगवन तोह पूरा दिन दर्शन देते है परन्तु भगवान् आँख खोलके जब सबसे पहले जगत को देखते है भगवान् की ुष दृष्टि में जो आजाते है उनके जीवन में फिर मंगलया आता है कहा जाता है जैसे __ पुनः पुनः कहते है कई बार जो करे मंगला वो न रहे कंगला ऐसा कहते है इसीलिए आप देखिये प्रातः काल मंगला आरती में जब हम जाते है तोह क्या होता है समस्त लाइट्स सभी लाइट्स बंद कर दिए जाते है क्यों किये जाते है ऐसा नहीं है हमको कुछ स्पेशल इफेक्ट्स देने है इसका काफी गहरा कारन है ुष काल में पूरी तरह से आपका चित केंद्रित होना चाहिए ुष समय जो आप रूप देख रहे है जो शब्द बोल रहे है प्रय्तेक एक एक सेकंड ीज़ लाइक गोल्डन मोमेंट कहा जाता है जैसे मेने अभी कहा कार्य जो है काल के अनुसार सिद्ध होता है जैसे बिसनेस का भी एक सीजन होता है मान लीजिये की बहुत बड़े बिस्नेसस्मन है उनको बोलिये शाम के समय आप सत्संग में आईये वो बोलेंगे प्रभुजी ुष समय हमारा बिसनेस का टाइम है ुष समय कमाई होती है हमारी उसको कभी कोम्प्रोमाईज़ नहीं करेंगे जो बिस्नेसस्मन लोग होते है धनि लोग होते है वो कभी अपने बिसनेस टाइम को किसी भी सहीज़ में कोम्प्रोमाईज़ नहीं करेंगे न शादी के लिए न सत्संग के लिए कोई कार्य नहीं करते जब बिसनेस टाइम होता है वैसे ही आध्यात्मिक मार्ग में जो प्रेम प्राप्त करना चाहता है उसके लिए ये बिज़नेस टाइम है टू ार्न द मैक्सिमम प्रॉफिट सबसे अधिक अगर वो लाभ प्राप्त काना चाहता है तोह वो सबसे श्रेष्ठ काल जो बताया गया है ुष ब्रह्ममुहृत को कहा गया है जब विषेश रूप से कुछ तारे आकाश में रहते है ुष समय तारागण रहते है आकाश में और ुष समय बताया जाता है सत्यपीठ की स्थापना होती है सुध स्तव उस समय वह सिद्ध रहता है और समय केवल भगवान् की प्रथम दृष्टि नहीं पढ़ती ुष समय जितने भी अप्रकट और प्रकट जितने भी दिव्या शक्तिया है जैसे जितने वैष्णव गण है नारद मुनि समस्त आचार्य गण है उनकी भी दृष्टि ुष समय होती है एक स्थान पर हम सुन रहे थे िश बात को तोह सभी की दृष्टि उस समय एक साथ पढ़ती है जिव पर जो िश प्रातकाल के विलम्भ उठकर भगवान् की आराधना में भगवान् के जप में लगता है िश तरह से बताया जाता है तोह ब्रह्मुहृत समस्त निद्रा समस्त पुण्य सहकारिणी तोह जिस तरह से आप देखते क्रिकेट मैच है पता नहीं आप खेले है की नहीं क्रिकेट मैच में दो अलग-अलग परफॉर्मेंस होते हैं एक को कहा जाता है नेट प्रैक्टिस चारो तरफ नेट लगाया जाता है और केवल प्रैक्टिस किया जाता फेका जाता है और केवल वो अभ्यास करते है उसको नेट प्रैक्टिस कहा जाता है नेट प्रैक्टिस के बाद में मेंन होता है वर्ल्ड कप मैच में जो खेला जाता है तोह दो प्रकार के होते हैं एक नेट प्रैक्टिस होता है और एक मेन होता है जो वर्ल्ड कप मैच में खेला जाता है आपकी सफलता जो वर्ल्ड कप मैच में है जो सचिन तेंदुलकर है जैसे कोई व्यक्ति जब खेल रहा है जब अच्छा खिलाड़ी कोई खेल रहा है उसकी वर्ल्ड कप परफॉर्मेंस सभी के सामने दिखाई देती है उसने सालों साल जो नेट प्रैक्टिस की है वह कभी दिखाई नहीं देती है बाद में