Hindi
जप चर्चा
24 मई 2022
परम पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज द्वारा
असली जो सुख है, आनंद है उसका अनुभव तब संभव है।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
यह जप भी तप है, इसे याद रखो | जप भी क्या है? तप है | इस वाक्य को भी याद रख सकते हो 'जप ही तप है' जप यज्ञ भी है जप बहुत कुछ है जप भगवान ही है।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
रुकना नहीं है it not cheap thing. आनंद प्राप्ति के लिए बहुत बड़ा मूल्य चुकाना पड़ता है -- "Big price" |
टीवी खरीद लिया, पाँच दस हजार रूपए खर्च किए, टीवी on किया और आह मिल गया सुख। वह सुख नहीं है टीवी के परदे पर आप जो दृश्य देख रहे हो उससे तथाकथित सुखी होते हो। वह सुख ही आपके दुख का कारण बनने वाला है लेकिन यहां हम आनंद की बात कर रहे हैं, जीभ को चाहिए आनंद, सुख नहीं, यह दुनिया है सुख दुख का मेला। सुख चाहिए तो दुख के लिए तैयार हो जाओ या तैयार नहीं भी हो तो दुख मिलने की वाला है | बुद्धिमान व्यक्ति तो वह व्यक्ति है जो prevention is better then cure. जो दुख को टाल सकता है।
konteya ye hi saṁsparśa-jā bhogā
duḥkha-yonaya eva te
ādy-antavantaḥ kaunteya
na teṣu ramate budhaḥ BG 5.22
तुम बुद्धू हो तो भगवान से बुद्धि प्राप्त करो भगवान को सुनो | Borrow intelligence from God.
इस संसार का सुख आदि शुरुआत भी होता है सुख से और अंत भी होता है आदि अंत | यह बुद्धू का काम है ऐसे जीवन में मिलते रहते हैं सुख दुख, सुख दुख:
Sitosna sukha duhkhadah- BG 2.14
जैसे अलग-अलग ऋतुए
गर्मी है तो ठंडी भी आने वाली है ठंडी है तो गर्मी आने ही वाली है अभी सुख का सीजन है तो दुख का सीजन आने ही वाला है sooner or लेटर
ye hi saṁsparśa-jā bhogā
duḥkha-yonaya eva te
ādy-antavantaḥ kaunteya
na teṣu ramate budhaḥ BG 5.22
जैसे बुद्धिमान लोग बिना रमते इन बातों में रमते ही नहीं है रुचि नहीं लेते सांसारिक सुख में, तो दुख ही नहीं आएगा, सांसारिक सुख का उपभोग आपने नहीं किया तो उसका जो reaction है प्रतिक्रिया है every action has its opposite action or reaction.
सुख की प्रतिक्रिया क्या है दुख, सुख का परिणाम है दुख और सुख प्राप्ति के लिए कुछ मूल्य चुकाना पड़ता है | कुछ शॉपिंग करके आते हैं या कहीं जाते हैं यहां जाना है वहां जाना है काठमांडू जाना है हवाई जाना है उसके लिए बहुत हवाई किराया है उसके लिए तो सुख प्राप्ति के लिए कुछ तो मूल्य चुकाना पड़ता है लेकिन दुख तो वक्त में मिलता है कब समझोगे आप इस बात को, get convinced सुख प्राप्ति के लिए कुछ मूल्य चुकाना पड़ता ही है, nothing is free, इस संसार में कुछ भी फ्री का माल नहीं मिलता है, लेकिन दुख तो फ्री में मिलता है, लेकिन जब हम सुख को खरीदते हैं सुखी बनाने की वस्तु को खरीदते हैं उसी के साथ हम दुख भी खरीदते ही हैं। दुख का टैग भी साथ में आ ही जाता है
बुद्धिमान व्यक्ति ऐसी क्रियाकलापों में लिपता नहीं रुचि नहीं लेता उसकी दिलचस्पी नहीं होती कैसे कार्यों में |
