*हरे कृष्ण*
*जप चर्चा- १७/०५/२०२२*
*परम पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज*
हरे कृष्ण
गौरांग
*श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानंद श्री अद्वैत्य गदाधर श्रीवासादि गौर भक्त वृंद*
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*
श्री राधा गोविन्द देव की जय
हमने जो सुना उसको सुनाएंगे
भौतिक जगत में यदि कोई किसी के नाम को बार बार पुकारे तो वह कुछ मिनटों में ऊब जाता है किन्तु हरे कृष्ण को मंत्र को बिना थके जपा जा सकता है।
यह हरे कृष्ण मंत्र नित्य नविन है ऐसा प्रभुपाद भागवत के तात्पर्य में लिखे है अब और नहीं कहेंगे आप चिंतन करो मनन करो और समज जाओ प्रभुपाद के इस वचन को। भौतिक जगत के बाते से इंसान थक जाता है किन्तु *हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे* इसके कहने से और इच्छा जग जाती है यह मंत्र नित्य नविन जान पड़ता है। जप की संख्या बढ़ने की बात यहाँ प्रभुपाद कह रहे है तो आप वैसे याद रहिये।
यहाँ आने से पहले मै उज्जैन में था श्री अवन्तिपुर धाम की जय।
वहा हमने कुछ दिन बिताये। वहां हम व्यस्त थे। कथा , प्रह्लाद के उपदेश , कीर्तन मेले , जप यज्ञ वह भी होते रहे , महा अभिषेक हुआ , दीक्षा अनुष्ठान हुआ। किन्तु हरे कृष्ण महामंत्र को बिना थके हम जप रहे थे हम थक नहीं रहे थे। भगवान की आरती कर रहे थे राधा मदन मोहन की जय। प्रह्लाद नरसिम्हा की जय। हम थके नहीं उलटे अधिक अधिक कीर्तन।, कथा , अभिषेक और और करने की इच्छा जग रही थी इसीलिए यहाँ आये नॉएडा में तो आगे बढ़ा रहे है इसे । भारत वर्ष की जय।
मेरा भारत महान।
नॉएडा के रस्ते में जब हम अवन्तिपुर में थे तो कुछ तीर्थो की यात्रा की यहाँ की महिमा का श्रवण किया।
तीर्थ यात्रा से मुझे इस बात का साक्षात्कार हो रहा था की भारत सच मच महान है।
और फिर महान है भारत कहेंगे तो प्राचीन भारत ही महान है और अर्वाचीन भारत भारत बन गया इंडिया।
गर्व से कहो हम भारतीय है लेकिन हमें कोई गर्व नहीं है। अवन्तिपुर में कई सरे स्थल है हम कुछ नामिना देखा सुना तो विचार आया भारत महान है प्राचीन है।
अवन्तिपुर स्थान में हम पहुंचते है तो वह स्थान हमें पंहुचा देते है लाखो करोडो वर्ष पूर्व और महान घटना का स्मरण दिलाते है
४ स्थान में से एक स्थान है जहा समुद्र मंथन हुआ वहा कुछ अमृत की बून्द गिरी और वहा कुम्भ मेला लगता है वह स्थान है अवन्तिपुर।
कुम्भ मेले की हम बात करते है उज्जैन में कुम्भ मेला है मुझे उज्जैन में पदवी प्राप्त हुयी यह अर्वाचीन बात है।
भगवान् का दर्शन करने के लिए मै वह गया तो सभी ने कहा महंत आ रहे है तो मेरा फायदा हुआ।
१२ ज्योतिर्लिंग में से यह एक है।
उज्जैन में यह प्रसिद्ध है हमारे लिए तो *वैष्णवनाम यथा शम्भू* है।
प्रलय के समय वे तांडव करते है और तमोगुण को प्रेरित करते है सब विनाश करते है वे कल भैरव बनते है। विष्णु ही कृष्ण ही ऐसा करते है।
वे ही शंकराचार्य बने और मायावाद भाष्य उनको सुनना पड़ा।
इसी अवन्तिपुर में जन्म थे राजा इन्द्रदुम्न । वे भगवान में महँ भक्त थे। जगन्नाथ मंदिर की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा राजा इन्द्रद्युम्न ने की।
अवन्तिपुर में एक ब्रह्माण्ड थे वे वैराग्य को प्राप्त हुए।
इस्कॉन में जब सन्यासियों को दीक्षा दी जाती है तो एक मंत्र दिया जाता है जो इसी ब्रह्माण्ड के द्वारा उच्चारित है जिसे हम रोज जपते है गायत्री का ध्यान करते है।
इस अवन्तिपुर धाम का माहात्म्य कहो यह कुम्भ नामक बुक में लिखा है। हम हरे कृष्ण भक्त जाते है कुम्भ में तो कीर्तन होता है
- *हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*
ब्रह्माण्ड के समाज में आया धन जो एकत्रित करने में कितने भय संकट का सामना करना पड़ता है सम्पाती के कारण १५ प्रकार की अवांछित बाते उत्पन्न होती है।