जब सिनेमा बनता है उसके ऊपर तब दिखाते हैं वह कि १५ साल कैसे उन्होंने कठोर तपस्या की हो की नेट प्रैक्टिस की बारिश आंधी तूफान खेलते रहे तब जाकर वर्ल्ड कप में इतना अच्छा वह परफॉर्मेंस दे पाए हैं एक होता है हमारी बाहरी क्रिया जो संसार में प्रदर्शित होती है ऐसे विशेष रूप से हम प्रचार आदि कर रहे हैं सेवाएं कर रहे हैं जो भी हम अपना दैन्य जीवन जो जी रहे है वह है जो संसार के समक्ष दिख रहा है परंतु एक है जो हमारा अलग से जीवन है जो संसार के सामने दिखाई नहीं देता परंतु वर्ल्ड कप की जो परफॉर्मेंस होती है वह किस पर निर्भर करती है अच्छी कहते हैं नेट प्रैक्टिस जितनी अच्छी हो इसके आधार पर वह निर्भर करती है उसी तरह से पूरा दिन जो आप कार्य करते हैं आपका परफॉर्मेंस है परंतु अगर आपकी नेट प्रैक्टिस अच्छी नहीं है तो आपका परफॉर्मेंसभी फैल जाएगा वैसे ही ब्रह्म मुहूर्त काल समझ लो आपका नेट प्रैक्टिस है उस समय विशेष रूप से आप अपने आप को तैयार करते हैं पूर्णता साधना आदि के द्वारा और वहां समय आपने किंचित मात्र भी व्यर्थ गंवा दिया इन सारी बातों में संसारी चर्चाओं में या सोने आदि में तोह पूरी तरह से उस दिन का सैय जाता है ुष दिन का आध्यात्मिक बल सीड़ हो जाता है और दूसरा पुनः इसी उद्धरण को लिया जाये तोह एक मैंने कहा नेट प्रैक्टिस होती है और दूसरी वर्ल्ड कप मैच होती है इनाम किस पे मिलता है नेट प्रैक्टिस आपने कितनी भी साल की हो उस पर इनाम नहीं मिलता इनाम मिलता है जब आप वर्ल्ड कप मैच में अच्छा परफॉर्मेंस करते हो नेट प्रैक्टिस में आपने बहुत खेला होगा पर वर्ल्ड कप में आप पहली बॉल पर ही क्लीन बोल्ड हो गए तोह लाभ क्या रहा उस नेट प्रैक्टिस का तो एक दृष्टिकोण से हमने इस उदाहरण को समझा जैसे ब्रह्म मुहूर्त को हमने नेट प्रैक्टिस किया है अगर शदूसरे दृष्टिकोण से इसी उदाहरण को लिया जाए तोह पूरा दिन आपकी नेट प्रैक्टिस है और बीन परफॉर्मिंग जो है वह ब्रह्म मुहूर्त है जैसे हमारे गुरु महाराज भी इस बात को कहीं है कहीं बार आप 22 घंटे जो क्रिया करते हैं आपके प्रातकाल की जो साधना है उसको तैयार करने के लिए होती है वाटेवर यू सी वाटेवर यू हेअर ये एकसाथ बनता है तैयार होते रहता है तोह यहाँ पर कहा जाता है ब्राह्मी मुहर्त उत्रीसे स्वस्थो रक्षात आयुष: तत्र सर्वारत संत्या तम उच्चैन मधुसूधनाम यहाँ मनुसंहिता से जहा है की ब्राहमिमुह्रत में तुरनत उठ जाना चाहिए ब्राहमिमुह्रत काल में स्वस्थो रक्षात आयुष: जो अपना आयुष स्वस्थ रखना चाहता है आयु का वर्धन करना चाहता हो क्योंकि सूर्योदय के पश्चात जितना आप सोते हैं तो कहा जाता है उतनी आयु का नाश होता है तो अगर उस दृष्टि से देखा जाए तो यह कॉल आयु के लिए आयुर्वेद में भी हमने सुना है हालांकि श्लोक तो अभी हमें प्राप्त नहीं हुआ उसने कहा जाता है बचपन मैंने सुना था मैंने रात्रि को १० के बाद यदि कोई जगता है और प्रातः ४ के बाद सोता है मान लीजिये तोह समस्त प्रकार के जितने रोग है समस्त रोग उसी को होते है कफ पिट आदि यानी प्रकृति के साथ जब आप रहते है एक विशेष