हे कुंती नंदन अर्जुन अध्यन्त वह भी गया, सुख का कुछ उपभोग कर ही रहे थे कि इतने में आ गया, अभी कुछ खा रहे थे सुख का अनुभव कर रहे थे इतने में उल्टी हो गई या डायरिया हो गया, दौड़ रहे हैं टॉयलेट, अभी-अभी अभक्ष भक्षण किया हमने जो नहीं खाना चाहिए था वो खा लिया या उतना नहीं खाना चाहिए था उतना खा लिया या उस समय नहीं खाना चाहिए था उस समय खा लिया। सुखी होने के लिए सुख का अनुभव करने के लिए खाते-खाते खाना समाप्त ही नहीं हुआ कि दुख आ गया असुविधा पेट दर्द या उल्टी या बुखार, फिर गोली खाओ दवा खाओ, यह कहते-कहते हमारा जप चर्चा का समय प्रारम्भ हो ही गया, इन पदयात्रियों ने यह टॉपिक खोला उन पद यात्रियों को धन्यवाद। उन पद यात्रियों से प्रेरणा लो, मुझे प्रभुपाद प्रेरित किए पदयात्रा करने के लिए | यह पदयात्रा है तुम्हारे लिए कल्याणकारी है औरों का भी कल्याण करेगी यह पदयात्रा श्रील प्रभुपाद का एक वाक्य लाइक और so many other statements यह तुम्हारे लिए अच्छी है तुम्हारा कल्याण और औरों का भी कल्याण होगा इस पदयात्रा से | श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु स्वयं पदयात्रा किए। छह साल भगवान यात्रा कर रहे थे | वे बद्रिकाश्रम तो नहीं गए, रामेश्वर जरूर गए थे | यह चार धाम यात्रा है जिसमें जगन्नाथ पुरी की यात्रा चैतन्य महाप्रभु ने की , रामेश्वर की यात्रा की, और भी कई धाम गए तीर्थों की यात्रा हुई थी और जहां जहां श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु गये उन स्थानों को चैतन्य महाप्रभु ने तीर्थ स्थान बना दिया।
tīrthī-kurvanti tīrthāni
ŚB 1.13.10
झारखंड के जंगल में मंगल वह भी तीर्थ स्थान हुआ गौड़िय वैष्णव वहां भी जाते हैं हमारे पदयात्री भी वहां गए थे और वहा चैतन्य महाप्रभु भी गए थे | यह क्या काल्पनिक बात है लोग प्रश्न पूछते हैं। वहां जाकर देखो चैतन्य महाप्रभु के चरण चिन्ह आज भी देख सकते हो वह सबूत है। यह सत्य है काल्पनिक नहीं। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु स्वयं एक आदर्श रखे हैं हम सभी के समक्ष और उनकी भविष्यवाणी
"पृथ्वीते आछे यतो नगरादि ग्राम
सर्वत्र प्रचार होइबे मोर नाम "
pṛthivīte āche yata nagarādi grāma
sarvatra pracāra hoibe mora nāma
[CB Antya-khaṇḍa 4.126]
मेरे नाम का प्रचार होगा सर्वत्र प्रचार होगा। तो कैसे होगा प्रचार, प्रचार के लिए मीडियम माध्यम फोरम मंच हो सकते हैं तो उसमें से यह फोरम यह पदयात्रा माध्यम प्रभुपाद के हरि नाम को दूर दूर देशों में ऐसे स्थानों में जहां पहुंचना भी मुश्किल है दुर्गम स्थान वहां पदयात्रा ही जा सकती हैं, यह पदयात्रा से वहां पैदल ही जाया जा सकता है। तो श्रील प्रभुपाद ने महाप्रभु चैतन्य की भविष्यवाणी सच करने के लिए एक योजना प्रभुपाद ने जो बनाई और मुझे सुनाई और मुझे वो करने के लिए आदेश दिया और इस पदयात्रा में आप देख रहे हो कुछ हमारे पदयात्री चैतन्य महाप्रभु संकीर्तन आंदोलन के founding fathers गौरांग नित्यानंद गौरांग नित्यानंद, इनका है यह आंदोलन, इनका है यह मूवमेंट हरे कृष्णा आंदोलन यह संस्थापक हैं, वैसे गौरांग नित्यानंद मतलब कृष्ण और बलराम यही है राम और लक्ष्मण, यह कलयुग में कलयुग के धर्म की स्थापना इन्होंने की | स्वयं ही उनकी प्रकट लीला में भ्रमण करते हुए उन्होंने हरि नाम का प्रचार किया हरि नाम धर्म की संस्था की स्थापना की
