*हरे कृष्ण*
*जप चर्चा-२०/०५/२०२२*
*परम पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज**जय जय श्री चैतन्य जय नित्यानंद*
*जय जय श्री अद्वैत्य चंद्र गौर भक्त वृन्द*
आपने कल्पना की होगी अभी जपा टॉक होगा। आज का दिन महान है आज के दिन की जय।
क्यों महान है ?
आज श्री रामानंद राय तिरोभाव तिथि महोत्सव है।
हम कितने भाग्यवान है। संसार के लोग जब हम भी संसार में थे तो हमारा किसी का बर्डे, श्राद, मैरिज एनिवर्सरी ऐसे कुछ उत्सव हम मानते थे हमारे लिए वो दिन महान थे। कहा हमारा बर्थडे और श्राद और कहा रामानंद राय का तिरोभाव तिथि महोत्सव।
समय समय पर ऐसे न्यूज़ आते है हमारे जीवन में।
राम का बर्डे सीता का बर्डे राधा का बर्डे
एक प्रकार से उत्सव हम संसार में मानते है लेकिन ऐसे जो दिन है राय रामानंद तिरोभाव तिथि जब हम मानते है तो हमारे मति का कारण बन जाते है भक्ति की जननी बन जाते है भक्ति देते है हमको ऐसे दिन। श्रील प्रभुपाद के हम आभारी है जिन्होंने हमारे लिए ऐसे दिन दिए है
वह दिन आ गया आज का दिन आ गया।
गुरु और गौरांग के हम आभारी है।
हरी हरी
श्रील रामानंद राय ऐसे विभूतिया है जो श्री चैतन्य महाप्रभु के लीला में थे।
राय रामानंद की जय।*गौर ना हैतो, तबे कि हैतो*
*केमने धरित दे*
*राधार महिमा, प्रेम-रस-सीमा*
*जगते जानात के*
यदि गौरांग महाप्रभु नहीं होते तो राधा की महिमा और प्रेम की सीमा को संसार कैसे जानता।
यदि रामानंद राय नहीं होते तो यह संसार राधा की महिमा को कैसे जानता। राधा की महिमा का गान करने का श्रेय या कहो निमित्त श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने रामानंद को बनाया। फिर वे राधा की महिमा गाने लगे। संसार इसे हजम नहीं कर पायेगा इसीलिए महाप्रभु ने कहा एनफ।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु का संवाद कई लोगो के साथ हुआ। लेकिन राय रामानंद के साथ जो हुआ वह कुछ विशेष है।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु जिस उद्देश्य से प्रकट हुए वह था उन्नत उज्जवल रस माधुर्य रस श्रृंगार रस यह देने के लिए और लोगो को इसका आस्वादन कराने के लिए प्रकट हुए।
श्रीमती राधा रानी की जय।
इसकी महिमा श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु राय रामानंद के मुँह से लिए। यदि वे भावो का प्रेम का वर्णन नहीं करते तो संसार के लोग कैसे समझते। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु भावानंद राय से कहते थे - तुम पाण्डु तो तुम्हारे पुत्र पांडव है।
विशाखा थे राय रामानंद ऐसी मान्यता है।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु जब मिले तो कई संवाद होता रहा एक दिन की बात है रात्रि के समय अचानक राय रामानंद को श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु का दर्शन नहीं हो रहा था श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के साथ कृष्ण और राधा का दर्शन हो रहा था। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु २ के एक हुए है। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने उसदिन इसका खुलासा किया दर्शन दिया राधा कृष्ण का। ऐसा दर्शन केवल राय रामानंद को दिया हरी हरी।
वही एक मुलाकात में चैतन्य महाप्रभु को जाना था दक्षिण भारत यात्रा में। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने याद रखा था गोदावरी के तट पर फिर राय रामानंद के साथ मिलान हुआ क्या कहना उस मिलान का। कृष्ण दास कविराज गोस्वामी लिखे है उस संवाद को।
मध्य लीला के ८ अध्याय में यह लिखा है आपको इसे पढ़ना चाहिए वह मिलान कुछ विशेष रहा।
दर्शन श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने दिया।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु को दर्शन देना ही था क्योकि राय रामानंद विशाखा है। राधा की सखी है विशाखा।
राय रामानंद विशाखा होने के कारन श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु यह छुपा नहीं पाए।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने पहली मुलाकात में दर्शन दे दिया। उन दिनों में राय रामानंद गवर्नर थे।
विशाखा बानी है गवर्नर।
रूप और सनातन बने थे प्रधान मंत्री हुसैन शाह के यहाँ वे रूप मंजिरी है।
राय रामानंद को श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने कहा छोड़ दो यह राय रामानंद ने तत छन छोड़ दिया।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु जब लौटे जगन्नाथ पूरी तो राजा प्रताप रूद्र का राज था।
राय रामानंद ने उस समय इस्तीफा दिया और राजा प्रताप रूद्र ने स्वीकार किया। वह समय आ चूका था श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु की जब अंतिम १२ साल थे जगन्नाथ पूरी ने रहे।
१८ वर्ष टोटल वे रहे थे जगन्नाथ पूरी में।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु राधा की महिमा जनना चाहते थे। राधा की महिमा कैसी है राधा जो कृष्ण प्रेम का आस्वादन कराती थी वह कृष्ण को पता नहीं था रुक्मिणी ने कहा था प्रभु प्रभु आप नहीं जानते राधा के भाव के।
विरह की भाव जो राधा रानी को होती है वह प्रभु आप नहीं जानते।
कृष्ण ने उसी छन मन बना लिया था मुझे राधा बनाओ और कृष्ण बन गए राधा।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु का जो स्वरुप है उसमे राधा कांति राधा का भाव है
कृष्ण राधा जैसा बनना चाहते है। पहले कृष्ण लीला खेले है और अंतिम लीला में यह राधा भाव में गम्भीरा में श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु रहते थे। उस समय राय रामानंद पार्षद बने। श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने अपना अधिकतर समय स्वरुप दामोदर के साथ बिताया था। स्वरुप दामोदर कौन है ? ललिता
राय रामानंद के साथ संवाद होता था वैसा संवाद गम्भीरा में होने लगा।
राय रामानंद से श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु सुना करते थे। विशेष सेवा राय रामानंद कर रहे थे। जगन्नाथ स्वामी के शयन के पहले देव दासिया नृत्य प्रस्तुत करती थी।
नृत्य के पहले राय रामानंद श्रृंगार करते थे उन गोपियों का जो नृत्य करते थे।
जैसे विशाखा करती है कृष्ण के लिए।
चैतन्य चरितामृत में कमेंट आता है मै तो सन्यासी हु लेकिन स्त्रियाँ को मै देखता हु तो मेरा मन विचलित होता है। यह हमारे लिए कह रहे है महाप्रभु।
ऐसे और कैसे कैसे यह राय रामानंद थे उनका आज तिरोभाव तिथि है।
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By admin|2023-07-29T09:26:27+00:00May 20th, 2022|Comments Off on Celebrating spiritual festivals paves our way to liberation.