बात में सुन रहा था की प्रकृति में कोई भी ऐसा जिव है जो अलार्म क्लॉक लगा कर उठता हो सभी जो है प्रकृति के अनुसार ही सोते है उसके विपरीत जो व्यक्ति होता है उसको अलार्म क्लॉक पड़ती है परन्तु प्रकृति के साथ रहे जो प्रकृति जब सो जाती है प्रकृति के अनुसार जो सोता है उसमे समस्त दिव्या समर्थ और शक्तिया प्रकाशित होने लगती है साथ ही में जिस तरह से मेने कहा यहाँ प्रात: काल की जो बेला है हमारे संस्कार निर्माण का काल कहा जाता है इसे जिस तरह से कोई व्यक्ति कंस्ट्रक्शन कर रहा है कंस्ट्रक्शन का गीला सीमेंट होता है और गीले सीमेंट के ऊपर अगर आपने पैर रख दिया तो समझ जाइए कि उसका निशान बन जाता है उसको मिटा नहीं सकते तोह ब्रह्म मुहूर्त वह काल है जिस समय आपकी इंप्रेशंस बनते हैं वह समय जब आप की आध्यात्मिक साक्षात्कार तैयार होती है उस समय किंचित मात्र आप जो देखते हैं किंचित मात्र शब्द जो सुनते हैं वह तुरंत गहरी छाप छोड़ देता है आप पर तोह इसीलिए इट्स लाइक आ फौंडेंशन ऑफ़ व्होल डे स्प्रिचुअल कॉशसनेस अब समय तोह रहा नहीं प्रभुपाद के कुछ कोट्स काफी है जिसमे प्रभुपाद कहते है देयर इज न्यू क्वेश्चन ऑफ स्प्रिचुअल लाइफ इफ यू कैन नॉट वेक अप अर्ली इन द मॉर्निंग प्रभुपाद का वाकया काफी हैवी है बैकबोन ऑफ़ स्प्रिचुअल लाइफ मतलब आध्यातिमक में प्रस्सन ही नहीं उठता है प्रात काल की समय को अगर गवा देता है तो इसीलिए फाउंडेशन रहता है हमारी आध्यात्मिक जीवन का पर सभी और विशेष रूप से हमारे भक्ति के जो ६४ अंग है ६४ अंग क्रियान्वित होने लगते है जैसे सिम है सिम एक्टिवटे होता है आपका आपकी भक्ति का कोई भी काम तुरंत एक्टिवेट होता है जब प्रात काल की आप साधना करते हैं व्यवहारिक अनुभव या देखिए जो लोग मंदिर में रहते हो या जो लोग मॉर्निंग प्रोग्राम अटेंड करते हैं अनुभव यह है प्रातकाल मंगला आरती करते हो और गुरु महाराज के साथ जप करते हो उसके बाद में अगर भागवत पड़ेंगे और भगवान का दर्शन करेंगे तोह अनुभूति भिन्न रहेगी उसके बजाय आप ऐसा कीजिए आप ७ बजे तक सोते रहिए और फिर उठ जाइए और फिर भगवान के सामने खड़े होइए तोह जो दिव्यता आप मंगला आरती किए नाम जप किए 2 घंटे या गुरुमहारज के साथ कुछ कथा श्रवण किये ुष समय जो दर्शन में भाव आ रहा है और बिना कुछ साधना के आप दर्शन कीजिए भाव नहीं आता तो उस समय भागवत को पढ़ेंगे तो भागवत का प्रत्येक शब्द जो है विशेष अनुभूति आपकी जीवन में लाएगा उस समय अगर अच्छी साधना और मॉर्निंग प्रोग्राम स्ट्रांग होता है प्रसाद भी ग्रहण करने लगते हैं आपकी भावना भिन्न होती है तोह वहां पर बताया है भक्ति के ६४ अंग क्रियान्वित हो जाते हैं जब आपकी ब्रह्म मुहूर्त की साधना होने लगती है दूसरा है सिर्फ क्रियान्वित नहीं होते उसको आप धारण कर सकते हैं जैसे आपको जल लेना है तो जल के लिए पात्र आवश्यक है पात्र ना हो तो आप जल को ग्रहण नहीं कर सकते आपको रुमाल दिया जाएगा उसमें आप जल डालेंगे तो जल लिक हो जाता है वैसे ही जिसका मॉर्निंग प्रोग्राम स्ट्रांग ना हो तो भक्ति के जितने अंग वह करता है वह लिक