dharma-saṁsthāpanārthāya sambhavami yuge yuge
BG 4.8
उन्होंने नित्यानंद प्रभु को क्षेत्र दिया, तुम बंगाल जाओ, यहां मेरे साथ क्यों रहते हो, नित्यानंद प्रभु बंगाल गए नवदीप गए
फिर वहां पर श्री नित्यानंद प्रभु ने नाम हॉट नाम का बाजार शुरू किया, ऐसे बाजार खोलें जहां पर केवल हरि नाम one product वस्तु या व्यक्ति का ही विक्रय होता है, श्रद्धा मूल्य है, हरी नाम व्यक्ति या वस्तु कैसे खरीद सकता है, श्रद्धा है तो ले लो, जो श्रद्धा के साथ आते थे श्रद्धा लेकर आते थे उनको हरिनाम प्राप्त होता था और आज भी वैसी ही बात है तो चैतन्य महाप्रभु ने सर्वत्र हरि भ्रमण करके नित्यानंद प्रभु ने नवदीप बंगाल में भ्रमण करके हरि नाम का प्रचार किया, पदयात्रा मतलब दोनों ने ही की है। और जब नवदीप में प्रातः काल उठकर दोनों ने ही चैतन्य महाप्रभु के सन्यास लीला के पहले तो चैतन्य प्रभु और नित्यानंद प्रभु निकलते थे
udilo aruna puraba-bhage,
dwija-mani gora amani jage,
bhakata-samuha loiya sathe,
gela nagara-braje
By Bhakti Vinod Thakur
प्रातः काल में ही चैतन्य महाप्रभु, नित्यानंद प्रभु, पंचतत्व के अन्य सदस्य और असंख्य नवदीप वासियों को साथ में लेकर चैतन्य महाप्रभु नगर और ग्रामों में भ्रमण संकीर्तन प्रभात फेरी निकालते थे, दक्षिण भारत में जब पद यात्रा कर रहे थे तो हमने देखा दक्षिण भारत के कई गांवों में लोग ख़ास कर आंध्रा में हरिनाम
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
का कीर्तन नृत्य करते हुए अपने अपने गांव में प्रभात फेरी निकालते हैं| हमने पूछा उनको कहां से सीखे ये? उनको कहां से प्रेरणा मिली? तो हमारे बाप दादा यहीं करते थे | उनके पास उत्तर तो नहीं है लेकिन हमारे पास है चैतन्य महाप्रभु ने करके दिखाया किया 500 वर्ष पूर्व तो उसी परंपरा में उन गांवों के नगरों के कुछ कुछ लोग भी आज तक संकीर्तन यात्राएं करते हैं या उसको पदयात्रा भी कह सकते हैं लेकिन यह लिमिटेड होती हैं within the village |
sankirtanaika pitarau- CB Adi 1.1
गौरांग नित्यानंद प्रभु इस संकीर्तन के पिता श्री हैं और मैं कह रहा था कि आज भी पदयात्रा का नेतृत्व गौरांग नित्यानंद प्रभु कर रहे हैं और हमारे ये पदयात्री चैतन्य महाप्रभु के चरण कमलों का अनुसरण करते हुए पीछे-पीछे जाते हैं।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
तो आप भी नगर कीर्तन में जाओ प्रभात फेरी निकालो या फिर एक गांव से दूसरे गांव भी जा सकते हो, अभी one day पदयात्रा भी चल रही है, आजकल 1 दिन ही सही, कुछ भक्त तो पूरा एक जीवन दे रहे हैं, हमारे श्री आचार्य प्रभु जिनको आप देख रहे हैं वे पूरा जीवन दे रहे है | आप पूरा जीवन नहीं तो 1 साल दो, एक महीना दो या 1 सप्ताह या कम से कम 1 दिन समय-समय पर 1 दिन महीने में 1 दिन | कुछ सोचो आप कैसे हरी नाम का प्रचार-प्रसार बढ़ा सकते हो
bhārata-bhūmite haila manuṣya-janma yāra
janma sārthaka kari’ kara para-upakāra
CCAdi 9.41