इच्छा न होनेपर भी यह प्राप्त होता है - चोरी, हिंसा, काम , क्रोध, घृणा , लड़ाई झगड़ा, स्त्री में अनुगति, जुआ , नशा इन समबा सम्बन्ध संपत्ति में है।
हम उस देश के वासी है जहा असंख्य नदी बहती है।
जल वहा तेजी से दौड़ती है इसके लिए उस नदी का नाम है शिप्रा।
वहा एक राम घाट भी है वहा सभी स्नान करते है। हम कल नरसिम्हा घाट पर पहुंच गए। नरसिम्हा भगवान् कई स्थानों में गए।
नरसिम्हा भगवान ने नरसिम्हा पल्ली में हाथ धोया।
कई सथानो पर नरसिम्हा भगवान गए है अवन्तिपुर का भी उन्होंने चयन किया।
हमने भी कल शिप्रा नदी में आचमन किया।
वहा पर एक कोटि तीर्थ कुंड है।
राम ने एक समय हनुमान को कथा जाओ सरे संसार के तीर्थो का जल ले आओ।
हनुमान सभी तीर्थो का जल लेट थे और सभी जल को उज्जैन में एक कुंड में रखते थे और फिर वहा सब जमा होने के बाद वे अयोध्या ले गए।
श्रील प्रभुपाद के जन्मोत्सव जब हम मना रहे थे तो हमें कोटि कोटि तो नहीं लेकिन १००० स्थानों का तीर्थ एकत्रित किया और उससे श्रील प्रभुपाद का अभिषेक हुआ।
अवन्तिपुर हमारे लिए श्रेष्ठ है महान है।
कृष्ण बलराम जब छोटे थे तो छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल में बिजी थे।
कृष्ण जब छोटे थे तो स्कूल नहीं भेजा जब वे ११ साल के हुए तो दोनों को स्कुल भेजा और वहा गुरुकुल था अवन्तिपुर में सांदीपनि मुनि के यहाँ।
हम भी कल वहा गए थे जहा कृष्ण बलराम पढ़ते थे।
वहा यह दर्शाया है कृष्ण बलराम हर रोज एक विद्या को सिखाते पढ़ते और उसमे पारंगत होते ऐसे विद्यार्थी थे वे।
वहा ६४ कला या विज्ञान का प्रदर्शन हमने वहा देखा। वहा नारायण गांव है जहा कृष्ण सुदामा के साथ ईंधन ढूंढने गए थे। हरी हरी
गुरु को प्रशन्न करने के लिए कृष्ण क्या क्या कर रहे थे वहा सेवा करते थे नम्र थे कृष्ण।
कृष्ण बलराम को प्रचार के लिए भेजा जाता था उन्हें भिक्षा के लये भेजा जाता था।
सभी जाते थे मधुकरी लेने लेकिन सबसे अधिक कृष्ण का ही होता था।
द्वार द्वार अवन्तिपुर में वे जाते थे।
कृष्ण सभी को दर्शन देते और सभी के चित्त को हर लेते वे लोग चाहते थे की कृष्ण ऐसे रुके रहे अधिक समय।
वे पत्नी से कहते थे चावल ले आओ, आलू ले आओ और कृष्ण को अधिक समय रुका के रखते थे।
बहुत अन्न एकत्रित करते थे कृष्ण इससे अन्न कूट बन जाता था।
कृष्ण के मित्र कृष्ण के पीछे पीछे जाते थे।
कृष्ण मित्र के साथ प्रचार के लिए जाते।
वहा पर हमने यह भी देखा - दक्षिणा का जब समय आया तो गुरु ने कहा मेरे मृत पुत्र को लौटा दो।
तो कृष्ण में वह पूरा किया।
सोमनाथ में वह जगह है। वहा कृष्ण गए। समुद्र में कृष्ण गए वहा वह नहीं मिला।
भगवान यमपुरी गए। कृष्ण बलराम जैसे पहुंचते है तो वहा शंख बजाया।
वह ध्वनि जब वहा नरक के निवासियों ने तो सभी चतुर्भुज रूप धारण करके भागवत धाम लौटे उसी समय यमराज आये और गुरु का पूर्ति दिए उसे लेकर कृष्ण बलराम अवन्तिपुर लौटे।
इस बात से गुरु और गुरु की पत्नी का क्या कहना।
गुरु ने आशीर्वाद दिया तुम्हारे मुख से जो भी वचन निकलेगा वह वेद वाणी होगा तुम जो भी कहोगे सत्य कहोगे सत्य के अलावा कुछ नहीं कहोगे।
ऐसा आशीर्वाद गुरु ने दिया।
अवन्तिपुर में कृष्ण बलराम की यह लीला हुयी।
हरी हरी
भारत सर्कार इस अवन्तिपुर का निर्माण कर रही है।
महाकाल महा मंदिर का छेत्र है यह।
यहाँ नव निर्माण होने वाला है वहा के अधिकारी के मदत से हम महाकाल का दर्शन किया।
नव निर्माण का कार्य वहा प्रारम्भ हुआ है।
भारत के प्रधान मंत्री प्रोहत्साहन देने वाले है औपचारिक पद्धति से।
बहुत अच्छी है यह सराहनीय है।
इस देश के राजा धर्म की रक्षा में योगदान दे रहे है।
ऐसा करेंगे तो अच्छे दिन आएंगे।
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By admin|2023-07-29T09:20:21+00:00May 17th, 2022|Comments Off on Lets Chant Together 17th May 2022