हो जाते हैं उसके मतलब उसकी अनुभूति मतलब भक्तिमय सेवा जो आपने की उसकी जो अनुभूति होनी है वह अनुभूति हो नहीं पाती है श्रील प्रभुआपाद ९ नवंबर १९७५ में सुकदेव प्रभु को एक पत्र लिखे जिसमे श्रील प्रभुपाद िश बात को कह रहे है तुम्हे देख रहा हूँ की तुम्हारी ज़िम्मेदारी है की सभी भक्त अपने नियमो का सकती से पालन कर रहे हो विशेष रूप से प्रात: कल ४ बजे उठना कम से कम १६ माला का जप ४ नियमो का पालन भगवत कक्षा और अन्य कार्यक्रम आपको िश पर भक्तो को व्याख्यान देना चाहिए जैसे हम अभी हम चर्चा कर रहे है मतलब यू शुड ये जो इम्पोर्टेंस है मॉर्निंग प्रोग्राम का ये आप समझाइये आध्यात्मिक जीवन में उनकी प्रगति के लिए यह आवश्यक है अन्यथा वह फिर से माया के बहकावे में आ जाएंगे यह प्रभुपाद कह रहे हैं अगर यह चीज छूट गई तो माया के बहकावे में चले जाएंगे फिर श्रीला प्रभुपाद का बहुत प्रसिद्ध पत्र है१६ जनवरी १९७५ में अभिराम प्रभु हमारे अरावड़े वाले नहीं प्रभुपाद के जो शिष्य हैं उनके लिए जो पत्र लिखें उसमें श्रील प्रभुपाद विशेष रूप से कह रहे हैं आपको यह सुनिश्चित करना होगा सभी भक्तों आई थिंक ही वाज़ डी मैनेजर की जितने भक्त है सभी नियमों का अच्छी तरह पालन कर रहे हो सभी को जल्दी उठना चाहिए प्रभुपाद के वाक्य को थोड़ा ध्यान से सुने सभी को जल्दी उठना चाहिए स्नान करना चाहिए मंगला आरती में भाग लेना चाहिए कम से कम १६ गुड राउंड्स ही शुड चांट एटलीस्ट १६ गुड राउंड्स मतलब अचे गुणवत्ता के अनुवाद जप करना चाहिए भागवत कक्षा में भाग लेना चाहिए और 4 नियमों का पालन करना चाहिए उसके बाद का वाक्य बहुत महत्वपूर्ण है िफ़ एनीथिंग लैक्स मतलब ढिलाई अगर इन क्रियाओं में किंचित मात्र भी दिलाई हो तोह आध्यात्मिक जीवन का प्रश्न ही नहीं उठता िफ़ एनीथिंग लैक्स देन डेरे ीज़ नो क्वेश्चन ऑफ़ स्प्रिचुअल लाइव और प्रातकाल में ऐसे मॉर्निंग प्रोग्राम करते है तोह इसका मतलब ये नहीं आपको भगवत प्रेम प्राप्त होगया है भक्ति में सिद्ध हो गए जस्ट इनिशियल स्टार्ट जैसे आप गाडी चला रहे हो तोह गाडी में पहला गियर होता है न फिर गाडी आगे स्पीड पकड़ती है तोह आप अनुभव करेंगे जब आप नियमित रूप से साधना करते है तोह मॉर्निंग में साधना न हो तो पूरा दिन आपको डल लगता है मॉर्निंग प्रोग्राम ीज़ लाइक ा बुलेट प्रूफ जैकेट बताते है जैसे एक आवरण आपके ऊपर बन जाता है की माया का प्रभाव ुष दिन नहीं हो पाता है और जिस दिन आपने मॉर्निंग प्रोग्रॅम नहीं किया अनुभव क्या रहता है कहा जाता है किसी व्यक्ति को पिंजरे के अंदर दाल दिया जाये जहा पर भूखा खूंखार शेर है कितनी संभावना है की व्यक्ति बच सकता है तोह वैसे ही जिस दिन आपका मॉर्निंग प्रोग्राम मिस हुआ मतलब आप माया के पिंजरे में चले गए मतलब उस दिन निश्चित रूप से कुछ ना कुछ माया का वार होता है तोह इसीलिए यहां पर प्रभुपाद कहते हैं कि आध्यात्मिक जीवन का प्रश्न ही नहीं है जो कोई भी इन बातों को दृढ़ता से स्वीकार नहीं करेगा एनीवन विल नॉट एक्सेप्ट थिस स्ट्रॉन्ग्ली कोई अगर दृढ़ता से स्वीकार नहीं करेगा