हरि नाम का प्रचार प्रसार करना है हरि नाम का वितरण करना है प्रसाद का वितरण करना है लोगों को तीर्थ यात्रा में ले जाना या स्वयं को ले जाना और औरों को साथ में ले आना ऐसे कई सारे कार्य हैं परोपकार के कार्य, वैसे iskcon की जो सारी गतिविधियां है यह सब परोपकार का कार्य ही है, मंदिर निर्माण का कार्य है यह परोपकार का कार्य है, यदि गुरु स्कूल चलाते हैं तो यह भी परोपकार का कार्य है, वर्णाश्रम धर्म की स्थापना हो रही है यह भी परोपकार का कार्य है, food for life प्रसाद वितरण बहुत बड़ा परोपकार का कार्य है, यह परोपकार का कार्य जो कर रहे हैं जो fore front है हम उनकी सहायता करें एन केन प्रकारेन। fore front the army man उनके हाथ में बंदूके है they are fighting उनकी सहायता करने के लिए support system स्वयं लड़ाई करने वाले तो कम ही होते हैं, उनकी सहायता करने वाले उनको योगदान देने वाले support system जो supporting personality जो होती है वह बहुत बड़ी व्यवस्था होती है हम स्वयं ही प्रचारक नहीं है तो हम प्रचारकों का जो इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं support करें
प्रभुपाद कहा करते थे preaching is fighting, प्रचार करना क्या है एक प्रकार का युद्ध है, fighting with माया, illusionary forces और श्रील प्रभुपाद हमारे सेनापति भक्त हैं प्रभुपाद का नाम ही है या प्रभुपाद कहलाते ही थे सेनापति भक्त, यह संकीर्तन आर्मी के कमांडर इन चीफ |
श्रील प्रभुपाद की जय
हम सब आर्मी हो गए या सप्लायर हो गए खाली पेट तो आर्मी मैन बंदूक नहीं चला पाएंगे तो यह बंदूक का सप्लायर बुलेट का सप्लायर | हम सब जो श्रोता है we are a team. हमारा एक दल है, united effort कौन क्या करेगा कौन क्या करेगा कौन क्या करेगा like that we all have our task.
आपने दो दिन पहले जब मेरा जप टॉक हुआ फिर कहा था any question कोई प्रश्न है any comment। Comments पर तो अभी हम विचार नहीं करेंगे आपमें से कुछ भक्तों ने प्रश्न पूछे थे उसे मैं सोच रहा था कि बुद्धिमान व्यक्ति ही प्रश्न पूछ सकता है जिसे साइन ऑफ़ इंटेलिजेंस कहते हैं मैं आप लोगों को प्रेरित करता हूँ प्रश्न पूछे जाने चाहिए | मन में कोई शंका है संशय है उसके समाधान के लिए प्रश्न पूछे जाने चाहिए अगर संशय है तो मन में संशय बना रहता है उससे हानि होती है
saṁśayātmā vinaśyati
BG 4.40
संशय आत्मा का विनाश, विकास नहीं, विनाश हमारे जो संशय हैं doubt clarification के लिए हमें प्रश्न पूछने चाहिए |
वैसे I am not the only person, आपको प्रश्न पूछने चाहिए आपकी भक्ति वृक्ष ग्रुप में भी प्रश्न उत्तर हो सकते हैं आप सबके counciller होने चाहिए जिनसे आप प्रश्न पूछो और उत्तर प्राप्त करो यदि आप बहुत उत्कंठित हो किसी प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए तो महात्मा गांधी कहा करते थे अपना अनुभव उन्होंने गीता खोली और उनका प्रश्न का उत्तर उनको मिल जाता था यहां प्रश्न पूछा करो यह गीता, भागवत, उपनिषद यह सब संवाद है प्रश्न उत्तर है सठीक प्रश्न और सठीक उत्तर है।
किसी ने पूछा
How to stay together with the different Maharaja desciple of different thoughts?