तोह प्रभुपाद कहते है की ही मस्ट फॉल डाउन शुड भी नहीं कहा है मस्ट कहा है तोह उसे निचे गिरना ही है और फिर प्रभुपाद कहते है अपने व्यक्तिगत उद्धरण से सभी को इन बातों को सिखलाइये अगर इन बातों में ढिलाई रही तोह सभी लोग ढीले हो जायेंगे आगे श्रील प्रभुपाद एक पत्र लिखे है धनञ्जय प्रभु को ३१ दिसंबर १९७२ में वह प्रभुपाद कहते है यहाँ जो मॉर्निंग प्रोग्राम बना है वह क्या है श्रील रूप गोस्वामी द्वारा शिक्षाओ पर आधारित है आपकी जानकारी के लिए श्रील रूप गोस्वामी भक्ति रसामृत सिंधु में भक्ति की ६४ अंगो का वर्णन किये है और आपको जानके प्र्सनता होगी की श्रील प्रभुपाद द्वारा दिया गया मॉर्निंग प्रोग्राम भी इसके विकलप है ४ से ९ बजे तक का जो कार्यकर्म है मंगला आरती आदि जो करते है भगवत का श्रावण करते है नाम जप करते है तोह एक भक्त बता रहे थे केवल अगर मॉर्निंग प्रोग्राम किया जाये तोह न जानते हुए भी भक्ति के ६४ अंगो में से ५० अंगो का हम पालन करते है व्यक्ति बहुत ज्यादा स्ट्रांग बन जाता है कई बार कुछ भक्त कहते भी है की प्रभुजी आप आईये प्रभुजी ब्रह्मचारी प्रभुजी को आप आइये आपके लेक्चर से इफ़ेक्ट होगा हमारे लेक्चर से उतना इफ़ेक्ट नहीं होता है तोह ब्रह्मचारी से क्या इफ़ेक्ट होता है सींग लगे होते है क्या उनके तोह उनसे जो इफ़ेक्ट होता है क्या इफ़ेक्ट होता है तोह एक भक्त बताये थे ब्रह्मचारी इफ़ेक्ट जो होता है वह क्या होता है जैसे मंदिर के जीवन में जब कोई रहता है तोह एक बहुत ही डिसिप्लिन लाइफ होती है अनुसासन जीवन होने लगता है तोह न चाहते हुए भी जबरदस्ती अनिच्छा पूर्वक भी उनके उस कायकर्म में ुपथस्तीत रहना ही पड़ता है और केवल ुष कार्यकर्म में उपस्थित रहने मात्र से ही आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है यहाँ सभी को जानना चाहिए में कह रहा था िश विषय में तोह एक भक्त ने कह दिया congregation में से प्रभुजी मंगला आरती तोह ब्रह्मचारियों के लिए होती है तोह मतलब गृहस्त वालो ने क्या ६ - ७ बजे तक सोने का क्या ठेका लेके रखा है वास्तविक जो आध्यात्मिक पथ में है सभी के लिए अव्यस्क है प्रभुपाद लिख रहे है धनञ्जय प्रभु को रूप गोस्वामी के द्वारा भक्ति के जितने सिद्धांत बनाये गए है वे सब हम िश प्रणाली के द्वारा पालन कर रहे है मंगला आरती करना प्रांत काल में उठना १६ माला जप करना ग्रंथो का अध्यन करना प्रसाद स्वीकार करना ये सभी हमे हमेसा उत्साही बनाकर माया के हमले से बसाहने के लिए है प्रभुपाद कह रहे है कीप उस ऑलवेज एनर्जेटिक एंथूज़िआस्टिक और माया के हमले से बचाएगी यदि हम प्रभुपाद लिख रहे है यहाँ पे यदि हम इन सिधान्तो का सकती से पालन करते है तोह हम हमेसा उत्साही रहेंगे ये सीक्रेट है कई बार कई लोग बोलते है प्रभुजी उत्साह कैसे आएगा भक्ति में ? उनको कोशिस करनी पड़ेगे उत्साह लाने के लिए मतलब कहीं न कहीं उनकी ढिलाई है जैसे कोई भोजन अचे से कर लेता है तोह उसके चेहरे पे दिखता है कहते पिटे घर का है ये वैसे ही जब कोई पेट भर का मॉर्निंग प्रोग्राम करता है अच्छे से तोह