अलग-अलग प्रकार के विचार वाले भक्तों के साथ हम कैसे रह सकते हैं?
विचार अलग-अलग है तो कैसे साथ रह सकते हैं ठीक है विचार अलग-अलग हैं तो भक्तों का समाज है तो
Pinde pinde matiḥ bhinna - subhasitaratna
जहां तक हो विचार कृष्ण भावना भावित विचार हैं तब तो कोई समस्या नहीं है यहां प्रभुपाद बात कहते थे Unity in Diversity। मत भिन्नता के कारण प्रभुपाद के समय में भी हमारे जैसे हरे कृष्ण भक्तों के समाज में कुछ विभाजन हो रहा था या कुछ अनुभव या संकेत मिल रहे थे तो फिर प्रभुपाद ने कहा यूनिटी इन द डाइवर्सिटी, भिन्न-भिन्न मत या विचार या योजनाएं भिन्न-भिन्न भक्तों की हो सकती है लेकिन जब तक वह कृष्ण भावना भावित विचार हैं या कृष्ण को प्रसन्न करने के उद्देश्य से वह विचार हैं वह योजना है तो यूनिटी इन डायवर्सिटी तो भिन्न होते हुए भी हम एक हो सकते हैं, एक होने चाहिए।
इस संसार में संभव ही नहीं है दो व्यक्ति बिलकुल एक जैसा ही सोचे, not possible.
ऐसा भी कहा जाता है कि दो व्यक्ति एकदम एक जैसा ही सोचने वाले है, तो दो की आवश्यकता भी नहीं एक से काम बनेगा। तो उनको अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए कि बिल्कुल वैसा ही सोचेगा हर व्यक्ति वैसा ही सोचेगा जब तक वह विचार कृष्ण भावना भावित है कृष्ण से प्रेरित है या वह विचार प्रमाणिक है उस विचार का विकास करना है, उस व्यक्ति से घृणा या द्वेष नहीं करना चाहिए, इस प्रकार हमें थोड़ा broad minded बनके हमें शिष्य मंडली या हरे कृष्ण आंदोलन में और गुरु के भी शिष्य हो सकते हैं उनके साथ भी हम as a team कार्य कर सकते हैं यूनिटी इन डायवर्सिटी।
How can we distribute books online in the west and east, request some training of other devotee who are doing that online?
अच्छा प्रश्न है एक भक्त पूछ रहे हैं कि हम ऑनलाइन प्रभुपाद के ग्रंथों का कैसे वितरण कर सकते हैं यह विचार का ही स्वागत है ग्रंथों का वितरण करने का सोच रहे हो और इस प्रश्न का स्वागत है सम्य प्रश्न है भागवत में सम्य प्रश्न बढ़िया प्रश्न है। क्योंकि यह औरों को प्रेरित करता है या इस प्रश्न के उत्तर से सभी लाभांवित होंगे प्रश्न से भी और प्रश्न के उत्तर से भी जैसे मैंने कहा कि यह व्यक्ति प्रश्न पूछने वाले हमारे अंतर्यामी कृष्ण from शिलांग से प्रश्न पूछ रहे हैं, हम ऐसा प्रश्न नहीं पूछते, उन्होंने पूछा तो हम उनसे प्रेरणा ले सकते हैं इसीलिए इस ए गुड क्वेश्चन वंडरफुल क्वेश्चन ग्रंथ वितरण का विचार जहां तक ऑनलाइन की बात है मैं स्वयं इन बातों को ज्यादा नहीं जानता हूँ लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि यह ऑनलाइन ग्रंथों का वितरण हो रहा है मैं जब नोएडा में था तो उन्होंने स्कोर अनाउंस किया 70 भगवत गीता डिस्ट्रीब्यूट हुई तो मैंने पूछा किसने किसको डिसटीब्यूट किया ऑनलाइन ऑनलाइन आई वास प्लीज 70 भगवत गीता ऑनलाइन | हमारे सोलापुर के बामण हरी नाम प्रभु आपने सुना होगा इस्कॉन सोलापुर was winning the prizes world wide distribution मे यह कैसे संभव हो रहा था ऑनलाइन बुक डिसटीब्यूशन से या जहां तक यह ट्रेनिंग की बात है contact विथ others and sharing and u find out आप ऑनलाइन क्या सोच रहे हैं तो आपको ऑनलाइन का ज्ञान होना चाहिए और कौन-कौन करते हैं कैसे करते हैं पता लगाना चाहिए अंतर्यामी कृष्ण प्रभु आज तो दुनिया ऑनलाइन ही चल रही है यह कोरोनावायरस की देन है एक फायदा भी हुआ blessing in disguise जिसको कहते हैं काफी काम धंधे ई-कॉमर्स ई माने हो गया इलेक्ट्रॉनिक मीडियम से काफी दुनिया चल रही है सरकार चल रही है या व्यापार चल रहे हैं तो क्यों नहीं
प्रभुपाद कहा ही करते थे - प्रतियोगिता ही सिद्धांत है इस ऑनलाइन को माया मत सोचो उसका उपयोग हम कृष्ण की सेवा में कर सकते हैं ऑनलाइन और इस प्रकार हम सोशल मीडिया को spiritual मीडिया बना सकते हैं सुन रहे हैं आप सोशल से spiritual बना सकते हैं। यह सोशल मीडिया बड़ी खतरनाक माया का एक बड़ा जंजाल है भ्रम है लेकिन इसी को हम कृष्णाइज कर सकते हैं उसका कृष्ण की सेवा में ऑनलाइन उपयोग करते हैं तो देखते हैं कि कभी आपको इस फोरम में भी ऐसा कुछ टैनिंग या प्रेजेंटेशन दिया जा सकता है जो ऑनलाइन का भी हो सकता है।
अनादि भक्ति देवी दासी इनकी अभी-अभी दीक्षा हुई 10 दिन पहले उज्जैन में यह मध्य प्रदेश से हैं और प्रश्न भी पूछ रही है she is a very serious student कुछ समय पहले उसको देखा मैंने how can we increase our preaching so that atleast they can understand the existance of soul यह माताजी पूछ रही है कि हम कैसे प्रचार को बढ़ा सकते हैं ताकि लोगों को कम से कम इतना तो पता चले कि वे शरीर नहीं है वे आत्मा है इस प्रचार को कैसे बढ़ा सकते हैं आप ही सोचो या औरो से सीखो कि कैसे प्रचार कर रहे हैं यह शिक्षा तो भगवत गीता में भगवान ने दिया सभी शास्त्रों में उपनिषदों में भी
Bg. 2.13
dehino ’smin yathā dehe
kaumāraṁ yauvanaṁ jarā
tathā dehāntara-prāptir
dhīras tatra na muhyati
यह भगवत गीता का मेन टॉपिक है ही You are just not a body you are a spirit soul तो फिर या गीता का वितरण करना होगा इससे प्रचार बढ़ेगा आप भी ऑनलाइन प्रचार करो आपके इष्ट मित्रों को इकट्ठा करो ऑनलाइन गीता पढ़ने का महिमा सुनाओ और प्रभुपाद के ग्रंथों को पढ़ने के लिए प्रेरित करो ऑनलाइन और भी बहुत तरीके हैं जैसे कि चैतन्य महाप्रभु ने ही कहा
yare dekha tare kaha krsna upadesa
amara ajna guru haya tara ei desa
[Cc. Madhya 7.128]
कृष्ण उपदेश क्या है भगवत गीता कृष्ण का उपदेश। सोचो कैसे जिन जिन को आप मिलते हो कैसे उनको यह संदेश दे सकते हो यह संदेश उन तक पहुंचाओ यह जो देहात्म बुद्धि है उसके स्थान पर यह आत्म साक्षात्कार मैं आत्मा हूँ जिसका ज्ञान
Pranair arthair dhiya vaca - SB 10.22.35
ऐसा आचरण जो धिया है बुद्धि का उपयोग करो, दिमाग लडाओ, थोड़ा धन प्राप्ति के लिए कितना कितना दिमाग लड़ाते हैं या और उसे पता लगाओ कि कैसे कैसे विचार करते हैं उनसे प्रेरणा लो बढ़ाओ प्रचार।