उसका सहज स्वाभाविक उत्साह प्रकाशित होने लगता है ये स्त्रोत है कृष्णा की हमारी सेवा के उत्साह को बनाये रखने वाले है जैसे ही कोई नियमित रूप से उनका पालन नहीं कर रहा है यह निश्चित हो सकता है कि उसका उत्साह धीरे-धीरे गायब हो जाएगा यहाँ प्रभुपाद लिख रहे है इसीलिए यहाँ अनुरोध है सभी परिस्थति में आप प्रभुपाद का वाकया देख रहे हैं सभी परिस्थिति मैं आप बिना असफल हुए इन सिधान्तो पर टिके रहे यहाँ निश्चित करे जितने भक्त है वह उसको बिना कोम्प्रोमाईज़ करे बिना करे फिर प्रभुपाद यशोमतीनन्दन प्रभुजी को पत्र लिखे थे ९ जनवरी १९७६ में उसमे कहे प्रभुपाद अगर खुद को सुध रखना चाहते हो तोह इन सिधान्तो का सख्तीपूर्वक पालन करना चाहिए अन्यथा आजकल विशेष रूप से देखा जा रहा है भगवान् के नाम पर कई स्प्रिचुअल ऑर्गेनाइजेशन तैयार होते जा रहे हैं और केवल क्षण मात्र ही है हमें सावधान रहना होगा कि दूसरों की तरह हम भी दरवदुहिये है ना बन जाए हमारी ताकत निर्भर करती है हमारे प्रात कालीन प्रोग्राम पर प्रभुपाद कह रहे है स्ट्रेंथ श्रील प्रभुपाद ने यशोमती नंदन प्रभु को लिखा था आगे प्रभुपाद रेवती नंदन स्वामी १५ दिसंबर १९७४ को पत्र लिखा है उसमे प्रभुपाद पुनः ये सब डिटेल बताये है मैं वाकया में केवल पढता हु जैसे कोई नियामक सिद्धांत हो जैसे की प्रात: काल उठान ४ नियम आदि कत्र्ता से पालन करना बंद कर देता है तोह उसकी आध्यत्मिक जीवन में बाधा आती है प्रभुपाद कह रहे है हर्डल्स और एक मौका है कि वह माया का शिकार कभी भी हो सकता है प्रभुपाद यहां लिखे हैं तत्पश्चात जयतीर्थ प्रभु को प्रभुपाद एक शिष्य है प्रभुपाद जी लिख रहे है १ मई १९७४ को की ये आवश्यक है की िश कार्यकर्म में भाग ले अगर हम इसका पालन करते हैं तो हम आदर्श बन जाएंगे वी विल बिकम दी रोल मॉडल मतलब हम आदर्श बनेगे समाज के समक्ष अन्यथा इस मिठाई लाई हुई तो वह कंचक और कामिनी के शिकार बन जाएंगे दे विल बिकम प्रेत आगे वो लिखते है रूद्र दस और राधिका देवी दासी को लिखे थे २० फरवरी १९७२ में उसमें प्रभुपाद लिखे कभी भी किसी कारण से यह प्रोग्राम उपेक्षित ना हो एक भी मैं वाक्य सुना हूं अभी मुझे प्राप्त नहीं हुआ मैं सुना हूं कि प्रभुपाद ने कहा खैर हम बहुत वाक्य कहते हैं प्रभुपाद के उसने कहा है वेन यू कॉम्प्रोमाइज वेकिंग अर्ली इन द मॉर्निंग कब कंप्रोमाइज कर सकते हैं व्हेन यू आर डेड व्हेन यू आर डेड दें ओनली यू कैन कंप्रोमाइज मुझे अभी स्मरण है हम गुरुमहारज के साथ पिछले महीने ही थे जब मुंबई में तब गुरुमहारज स्मरण कर रहे कई भक्त ___________ तो वह महाराज की विनम्रता है कि हम उस अवस्था में नहीं है हमको आवयसकता लगती है नींद की परन्तु जो भी हो यहाँ पर क्या कहा जरा है की कभी उपेक्षा न की जाये मतलब कभी कभी होता है विशिष्ट कार्य आ गया की आप यात्रा कर रहे हो रात तक आप देर तक जगे रहे यू शुड नॉट गिव डी एक्सक्यूज़ कभी भी प्रभुपाद का वाकया कभी भी किसी भी कारण से __ िश तरह आपकी सफलता निश्चित है (४३:०१)

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